शनिवार, 17 अगस्त 2019

देश के संवर्धन से ओवैसी को दिक्कत

नई दिल्ली । पीएम ने लाल किले से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा था कि हमें इस मसले पर आने वाली पीढ़ी के लिए सोचना होगा। सीमित परिवार से खुद के साथ-साथ देश का भी भला होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए अपने संबोधन में देश की युवा शक्ति और बढ़ती आबादी का जिक्र किया था। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम के इस बयान पर निशाना साधा है। ओवैसी ने ट्वीट के जरिए पीएम मोदी पर हमला बोला है।


गुरुवार को पीएम मोदी ने कहा था कि देश की ज्यादातर आबादी युवा और प्रडक्टिव है लेकिन इसका हमें 2040 तक ही फायदा मिलेगा। पीएम ने इस दौरान जनसंख्या बढ़ोतरी पर भी चिंता जताई थी। एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'प्रधानमंत्री को यह नहीं पता कि इस फायदे (युवा आबादी) का कैसे इस्तेमाल किया जाए, इसलिए वह सरकार के खारिज और अनुचित रूप से दखल देने वाले विचारों के साथ आ रहे हैं। इस तरह वह अपनी जिम्मेदारी से जी चुराते हैं।'


पीएम ने लाल किले से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा था कि हमें इस मसले पर आने वाली पीढ़ी के लिए सोचना होगा। सीमित परिवार से खुद के साथ-साथ देश का भी भला होने वाला है। पीएम ने इस दौरान कहा कि जो लोग सीमित परिवार के फायदे के बारे में जनता को समझा रहे हैं, उन्हें सम्मानित करने की जरूरत है। छोटा परिवार रखने वाले देशभक्त की तरह हैं।पीएम ने 73वें स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन में कहा था कि जनसंख्या में इजाफे की वजह से देश की भावी पीढ़ी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पीएम मोदी ने साथ ही कहा कि घर में किसी भी बच्चे के आने से पहले हमें सोचना चाहिए कि क्या हम उसकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार हैं।


इससे पहले बीजेपी नेताओं ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी के दिए भाषण की तारीफ करते हुए इसे प्रेरणादायक बताया और कहा कि यह भाषण नए भारत के निर्माण के लिए उनका संकल्प दिखाता है। बीजेपी के कुछ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री द्वारा 'परिवार को छोटा' रखने की जनता को दी गई सलाह को 'देशभक्ति' करार दिया। बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने मोदी के भाषण की प्रशंसा करते हुए इसे बहुत प्रेरणादायक भाषण बताया। नड्डा ने बीजेपी मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए कहा कि देश ने मोदी के नेतृत्व में दुनिया के विकसित देशों में से एक बनने के लिए छलांग लगाई है।


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जनसंख्या नियंत्रण पर पीएम मोदी मोदी द्वारा की गई टिप्पणी की प्रशंसा की। गिरिराज सिंह ने इस ट्वीट में अपने साथ मंत्रिमंडल सहयोगी संजीव बाल्यान की फोटो भी लगाई। दरअसल बाल्यान ने जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने के लिए लोकसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था।


नैनी के बंद उद्योगों को शुरु किया जाएगा

भूपेंद्र पांडेय


प्रयागराज । नैनी में बंद उद्योगों को फिर से जीवित करने की कवायद शुरू हो गई है। 15 सितंबर के भीतर मंत्रालय की टीम आएगी और संभावना तलाशेगी। क्षेत्र की सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में बताया कि टीम की रिपोर्ट के आधार पर उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई जाएगी।
अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में हुआ विस्फोट
सांसद चुने के बाद से ही डॉ.रीता नैनी में बंद उद्योगों को फिर से शुरू करने के प्रयास शुरू कर दिए थे। प्रेसवार्ता में कहना था कि उन्होंने इस बाबत भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा था। इसी परिप्रेक्ष्य में मंत्रालय की टीम आ रही है। टीम भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी की अगुवाई में आएगी और उनकी रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.रीता ने बुंदेलखंड की तर्ज पर यमुनापार के विकास की भी उम्मीद जताई। इसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है। रीता ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में शुरू योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ अनुच्छेद 370 हटाने समेत अन्य निर्णयों पर भी चर्चा की और भारत सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।


जिला अधिकारी से पहाड़ी हटाने का आग्रह

जोधपुर। शहर जिला काॅंग्रेस कमेटी के अघ्यक्ष सईद अन्सारी ने कहा शुक्रवार बम्बा क्षैत्र के गुलजारपुरा मे हुए हादसे से हुई मौतो पर गहन दुख प्रकट किया है।


अध्यक्ष अन्सारी ने कहा कि आज से सात वर्ष पूर्व भी ऐसा ही हादसा उदयमंदिर आसन क्षैत्र मे भी हुआ था। आज एक बार फिर इस प्रकार के हादसे की पुनरावृति हुई है। दो बच्चो की जान गई है और एक व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल है। जो चिन्ता का विषय है। अन्सारी ने कहा कि जिस प्रकार से बारिश हो रही है। उससे इस प्रकार के हादसे की सम्भावना इस क्षैत्र मे बराबर बनी हुई है। जिसका स्थाई समाधान जरूरी है।
इसके लिए काॅंगे्रस अध्यक्ष अंसारी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एंव जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित से बात की है।
जिला अधिकारी राजपुरोहित से बात करते हुए अन्सारी ने बताया अन्दर से यह पहाड़ी पूरी तरह से खोखली हो चुकी है । जिससे गिरने की आंशका हमेशा बनी रहती है एंव बरसात के मौसम मे इसके गिरने का खतरा दौगुना हो जाता है। जिसका समाधान इस पहाड़ी के हटने से ही सम्भव होगा।
अन्सारी ने जिला प्रशासन को कलेक्टर के माध्यम से अनुरोध किया है कि इस पहाड़ी को हटाया जाए। ताकि आगे से कोई जनहानि ना हो।वही जिला कलेक्टर ने आश्वस्त किया है कि इस सम्बध मे सर्वे कर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।
काॅग्रेस जिलाध्यक्ष ने इस क्षैत्र से लोगो को दूर हटाकर यथोचित स्थान पर निर्वासित करने का भी अनुरोध किया है


घाटी में 2जी इंटरनेट सेवा हुई मुहाल

श्रीनगर। अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को आसान बनाने के लिए पहला कदम उठाते हुए राज्य प्रशासन ने कुछ जिलों में 2जी इंटरनेट सेवा शुरू कर दी है। आज जम्मू, रियासी, सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों में 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं वापस शुरू कर दी गईं। संचार व्यवस्था पर रोक के पीछे एक वजह घाटी में आतंकी गतिविधियों के दौरान मोबाइल कनेक्टिविटी का इस्तेमाल है जो इस परिस्थिति में खतरनाक साबित हो सकता है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सिलसिलेवार तरीके से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। प्रतिबंधों को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने के मद्देनजर रखा गया था, जिससे जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया है। एएनआई ने जम्मू- कश्मीर के मुख्य सचिव, बीवीआर सुब्रह्मण्यम के हवाले से कहा कि एक व्यवस्थित तरीके से प्रतिबंध को क्षेत्र से हटा लिया जाएगा। अगले कुछ दिनों में प्रतिबंधों में और ज्यादा ढील दी जाएगी।


डॉक्टर की सलाह का पालन करें:मकर

राशिफल


मेषराशि(Aries)-आज का दिन अच्छा रहेगा। आय में वृद्धि होगी। अपरिचित व्यक्ति पर अधिक भरोसा ना करे।अटका हुआ धन वापिस मिलेगा।गरीबों की मदद करके परमार्थ कमाइए।बुज्र्गॉ की सेवा करके अच्छा फल प्राप्त करें।अच्छी-खासी सेहत के लिये रोजाना सुबह योग या व्यायाम जरुरी है.अहंकार व क्रोध से निजात पाने की कोशिश करें ।


2वृषराशि(tauras)- परिवार के साथ समय अच्छा गुजरेंगा।बच्चो के भविष्य बारे उचित सोचे।आज आपका कोई नजदीकी रिश्तेदार आपकी मदद करेगें।यात्रा का योग नहीँ बन रहा हैं।लड़ाई झगड़े से बचने की कोशिश करे।परिवार को विश्वास में रखने के लिये सावधानी बरतनी चाहिए।परेशानियाँ से निजात पाने की कोशिश करें।योगा व सुबह की सैर अवश्य करें।
3 मिथुन राशि (gemini)-आपके विचार स्करातमकहो।नकारात्मक ना सोचे।आज गरीबों की मदद करके परमार्थ कमाइए।।मेहनत करेगें तो सफलता अवश्य मिलेगी धार्मिक कार्यों मे रूचि बढाये।आज यात्रा का योग शुभ होगा।मन में शान्ति के लिये मन्दिर में अवश्य जाये।सच्चाई का मार्ग अपनाए।अहंकार व क्रोध से निजात पाने की कोशिश करें ।


4-कर्क राशि ( cancer)-आज अचानक धनलाभ का योग है।कोई पुराना मित्र आपके कारोबार मे आपकी मदद करेगा।आपकी पुत्री के लिये अच्छा रिश्ता आएगा।माता पिता की सेवा करना आपका धर्म है इसे पूरी तरह से निभाए।आज कारोबार में धन लाभ होगा।
5सिंह राशि(leo)- आज कुछ ऐसा होगा जिससे आपको सफलता प्राप्त होगी।धनलाभ का योग है।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।अपनो से बिना बात पर नाराजगी ठीक नहीं।।बुजुर्गो की सेवा करना आपका कर्तव्य है।दायित्व निभाए।
6कन्या राशि( virgo)-आज का दिन भाग्यशाली होगा।मनचाहा कार्य सफल होगा।अटका हुआ धन मिलने के योग हैं।अपने माता पिता की सेवा करना अपका फर्ज है।आज कोई पारिवारिक समस्या का समाधान निकलेगा।आपके पुत्र को सरकारी नौकरी मिलने का योग है।


7-तुला राशि (libra)- किसी अनजान व्यक्ति से दुरी बनाएँ रखना उचित होगा।धनलाभ की प्राप्ति होगी।अपने व्यवसाय की सफलता के राज अपने निजी व्यक्ति को ही बताए।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।रोजाना कसरत या व्यायाम करना जरुरी है।
8वृश्चिक राशि(scorpion)-आपका व्यवहार अन्य लोगों के लिये आदर्श साबित होगा।दूर स्थान की यात्रा लाभदायक सिद्ध होगी।अपनो से नाराजगी नहीं करे।सबसे अच्छा व्यवहार करने की कोशिश करें।आज पुराने मित्रों से मुलाकत अच्छी-खासी लाभकारी होगी।गरीब रिश्तेदारों की मदद अवश्य करें।माता-पिता की सेवा करना आपका कर्तव्य है।
9धनु राशि(Sagittarius)- अधूरे कार्य पूरे करे।रिश्तेदारों से अच्छा व्यवहार करे कोशिश करें कि आप उन्हें नाराज ना करे।आज अचानक धन लाभ का योग है।आज यात्रा टालना आपके लिए हितकारी होगा।
10मकर राशि(capricon)-आपका व्यवहार सबके साथ मीठा और सौहार्दपूर्ण होना चाहिये।रेगुलर स्वास्थ्य की जांच अति आवश्यक है डाक्टर की सलाह की पालना अवश्य करें।सबको साथ लेकर चलने की आदत बनाये।छोटी छोटी बातों पर गौर करें और सबकी रजा मन्दि से कार्य करने की कोशिश करें।
11कुम्भ राशि(Aquarius)-सबसे मीठा और अच्छा व्यवहार करे।धनलाभ का योग है।नया कार्य शुरू करने से पहले विचार विमर्श करे।परिवार के साथ अच्छा घुमने का प्रोग्राम बनाये।अनुभवी व्यक्तियों की सलाह अनुसार कार्य करे।सेहत के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।अहंकार और तानाशाही से निजात पाने की कोशिश करें।
12-मीन राशि ( pisces)-अपने माता-पिता की सेवा करना अपका दायित्व है।अपने ब्च्चॉ के भविष्य बारे कदम उठायें।परिवार के बुजर्ग की अनुमति अनुसार कार्य करे।आपकी बेटी के लिये अच्छा वर योग है विवाह की तैयारियाँ शीघ्र करे।धनलाभ का योग है।अच्छी सेहत के लिए सुबह की सैर अवश्य करें।क्रोध व लालच से निजात पाने की कोशिश करें ।


शाकाहार के लाभ और क्षमताएं

शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है।


पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है।


नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन।


अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।


अभावग्रस्त आधुनिक शिक्षा पद्धति

आयोग की सिफारिशों से भारतीय शिक्षा में उन्नति हुई। विद्यालयों की संख्या बढ़ी। नगरों में नगरपालिका और गाँवों में जिला परिषद् का निर्माण हुआ और शिक्षा आयोग ने प्राथमिक शिक्षा को इनपर छोड़ दिया परंतु इससे विशेष लाभ न हो पाया। प्राथमिक शिक्षा की दशा सुधर न पाई। सरकारी शिक्षा विभाग माध्यमिक शिक्षा की सहायता करता रहा। शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ही रही। मातृभाषा की उपेक्षा होती गई। शिक्षा संस्थाओं और शिक्षितों की संख्या बढ़ी, परंतु शिक्षा का स्तर गिरता गया। देश की उन्नति चाहनेवाले भारतीयों में व्यापक और स्वतंत्र राष्ट्रीय शिक्षा की आवश्यकता का बोध होने लगा। स्वतंत्रताप्रेमी भारतीयों और भारतप्रेमियों ने सुधार का काम उठा लिया। 1870 में बाल गंगाधर तिलक और उनके सहयोगियों द्वारा पूना में फर्ग्यूसन कालेज, 1886 में आर्यसमाज द्वारा लाहौर में दयानंद ऐंग्लो वैदिक कालेज और 1898 में काशी में श्रीमती एनी बेसेंट द्वारा सेंट्रल हिंदू कालेज स्थापित किए गए।


[1] 1894 में कोल्हापुर रियासत के राजा छत्रपति साहूजी महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। 1894 से 1922 तक पिछड़ी जातियों समेत समाज के सभी वर्गों के लिए अलग-अलग सरकारी संस्थाएं खोलने की पहल की। यह अनूठी पहल थी उन जातियों को शिक्षित करने के लिए, जो सदियों से उपेक्षित थीं, इस पहल में दलित-पिछड़ी जातियों के बच्चों की शिक्षा के लिए ख़ास प्रयास किये गए थे। वंचित और गरीब घरों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। 1920 को नासिक में छात्रावास की नींव रखी। साहू महाराज के प्रयासों का परिणाम उनके शासन में ही दिखने लग गया था। साहू जी महाराज ने जब देखा कि अछूत-पिछड़ी जाति के छात्रों की राज्य के स्कूल-कॉलेजों में पर्याप्त संख्या हैं, तब उन्होंने वंचितों के लिए खुलवाये गए पृथक स्कूल और छात्रावासों को बंद करवा दिया और उन्हें सामान्य छात्रों के साथ ही पढ़ने की सुविधा प्रदान की। डा० भीमराव अम्बेडकर बड़ौदा नरेश की छात्रवृति पर पढ़ने के लिए विदेश गए लेकिन छात्रवृत्ति बीच में ही रोक दिए जाने के कारण उन्हे वापस भारत आना पड़ा। इसकी जानकारी जब साहू जी महाराज को हुई तो महाराज ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें सहयोग दिया।


1901 में लार्ड कर्ज़न ने शिमला में एक गुप्त शिक्षा सम्मेलन किया था जिसमे 152 प्रस्ताव स्वीकृत हुए थे। इसमें कोई भारतीय नहीं बुलाया गया था और न सम्मेलन के निर्णयों का प्रकाशन ही हुआ। इसको भारतीयों ने अपने विरुद्ध रचा हुआ षड्यंत्र समझा। कर्ज़न को भारतीयों का सहयोग न मिल सका। प्राथमिक शिक्षा की उन्नति के लिए कर्ज़न ने उचित रकम की स्वीकृति दी, शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की तथा शिक्षा अनुदान पद्धति और पाठ्यक्रम में सुधार किया। कर्ज़न का मत था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से ही दी जानी चाहिए। माध्यमिक स्कूलों पर सरकारी शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय दोनों का नियंत्रण आवश्यक मान लिया गया। आर्थिक सहायता बढ़ा दी गई। पाठ्यक्रम में सुधार किया गया। कर्जन माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का हटना उचित नहीं समझता था, प्रत्युत सरकारी प्रभाव का बढ़ाना आवश्यक मानता था। इसलिए वह सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ाना चाहता था। लार्ड कर्जन ने विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा की उन्नति के लिए 1902 में भारतीय विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया। पाठ्यक्रम, परीक्षा, शिक्षण, कालेजों की शिक्षा, विश्वविद्यालयों का पुनर्गठन इत्यादि विषयों पर विचार करते हुए आयोग ने सुझाव उपस्थित किए। इस आयोग में भी कोई भारतीय न था। इसपर भारतीयों में क्षोभ बढ़ा। उन्होंने विरोध किया। 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय कानून बना। पुरातत्व विभाग की स्थापना से प्राचीन भारत के इतिहास की सामग्रियों का संरक्षण होने लगा। 1905 के स्वदेशी आंदोलन के समय कलकत्ते में जातीय शिक्षा परिषद् की स्थापना हुई और नैशनल कालेज स्थापित हुआ जिसके प्रथम प्राचार्य अरविंद घोष थे। बंगाल टेकनिकल इन्स्टिट्यूट की स्थापना भी हुई।


1911 में गोपाल कृष्ण गोखले ने प्राथमिक शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य करने का प्रयास किया। अंग्रेज़ सरकार और उसके समर्थकों के विरोध के कारण वे सफल न हो सके। 1913 में भारत सरकार ने शिक्षानीति में अनेक परिवर्तनों की कल्पना की। परंतु प्रथम विश्वयुद्ध के कारण कुछ हो न पाया। प्रथम महायुद्ध के समाप्त होने पर कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त हुआ। आयोग ने शिक्षकों का प्रशिक्षण, इंटरमीडिएट कालेजों की स्थापना, हाई स्कूल और इंटरमीडिएट बोर्डों का संगठन, शिक्षा का माध्यम, ढाका में विश्वविद्यालय की स्थापना, कलकत्ते में कालेजों की व्यवस्था, वैतनिक उपकुलपति, परीक्षा, मुस्लिम शिक्षा, स्त्रीशिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक शिक्षा आदि विषयों पर सिफारिशें की। बंबई, बंगाल, बिहार, आसाम आदि प्रांतों में प्राथमिक शिक्षा कानून बनाये जाने लगे। माध्यमिक क्षेत्र में भी उन्नति होती गई। छात्रों की संख्या बढ़ी। माध्यमिक पाठ्य में वाणिज्य और व्यवसाय रखे दिए गए। स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट परीक्षा चली। अंग्रेजी का महत्व बढ़ता गया। अधिक संख्या में शिक्षकों का प्रशिक्षण होने लगा।


1916 तक भारत में पाँच विश्वविद्यालय थे। अब सात नए विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय 1916 में, पटना विश्वविद्यालय 1917 में, ओसमानिया विश्वविद्यालय 1918 में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 1920 में और लखनऊ और ढाका विश्वविद्यालय 1921 में स्थापित हुए। असहयोग आंदोलन से राष्ट्रीय शिक्षा की प्रगति में बल और वेग आए। बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ, गौड़ीय सर्वविद्यायतन, तिलक विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, जामिया मिल्लिया इस्लामिया आदि राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना हुई। शिक्षा में व्यावहारिकता लाने की चेष्टा की गई। 1921 से नए शासनसुधार कानून के अनुसार सभी प्रांतों में शिक्षा भारतीय मंत्रियों के अधिकार में आ गई। परंतु सरकारी सहयोग के अभाव के कारण उपयोगी योजनाओं का कार्यान्वित करना संभव न हुआ। प्राय: सभी प्रांतों में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य करने की कोशिश व्यर्थ हुई। माध्यमिक शिक्षा में विस्तार होता गया परंतु उचित संगठन के अभाव से उसकी समस्याएँ हल न हो पाईं। शिक्षा समाप्त कर विद्यार्थी कुछ करने के योग्य न बन पाते। दिल्ली (1922), नागपुर (1923) आगरा (1927), आंध्र (1926) और अन्नामलाई (1926) में विश्वविद्यालय स्थापित हुए। बंबई, पटना, कलकत्ता, पंजाब, मद्रास और इलाहबाद विश्वविद्यालयों का पुनर्गठन हुआ। कालेजों की संख्या में वृद्धि होती गई। व्यावसायिक शिक्षा, स्त्रीशिक्षा, मुसलमानों की शिक्षा, हरिजनों की शिक्षा, तथा अपराधी जातियों की शिक्षा में उन्नति होती गई।


अगले शासनसुधार के लिए साइमन आयोग की नियुक्ति हुई। हर्टाग समिति इस आयोग का एक आवश्यक अंग थी। इसका काम था भारतीय शिक्षा की समस्याओं की सागोपांग जाँच करना। समिति ने रिपोर्ट में 1918 से 1927 क प्रचलित शिक्षा के गुण और दोष का विवेचन किया और सुधार के लिए निर्देश दिया।


1930-1935 के बीच संयुक्त प्रदेश में बेकारी की समस्या के समाधान के लिए समिति बनी। व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया गया। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दो वर्षों में से एक वर्ष स्कूल के साथ कर दिया जाए, जिससे पढ़ाई 11 वर्ष की हो। बाकी एक वर्ष बी.ए. के साथ जोड़कर बी.ए. पाठ्यक्रम तीन वर्ष का कर दिया जाए। माध्यमिक छह वर्ष के दो भाग हों - तीन वर्ष का निम्न माध्यमिक और तीन वर्ष का उच्च माध्यमिक। अंतिम तीन वर्षों में साधारण पढ़ाई के साथ साथ कृषि, शिल्प, व्यवसाय सिखाए जायँ। समिति की ये सिफारिशें कार्यान्वित नहीं हुई।


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