बुधवार, 24 अप्रैल 2024

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कूलों में यह फैसला लागू किया जाएगा।
प्रदेश में कक्षा एक से आठ के परिषदीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों का समय बदल दिया गया है। इसके अनुसार सभी विद्यालय सुबह 7.30 बजे से दोपहर एक बजे तक चलेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव यतींद्र कुमार ने बेसिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है।
अभी विद्यालयों का समय सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक का है। भीषण गर्मी को देखते हुए शिक्षक व अभिभावक विद्यालयों का समय बदलने की मांग कर रहे थे। पूर्व में कुछ जिलों में बीएसए ने अपने स्तर से इसमें बदलाव भी किया था। किंतु, उसे निरस्त कर दिया गया था। दोपहर में विद्यालयों का समय एक घंटा कम होने से बच्चों को काफी राहत मिलेगी।

'मतदाता जागरूकता' कार्यक्रमों का आयोजन किया

'मतदाता जागरूकता' कार्यक्रमों का आयोजन किया 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। जिले में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों का प्राथमिक विद्यालयों में आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों ने विभिन्न आयोजन कर मतदाता जागरूकता का संदेश दिया।
बुधवार को विकासखण्ड करछना के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को वोट के महत्व तथा मतदान प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। उसमें बच्चों ने हाथ में तख्तियां लेकर, मेहंदी मतदाता जागरूकता को लेकर मतदान को लेकर प्रेरित किया।
साथ ही क्षेत्र के विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी स्कूलों में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रकार की मतदाता जागरूकता प्रतियोगिताएं कराई गई। बुधवार को करछना के देवरी कला स्थित बद्री प्रसाद मिश्रा माध्यमिक विद्यालय में बच्चों ने मतदान को लेकर प्रेरित किया। जिसमें 61 बच्चों ने प्रतिभाग किया।
पनासा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों ने मेहंदी मतदाता जागरूकता कार्यक्रम किया। जिसमें 61 बच्चों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। इसी तरह हर्रई गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय पर मतदान को लेकर लोगों को जागरूक किया गया। जिसमें 52 बच्चे शामिल रहे।

भारत के मसालों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाएं

भारत के मसालों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाएं 

अखिलेश पांडेय 

सिंगापुर/हांगकांग। सिंगापुर और हांगकांग में भारत के मसालों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाएं गए हैं। एमडीएच और एवरेस्ट मसाले की कुछ किस्मों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी रेगुलेटर्स का आरोप है कि एमडीएच और एवरेस्ट के 4 मसाला प्रोडक्ट्स में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड तय लिमिट से ज्यादा पाया गया है। इसको लेकर अब वाणिज्य मंत्रालय ने सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग से प्रतिबंध के कारणों से जुड़ी एक रिपोर्ट मांगी है। वहीं, एथिलीन ऑक्साइड शरीर के लिए कितना खतरनाक है ? आइए समझते हैं...!
दरअसल, एथिलीन ऑक्साइड एक रसायन है, यह एक कैंसर पैदा करने वाला कैमिकल है, जो स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। मनुष्यों में डीएनए, मस्तिष्क और कोशिकाओं पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। यह कीटाणुनाशक और स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में भी काम आता हैं। अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की जानकारी के मुताबिक, एथिलीन ऑक्साइड से डीएनए को नुकसान पहुंचाता है। यह कैंसर पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार है। एथिलीन ऑक्साइड इंसानों के शरीर में सांस के मार्ग से पहुंच सकता है। एथिलीन ऑक्साइड बेहद विस्फोटक और प्रतिक्रियाशील होते हैं, जिस कारण इसके इस्तेमाल वाले उपकरण कसकर बंद किए जाते हैं या फिर ऑटोमैटिक होते हैं।

शरीर में ये दिक्कतें हो सकती हैं

कई रिसर्च संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि एथीलीन ऑक्साइड इंसानों के लिए कैंसरकारी है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी भी एथीलीन ऑक्साइड को इंसानों के लिए कैंसरकारी मानती हैं। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मुताबिक, इस कैमिकल का थोड़े समय के लिए संपर्क ह्यूमैन सिस्टम को बिगाड़ सकता है। इससे डिप्रेशन या आंखों में जलन हो सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से आंखों, त्वचा, नाक, गले और फेफड़ों में जलन हो सकती है। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान हो सकता है। कुछ सबूत भी हैं कि एथिलीन ऑक्साइड के सांस के संपर्क में आने से गर्भपात के चांस रहते हैं। जानवरों में इस गैस से प्रजनन से जुड़े प्रभाव देखे गए, जिसमें उनके शुक्राणु में कमी देखी गई। एथिलीन ऑक्साइड से लिंफोमा और ल्यूकेमिया हो सकता है।

शामली: तालाब में डूबने से 2 वर्षीय मासूम की मौत

शामली: तालाब में डूबने से 2 वर्षीय मासूम की मौत

भानु प्रताप उपाध्याय 
शामली। शामली में दो साल के मासूम बच्चे की तालाब में डूबकर मौत हो गई। बच्चे की मौत से परिवार में कोहराम मचा है और मां का रो-रोकर बुरा हाल है।
शामली में चौसाना के लव्वादाऊदपुर में दो वर्षीय बच्चे की तालाब में डूबने से मौत हो गई। हादसे के दौरान बच्चा तालाब के पास से गुजर रहा था और अचानक पैर फिसलने से तालाब में जा गिरा।
सूचना पर पुलिस एवं तहसीलदार ऊन मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार से बात कर जानकारी ली। गुस्साई महिलाओं ने हंगामा किया। बाद में किसी तरह उन्हें शांत कराया गया।
चौसाना चौकी क्षेत्र के गांव लव्वादाउदपुर निवासी रामभूल खेतों में मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करता है। बुधवार को वह खेत पर गया था। घर पर पत्नी मीनू बच्चे कुणाल की देखरेख के साथ गृह कार्य में लगी थी। तभी बच्चा कुणाल घर से निकल गया और तालाब में जा गिरा। करीब साढ़े ग्यारह बजे बच्चा घर पर नहीं मिला तो तलाश शुरू की गई। कुछ समय के बाद बच्चे का शव तालाब में मिला।
बच्चे के शव को तालाब से निकाला गया और पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई। हादसे की जानकारी मिलने पर तहसीलदार ऊन मृदुला दुबे चौसाना पुलिस के साथ मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार से मिली। इस दौरान तहसीलदार को गांव की महिलाओं ने घेरकर विरोध किया और तालाब को वर्षों से खुदाई कराने के बावजूद सौंदर्यीकरण नहीं कराने का आरोप लगाया। बाद में किसी तरह महिलाओं को शांत कराया गया। पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

मलिक ने निगरानी कैंप लगाकर, पहरा लगाया

मलिक ने निगरानी कैंप लगाकर, पहरा लगाया 

भानु प्रताप उपाध्याय 
मुजफ्फरनगर। मतदान के बाद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद होकर मंडी स्थल स्ट्रांगरूम पर सख्त सुरक्षा पहरे में है, लेकिन समाजवादी पार्टी गठबंधन प्रत्याशी हरेंन्द्र मलिक द्वारा निष्पक्ष मतगणना होने तक अपने पार्टी पदाधिकारियों कार्यकर्ताओ का निगरानी कैम्प लगाकर पहरा लगा दिया है।
सपा गठबंधन लोकसभा प्रत्याशी हरेंन्द्र मलिक के निगरानी कैम्प पर मौजूद समाजवादी पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी साजिद हसन ने बताया कि मतदाताओं ने अपने दायित्व को निभाते हुए वोटिंग की है, जब तक मतगणना नही होती, हमारी भी जिम्मेदारी है कि मतगणना परिणाम निष्पक्ष रहे, इसलिए समाजवादी पार्टी अपनी निगरानी मतगणना होने तक जारी रखेगी।
समाजवादी पार्टी गठबंधन प्रत्याशी हरेंन्द्र मलिक के निगरानी कैम्प पर सपा महानगर महासचिव सलीम मलिक,समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय पाल,सपा जिला सचिव पवन पाल,सपा सभासद सुंदर सिंह,सपा नेता राशिद जैदी, नवेद रंगरेज,फरमान अली शेरनगर मौजूद रहे। निगरानी कैम्प पर सपा जिलाध्यक्ष ज़िया चौधरी, सपा विधायक पंकज मलिक,सपा महानगर अध्यक्ष पुष्पेंद्र बॉबी त्यागी सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी पहुंचकर जायजा ले रहे हैं।

हित धारकों के साथ बैठक का आयोजन किया

हित धारकों के साथ बैठक का आयोजन किया 

पंकज कपूर 
नैनीताल। जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बुधवार को जिला सभागार में पर्यटन सीजन की तैयारियों, व्यवस्थाओं के संबंध में हित धारकों के साथ बैठक का आयोजन किया। बैठक में मुख्य रूप से पार्किंग, जाम की समस्या, निजी वाहनों के टैक्सी प्रयोग में प्रतिबंध, मार्गों अतिक्रमण और सड़कों में अवैध तरीके रेता-बजरी हटाने आदि को लेकर चर्चा की गई।
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि नगर में सीजन के दौरान जाम की समस्या बनी रहती है। इसके लिए मेट्रोपोल में पार्किंग, पाइंस आईटीआई, रूसी बाई पास, नारायण नगर औऱ विभिन्न स्थानों पर निजी पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है। बताया कि सीजन के दौरान होटलों में रजिस्ट्रेशन न कराने वाले अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों को रूसी बाई पास, नारायण से शटल सेवा के माध्यम से नैनीताल में आएंगे। साथ ही मॅाल रोड, जू मार्ग में जाम की समस्या नहीं हो, इसके लिए जिला अधिकारी ने पुलिस-प्रशासन से जू शटल सेवा के लिए 4 अधिक वाहन खड़े नहीं करने और साथ ही मॅाल रोड, दुकानों के आस पास आड़े-तिरछे वाहनों के चालान कराने के निर्देश दिए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से मॅाल रोड में कार्य में प्रगति लाने, आंतरिक सड़कों को दुरुस्त करने की बात कही। बताया कि कैंची धाम, भवाली, भीमताल आदि मार्गों जाम की समस्या होने पर बाहरी वाहनों को सेनिटोरियम-नैनीबैंड बाई पास में पार्किंग व्यवस्था की कराई जाएगी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नगर की 63 सड़कों, गलियों और अन्य मार्गों का चिन्हित किया गया। जिसमें सड़कों का चौड़ीकरण, विद्युत की व्यवस्था, सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा। बताया कि पार्किंग स्थलों में यात्रियों के बैठन, टैक्सी दरों का प्रर्दशन, पार्किंग स्थलों के आस पास साइनेजों की स्थापना भी की जाएगी। उन्होंने नगर पालिका के अधिकारियों को मेट्रोपोल कूड़ा निस्तारण के लिए 10 दिन के भीतर वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस दौरान एडीएम पीआर चौहान, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी.एन.मीणा, एसडीएम प्रमोद कुमार, आरटीओ नंद किशोर समेत टैक्सी यूनियन, होटल एसोसिएशन,व्यापार मंडल आदि के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

'आईएफएस' के प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई दी

'आईएफएस' के प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई दी

पंकज कपूर 
देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षणरत व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों के दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों को प्रमाण पत्र और पदक प्रदान किए। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के परिसर में आयोजित समारोह में 2022-24 सत्र के 99 भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थी और मित्र देश भूटान के दो भी प्रशिक्षु अधिकारी पास आउट हुए।
इस मौके पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि इस बैच में 10 महिला अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं। राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये अधिकारी अपने इस अप्रतिम दायित्व के प्रति सजग और सचेत होंगे एवं पूर्ण निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा की हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे हमें अति शीघ्र करना है। वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। भारतीय वन सेवा के श्री पी. श्रीनिवास, श्री संजय कुमार सिंह, श्री एस. मणिकन्दन जैसे अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं। देश को भारतीय वन सेवा ने बहुत अधिकारी दिये हैं, जिन्होंने पर्यावरण के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं। उनकी चर्चा बहुत सम्मान से की जाती है। उन सभी को आप अपना रोल मॉडल बनाएं एवं उनके दिखाए आदर्शों पर आगे बढ़ें।
राष्ट्रपति ने भारतीय वन अकादमी के विशेषज्ञों से अपेक्षा की कि जलवायु की आपातकालीन स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षार्थियों के पाठ्यक्रम में यथोचित संशोधन करने पर विचार करें। विश्व के कई भागों में वन संसाधनों की क्षति बहुत तेजी से हुई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से हम क्षति-पूर्ति तेज गति से कर सकते हैं। विभिन्न विकल्पों का आकलन करके भारत की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप समाधान विकसित करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकास-रथ के दो पहिये होते हैं – परंपरा और आधुनिकता। आज मानव समाज पर्यावरण संबंधी कई समस्याओं का दंश झेल रहा है। इसके प्रमुख कारणों में विशेष प्रकार की आधुनिकता है, जिसके मूल में प्रकृति का शोषण है। इस प्रक्रिया में पारंपरिक ज्ञान को उपेक्षित किया जाता है। जनजातीय समाज ने प्रकृति के शाश्वत नियमों को अपने जीवन का आधार बनाया है। जनजातीय जीवन शैली मुख्यतः प्रकृति पर आधारित होती है। इस समाज के लोग प्रकृति का संरक्षण भी करते हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सदियों से जनजातीय समाज द्वारा संचित ज्ञान के महत्व को समझा जाए और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए उसका उपयोग किया जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वन सेवा के सभी अधिकारियों को भारत के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन ही नहीं करना है, बल्कि परंपरा से संचित ज्ञान का मानवता के हित में उपयोग करना है। आधुनिकता एवं परंपरा का समन्वय करके वन संपदा की रक्षा करनी है तथा वनों पर आधारित लोगों के हितों को आगे बढ़ाना है। जब भी आप किसी दुविधा में हों, तब आप संविधान के मूल्यों और भारत के लोगों के हितों को ध्यान में रख कर फैसला लें।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर कहा कि यह समारोह हमारे राष्ट्रीय वन धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नए योग्य नेतृत्व का उत्थान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय वन्य जीवन और वन्यजीव अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए एक प्रमुख संस्था के रूप में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने अपने क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संस्था ने वन्य जीवन के प्रबंधन, और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता के मानकों को स्थापित किया है और नए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य की एक अतुलनीय धरोहर प्रदान करता है। उत्तराखंड अपनी समृद्ध और विविध वन संपदा के लिए जाना जाता है। हमारे राज्य की प्रमुख संपत्ति इसके वन हैं, जो बहुत समृद्ध जैव विविधता का घर हैं। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड जड़ी-बूटियों और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। उत्तराखण्ड के आम जन मानस वनों को देवतुल्य स्थान देते हुए इन्हें पूजते हैं, वास्तव में वनसंरक्षण के मामले में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। भारतीय वन सेवा एक सम्मानित सेवा है जिसके साथ राष्ट्रसेवा की गौरवशाली परंपरा जुड़ी है। पश्चिमी घाट के घने जंगलों से लेकर विशाल हिमालय तक, सुंदरवन के मैंग्रोव क्षेत्रों से लेकर राजस्थान की मरुभूमि तक, आप अनेक विविधतापूर्ण स्थानों पर अपनी सेवाएं देंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को उस ज्ञान, कौशल और मूल्यों से परिपूर्ण किया गया होगा, जिसके बल पर वे प्रत्येक परिस्थिति में हर कसौटी पर खरे उतरेंगे।
उन्होंने कहा कि वानिकी पेशेवरों के रूप में, हमारे इन अधिकारियों का एक महत्वपूर्ण चरण आरंभ होने जा रहा है। जहां उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों के विषम क्षेत्रों में वनाग्नि और बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने की चुनौतियाँ सामने होंगी। इनका सामना केवल तकनीकी विशेषज्ञता के बल पर नहीं, बल्कि तकनीकी लचीलेपन, बेहतर अनुकूलन क्षमता और संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के द्वारा ही किया जा सकता है। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके भारतीय वन सेवा सभी अधिकारी राष्ट्र की पारिस्थितिक सुरक्षा की रक्षा करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं तथा संरक्षण की अनिवार्यताओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, वन महानिदेशक और विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार, इंदिरा गॉधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक जगमोहन शर्मा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-187, (वर्ष-11)

पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254

2. बृहस्पतिवार, अप्रैल 25, 2024

3. शक-1945, बैशाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 06:03, सूर्यास्त: 06:43।

5. न्‍यूनतम तापमान- 27 डी.सै., अधिकतम- 19+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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