रविवार, 15 सितंबर 2024
जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं 'नमक' का सेवन
मृत्यु के बाद दिमाग की गतिविधियों को चलाया
सोमवार, 5 अगस्त 2024
पृथ्वी से दूर हो रहा चंद्रमा, 25 घंटों का 1 दिन होगा
रविवार, 30 जून 2024
2040 तक इंसान को चांद पर भेजेगा 'भारत'
रविवार, 16 जुलाई 2023
बुढ़ापे को जवानी में बदला, रसायनों की खोज
बुढ़ापे को जवानी में बदला, रसायनों की खोज
डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत
वाशिंगटन डीसी/न्यूयॉर्क। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में बुढ़ापा और बुढ़ापे से संबंधित बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कोशिकाओं को युवा अवस्था में पुन: प्रोग्राम करने वाले रसायनों की खोज की है। पहले, यह केवल शक्तिशाली जीन थेरेपी का उपयोग करके ही संभव था। जर्नल एजिंग-यूएस में प्रकाशित निष्कर्ष, इस खोज पर आधारित है कि विशिष्ट जीन की अभिव्यक्ति, जिसे यामानाका कारक कहा जाता है, वयस्क कोशिकाओं को प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (आईपीएससी) में परिवर्तित कर सकती है। इस खोज ने, जिसने 2012 में नोबेल पुरस्कार जीता, यह सवाल उठाया कि क्या कोशिकाओं को बहुत युवा और कैंसरग्रस्त बनाए बिना सेलुलर उम्र बढ़ने को उलटना संभव हो सकता है।
नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने उन अणुओं की जांच की, जो संयोजन में, कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलट सकते हैं और मानव कोशिकाओं को फिर से जीवंत कर सकते हैं। उन्होंने युवा कोशिकाओं को पुरानी और वृद्ध कोशिकाओं से अलग करने के लिए उच्च-थ्रूपुट सेल-आधारित परख विकसित की, जिसमें ट्रांसक्रिप्शन-आधारित उम्र बढ़ने वाली घड़ियां और एक रियल टाइम न्यूक्लियोसाइटोप्लाज्मिक प्रोटीन कंपार्टमेंटलाइज़ेशन (एनसीसी) परख शामिल है। रोमांचक खोज में, टीम ने छह रसायनों के मिश्रण की पहचान की जो एनसीसी और जीनोम-वाइड ट्रांसक्रिप्ट प्रोफाइल को युवा अवस्था में पुन: बहाल करते हैं और एक सप्ताह से भी कम समय में ट्रांसक्रिप्टोमिक उम्र को उलट देते हैं।
हार्वर्ड में जेनेटिक्स विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख वैज्ञानिक डेविड ए. सिंक्लेयर ने कहा, "हाल ही तक, हम जो सबसे अच्छा काम कर सकते थे, वह धीमी गति से उम्र बढ़ना था। नई खोजों से पता चलता है कि अब हम इसे उलट सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "इस प्रक्रिया के लिए पहले जीन थेरेपी की आवश्यकता होती थी, जिससे इसका व्यापक उपयोग सीमित हो गया था।" हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने पहले दिखाया था कि कोशिकाओं में विशिष्ट यामानाका जीन को वायरल रूप से पेश करके अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के बिना सेलुलर उम्र बढ़ने को उलटना वास्तव में संभव है। ऑप्टिक तंत्रिका, मस्तिष्क ऊतक, गुर्दे और मांसपेशियों पर किए गए अध्ययनों से आशाजनक परिणाम सामने आए हैं।
चूहों में बेहतर दृष्टि और विस्तारित जीवनकाल देखा गया है और हाल ही में बंदरों में बेहतर दृष्टि की एक रिपोर्ट आई है। इस नई खोज के निहितार्थ दूरगामी हैं, जिससे पुनर्योजी चिकित्सा और संभावित रूप से पूरे शरीर के कायाकल्प के रास्ते खुल रहे हैं। जीन थेरेपी के माध्यम से उम्र में बदलाव के लिए एक रासायनिक विकल्प विकसित करके, यह शोध उम्र बढ़ने, चोटों और उम्र से संबंधित बीमारियों के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है और विकास में कम लागत और कम समयसीमा की संभावना प्रदान करता है।
अप्रैल 2023 में बंदरों में अंधापन को उलटने में सकारात्मक परिणामों के बाद उम्र पलटने वाली जीन थेरेपी के इंसानों पर क्लीनिकल परीक्षणों की तैयारी प्रगति पर है। हार्वर्ड की टीम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करती है जहां उम्र से संबंधित बीमारियों का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सके, चोटों का अधिक कुशलता से उपचार किया जा सके और पूरे शरीर के कायाकल्प का सपना वास्तविकता बन सके। सिनक्लेयर ने कहा, "यह नई खोज एक ही गोली से बुढ़ापे को उलटने की क्षमता प्रदान करती है, जिसमें आंखों की रोशनी में सुधार से लेकर उम्र से संबंधित कई बीमारियों का प्रभावी ढंग से इलाज करने तक के अनुप्रयोग शामिल हैं।"
रविवार, 18 जून 2023
आम के रंग जैसी 'पफर फिश' का वीडियो वायरल
आम के रंग जैसी 'पफर फिश' का वीडियो वायरल
डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत
समुद्र के नीचे का संसार या पानी में बसी दुनिया में इतने अजूबे हैं कि गिनती नहीं की जा सकती। हर बार जब आप ये सोचें कि अब तो हर वॉटर एनिमल की जानकारी मिल चुकी है। तब कोई ऐसा जीव दिखाई देता है या वायरल हो जाता है, जिसे देखकर यकीन करना मुश्किल होता है कि दुनिया में ऐसे भी अजूबे जीव हैं। ट्विटर पर ऐसी ही एक पफर फिश का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसे देखकर लोग हैरान रह गए।
गुब्बारे जैसी फूली फिशट्विटर हैंडल Massimo ने पफर फिश का एक वीडियो शेयर किया है। पफर फिश का नाम सुनकर आपको ये अंदाजा हो ही गया होगा कि ये एक ऐसी फिश है, जो खुद में पानी भरकर फूल कर कुप्पा हो जाती है। दरअसल ये इस फिश का डिफेंस मैकेनिज्म होता है। जो इसे बाकी मछलियों से बिलकुल अलग बनाता है। ऐसी ही एक पीली पफर फिश का वीडियो तेजी से वायरल है। पफर फिश का रंग बिलकुल पके हुए आम के छिलके की तरह पीला है। शुरुआत में इसे पानी में बहता देख ऐसा लगता है कि आम के ही आंख, मुंह और कान निकल आए हैं। जब इसे पानी से बाहर निकाला जाता है, तब ये अहसास होता है, कि ये पीले रंग की एक पफर फिश है। इस फिश को गोल्डन पफर फिश भी कहा जाता है।
जिसका साइंटिफिक नाम है। यूजर्स के मजेदार रिएक्शनइस फिश का वीडियो देख ट्विटर यूजर्स ने खूब मजेदार रिएक्शन दिए हैं। एक यूजर ने लिखा कि उसे लगा ये पानी में तैरता आम है, तो एक यूजर को ये बड़े से नींबू जैसा लगा। हालांकि कुछ यूजर्स वीडियो बनाने वाले से नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं। उनकी नाराजगी एक मछली को परेशान करने को लेकर है।
शनिवार, 10 जून 2023
वैज्ञानिकों ने अटलांटिस मैफिस पहाड़ में छेद किया
वैज्ञानिकों ने अटलांटिस मैफिस पहाड़ में छेद किया
डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत
वाशिंगटन डीसी। धरती के अंदर क्या है ? यह एक बड़ा रहस्य है। इसका खुलासा करने के लिए वैज्ञानिक नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। ऐसे ही एक हैरान करने वाले प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने अटलांटिक महासागर में मौजूद अटलांटिस मैफिस पहाड़ में छेद किया। छेद भी एक किलोमीटर गहरा। JOIDES रेजोल्यूशन साइंटिफिक ड्रिलिंग वेसल ने इस प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है।
ये पत्थर धरती की दूसरी परत मैंटल से निकाली गई है। वैज्ञानिकों ने अटलांटिक महासागर के अंदर मौजूद अटलांटिस मैफिस पहाड़ के ऊपर ड्रिलिंग वेसल तैनात किया। उसके बाद पहाड़ की नोक से उसके अंदर ड्रिलिंग करना शुरू किया। यह पहाड़ मिड-अटलांटिक रिज पर है। ड्रिलिंग करीब 4156 फीट तक की गई। यह धरती के अंदर किया गया सबसे गहरा छेद नहीं है। लेकिन यह भूगर्भीय जानकारी हासिल करने के लिए जरूरी है। क्योंकि मैंटल से किसी पत्थर को निकालना बेहद कठिन काम है। अटलांटिस मैफिस पहाड़ मैंटल के पत्थरों से बना है। इसलिए वहां तक जाना और उसपर खुदाई करना आसान था।
इस चट्टान का नाम है पेरिडोटाइट। वैज्ञानिकों का कहना हैं, कि यह एक बहुत बडी खोज हैं, जिससे हमें कई ऐतिहासिक गतिविधियों का पता लग सकता हैं। कुछ शोधकर्ताओं का यह मानना हैं कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिए यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण डेटा देता रहेगा। वैज्ञानिक इसके जरिए धरती की कई चीजों का अध्ययन करना चाहते हैं। जैसे- चुंबकीय शक्ति, ग्रैविटी, टेक्टोनिक फ्लो, ज्वालामुखी आदि।
वैज्ञानिक कहते आए थे कि अगर वो पृथ्वी के निचले हिस्से से चट्टान निकाल पाएं तो धरती के आकार, गुण और ठहराव का पता आसानी से चल सकता है। इससे हम भूकंपों के आने की वजह पता कर सकते हैं। अलग-अलग परतों की जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह धरती के विज्ञान और पृथ्वी के अलग-अलग भागों को समझने में मदद करेगा।समुद्री भागों से निकाली गई चट्टानों की स्टडी से भूवैज्ञानिक घटनाओं को भी समझ सकते हैं। चट्टानों में छिपे धातुओं और खनिजों का भी इससे पता लगा सकते है। पृथ्वी के मैंटल से निकाले गए पेरिडोटाइट चट्टान के एक किलोमीटर का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा मिला है।
इस चट्टान में ओलिविन मिला है, जिसकी वजह से हाइड्रोजन चट्टानों के अंदर भरा-पड़ा होता है। इनकी बदौलत माइक्रोबियल जीवन को बढ़ावा मिलता है, यानी सूक्ष्मजीवन को।
सोमवार, 31 अक्तूबर 2022
विज्ञान: शोधकर्ताओं की टीम ने एक नई वस्तु खोजी
विज्ञान: शोधकर्ताओं की टीम ने एक नई वस्तु खोजी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर (आईआईटीजीएन) और जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जेएआईएसटी) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक नई वस्तु खोजी है, जो लिथियम बैटरी को मिनटों में रिचार्ज कर सकती है। इसके जरिए जल्द ही आप अपने बैटरी वाले उपकरणों और यहां तक कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बहुत तेज गति से चार्ज कर पाएंगे।
टीम के अनुसार, टाइटेनियम डाइबोराइड (टीआईबी2) से प्राप्त नैनोशीट्स का उपयोग करके नयी द्वि-आयामी (2डी) वस्तु तैयार की गई है। यह वस्तु कई परतों वाले सैंडविच जैसी दिखती है, जिसमें परतों के बीच धातु के परमाणु बोरॉन लगे हुए हैं। आईआईटीजीएन और जेएआईएसटी की शोध टीमों ने एक ऐसी वस्तु विकसित करने का लक्ष्य रखा था जो न केवल बैटरी को तेजी से चार्ज करने में सक्षम हो, बल्कि उसे लंबा जीवन भी प्रदान करे।
आईआईटीजीएन में केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर कबीर जासुजा ने कहा, ” फिलहाल, ग्रेफाइट और लिथियम टाइटेनेट व्यावसायिक रूप से उपलब्ध लिथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाली एनोड सामग्रियों में से हैं। ये लैपटॉप, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों को पावर देती हैं। ग्रेफाइट एनोड से लैस लिथियम-आयन बैटरी किसी इलेक्ट्रिक वाहन को एक बार चार्ज करने पर सैकड़ों किलोमीटर तक चला सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि, सुरक्षा के मोर्चे पर इनकी अपनी चुनौतियां हैं क्योंकि इनमें आग लगने का खतरा रहता है। लिथियम टाइटेनेट एनोड सुरक्षित और अधिक पसंदीदा विकल्प हैं, और ये फास्ट चार्जिंग की सुविधा भी देते हैं।
बुधवार, 27 जुलाई 2022
वैज्ञानिकों ने फल मक्खियों के दिमाग को हैक किया
वैज्ञानिकों ने फल मक्खियों के दिमाग को हैक किया
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी/एल्बनि। अमेरिका में ‘राइस यूनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिकों ने फल मक्खियों के दिमाग को हैक किया, जिससे उन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जा सके। न्यूरोइंजीनियरों की टीम लक्षित न्यूरॉन्स को सक्रिय करने के लिए मैग्निेटिक सिग्नलों का इस्तेमाल करने में सक्षम थी, जो उनकी शरीरिक स्थिति और मूवमेंट को नियंत्रित करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने आनुवंशिक रूप से मक्खियों पर काम शुरू किया। इससे उनके कुछ न्यूरॉन्स ने हीट-सेंसिटिव आयन चैनल्स को व्यक्त किया। वैज्ञानिकों ने फल मक्खियों के दिमाग में आयरन ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स को इंजेक्ट किया, जिसके बाद टीम उन्हें हीट देने और न्यूरॉन को सक्रिय करने के लिए एक मैग्निेटिक फील्ड का इस्तेमाल करने में सक्षम थी।
शनिवार, 9 जुलाई 2022
ऑपरेशन: लड़की की स्पाइन को रस्सी से बनाया
बुधवार, 29 जून 2022
दावा: इंसान को मंगल से पृथ्वी पर लाएं, एलियन
रविवार, 19 जून 2022
8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं
बुधवार, 15 जून 2022
चांग ई-5 ने चंद्र सतह पर अपने स्रोत का निर्धारण किया
अब, चांग ई-5 टीम ने यह निर्धारित किया है कि पानी कहां से आया है।
चीनी विज्ञान अकादमी (एनएओसी) के राष्ट्रीय खगोलीय वेधशालाओं से एलआई चुनलाई ने कहा, "दुनिया में पहली बार, चंद्र रिटर्न नमूनों के प्रयोगशाला विश्लेषण के परिणाम और इन-सीटू चंद्र सतह सर्वेक्षण से वर्णक्रमीय डेटा का संयुक्त रूप से चंद्र नमूनों में 'पानी' की उपस्थिति, रूप और मात्रा की जांच के लिए उपयोग किया गया था।"चुनलाई ने कहा, "परिणाम चांग ई-5 लैंडिंग जोन में वितरण विशेषताओं और पानी के स्रोत के सवाल का सटीक उत्तर देते हैं और रिमोट सेंसिंग सर्वेक्षण डेटा में पानी के संकेतों की व्याख्या और अनुमान के लिए एक जमीनी सच्चाई प्रदान करते हैं।चांग ई-5 ने चंद्र नदियों या झरनों का निरीक्षण नहीं किया, बल्कि लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर चट्टानों और मिट्टी में औसतन 30 हाइड्रॉक्सिल भागों प्रति मिलियन की पहचान की।नमूने चंद्रमा के दिन के सबसे गर्म हिस्से के दौरान 200 डिग्री फारेनहाइट के तापमान पर एकत्र किए गए थे, जब सतह अपने सबसे शुष्क स्थान पर होगी। समय कम सौर हवाओं के साथ भी मेल खाता है, जो पर्याप्त उच्च शक्ति पर जलयोजन में योगदान कर सकता है।
टीम ने हाइड्रॉक्सिल को दो अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न किया। चंद्र सतह के साथ हस्तक्षेप करने वाली सौर हवाओं द्वारा बनाई गई कांच की सामग्री में एक छोटा सा हिस्सा दिखाई दिया, जैसा कि 1971 में एकत्र किए गए अपोलो 11 के नमूने में हुआ था और 2000 के दशक की शुरुआत में परीक्षण किया गया था।
रविवार, 12 जून 2022
साइंस: अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के 2 तरीके
बुधवार, 8 जून 2022
प्लैटिनम को ज्यादा किफायती बनाने का तरीका, खोजा
वैज्ञानिकों ने धरती का एक और दुश्मन खोज निकाला
शनिवार, 4 जून 2022
साइंस: टेडा-मेडा कान हटाया, नया कान लगाया
गुरुवार, 5 मई 2022
'फैटी लिवर डिसीज' बीमारी के लक्षण, जानिए
बुधवार, 4 मई 2022
कोरोना के नए लक्षण, उल्टी-दस्त व बुखार मानें
कोरोना के नए लक्षण, उल्टी-दस्त व बुखार मानें
नई दिल्ली। कोरोना वायरस एक बार फिर अपने पैर पसार रहा है। दिल्ली, मिजोरम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केरल के बाद राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। इस बार मरीजों में उल्टी-दस्त यानी, डायरिया की समस्या भी देखी जा रही है। माना जा रहा है कि उल्टी-दस्त कोरोना के नए लक्षण हैं। राजस्थान के कोविड हॉस्पिटल आरयूएसएच के पीडियाट्रिक डॉ. आलोक गोयल के अनुसार, कुछ दिनों से ओपीडी में बड़ी संख्या में बच्चे आ रहे हैं। इन बच्चों में उल्टी-दस्त और तेज बुखार की समस्या देखी जा रही है। कुछ बच्चों में तेज पेट दर्द के भी लक्षण मिले हैं। जब इनका कोरोना टेस्ट कराया गया, तो लगभग 5 प्रतिशत बच्चे पॉजिटिव पाए गए।
क्या वाकई उल्टी-दस्त और पेट दर्द कोरोना के लक्षण हैं या फिर गर्मी के मौसम में ऐसा होना आम बात है? इसका जवाब जानने के लिए हमने बात की रांची एआईआईएमएस के डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य और मेडिसिन एचओडी डॉक्टर वीपी पांडेय, एमजीएम एमसी, इंदौर से।
सवाल : क्या उल्टी-दस्त कोरोना के नए लक्षण हैं?
डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य : इस मौसम में जिन लोगों को उल्टी-दस्त की समस्या हो रही है और वो कोविड पॉजिटिव हैं, इसके लिए सिर्फ एक वायरस जिम्मेदार नहीं है, बल्कि ये मिक्स वायरल इंफेक्शन है। कुछ लोगों को इन लक्षणों के बाद डायरिया हो रहा है तो कुछ लोगों को कोरोना, लेकिन स्पष्ट रूप से ये नहीं कहा जा सकता है कि उल्टी-दस्त कोरोना के नए लक्षणों में से एक हैं। इसके बावजूद इस लक्षण को हल्के में नहीं लेना है।
डॉ. वीपी पांडेय : गर्मी का मौसम है। इसमें लोगों को उल्टी-दस्त की समस्या होना आम बात है। कुछ बच्चे और बुजुर्ग उल्टी-दस्त के बाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, फिर भी उल्टी-दस्त को पूरी तरह से कोरोना का मुख्य लक्षण नहीं कहा जा सकता है। बड़ी संख्या में उल्टी-दस्त के मरीज कोरोना पॉजिटिव आएंगे, तब इसे स्पष्ट रूप से कोरोना का मुख्य लक्षण माना जाएगा।
सवाल : उल्टी-दस्त हो रहे हैं तो कैसे पता चलेगा कि ये कोरोना है या फूड पॉइजनिंग?
जवाब : किसी व्यक्ति को उल्टी-दस्त की समस्या है तो वो डॉक्टर को दिखाए। फिर भी, मन में शंका है कि उसे कोरोना है या नहीं, तो वो अपना कोविड टेस्ट करा ले। इससे क्लीयर हो जाएगा उसे डायरिया है या कोरोना। यह तो बात हुई कोरोना की वजह से होने वाले उल्टी-दस्त की। अब उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के डॉ. शुचिन बजाज से जानते हैं कि गर्मी के मौसम में आखिर फूड पॉइजनिंग की समस्या क्यों होती है और इसके लक्षण क्या है?
सवाल : गर्मी में फूड पॉइजनिंग की समस्या क्यों होती है?
जवाब : गर्मी के मौसम में फूड पॉइजनिंग एक आम बीमारी है। इस समय खाना आसानी से खराब हो जाता है और कई बार लोग इसे खा लेते हैं। गलत खानपान, बासी खाना या खराब खाना खाने के कारण ही आपको फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है।
फूड पॉइजनिंग के लक्षण क्या-क्या हैं?
जी मिचलाना।
पेट में ऐंठन।
उल्टी।
दस्त।
बुखार।
कमजोरी।
सिरदर्द।
भूख में कमी।
सवाल : फूड पॉइजनिंग से क्या परेशानी हो सकती है?
जवाब : फूड पॉइजनिंग से पेट खराब, उल्टी और दस्त हो सकते हैं। यह समस्या बच्चों में ज्यादा होती है। अलग-अलग तरह के नुकसान पहुंचाने वाली कई सूक्ष्मजीव होते हैं, जो शरीर में समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इनमें बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस शामिल हैं। खाना जब खराब होता है तो ये कीटाणु इसमें पनपने लगते हैं। जब आप ऐसे खराब खाने को खाते हैं तो ये आपके शरीर में जाते हैं और घंटों बाद आपको उल्टी, दस्त और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या यह चिंता की बात है?
हां, उल्टी-दस्त को हल्के में लेना ठीक नहीं है। इससे छोटे बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत ज्यादा खराब हो रही है। कई बार इसकी वजह से मरीजों को हॉस्पिटल में भी एडमिट करना पड़ता है। चूंकि, इन दिनों कोरोना के एक लक्षण में उल्टी-दस्त भी शामिल है, ऐसे में लापरवाही महंगी पर सकती है।
श्रीराम 'निर्भयपुत्र'
अप्रैल में 40-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा पारा
सेना से आने वाले हर अग्निवीर को नौकरी मिलेंगी
सेना से आने वाले हर अग्निवीर को नौकरी मिलेंगी राणा ओबरॉय फरीदाबाद। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा की चुनावी रैली में कहा कि सेना ...
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55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...