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शनिवार, 9 नवंबर 2024

ज्ञान: रोजाना पुस्तक पढ़ने के फायदे, जानिए

ज्ञान: रोजाना पुस्तक पढ़ने के फायदे, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में डेली बुक पढ़ना एक ऐसी आदत है, जो न केवल ज्ञानवर्धन करती है, बल्कि मानसिक विकास और स्ट्रेस को कम डेली बुक पढ़ने से होता है मानसिक विकास करने में भी सहायक है। एक अध्ययन के अनुसार, नियमित रूप से पढ़ाई करने वालों का ध्यान केंद्रित करने की क्षमता अधिक होती है और उनकी याददाश्त भी बेहतर होती है। डेली बुक्स का मतलब उन पुस्तकों से है, जिन्हें हम रोजाना पढ़ सकते हैं, चाहे वो उपन्यास हो, प्रेरक पुस्तक हो, या फिर किसी विषय पर आधारित जानकारी से भरपूर किताब हो। 

डेली बुक पढ़ने का पहला फायदा यह है कि यह मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है। दिन में 15-30 मिनट का पढ़ने का समय, स्ट्रेस को कम करता है और हमें एक नई ऊर्जा से भरता है। पढ़ाई के दौरान हमारा मस्तिष्क दूसरी चीज़ों से दूर रहता है, जिससे मन को शांति मिलती है। 
दूसरा बड़ा फायदा है कि यह हमारे ज्ञान और समझ को बढ़ाता है। नियमित रूप से पढ़ाई करने से हम नए विषयों, संस्कृतियों, और घटनाओं से रूबरू होते हैं, जिससे हमारी ज्ञानवर्धन क्षमता बढ़ती है। आजकल सोशल मीडिया और इंटरनेट के दौर में गलत सूचनाओं की भरमार है, लेकिन किताबें विश्वसनीय जानकारी का एक अच्छा स्रोत होती हैं। 
डेली बुक पढ़ने का तीसरा लाभ यह है कि इससे हमारी कल्पना शक्ति और रचनात्मकता का विकास होता है। जब हम नई-नई कहानियों, चरित्रों और घटनाओं को पढ़ते हैं, तो हमारा मस्तिष्क एक नई दुनिया में प्रवेश करता है, जो हमारे विचारों और कल्पनाओं को एक नई दिशा देता है। 
डेली बुक पढ़ने से भाषा कौशल और संचार क्षमता में भी सुधार होता है। चाहे हिंदी हो, अंग्रेजी हो या कोई अन्य भाषा, नियमित पढ़ाई से शब्दावली बढ़ती है, जिससे हम बेहतर संवाद कर सकते हैं। 
अंततः डेली बुक पढ़ना हमारे व्यक्तित्व को निखारने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक है। जो लोग नियमित रूप से पढ़ते हैं, वे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संतुलन बनाए रखते हैं। 
नियमित पढ़ाई की इस आदत को अपनाकर हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। 

सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

'ऑनलाइन गेम्स' की लत बिगाड़ देगी जिंदगी

'ऑनलाइन गेम्स' की लत बिगाड़ देगी जिंदगी 

सरस्वती उपाध्याय 
स्कूली बच्चों में ऑनलाइन गेम्स की लत स्वयं बच्चों के लिए व उनके परिवार के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो रही है। सच तो यह है कि आज के समय में जब हम संचार क्रांति के युग में सांस ले रहे हैं। तब घंटों ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है। दरअसल, कोरोना महामारी के बाद से बच्चों को मोबाइल यूज करने की ज्यादा लत लग गई है। 
कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना महामारी (कोविड-19) के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से बच्चों की कोचिंग व स्कूल की ऑनलाइन क्लासेज लगने लगी और बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल फोन या टैबलेट या कंप्यूटर देना माता पिता और अभिभावकों के लिए मजबूरी बन गया था। बच्चों को मोबाइल मिलने की वजह से वे ऑनलाइन गेमिंग के आदि हो गए और मानसिक तौर पर बीमार होने लगे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्यादा समय तक ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चों के व्यवहार में उग्रता आ जाती है, जिसके बाद उनमें तनाव बढऩे लगता है। 
कुछ मामलों में उनको दौरे तक भी पडऩे लगते हैं। आज मोबाइल गेम्स के चक्कर में बच्चे अभिभावकों का कहना तक नहीं मानते हैं, क्यों कि आनलाइन गेम्स उन्हें आनंद व खुशी की अनुभूति प्रदान करते हैं। मोबाइल छीनने पर वे उग्र, कभी कभी तो हिंसक भी हो जाते हैं। आनलाइन गेम्स खेलने से बच्चे जहां एक ओर पढ़ाई से दूर होने लगे हैं वहीं पर दूसरी ओर इससे उनकी आंखों, दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है। वास्तव में ऑनलाइन गेम्स खेलने के कारण बच्चों की आंखों की रौशनी कम होना, मोटापा, स्लीपिंग डिस ऑर्डर डिप्रेशन, अग्रेसिवनेस, एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। 
बहरहाल, यदि हम यहां आंकड़ों की बात करें तो एक सर्वे के मुताबिक, भारत के 40 प्रतिशत अभिभावकों ने माना था कि उनके बच्चे सोशल मीडिया इस्तेमाल करने, वीडियोज देखने और ऑनलाइन गेम खेलने के आदि हैं। इन बच्चों की उम्र 9 साल से 17 साल के बीच है। इस सर्वे में शामिल 49 प्रतिशत अभिभावक मानते हैं कि उनके 9 साल से 13 साल के आयुवर्ग के बच्चे रोजाना 3 घंटे से ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताते हैं। 
वहीं, 47 प्रतिशत अभिभावकों का मानना था कि उनके बच्चे को ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियोज देखने की बुरी लत लग गई है। सर्वे में भाग लेने वाले 62 प्रतिशत अभिभावकों का मानना है कि उनके 13 साल से 17 साल के बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे से ज्यादा समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे जिले से एक बहुत ही चौंकाने व दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है। यहां एक पन्द्रह वर्षीय बालक ने एक बहुमंजिला इमारत की चौदहवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि नाबालिग ने कथित तौर पर ब्लूव्हेल चैलेंज गेम की लत के चलते यह खतरनाक कदम उठाया है। 
मीडिया के हवाले से खबर आई है कि जिस बच्चे ने चौदहवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी वह ऑनलाइन गेम खेलने का आदी था। यह भी बताया जा रहा है कि मृतक लड़का पढ़ाई में बेहद अच्छा था और हाल ही में उसने अच्छे अंकों के साथ 9 वीं कक्षा पास की थी। पिछले कुछ महीनों से उसे ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलने की लत लग गई थी। आज इंटरनेट व आनलाइन का जमाना है। बच्चे आनलाइन गेम्स के चक्कर में फंसकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है और वे इन आनलाइन गेम्स के चक्कर में फंसकर ऐसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जिसके बारे में सोचकर भी किसी का दिल कांप उठता है। 
दरअसल, आज विभिन्न प्लेटफार्म पर ऐसे ऑनलाइन गेम्स उपलब्ध हैं और बच्चे इनका आसानी से शिकार बन जाते हैं। वे खेल के मैदानों में न जाकर इंटरनेट के माध्यम से वर्चुअल गेम्स में रचे-बसे रहते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, एंड्रायड फोन ने जहां हमें बहुत सी सुविधाएं प्रदान कीं हैं, वहीं दूसरी ओर इनके बहुत से खतरे भी हैं। आज न तो अभिभावकों के पास अपने बच्चों के लिए समय बचा है और न ही बच्चों के पास अभिभावकों के लिए समय है। जिंदगी की आपाधापी में हम बच्चों को खेल के मैदानों से नहीं जोड़ पा रहे हैं और न ही आज पहले के जमाने की भांति दादी-नानी की कहानियां ही बची हैं। 
परिवार भी आज संयुक्त नहीं रहे हैं अथवा कम ही परिवार हैं, जो संयुक्त बचें हैं और इसका खामियाजा कहीं न कहीं हम सभी को भुगतना पड़ रहा है। एकल परिवार में हम आपसी संवाद कम ही करते हैं और स्वयं में ही व्यस्त रहते हैं। किसी को भी आज देखिए, सब सोशल नेटवर्किंग साइट्स व्हाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम यू-ट्यूब, ट्विटर, गेम्स, इंटरनेट पर भी व्यस्त नजर आते हैं। इस वर्चुअल दुनिया में हम रम-बस से गये हैं और हमें हमारे आसपास के वातावरण तक का भी ध्यान नहीं रहता है कि कहां, क्या और कैसे हो रहा है ? बच्चे अपने में मस्त रहते हैं और हम अभिभावक अपने में। 
आज हमें यह चाहिए कि हम अपने बच्चों का ध्यान रखें कि वे कब, कहां क्या कर रहे हैं और क्या नहीं। सच तो यह है कि पुणे में हुई घटना की और कहीं पर भी पुनरावृत्ति न होने पाएं इसके लिए हमें यह चाहिए कि हम अपने बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए उनके रोज के खेल का समय सीमित करें, हमें यह चाहिए कि हम गेमिंग डिवाइस को सोने से पहले बेडरूम से हटा दें, और बेकार ऐप्स को डिलीट कर दें और बच्चों से स्ट्रेस-फ्री एक्टिविटीज करवाएं। बच्चों को खेल के मैदानों से जोड़ें, उनके साथ समय समय पर संवाद करें, उनकी समस्याओं को जानें, समझें, उन्हें समझाएं,उनकी समस्याओं का मिल बैठकर समाधान करें। आज विभिन्न सेलिब्रिटी, क्रिकेटर, बड़े बड़े अभिनेता, अभिनेत्री , फिल्मी दुनिया के सितारे आनलाइन जुए के विभिन्न एप्स का प्रचार करते नजर आते हैं। भारी भरकर प्रचार से आनलाइन गेम्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली जा रही है। 
आज हमें हर कहीं ऐसे विज्ञापन ज़रूर देखने को मिल जाएंगे जिसमें ये प्रचार किया जाता है, घर बैठे लाखों, करोड़ों रुपये कमाएं। बच्चे इन सबके बारे में समझ नहीं पाते हैं, क्यों कि समयाभाव के कारण हम अभिभावक बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं रख पाते हैं और बच्चों को गाइडेंस का अभाव रहता है। यह बहुत ही चिंताजनक है कि आज कम कीमत पर मोबाइल फ़ोन और कनेक्टिविटी मौजूद हैं और इसकी वजह से ऑनलाइन जुए की लोकप्रियता न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में फ़ैल रही है। वास्तव में विडियो गेम्स से जहां एक ओर हमारा धन व समय बर्बाद होता है वहीं दूसरी ओर इससे व्यक्तिगत, सामाजिक, शैक्षिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों सहित दैनिक कामकाज पर भी बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तव में अभिभावकों, माता पिता को आनलाइन गेम्स के जोखिमों के बारे में जानना चाहिए और बच्चों को इसके प्रति आगाह करना चाहिए। 
हमें अपने बच्चों को जानकारी देनी चाहिए कि ये गेम दूसरे लोगों के साथ ऑनलाइन खेले जाते हैं और खास तौर पर नशे की लत वाले होते हैं क्योंकि इनका कोई अंत नहीं होता। आज प्रतिस्पर्धा का युग है और वीडियो गेम डिज़ाइनर, विभिन्न कंपनियां, मुनाफ़ा कमाने की कोशिश करने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह, हमेशा ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपना गेम खेलने के लिए प्रेरित करने के तरीके खोजते रहते हैं। वे इन गेम्स को इतना चुनौतीपूर्ण बनाकर ऐसा करते हैं कि कोई भी बार-बार इन्हें खेलने के लिए आते रहें। और हम या हमारे बच्चे या कोई भी इनका अत्यंत आसानी से शिकार बन जाते हैं, यह बहुत ही चिंताजनक है। 
वैसे 18 साल से कम बच्चों के लिए साइबर कानून बनाए गए हैं। इसके अनुसार 13 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया में शामिल नहीं हो सकते। 
इतना ही नहीं,16 साल से कम उम्र के बच्चे माता-पिता और अभिभावकों के संरक्षण में ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हो सकते हैं। गेमिंग में पैसे का लेन-देन और कारोबार होता है, इसलिए इंडियन कांट्रेक्ट एक्ट, मिजोरिटी एक्ट और डेटा सुरक्षा के प्रस्तावित बिल के अनुसार 18 साल से ऊपर की उम्र के बच्चे ही वैध एग्रीमेंट कर सकते हैं। इसलिए गेमिंग कम्पनियों का 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ कारोबार ग़लत और ग़ैर-क़ानूनी है। बहरहाल,आनलाइन गेम्स देश का भविष्य खराब कर रहे हैं। धन व समय तो बर्बाद हो ही रहा है। 
आज युवाओं की जिंदगी भी दांव पर लगी है। इसलिए अभिभावकों को यह चाहिए कि वह अपने बच्चों की गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान रखें, उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय दें, उनकी समस्याओं को सुनें, उन्हें खेल के मैदानों से अधिकाधिक जोड़े। अधिकाधिक किताबें पढऩे के लिए प्रेरित करें। किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, यह बच्चों को बताया जाए। बच्चों को दादा-दादी नाना-नानी, अभिभावकों से कहानियां,किस्से सुनाए जाएं। बच्चों के मनोरंजन की पर्याप्त व्यवस्था हो। बच्चे क्रिकेट , वॉलीबॉल, फुटबॉल, खो-खो जैसे आउटडोर गेम खेल सकते हैं या स्विमिंग, जिम, पेंटिंग और कुकिंग आदि भी कर सकते हैं। 
बच्चों को जो काम अच्छा लगता हो, मतलब कुछ क्रिएटिव वो कर सकते हैं। ये एक्टिविटी बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से अपना ध्यान हटाने में मदद करेंगी। बच्चों को चिडिय़ाघर, म्यूजियम, किसी ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व किसी पर्यटन स्थल की सैर कराई जा सकती है, उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा सकता है। परिवार के साथ टाइम बिता कर गेमिंग लत को छुड़ाया जा सकता है। 
किसी मनोवैज्ञानिक की सहायता से इस संबंध (गेमिंग छुड़ाने) में मदद ली जा सकती है। बच्चों के साथ अभिभावकों को क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को आनलाइन गेम्स के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। फ्री टाइम का सदुपयोग किया जाना चाहिए। 
इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स को बच्चों से दूर रखा जाना चाहिए। पैरेंट्स को बच्चों के साथ अपनी बैंक डिटेल्स साझा करने से बचना चाहिए। बच्चों को कुछ हॉबी फॉलो करने की सलाह देनी चाहिए। 
अभिभावकों को यह चाहिए कि वे कभी भी अपने बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होने दें। वास्तव में कार्य, घर के अंदर जीवन, बाहर के मनोरंजन तथा सामाजिक व्यस्तताओं के बीच संतुलन कायम रखना सबसे महत्वपूर्ण काम है। इसके अलावा प्रति सप्ताह चार घंटों के डिजिटल डिटॉक्स को जरूर अपनाना चाहिए। बच्चे इस देश का भविष्य हैं। इसलिए अभिभावकों को यह चाहिए कि वे अपने बच्चों को पर्याप्त समय दें। उनमें संस्कृति संस्कार विकसित करें, अच्छी शिक्षा दें। हमारी थोड़ी सी जागरुकता देश का भविष्य बचा सकती है। 

मंगलवार, 11 जून 2024

आज मनाया जाएगा 'विश्व बाल श्रम निषेध' दिवस

आज मनाया जाएगा 'विश्व बाल श्रम निषेध' दिवस

सरस्वती उपाध्याय 
पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष 12 जून को 'विश्व बाल श्रम निषेध' दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की पहल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने की थी, जिसका मकसद बाल श्रम को रोकना था। मालूम हो कि इसको मनाने के पीछे एक खास वजह यह थी कि बच्चों को मजदूरी न कराकर उनको स्कूलों की ओर शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके।

क्यों मनाया जाता है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस ?

मालूम हो कि बाल श्रम लगातार एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिसके कारण बच्चों का बचपन गर्त में जा रहा है और उनको अपना अधिकार नहीं मिल पा रहा है। यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसको पूरी तरह से समाप्त करने के लिए व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन एवं सरकारी संगठनों को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।

इस बार की क्या है थीम ?

इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का थीम "सभी के लिए सामाजिक न्याय, बाल श्रम का खात्मा है। मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र ने बाल श्रम पर कहा है कि पिछले तीन दशकों के इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। यूएन के मुताबिक, अगर मूल कारणों को दूर कर दिया जाए तो बाल श्रम को खत्म किया जा सकता है।

हर दस बच्चे में से एक बच्चे करते हैं बाल श्रम

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पिछले दो दशकों से पूरी दुनिया में बाल श्रम को कम करने के लिए लगातार पहल की जा रही है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान संघर्षों, संकटों और कोरोना महामारी ने विश्व में कई परिवारों को गरीबी में धकेल दिया है, जिसके कारण लाखों बच्चों को बाल श्रम के लिए मजबूर होना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज के समय विश्व के कई देशों में करीब 160 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं, जो दुनिया में मौजूद हर दस बच्चें में से एक है।

हर साल होती है अलग थीम

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बाल श्रम को खत्म करने के लिए और जरूरी कार्रवाई करने के लिए साल 2002 में बाल श्रम के खिलाफ 'विश्व बाल श्रम निषेध दिवस' की शुरुआत की थी। हालांकि, हर साल इस मौके पर अलग-अलग प्रकार से थीम रखी जाती है। थीम के माध्यम से व्यक्ति, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का क्या है महत्व ?

मालूम हो कि बाल श्रम का प्रमुख कारण गरीबी है, जिसके कारण बच्चों को पढ़ाई छोड़कर मजबूरी में मजदूरी चुनना पड़ता है। हालांकि, कई बच्चों को अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है। इस दिवस को मनाने का विशेष महत्व बच्चों के अधिकारों पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है ताकि बाल श्रम को रोका जा सके।

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

अंत: धरती पर सांस लेना मुश्किल हो जाएगा

अंत: धरती पर सांस लेना मुश्किल हो जाएगा

सरस्वती उपाध्याय 
पृथ्वी का खत्म होना तय है, लेकिन ये कब और कैसे होगा ? इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं है। हालाँकि, पृथ्वी के अंत को लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जाते हैं। कई दावों में कहा गया है कि एक समय के बाद पृथ्वी पर ऑक्सीजन खत्म हो जाएगा।
मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने की बात कही गयी है। एक दावे में सूरज के ब्लैक होल में तब्दील होने की बात की गयी है, जो धरती को अपने अंदर समा जाएगा। इनके अलावा प्राकृतिक आपदाओं और परमाणु युद्ध जैसी मानव निर्मित आपदाओं को भी पृथ्वी के खत्म होने की वजह बताया गया है। अब एक नए अध्ययन में पृथ्वी के खत्म होने की चौकाने वाली वजह सामने आई है।
इस अध्ययन के अनुसार, 200 साल में धरती पर इतनी बदबू हो जाएगी कि लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। विशेषज्ञों ने इस बात का अनुमान लगाया है। उनके अनुमान के अनुसार, लोग पादेंगे और डकारेंगे, जिसकी वजह से धरती पर बदबू फैलेगी। आने वाले 200 साल में पृथ्वी पर नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन भर जाएगी। इससे ग्लोबल वार्मिंग में और भी अधिक योगदान होगा।
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगले 200 वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बदतर हो जाएगी। समुद्र से भाप उठने लगेगी। पृथ्वी का तापमान भी काफी बढ़ जायेगा। गर्मी की वजह से इंसानों के लिए इस दुनिया में रहना मुश्किल हो जाएगा। पृथ्वी की स्थितियाँ शुक्र ग्रह के समान होंगी, जिससे इंसानों के लिए यहाँ रहना असंभव हो जाएगा।

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

आयुर्वेद: गुनगुने पानी से नहाना फायदेमंद बताया

आयुर्वेद: गुनगुने पानी से नहाना फायदेमंद बताया 

सरस्वती उपाध्याय 
सर्दियों में अक्सर आपने लोगों को गर्म पानी से नहाते हुए देखा होगा। हालांकि, तमाम लोग कड़ाके की सर्दी में भी ठंडे पानी से नहाना पसंद करते हैं। इस बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर का कहना है कि आयुर्वेद में सर्दियों में गुनगुने पानी से नहाना फायदेमंद बताया गया है। नहाने के लिए पानी ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए, बल्कि गुनगुना होना चाहिए।
डॉक्टर के अनुसार सर्दियों में गुनगुने पानी से नहाने से हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे सर्दी-खांसी का खतरा कम होता है और शरीर की जकड़न भी दूर हो जाती है। इस पानी से शरीर की सफाई अच्छे तरीके से होती है और लोगों को सर्दी से राहत मिलती है। हालांकि जो लोग स्किन की किसी प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं, उन्हें गर्म पानी अवॉइड करना चाहिए। अब बात ठंडे पानी से नहाने की कर लेते हैं। जो लोग सर्दी-जुकाम या खांसी की समस्या से जूझ रहे हैं और इम्यूनिटी वीक है, वे ताजा पानी के बजाय हल्के गुनगुने पानी से नहाएं, तो सेहत ठीक रहेगी।
सर्दियों में गुनगुना और ताजा पानी दोनों से नहाया जा सकता है। यह लोगों की हेल्थ के ऊपर डिपेंड करता है कि वे किस तरह के पानी से स्वस्थ रहते हैं। आप इस बारे में डॉक्टर से मिलकर सलाह ले सकते हैं।डॉक्टर का कहना हैं कि किसी भी मौसम में ताजा पानी से नहाया जा सकता है। पानी रातभर का भरा हुआ हो और अत्यधिक ठंडा हो, तो उससे सर्दी-जुकाम हो सकता है। हालांकि ताजा पानी को आयुर्वेद में सर्दियों के लिए नुकसानदायक नहीं बताया गया है। जिन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती है, वे ताजा पानी से नहा सकते हैं।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

रात को क्यों रोते हैं कुत्ते, जानिए कारण

रात को क्यों रोते हैं कुत्ते, जानिए कारण 

सरस्वती उपाध्याय 
बचपन में जब रात के वक्त कुत्ते के रोने की आवाज आती थी, तो घर के बड़े कहते थे कि इन्हें कोई आत्मा दिखी होगी। गांवों में तो अब भी यह बात कही जाती है, लेकिन क्या यह बात सच है? यहां जानिए…!

सर्दियों के दिनों में अक्सर आपने रात में कुत्तों की रोने की आवाज तो सुनी ही होगी लगते हैं। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि कुत्ते रात में तब रोते हैं, जब उन्हें अपने आसपास कहीं आत्माएं दिखाई देती हैं। हालांकि, अगर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण तलाशने पर आपके हाथ कुछ नहीं लगेगा, लेकिन लोक मान्यताओं पर आधारित इस बात में कितनी सच्चाई हैं, आइए जानते हैं…!

कुत्ते किस वजह से रोते हैं, इसका कारण जानकर शायद फिर कभी आपको किसी कुत्ते के रोने पर डर नहीं लगेगा और न ही उन पर गुस्सा आएगा। एक्सपर्ट्स का कहना कि सर्दी के दिनों में जानवर खासतौर पर कुत्ते इसलिए रोते हैं, क्योंकि उन्हें काफी ठंड लग रही होती है। इसके अलावा दूसरा कारण हो सकता है कि वे अपने साथियों तक कोई संदेश पहुंचा रहे होते हैं।

वहीं, यह भी माना जाता है कि दिन में अगर किसी कुत्ते को चोट लग जाती है तो रात में ठंड के चलते उनका दर्द बढ़ जाता है, इसके कारण भी वो जोर-जोर से रोने लगते हैं। इस कारणों के अलावा बहुत तेज भूख लगने के कारण भी कुत्तों को रोना आता है, क्योंकि सर्दियों में रातें लंबी होती है, ऐसे में जब कुत्तों को कुछ खाने के लिए नहीं मिलता तो भूख के मारे रोने लगते हैं।

कुत्ते परिवार या झुंड में रहने वाले जानवर हैं, जब गली-मोहल्ले में रहने वाले कुत्ते अपने झुंड से बिछड़ जाते हैं या कोई पालतू कुत्ता अपने मालिक से बिछड़ जाता है तो वो रात में अक्सर जोर-जोर से रोना शुरू कर देते है।

वहीं, एक्सपर्ट्स की माने तो उम्र बढ़ना भी इसकी एक वजह होती है, बढ़ती उम्र के कारण कुत्तों में डर की भावना पैदा होने लगती है। ऐसे में जब वो रात में अकेले होते हैं और या अकेलापन महसूस करते हैं तो वो रोने लगते हैं। इतने सब कारण जानने के बाद तो कुत्तों के रोने पर किसी को क्या ही गुस्सा आएगा ?

सोमवार, 16 अक्तूबर 2023

उड़ते पक्षी का शिकार करता नजर आया मगरमच्छ

उड़ते पक्षी का शिकार करता नजर आया मगरमच्छ 

सरस्वती उपाध्याय 
सोशल मीडिया पर अक्सर जंगली जानवरों के वीडियो वायरल होते रहते हैं। कुछ वीडियो तो ऐसे होते हैं, जिन्हें देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। इन दिनों एक खतरनाक दरियाई जानवर का वीडियो वायरल हो रहा है, जो तेज रफ्तार से पलक झपकते ही शिकार कर रहा है। 
वायरल हो रहे वीडियो में मगरमच्छ उड़ते हुए पक्षी का शिकार करते नजर आता है। पहले तो मगरमच्छ पानी से बाहर निकल कर मरे हुए जानवरों के ऊपर आराम से लेटा हुआ रहता है। इसी बीच एक पक्षी अनजाने में उड़ता हुआ उसके पास पहुंच जाता है और जैसे ही उसके सिर पर अपना पैर रखता है, मगरमच्छ फौरन जाग जाता है और बिजली की रफ्तार से उसकी गर्दन ही दबोच लेता है। इसके बाद वह उसे पानी में लेकर चला जाता है। इस वीडियो को देखकर आप भी एक बार तो खौफ में आ ही जाएंगे। 
बता दें वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर @TheBrutalNature नाम की आईडी से शेयर किया गया है। इस वीडियो को सैकड़ों लोगों ने पसंद किया है। वहीं, वीडियो देखने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी दी हैं। यूजर्स ये देखकर भी सोच में पड़े हुए हैं कि जब मगरमच्छ के पास खाने के लिए इतने सारे जानवर थे, तो उसने चिड़िया को ही क्यों पकड़ा?

शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

मच्छर से बने बर्गर को खाते हैं लोग, वायरल

मच्छर से बने बर्गर को खाते हैं लोग, वायरल 

सरस्वती उपाध्याय 
हम और आप में से लगभग सभी लोग मच्छर से परेशान रहते हैं। मच्छर की आवाज और उसके काटने से रातों की नींद खराब हो जाती है। वहीं, अब मच्छर से जुड़ा हुआ एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। 
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो के अनुसार, लोग मच्छर से बने बर्गर को खाते हैं। अफ्रीका में ये देखने को मिला है कि लोग मच्छरों को पकड़ कर उसकी टिक्की बनाते हैं और उसे तल कर बर्गर के साथ मिलाकर खाते हैं। जानकारी के अनुसार, इस बर्गर को लोग काफी पसंद भी करते हैं। इस मच्छर वाले बर्गर के स्वाद को लोग काफी पसंद करते हैं। वहीं लोगों का मानना है कि इस बर्गर में बहुत ही ज्यादा प्रोटीन की मात्रा है, जो शरीर के लिए लाभदायक है। 
बता दें इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। इस वीडियो में जानकारी दी गई है कि मच्छर वाले बर्गर का स्वाद बेहतरीन होता है। इसे लोग बड़े ही शौक से खाते हैं। दरअसल, बरसात के मौसम में हर साल विक्टोरिया झील के पानी से मच्छर पैदा होते हैं और झुंड बनाकर उड़ते हैं। ऐसे में स्थानीय लोग इन मच्छरों को पकड़कर जमा कर लेते हैं फिर से आपस में मिलाकर तवा या फ्राई पैन पर पका लेते हैं। 
जानकारी के मुताबिक, एक बर्गर की टिक्की बनाने के लिए 5 लाख मच्छरों को इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद उसे अच्छे से मिला लिया जाता है। मच्छरों को मिलाने के बाद उसे तवा पर तेल की मदद से पका लिया जाता है।

बुधवार, 20 सितंबर 2023

किन-किन चीजों से हड्डियों को नुकसान होता है

किन-किन चीजों से हड्डियों को नुकसान होता है 

सरस्वती उपाध्याय 
कहते हैं जान है तो जहान है, अगर हम शरीर की सही देखरेख ना करें, तो कई बीमारियां घेर लेती हैं। दैनिक जीवन में हम कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं, फिर चाहें वह हमें नुकसान क्यों ना पहुंचा दे ?
शरीर का अहम हिस्सा हड्डियों को माना जाता है, अगर किसी तरह से हड्डियों को नुकसान पहुंचता है तो ये हानिकारक हो सकता है। कैफीन, एनर्जी ड्रिंक्स, सोडा, चाय समेत कई चीजें हैं जिसका सेवन करने से नुकसान पहुंच सकता है। तो आज हम जानेंगे कि किन किन चीजों से हमारी हड्डियों को नुकसान पहुंचता है।

कैफीन: हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सिर्फ कैफीन ही नहीं बल्कि एनर्जी ड्रिंक्स, सोडा, चाय आदि भी हड्डियों को कमजोर करते हैं। क्योंकि कैफीन का सेवन ज्यादा करने से हमारा शरीर कैल्शियम को अवशोषित नहीं कर पाता, इसलिए कैल्शियम की कमी शरीर में होने लगती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कैफीन के कारण हड्डियों को मजबूत करने वाले विटामिन डी के लेवल पर भी बुरा असर पड़ता है।

वीट ब्रान: वीट ब्रान जिसे आटे का चोकर भी कहा जाता है, इसमें हाई लेवल में फाइटेट मौजूद होता है जो कैल्शियम के अवशोषण को प्राभावित कर सकता है। क्योंकि इसमें डाइट्री फाइबर काफी ज्यादा होता है। आप वीट ब्रान के बजाय ओट्स ब्रान का सेवन करते हैं तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता क्योंकि इसमें फाइटेट का लेवल ज्यादा नहीं पाया जाता है। फाइटेट एक तरह का एंटी- न्यूट्रीएंट होता है जो आमतौर पर पौधों में पाया जाता है।

नमक: लोगों को मानना है कि नमक खाने से सिर्फ ब्लड प्रेशर का लेवल ज्यादा होता है लेकिन आपको बता दें कि इससे आपकी हड्डियों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है। अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन करने पर हड्डियों में से कैल्शियम खत्म होने लगता है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रिशन के 2018 की एक स्टडी के अनुसार, सोडियम का सेवन ज्यादा करने से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा काफी बढ़ जाता है।

रविवार, 17 सितंबर 2023

डैंड्रफ की समस्या से निजात पाने हेतु अपनाएं टिप्स

डैंड्रफ की समस्या से निजात पाने हेतु अपनाएं टिप्स 

सरस्वती उपाध्याय 
घर से बाहर निकलने पर धूल-मिट्टी और प्रदूषण का हमारी सेहत पर बहुत असर पड़ता है। वहीं ये हमारे बालों के लिए भी बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण से बालों से जुड़ी कई समस्याएं अक्सर लोगों को परेशान करती रहती हैं। डैंड्रफ इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे अक्सर कई लोग परेशान रहते हैं। 
डैंड्रफ मुख्य रूप से आपके सिर पर होने वाली त्वचा की खुजलीदार, सफेद परतें हैं, जो अक्सर असुविधाजनक हो सकती हैं। डैंड्रफ होने के कई कारण हो सकते हैं, जो कई बार हमारे लिए शर्मिंदगी की वजह भी बन जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप डैंड्रफ की समस्या से निजात पा सकते हैं। 

एलोवेरा 
एलोवेरा को त्वचा से जुड़ी दिक्कतों के लिए रामबाण इलाज माना जाता है। ये कई सारी समस्याओं से राहत दिलाने के साथ ही डैंड्रफ कम करने में भी मदद करता है। इसकी मदद से जलन, सोरायसिस और दाग-धब्बों जैसी त्वचा की समस्याओं का इलाज करने में मदद मिलती है। साथ ही इसें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण रूसी से बचाने में मदद कर सकते हैं।

सेब का सिरका 
सेब का सिरका डैंड्रफ से निजात दिलाने में काफी असरदार है। इसका इस्तेमाल रूसी के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जा सकता है। सेब का सिरका आपकी त्वचा के पीएच को संतुलित कर फंगस के विकास को कम करता है और इस तरह रूसी को भी कम करता है।

बेकिंग सोडा 
बेकिंग सोडा भी डैंड्रफ की समस्या में काफी कारगर साबित हो सकता है। अगर आप यह सुनकर हैरान रह गए हैं, तो आपको बता दें कि ये डैंड्रफ से लड़ने का एक आसान उपाय है। बेकिंग सोडा डेड स्किन सेल्स को हटाने और स्केलिंग और खुजली को कम करने में मदद करता है। इसमें एंटीफंगल गुण भी होते हैं, जो डैंड्रफ के इलाज में फायदेमंद हो सकते हैं।
नारियल का तेल बेहद फायदेमंद
कई पोषक तत्वों से भरपूर नारियल का तेल त्वचा और सेहत के साथ ही बालों के लिए भी काफी लाभकारी है। वहीं डैंड्रफ के लिए भी नारियल तेल का इस्तेमाल एक प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है। 

टी ट्री ऑयल
मुंहासे और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए इस्तेमाल होने वाला टी ट्री ऑयल डैंड्रफ के इलाज में भी काफी कारगर है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो डैंड्रफ को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इस खबर में दी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

शनिवार, 16 सितंबर 2023

क्या आपने देखे है काले दानों वाले भुट्टे ?

क्या आपने देखे है काले दानों वाले भुट्टे ? 

सरस्वती उपाध्याय 
अभी तक आपने पीले दानों के भुट्टों को ही देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि काले दानों वाले भुट्टे हो सकते हैं ? ये सुनकर आपको अजीब जरूर लगा होगा, लेकिन इस दुनिया में काले दानों वाले भुट्टे भी मौजूद हैं। इन भुट्टों को देखने के बाद ऐसा लगेगा जैसे पीले भुट्टों को किसी ने आग में जलाकर काला कर दिया है। लेकिन ऐसा नहीं है। ये नेचुरल ब्लैक कलर के होते हैं।
बता दें पीले भुट्टों की तुलना में इनका स्वाद ज्यादा बेहतर होता है। साथ ही इनकी खेती का समय भी अलग होता है। सोशल मीडिया पर काले भुट्टों का वीडियो वायरल हो रहा है जिसे लोग फेक समझ रहे हैं। लेकिन आज हम आपको इसके बारे में पूरी डिटेल से बताते हैं। 
बता दें काले भुट्टों के पत्ते हलके पर्पल कलर के होते हैं। इनके पौधों की लंबाई तीन मीटर तक होती है। साथ ही इस पर लगने वाले फल बीस सेंटीमीटर तक के होते हैं। जैसे-जैसे ये मैच्योर होते हैं, इसके दाने और भी ज्यादा काले होने लगते हैं। इन भुट्टों से एक ऐसा लिक्विड निकलता है, जो दाग लगा देता है। अगर इसके पत्ते हाथों से हटाए जाएं, तो उंगलियों पर पर्पल रंग लग जाता है। ये खाने में टेस्टी तो होते हैं लेकिन इन्हें पीले भुट्टों की तुलना में ज्यादा चबाना पड़ता है। साथ ही ये काफी स्टार्ची भी होता है। हालांकि, पीले भुट्टों की तुलना में ये कम मीठे होते हैं। 

बता दें जिस तरह से पीले भुट्टे पूरी दुनिया में उगाए जाते हैं, वैसे इन काले भुट्टों की खेती नहीं होती। ये दुनिया में कुछ ही इलाकों में पाए जाते हैं। खासकर इन भुट्टों की खेती पेरू में की जाती है। वहां इसे मेज मोरडो के नाम से जाना जाता है। वहीं यूएस और यूके में इसे ब्लैक मेक्सिकन कॉर्न के नाम से जाना जाता है। वहीं साउथ अमेरिका के बाहर ये काफी कम ही पाया जाता है। बता दें इसे उगाने के लिए बेहद गर्म मौसम की जरुरत होती है। साथ ही फल लगने के बाद इसे भारी बरसात की जरुरत भी होती है। ऐसे में ये दुनिया के सिर्फ चुनिंदा जगहों पर ही उगाया जा पाता है।

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

क्या आपने देखी है हंसती हुई मछलियां ? वायरल

क्या आपने देखी है हंसती हुई मछलियां ? वायरल  

सरस्वती उपाध्याय 
सोशल मीडिया पर रोजाना अद्भुत और अनोखे जीवों के वीडियो वायरल होते रहते हैं। अगर बात करें मछलियों की, तो दुनियाभर में मछलियों की बहुत सी प्रजातियां पाईं जाती हैं। लोग अक्सर नदी और झीलों में तैरती मछलियों को देखकर आनंद लेते हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर मछलियों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे देख लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 
इस वीडियो में कुछ मछलियां अलग ही अंदाज़ में दिख रही हैं। 
वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि मछलियां हंसती हुई दिखाई दे रही हैं। वीडियो शुरु होते ही कुछ मछलियां सामने नज़र आती हैं। उनके मुंह की बनावट काफी अलग है और देखकर ऐसा लग रहा है मानो ये मछलियां मुस्कुरा रही हैं। इन मछलियों का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। @buitengebieden नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है।  ये वीडियो लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। इस वीडियो को देख लोग तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं।

शनिवार, 9 सितंबर 2023

चाय में गिर जाएं मक्खी, बिल्कुल ना पिएं

चाय में गिर जाएं मक्खी, बिल्कुल ना पिएं 

सरस्वती उपाध्याय 
मक्खी के साथ कुछ खतरनाक बैक्टीरिया भी हो सकते हैं, जो आपका पेट खराब कर सकते हैं। इसे फूड पॉइजनिंग कहते हैं, जिसके अंजाम बुरे हो सकते हैं।

दूध में मक्खी गिरना
कई बार दूध, चाय या किसी खाने में मक्खी गिरना आम बात है। कई लोग ऐसे खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को फेंक देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बारे में मेडिकल साइंस क्या कहता है? क्या मक्खी गिरने के बाद दूध या कोई दूसरी चीज खाने लायक रहती है?

मक्खी के साथ आ सकती है गंदगी
मक्खी किसी भी चीज पर बैठ जाती है, जो कि खतरनाक इंफेक्शन से संक्रमित हो सकती है। ऐसे में यह जिस चीज के अंदर गिरती है, उसमें भी खतरनाक बैक्टीरिया-वायरस पहुंच सकते हैं।

ये हैं आम बैक्टीरिया
Pubmed पर छपा शोध कहता है कि मक्खी कुछ बैक्टीरिया को ट्रांसफर करने की क्षमता रखती है। जिसमें ई. कोलाई, लिस्टेरिया, शिगेला, साल्मोनेला प्रमुख हैं।

फूड पॉइजनिंग का खतरा
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक, ये बैक्टीरिया गंभीर इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं। शरीर में पहुंचने के बाद इनसे फूड पॉइजनिंग हो जाती है।
फूड पॉइजनिंग के लक्षण
फूड पॉइजनिंग के कारण मरीज को डायरिया, पेट दर्द, क्रैम्प, जी मिचलाना, उल्टी और बुखार जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है।

ये लक्षण दिखते ही भागें अस्पताल
अगर आपको तीन दिन से ज्यादा डायरिया, 102 डिग्री फॉरेन्हाइट से तेज बुखार, देखने या बोलने में दिक्कत, खतरनाक डिहाइड्रेशन या पेशाब में खून आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

तुरंत करें ये काम
फूड पॉइजनिंग की वजह से शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकती है। इसलिए पर्याप्त पानी और ओआरएस का सेवन करें। इसके साथ भरपूर आराम करें और लक्षणों को कम करने वाली दवाओं के बारे में डॉक्टर से पता करें।

बुधवार, 2 अगस्त 2023

शरीर के खास अंगों को दोबारा पैदा करता है ये 'जीव'

शरीर के खास अंगों को दोबारा पैदा करता है ये 'जीव'  

सरस्वती उपाध्याय 

क्या कभी आपने ऐसे जीव के बारे में सुना है, जो अपने शरीर के सारे अंगों को बदल सकता है, वह भी खुद से  बिना किसी सर्जन की मदद से। ये है एक्सोलोल, एक्सोलोल जो मेक्सिकन सैलामैंडर है। बताया जाता है ये वहां की दो झीलों में पाया जाता है।

इस जीव की प्रजाति प्रदूषण के कारण विलुप्ति की कागार पर है। इस विचित्र जीव की खासियत है कि  ये दिमाग, रीढ़ की हड्डी, दिल और हाथ-पैर फिर से पैदा कर लेता है। इस जीव को पहली बार साल 1964 में देखा गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार  एक्सोलोल में अपने दिमाग के कुछ हिस्सों को दोबारा पैदा कर सकता है, तथा विकसित कर सकता है। दरअसल यह अपने दिमाग को अलग-अलग स्टेज में विकसित करता है। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों ने इसके दिमाग के टेलेनसिफेलॉन के एक बड़े हिस्से को निकाल दिया। इसके 12 हफ्तों के बाद उन्होंने देखा कि एक्सोलोल ने अपने दिमाग को हर हफ्ते धीरे-धीरे करके विकसित कर लिया।

बुधवार, 26 जुलाई 2023

'आई फ्लू' के खतरे से बचाव, जानिए उपाय 

'आई फ्लू' के खतरे से बचाव, जानिए उपाय 

सरस्वती उपाध्याय 

इन दिनों मानसून का सीजन चल रहा है। ऐसे में इन दिनों में आंखों के फ्लू की संभावना काफी बढ़ जाती है। बता दें मानसून के दौरान हवा में नमी और ह्यूमिडिटी बैक्टीरिया और वायरस के विकास और प्रसार को आसान बना देते हैं, जो आगे चलकर कंजंक्टिवाइटिस की वजह बन सकते हैं। वैसे तो ये बेहद खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन इसमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे व्यक्ति का दैनिक जीवन का काफी प्रभावित होता है।

वहीं इसके अलावा, ज्यादा बारिश से वातावरण में गंदगी, प्रदूषक तत्व और एलर्जी जमा हो सकते हैं, जिससे आई फ्लू का खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है। अगर आप भी किसी भी तरह के आई इन्फेक्शन के लक्षण को महसूस कर रहे हैं, तो फौरन डॉक्टर से बात करें और दवा के साथ-साथ, नीचे दिए गए कुछ परहेजों का पालन कर इससे बच सकते हैं। 

मानसून सीजन में आई फ्लू से बचने के लिए करें ये काम

हाइजीन का रखें ध्यान

बता दें संक्रमण फैलने से बचने के लिए हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं। गंदे हाथों से अपनी आंखों को छूने से बचें। इसके अलावा रोजाना और ठीक से नहाएं तो भी इसमें काफी मदद मिलेगी।

आंखों को रगड़ने से बचें

इस मौसम में आंखें रगड़ने से स्थिति खराब हो सकती है और संक्रमण फैल सकता है। इसके बजाय, किसी आंखों को पोंछने के लिए एक साफ टिश्यू या रूमाल का इस्तेमाल करें।

करें गर्म सेकाई

आंखों में किसी तरह की असुविधा को कम करने के लिए दिन में कई बार कुछ मिनटों के लिए आंखों पर साफ कपड़े से गर्म सेक लगाएं।

आई मेकअप से बचें

अगर आई इन्फेक्शन का अनुभव कर रहे हैं, तो इस दौरान मेकअप का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे स्थिति खराब हो सकती है। अगर आपको मेकअप का इस्तेमाल करना ही है, तो अपने ब्रश और प्रोडक्ट्स को नियमित रूप से साफ करें।

साफ बिस्तर और तौलिया रखें

बता दें बैक्टीरिया की चपेट में आने से बचने के लिए बिस्तर और तौलिये को बार-बार बदलें। इसके अलावा कीटाणुओं को मारने के लिए उन्हें गर्म पानी और डिटर्जेंट से धोएं।

पर्सनल सामान को शेयर करने से बचें

आप अपने पर्सनल सामान को शेयर करने से बचें। तौलिये, रूमाल या ऐसी कोई भी निजी चीज जो आपकी आंखों के संपर्क में आती हो, उसे न बांटें। इससे संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाती है।

प्रिस्क्रिप्शन आई ड्रॉप्स का करें इस्तेमाल

अगर कंजंक्टिवाइटिस ने गंभीर रूप ले लिया है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक या एंटीवायरल आई ड्रॉप लिख सकते हैं। इसलिए प्रिस्क्रिप्शन के मुताबिक इसका पालन करें।

स्विमिंग से करें परहेज

मानसून सीजन में स्विमिंग पूल से दूर रहें क्योंकि उनमें बैक्टीरिया और अन्य माइक्रोऑर्गानिज्म पनप सकते हैं, जो कंजंक्टिवाइटिस की स्थिति को और खराब कर सकते हैं।

डॉक्टर से लें सलाह 

अगर कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण और खराब हो रहे हैं या घरेलू उपचार के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करे।

सोमवार, 17 जुलाई 2023

शरीर में पानी की कमी, डिहाइड्रेशन की समस्या

शरीर में पानी की कमी, डिहाइड्रेशन की समस्या

सरस्वती उपाध्याय 

शरीर के स्वस्थ कामकाज के लिए शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। पानी की कामी से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। ध्यान रहे कि अभी गर्मियों का मौसम खत्म नहीं हुआ है इसलिए किसी भी तरह पानी कम न करें। हाइड्रेटेड रहने के लिए सिर्फ पानी पीना ही काफी नहीं है। इसके लिए आपको अपनी डेली की डाइट पर ध्यान रखना जरूरी है।

बहुत से ऐसे लोग हैं, जो जाने अनजाने में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जो शरीर में पानी की मात्रा कम करते हैं। ध्यान रहे कि शरीर में पानी की कमी से आपको प्यास ज्यादा लगना, गहरा पीला, तेज गंध वाला पेशाब आना, सामान्य से कम बार पेशाब आना, चक्कर आना या सिर घूमना, थकान महसूस होना, मुंह, होंठ और जीभ का सूखना और आंखों का धंसना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। फैट टू स्लिम की डायरेक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट एंड डाइटीशियन शिखा अग्रवाल शर्मा आपको बता रही हैं कि रोजाना खाए जाने वाले कौन-कौन से खाद्य पदार्थ शरीर में पानी को सूखा सकते हैं।

बहुत से लोगों को कॉफी पीना पसंद है। इसमें मौजूद कैफीन को खोई हुई ऊर्जा को वापस पाने के लिए जाना जाता है लेकिन यह डिहाइड्रेशन की वजह भी बन सकती है। कैफीन को अधिक मात्रा में लेने से यह मूत्रवर्धक के रूप में काम करती है जिससे आपके शरीर में पानी की मात्रा में असंतुलन पैदा हो सकता है।

ग्रीन टी को एक हेल्दी ड्रिंक माना जाता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट और फ्लेवोनोइड की अधिक मात्रा होती है। लेकिन यह आपको डिहाइड्रेशन भी कर सकती है। कॉफी की तरह ग्रीन टी में भी कुछ मात्रा में कैफीन होता है, जो एक नैचुरली पेशाब बढ़ाने का काम करता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे आप थका हुआ और सुस्त महसूस कर सकते हैं।

चुकंदर में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो आपके शरीर से तरल पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए जाना जाता है। इसलिए, यदि आप विशेष रूप से गर्मियों के दौरान चुकंदर का अधिक सेवन करते हैं, तो यह आपके शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

वजन कम करने और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने के लिए हाई प्रोटीन फूड्स का खूब सेवन किया जाता है। बेशक प्रोटीन के सेवन से कई फायदे होते हैं लेकिन यह डिहाइड्रेशन की वजह भी बन सकता है। मूल रूप से प्रोटीन शरीर में नाइट्रोजन का निर्माण करता है जो चयापचय के लिए अतिरिक्त पानी का उपयोग करता है। इससे अक्सर शरीर में द्रव असंतुलन हो जाता है।

सोडा और पैकेज्ड जूस में चीनी की अधिक मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर पर हाइपरनेट्रेमिया प्रभाव पड़ता है। इसका मतलब है, चीनी कोशिकाओं और ऊतकों से पानी खींचती है, जिससे शरीर में तरल पदार्थ का स्तर कम हो जाता है।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

कम पानी पीने से उत्पन्न होती हैं कई बीमारी   

कम पानी पीने से उत्पन्न होती हैं कई बीमारी   

सरस्वती उपाध्याय  

कहते हैं जल है तो जीवन है, लेकिन जल होने के बाद भी अगर हम अपने शरीर के हिसाब से कम पानी पिएं तो इसे हम समझदारी नहीं कह सकते। क्योंकि शरीर के हिसाब से कम पानी पीने से कई तरह की बीमारियों को दावत दे सकते हैं। पानी की कमी से डिहाड्रेशन, हाथ पैर में जलन, कब्ज की समस्या, पेट में दिक्कत समेत कई बीमारियां हो सकती हैं।

कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कम पानी पीते हैं, लेकिन उन्हें ये ज्ञात नहीं होता कि अपने सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसलिए डॉक्टर भी ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं, जब तक तेज प्यास  लगे  तब भी पानी पीते ही नहीं। इसीलिए आज हम आपको ज्यादा पानी पीने के कुछ आसान से टिप्स बताएंगे।

रोजाना गोल सेट करें

अगर आपको प्यास कम लगती है तो रोजाना पानी पीने के लिए गोल सेट करे लें। सुबह ही आप ये गोल निश्चित कर लें कि आज आपको इतना पानी पीना है। इसके बाद समय-समय पर पीते हुए उस टारगेट को पूरा कर लें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।

रिमाइंडर सेट कर लें

कम पानी पीते हैं तो आप मोबाइल में अलार्म लगाकर रिमाइंडर सेट कर सकते हैं। आप पानी पीने के लिए आधे घंटे या एक निश्चित समय का रिमाइंडर सेट कर लें। इस निश्चित अवधि में ही पानी पिएं।

खाना खाने के पहले पानी पिएं

कुछ लोग खाने खाने के तुरंत बाद पानी पीते हैं, ऐसा आप न करें। दिन में ज्यादा पानी पीने के लिए आप रोजाना खाना खाने के पहले पानी पिएं। खाने के बीच में पानी पीने से बचें। रोजाना खाना खाने के पहले पानी पीने से शरीर में पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।

शुक्रवार, 23 जून 2023

लाइफस्टाइल में बदलाव, सुंदर दिख सकते हैं

लाइफस्टाइल में बदलाव, सुंदर दिख सकते हैं

सरस्वती उपाध्याय 

आज के समय में हर कोई व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है, वह चाहता है कि कहीं भी जाए तो अपनी पहचान छोड़कर आए। लोग उसकी तरफ आकर्षित हों। लोग सुंदर दिखने के लिए बहुत से प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। सुंदर दिखने के लिए कई रुपए खर्च भी कर देते हैं। लेकिन हम आपको बता दें की अगर अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा-सा भी बदलाव किया जाए तो आप सुंदर दिख सकते हैं।

आकर्षक और सुंदर दिखने के लिए क्या करें?
अगर आप सुंदर दिखना चाहते हैं तो सबस पहले भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। इससे पानी स्किन को हाइड्रेट रखता है। साथ ही स्किन की कई समस्याओं को दूर करने में भी आपके बेहद मददगार होता है।

व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटीज को भी जोड़ना चाहिए। फिजिकल एक्टिविटिज को जोड़ने से ब्लड सर्कलेशन बेहतर हो सकता है।

गर्मियों में आप जब भी चिलचिलाती धूप के संपर्क में आते हैं तो उस दौरान आप खुद को कवर करें, जिससे टैनिंग से बचा जा सके या सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। व्यक्ति को धूम्रपान, शराब और अन्य प्रकार का नशा करने से भी बचना चाहिए। इसका दुष्परिणाम व्यक्ति की त्वचा पर पड़ सकता है।

बुधवार, 21 जून 2023

₹2,70000 प्रति किलो का ‘मियाजाकी’ आम

₹2,70000 प्रति किलो का ‘मियाजाकी’ आम

दुष्यंत टीकम 

रायपुर। राजधानी रायपुर में पहली बार मैंगो फेस्टिवल मनाया गया। जोरा स्थित पंजाब केसरी भवन में आयोजित इस एग्जीबिशन में 200 किस्म के आम रखे गए हैं। प्रदर्शनी में 2 लाख 70 हजार प्रति किलो का ‘मियाजाकी’ आम सबसे ज्यादा खास है।

दुनिया के सबसे मंहगे आम को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी। जापानी प्रजाति के आम के इस किस्म की कीमत प्रतिकिलो दो लाख 70 हजार रूपए है। जापान की मियाजकी आम की खासियत यह है कि एक ही आम में दो तरह के स्वाद मिलता है। गौरतलब है कि राजधानी रायपुर में लगाए गए आमों की प्रदर्शनी का आयोजन 17 से 19 जून तक पंजाब केसरी भवन में उद्यान विभाग और प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

बनावट में किसी दूसरे आम की ही तरह दिखने वाला मियाजाकी जापानी प्रजाती का है। इसका रंग और बनावट थोड़ी अलग है। जिसे देखने और उसकी तस्वीर लेने की होड़ लगी हुई है। अगर एक किलो में 3 आम भी चढ़ते हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक आम की कीमत लगभग 90 हजार रुपए होगी। विश्रामपुर इलाके के कमलपुर बाग में कोल इंडिया के रिटायर्ड जनरल मैनेजर राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने ये आम अपने बाग में लगाया है और प्रदर्शनी के लिए 639 ग्राम का एक आम यहां लेकर पहुंचे थे जिसकी कीमत 1 लाख 82 हजार रू. है।

“मियाजाकी” की जाने क्या है खासियत

ये आम जापान में उगाया जाता है और यहां के शहर ‘मियाजाकी’ के नाम पर ही इसका नाम रखा गया है। राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उनके पास इस प्रजाती के दो पेड़ हैं और पहला फल वे रायपुर लेकर आए हैं। इस आम की खासियत यह है कि फल का जो हिस्सा सूर्य की रोशनी की ओर होता है, उसका स्वाद अलग और जिस हिस्से पर रोशनी नहीं पड़ती उसका स्वाद कुछ अलग होता है।

उन्होंने बताया कि कॉर्पोरेट कल्चर में बड़े व्यवसायी और उद्योगपति एक दूसरे को ये महंगा आम गिफ्ट करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रूपए प्रति किलो है। गुप्ता अपने साथ कैलिफोर्निया यूएसए, थाईलैंड, फिलीपींस, चाइना, और बांग्लादेशी प्रजाती के भी आम यहां प्रदर्शनी में लेकर पहुंचे हैं। पूरे विश्व में आमों की 1500 से 1600 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें 50 प्रतिशत भारत में ही मिलता है।

उद्यानीकी विभाग करा रहा है आयोजन

तीन दिवसीय इस मैंगो फेस्टिवल का आयोजन प्रकृति की ओर सोसाइटी और उद्यानीकी विभाग कर रहा है। आयोजन समिति के सचिव मोहन वर्ल्यानी ने बताया कि यहां छत्तीसगढ़ की विभिन्न किस्मों के आम और अहमदाबाद, लखनऊ, महाराष्ट्र, हैदराबाद, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों से से लगभग 200 वैरायटी के आमों का प्रदर्शन किया जा रहा है।

प्रदर्शनी दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक लगाई गई है। साथ ही आम लोगों के लिए लखनऊ से आए आम और आम के पौधे दोनों बेचने के लिए उपलब्ध रहें। इस आयोजन में आमों से बने स्वादिष्ट व्यंजन ,बच्चों के लिए स्पेशल फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता और युवाओं के लिए सिंगिंग कॉम्पिटिशन का भी आयोजन किया गया।

सोमवार, 12 जून 2023

डार्क लिप्स को पिंक बनाएं, जानिए टिप्स

डार्क लिप्स को पिंक बनाएं, जानिए टिप्स

सरस्वती उपाध्याय 

हर कोई सुंदर दिखने के लिए क्या कुछ नहीं करता। कोई घरेलू नुस्खे अपनाता है, तो कोई पार्लर जाने का शौक रखता है या कह सकते तरह-तहर की क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। चेहरे को सुंदर बनाने के लिए ज्यादातर लोग होंठ का भी खास ख्याल रखते हैं। काले होंठ हो जाने पर टेंशन ले लेते हैं। आज हम आपके लिए काले होंठों को कैसे गुलाबी बनाए, जिससे लोग देखते ही रह जाएं, तो इसी के लिए आज  टिप्स बताने जा रहे हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देने वाले हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने डार्क लिप्स को पिंक बना सकते हैं।

ऐसे बनाएं डार्क होंठों को पिंक...ये घरेलू नुस्खे
सिगरेट, चाय और कॉफी के सेवन से अक्सर होंठों का रंग काला पड़ने लगता है। होंठों के कालेपन को दूर करने का घरेलू उपाय हम आपको बताने वाले हैं।

चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में होंठों का अहम रोल होता है लेकिन कुछ लोग अपने होंठों के कालेपन से परेशान रहते हैं और इन्हें पिंक यानी गुलाबी बनाने के उपाय खोजते रहते हैं। कुछ घरेलू नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर होंठों का गुलाबीपन वापस लाया जा सकता है। होंठों के काले यानी डार्क होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सिगरेट का पीना से लेकर खराब लाइफस्टाइल और पानी की कमी तक शामिल है। यहां हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देने वाले हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने डार्क लिप्स को पिंक बना सकते हैं।

होठों का कालापन ऐसे करें दूर...

चीनी का स्क्रब...
चीनी में शहद मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और इस पेस्ट से अपने होंठों की हल्के हाथों से 2 मिनट तक मसाज करें। इसके बाद इसे पानी से धो लें। चीनी के इस स्क्रब से होंठों के ऊपर जमीं मृत कोशिकाएं हट जाएंगी, जिसके बाद आपके होंठ गुलाबी दिखने लगेंगे। इस स्क्रब को आप हफ्ते में 2 बार करें।

नींबू के रस का करें इस्तेमाल...
होंठों की रंगत निखारने के लिए नींबू के रस का इस्तेमाल करना सही रहता है। होंठों पर नींबू का रस प्राकृतिक ब्लीचिंग एजेंट का काम करता है और कालेपन को दूर करता है। नींबू के रस को शहद के साथ मिलाकर होंठों पर 20 मिनट के लिए लगाएं। ऐसा हफ्ते में 3 से 4 बार करें आपके होंठ पिंक दिखने लगेंगे।

होंठ पर लगाएं खीरे का जूस...
होंठों को प्राकृतिक गुलाबी बनाने के लिए खीरे के रस को बेसन में शहद के साथ मिलाकर लगाएं। इस पेस्ट को 20 मिनट तक होंठों पर लगा रहने दें और फिर मसाज करते हुए साफ कर लें। 

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