समसामयिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
समसामयिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

महिला ने 46 साल छोटे लड़के से ब्याह रचाया

महिला ने 46 साल छोटे लड़के से ब्याह रचाया 
सरस्वती उपाध्याय 
प्यार अंधा होता है, क्योंकि प्यार में इंसान जाति, धर्म, समुदाय, उम्र, रंग भी नहीं देखता। पर क्या वो इतना अंधा होता है कि अपने पोते की उम्र के लड़के से किसी को प्यार हो जाए! कुछ दिनों पहले एक ब्रिटिश महिला काफी चर्चा में रही थी क्योंकि उसने अपने से 46 साल छोटे लड़के से शादी कर ली थी। दोनों को देखकर लोग उन्हें दादी और पोता समझ लेते थे। दोनों ने एक खास कारण से शादी की थी पर अब उनका तलाक हो चुका है और महिला ने अब एक बिल्ली को अपने सुख-दुख का साथी बना लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार 83 साल की आयरिस जोन्स ब्रिटेन की रहने वाली हैं। साल 2019 में फेसबुक के जरिए उनकी मुलाकात मिस्र के रहने वाले मोहम्मद इब्राहिम से हुई थी। उस वक्त आयरिस 79 साल की थी जबकि मोहम्मद 33 साल का था। दोनों ने एक दूसरे से बातें करना शुरू किया और उन्हें एक दूसरे का स्वभाव अच्छा लगने लगा। बस उसके अगले ही साल उन्होंने शादी कर ली। इस प्रकार मोहम्मद को ब्रिटेन आने का वीजा भी मिल गया।
आयरिस ने बात करते हुए कहा कि शुरुआत में सब कुछ अच्छा था। उनकी निजी जिंदगी रोमांच से भरी थी। दोनों के बीच काफी रोमांस था और इसी वजह से आयरिस ने शादी भी की थी। पर एक वक्त ऐसा आया कि दोनों के बीच झगड़े होने लगे। लड़ाई इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उन्होंने पति से तलाक लेने का फैसला कर लिया। अब 37 साल के मोहम्मद, आयरिस से अलग हो चुके हैं।
आयरिस अब एक बिल्ली के साथ रहती है जिसका नाम मिस्टर टिब्स है। फेसबुक पर आयरिस अक्सर बिल्ली से जुड़ी फोटोज को पोस्ट करती रहती हैं। इसी बिल्ली के जरिए वो अपने पूर्व पति पर व्यंग भी करती हैं।

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

कपड़ों से आ रही है बदबू, अपनाएं ये टिप्स

कपड़ों से आ रही है बदबू, अपनाएं ये टिप्स 

सरस्वती उपाध्याय 

बारिश के मौसम में हम अक्सर अपने कपड़े धोते हैं, लेकिन मौसम की नमी के कारण कपड़े ठीक से नहीं सूखते हैं। अगर कपड़े ठीक से न सुखाए जाएं तो उनमें से बदबू आने लगती है, जिसके बाद वे उन्हें पहनना पसंद नहीं करते हैं।

दरअसल, कपड़े ठीक से धूप के संपर्क में न आने के कारण उन पर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिसके बाद कपड़ों से बदबू आने लगती है। उन बदबूदार कपड़ों को पहनने से आप बीमार भी पड़ सकते हैं।

कई बार मानसून में हम कपड़ों को अच्छे से झाड़कर सुखा लेते हैं, इसके बाद भी कपड़ों से बदबू आने लगती है। ऐसे में कपड़ों को इस्त्री करना चाहिए। दरअसल, इस्त्री करने से गीले कपड़ों पर मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिसके बाद कपड़े पूरी तरह से गंध मुक्त हो जाते हैं। इस्त्री करने से कपड़ों से चिपचिपाहट भी दूर हो जाती है।

बरसात के मौसम में कपड़ों को धोने के लिए अच्छी तरह के डिटर्जेंट पाउडर का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें अच्छी सुगंध आती हो। जब हम अच्छी सुगंध वाली डिटर्जेंट से कपड़ों को धोकर सुखाते हैं तो सूखने के बाद भी कपड़ों से अच्छी खुशबू आती रहती है। ऐसे में गीले कपड़े को कमरे में लगे पंखे के नीचे सुखा कर भी चिपचिपाहट को दूर किया जा सकता है।

कभी-कभी धुले हुए कपड़ो के लंबे समय तक गीला रह जाने के कारण बदबू आने लगती है।बरसात के मौसम में अक्सर बिजली भी नहीं रहती है तो आयरन करना भी संभव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में कपड़े को सूखने के बाद कपूर की गोलियों के साथ लपेट कर रख देना चाहिए। कपूर की गोलियों में काफी तेज खुशबू होती है, जो कपड़ों में मिल जाती है, जिसके बाद कपड़ा का दुर्गंध अपने आप खत्म हो जाता है।

यदि आपके घर में एडवांस फीचर वाला वॉशिंग मशीन है तो बरसात के मौसम में वाशिंग मशीन में लगे ड्रायर से कपड़ा को बहुत ही अच्छे तरीके से सुखा सकते हैं।वाशिंग मशीन के ड्राई से सुखाने के बाद कपड़े को पंखे के नीचे सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए।इस तरीका को अपनाकर भी आप अपने कपड़े से बदबू को खत्म कर सकते हैं।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

बरसात के दिन    'समसामयिक'

बरसात के दिन    'समसामयिक'

जल अनेक अर्थों में जीवनदाता होता है, इसलिए कहा गया है कि 'जल ही जीवन' है। मनुष्य ही नहीं, जल का उपयोग सभी सजीव जीव-जंतु व प्राणियों के लिए अनिवार्य होता है। पेड़-पौधे एवं वनस्पति जगत के साथ अन्य सभी सजीव संरचना के लिए जल आवश्यक होता है। यह उन पांच तत्वों में से एक है जिससे हमारे शरीर की रचना हुई है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं। 

किंतु आज कई बड़े शहरों में जल निकासी न होने के कारण एकत्रित जल प्रदूषण का संवाहक बन जाता है। उसमें रोगाणु उत्पन्न होकर अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं। जनपद गाजियाबाद स्थित उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका परिषद लोनी में जल निकासी ना होने के कारण बरसात के दिनों में जरा सी बरसात होते ही नेशनल हाईवे, इंटर स्टेट हाईवे, सर्कुलर सड़कें और अंदर गलियों तक में जलजमाव हो गया है। अभी बरसात शुरू ही हुई है, जैसे-जैसे बरसात होती जाएगी, वैसे-वैसे यह प्रदूषित जल स्थानीय नागरिकों को अपनी चपेट में ले लेगा। जिसके कारण हजारों लोग असहनीय पीड़ा का दंश झेलने के लिए विवश होंगे। इन सब के पीछे हमारा स्थानीय जनप्रतिनिधि उत्तराधिकारी है। जनता को तरह-तरह से लूट-खसोटने के अलावा, जनहित में कोई भी ऐसा काम नहीं किया गया है। जिससे जनता को राहत प्रदान हो सकें। जबकि केंद्र व राज्य दोनों स्थानों पर एक ही राजनीतिक पार्टी की सरकार गठित हुई है। सांसद एवं विधायक दोनों जनप्रतिनिधियों का सत्ताधारी पार्टी से संबंध है। इसके बावजूद भी इस विकट समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया है। किसी सदन में इस समस्या के लिए किसी प्रतिनिधि ने आवाज ही नहीं उठाई है।

आपको बता दें विश्व भर में 80 प्रतिशत से अधिक बीमारियां प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रदूषित जल से ही होती है। 

हमारे यहां सड़कों पर, कच्ची गलियों में, खाली प्लाटों में और जो भी तराई क्षेत्र है। वहां बरसात का पानी एकत्रित हो जाता है। एकत्रित होकर जल प्रदूषित हो जाता है। उसमें जीवाणु, रोगाणु और विषाणु उत्पन्न हो जाते हैं। प्रदूषित जल के कारण हमें खुजली, खालिस, पीलिया, पोलियो, गैस्ट्रो, एन्टराइटिस, जुखाम, संक्रमण, यकृत शोध, चेचक अतिसार, पेचिस, मियादी बुखार, अति ज्वर, हैजा, खांसी और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां उत्पन्न होती है। क्योंकि जल के अंदर नाइट्रेट, सल्फेट, बोरेट, कार्बोनेट, सिलियम, यूरेनियम, बोरान, बेरियम, मैगजीन आदि खनिज पदार्थ उत्पन्न रहते हैं।

राधेश्याम   'निर्भयपुत्र'

बुधवार, 5 जुलाई 2023

पार्टनर में ये लक्षण हैं, रिलेशनशिप खत्म करें  

पार्टनर में ये लक्षण हैं, रिलेशनशिप खत्म करें  

कविता गर्ग  

किसी भी रिश्ते में प्यार और भरोसा रहना बहुत जरूरी होता है। वहीं अगर रिलेशनशिप की बात करें तो उसमें तो ये दो चीजें बहुत मायने रखती हैं। प्यार और भरोसे की वजह से ही दो लोग एक दूसरे से सालों-साल तक बंधे रहते हैं। वहीं अगर इनमें से किसी भी एक चीज की कमी हो, तो रिश्ते को आगे बढ़ाना एक चुनौती समान लगता है। 

आजकल ये देखा जा रहा है कि मारपीट, लड़ाई-झगड़े, डाइवोर्स के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इसकी एक वजह ये है कि हम पार्टनर की कुछ आदतों को इग्नोर करते रहते हैं, जो आगे चलकर आपकी पूरी लाइफ पर प्रभाव डालती है तो इन्हें नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल न करें। तो चलिए आज हम आपको कुछ आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पार्टनर में नजर आएं, तो ब्रेकअप करने में जरा भी वक्त न लगाएं। 

पार्टनर की इन आदतों तो बिल्कुल भी न करें इग्नोर

बात-बात पर झूठ बोलना

रिलेशनशिप में भरोसा बहुत जरूरी है बल्कि यही रिश्ते की बुनियाद मानी जाती है, लेकिन अगर आपको महसूस होता है कि आपका पार्टनर आपसे बेवजह झूठ बोलता है और आपने कई बार उसे चीटिंग करते पकड़ा भी है, तो फिर रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोई वजह नहीं बाकी ये समझ लीजिए। छोटे-मोटे झूठ कब धोखे की बड़ी वजह बन जाते हैं, पता भी नहीं चलता। बेहतर होगा ऐसे रिलेशनशिप को वहीं खत्म कर दें।

एक्स के बारे में बातें करना

बता दें किसी के साथ रिलेशनशिप में रहना कोई गलत बात नहीं, लेकिन अगर अब वो आपके साथ हैं लेकिन फिर भी अपने एक्स को याद करते रहते हैं या उससे आपकी कंपेरिजन करते रहते हैं, तो इस आदत को भी सहन करने की जरूरत नहीं, क्योंकि आगे चलकर ये रिलेशनशिप को और ज्यादा खराब कर सकती हैं। ऐसे में बेहतर होगा ऐसे रिलेशनशिप से बाहर निकलें।

हर टाइम झगड़ा करना

क्या आपका पार्टनर भी हर छोटी बात को लड़ाई का मुद्दा बना लेता है, तो समझ जाएं कि वो इस रिलेशनशिप को आगे नहीं बढ़ाना चाहता और आपसे अलग होने के बहाने ढूंढ़ रहा है। हर वक्त होने वाले लडा़ई-झगड़े एक अलग ही तरह की मानसिक परेशानी देते हैं, जिसे लंबे वक्त तक झेलने के बजाय ऐसे व्यक्ति से दूरी बना लेने में ही समझदारी है।

मंगलवार, 27 जून 2023

रिश्तों की बुनियाद   'समसामयिक'

रिश्तों की बुनियाद   'समसामयिक'

यूं असर डाला है, मतलबी लोगों ने दुनियां पर।

हाल भी पूछो तो समझते हैं कुछ काम होगा ?

वक्त के आईने में हर तस्वीर अब धुंधली नजर आती है। लोगों के दिलों में चाहत कम, मुखालिफत का दौर चल रहा है। रिश्तों की बुनियाद दरक रही है, हर आदमी के हाथ से सम्बन्धों की रेत, जरा सा ठोकर लगी बेईंतहा तेजी से सरक रही है। चारों तरफ धुन्ध ही धुन्ध छाया है। उपर वाले की गजब माया है। आज दगाबाज निकल रहा हर हम साया है।बदलती ज़िन्दगी का हर लम्हा दर्द की सौगात देते गुजर रहा है। किसी ने सच कहा है कि इस मतलबी जहां में कोई नहीं अपना है। माया की मृगतृष्णा में मानव समाज, दौलत की प्यास में दर-दर भटक रहा है। उसी दौलत की चकाचौंध में सम्बन्धों का खून कर रहा है। जबकि उसको पता है साथ कुछ नहीं जायेगा? जिसके लिए सम्पूर्ण जीवन दर्द में रहकर, भाग-दौड करता रहा, पाई-पाई जोड़कर, तरक्की की बग्गी पर सवार हो कर, अपने भाग्य पर इतरा रहा था।

वही, जब आखरी सफर के कठिन राह में अकेला छोड़कर चला गया, तो पश्चाताप के आंसू सैलाब बनकर बहने लगे। दुनियां में जो कल तक तमाशाई थे, आज वही तमाशा बनकर निराशा के भंवर में सिसक-सिसक कर दम तोड रहे हैं। आधुनिक जमाने में अपनों की भक्ति तभी तक है, जब तक शरीर में शक्ति है। स्वार्थ की आशक्ति, उम्मीदों का सहारा पाकर जिन्दा है। यह भी सच है कि धन-दौलत चाहत विहीन इन्सान का जीवन भिखारी से भी बद्तर है। मगर रिश्तों की मर्यादा में रहकर सम्मान के साथ सर्वत्र व्याप्त निरंकार की सरपरस्ती के साथ धन-सम्पदा आहरण कर मानवता की राह पर चलते हुए इन्सानियत की आभा से ग्रसित होकर, संयमित जीवन में रहकर, महाप्रयाण तक का सफर जिसने पूरा किया, उसका परिवार भी सुखी रहा।

यह सच है कि सुख के लम्हे तक पहुंचते-पहुंचते हम उन लोगों से जुदा हो जाते हैं‌। जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख का स्वप्न देखा था। हम अपनो से परखे गयें कि गैरो की तरह। हमने लोगों को बदलते देखा है गुजरते मौसम की तरह। समय के साथ बदलती दुनिया में रिश्तों का मोल खत्म हो रहा है। जिंदगी में सब कुछ दोबारा मिल सकता है। लेकिन वक्त के साथ खोया हुआ रिश्ता और भरोसा दोबारा नहीं मिल सकता। आदमी समय की चक्की में पीस कर रह जाता है। कर भी क्या सकता है? अपनी बेबसी पर हंसता है, रोता है। फिर तन्हाई में जीवन भर के गुजरे लम्हों के यादों मे खोए भाव, शून्य होकर शिथिल पड़ जाता है। 

जिस घर को सजाने में जीवन का अनमोल समय गंवा दिया। वहीं पर अपमान का घूंट पीना मजबूरी बन जाती है। जो कभी सभी के लिए बेहद खास था, आज उसी का उपहास उड़ाया जा रहा है। किसी ने सच कहा है कि कुछ किरदारों से ही निकलती है वफादारी की महक, वक्त का मारा हर इन्सान बेईमान नहीं होता है।

तेजी से बदलते आधुनिक समाज में आज अपनत्व का घनत्व स्वयं के सूत्र पर आधारित हो गया, ममत्व का फार्मूला फेल है। यही तो नये जमाने का खेल है।ज़िन्दगी के सफर में ज्यों ही दोपहर का समय पार होता है, अपार अकुलाहट के साथ वियोग की धूप-छांव खेल करने लगती है। इक अदद वफ़ा की तलास मे यकीने दिल लुटा के आयें है। तुम इश्क-ए-समन्दर कहते हो हम प्यासे वहीं से आये है। आज हालात इसी दौर से गुजर रहे हैं।बदलाव की गंगा में उफान है। रिश्तों की मर्यादा खत्म हो रही है।आदमी बस जरूरत भर का सामान है। कभी फुर्सत में सोचना कि क्या पाया, क्या खोया? ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में दर्द भरी ज़िन्दगी को गंवाया है। दुनियां की इस सच्ची-झूठी रस्मों में हमने ना जाने  कितनी खुशियों को खोया है? सिर्फ अपनों के उज्जवल भविष्य के लिए। मगर आखरी डगर पर सिर्फ तन्हाई ही साथ रह गई।

जगदीश सिंह

मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

भीषण गर्मी में बेजुबान पक्षियों की सहायता

भीषण गर्मी में बेजुबान पक्षियों को बचाने के लिए सामाजिक संस्था का लगातार प्रयास जारी

जंहा भीषण गर्मी में लोगो को निकलना मुश्किल हो रहा है। वही सामाजिक संस्था के सदस्य तेज धूप मे बाहर निकल कर बेजुबान पक्षियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ दाना-पानी मुहिम के तहत पंछियों_के_सरंक्षण के लिए जीवन अर्पण सामाजिक सेवा संस्था द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों पर दाना पानी मुहिम चलाई गई। जिसके तहत सभी स्थानों पर पानी हेतु व अनाज रखा गया। इस पहल की मुख्य विशेषता यह होती है कि पंछियों के लिए रखा गया। यह उपकरण (#बर्ड_फीडर_सकोरा) पक्षियो की भूख और प्यास मिटाने में सहायता देता है,वही संस्था के द्वारा मिट्टी के सकोरे-बर्तन शहर के विभिन्न स्थानों(मुख्य चौराहा,धार्मिक स्थल,मार्किट,थाना,सोसाइटी,अपार्टमेंट) आदि पर रखे जा रहे हैं।

इसी के साथ संस्था के सदस्य निशु उपाध्याय ने बताया की एक मानव होने के नाते हम सभी का कर्तव्य है कि हम इस भीषण गर्मी में उन्हें राहत देते हुए अपने वातावरण हेतु पक्षियों का जीवन बचा सके एवं अपनी-अपनी छत, बॉलकोनी,आस-पास के चौराहों एवं अपने मुंडेरों पर इन पंछियों के लिए दाना-पानी से भरे बर्तन या सकोरे अवस्य रखें। ताकि, ये पंछी अपनी भूख-प्यास मिटाकर खुले आसमान में उड़ते, चहचहाते हमें ऐसे ही दिखाई दे सकें।

इस मौके पर-दीपान्शु शर्मा(संस्थापक),अनमोल सहगल,निशु उपाध्याय, लोकेश सिंह,तुषार गुप्ता,मनीष राणा,सुंदर गुर्जर,हैप्पी पंडित आदि मौजूद रहे।

गुरुवार, 23 जून 2022

शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा, हरियाली तीज

शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा, हरियाली तीज
सरस्वती उपाध्याय  
हरतालिका तीज का व्रत देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस साल 31 जुलाई के दिन हरियाली तीज मनाई जाएगी। हरियाली तीज  को तीजा के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत निराहार और निर्जल रहकर पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। यह व्रत एक बार शुरू कर देने पर इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है एवं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
हरियाली तीज व्रत का शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज  2022 की पूजा 31 जुलाई को प्रातः 6:30 से 8:33 के मध्य करना उत्तम है।
हरियाली तीज की प्रदोष पूजा के लिए सायंकाल 6:33 से रात्रि 8:51 तक शुभ मुहूर्त है।
व्रत रखने के नियम
जो महिलाएं पहली बार हरियाली तीज व्रत रखने की सोच रही हैं। वह एक बार यह व्रत शुरु करती हैं तो बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
अगर हरियाली तीज के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म हो जाए तो उन महिलाओं को दूर से ही भगवान की कथा सुननी चाहिए। भगवान को नहीं छूना चाहिए।
हरियाली तीज के दिन महिलाएं रात्रि में जागरण करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत में रात में सो जाता है। वह अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेता है।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

सरस्वती पूजा, ऋतुराज बसंत फूलों पर बाहर

सरस्वती पूजा, ऋतुराज बसंत फूलों पर बाहर


सरस्वती उपाध्याय             

प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का फूल मानो सोना चमकने लगता, जौंं और गेहूं की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर मांजर (बौर) आ जाता और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलिियां मँडराने लगतीं। भर-भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।  

बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल-पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी, शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां को इस दिन पीले रंग के वस्त्र, पीले पुष्प, गुलाल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती कमल पर विराजमान होकर हाथ में वीणा लेकर और पुस्तक धारण करके प्रकट हुई थीं।

तब से ही माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां शारदे की पूजा करने से मां प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। जिन भक्तों पर मां शारदे की कृपा बरसाती हैं। उन्हें कला, संगीत और शिक्षा के क्षेत्र में बेशुमार सफलता मिलती है। बसंत पंचमी के दिन मां को जल्दी प्रसन्न करने के लिए सरस्वती वंदना और सरस्वती मंत्रों का जाप अवश्य करें।

शनिवार, 13 नवंबर 2021

भाजपा विधायक गफलत में हैं, कटेगा टिकट

भाजपा विधायक गफलत में हैं, कटेगा टिकट 

अश्वनी उपाध्याय की विशेष रिपोर्ट 
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की दलगत तैयारियां अपने चरम पर पहुंच गई है। सत्तारूढ़ भाजपा के पर्यवेक्षकों के द्वारा जमीनी स्तर पर आवेदन प्रेषित करने वाले भावी प्रत्याशियों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है। प्रत्येक विधानसभा में वही भाजपा का प्रत्याशी होगा जो सर्वेक्षण में प्रथम स्थान प्राप्त करेगा। परंतु इस बात की पुष्टि कैसे होगी ? यह पार्टी के द्वारा प्रभार प्राप्त व्यक्ति अथवा गठित की गई समिति का अंतिम निर्णय होगा। इसी कारण वास्तविक उत्तराधिकारियों की उपेक्षा से गुरेज नहीं किया जा सकता है। यदि सर्वेक्षण में विकल्पों के अभाव को शामिल कर प्रबल दावेदारी के आधार पर सर्वेक्षण किया जाता हैं तो सेवा प्रदान करने वाले आवेदक को किसी भी रूप में उपेक्षा का शिकार नहीं बनना पड़ता। सबसे पहले प्रत्येक विधानसभा में जहां भी भाजपा विधायक है, वही सबसे प्रबल दावेदार है। लेकिन विचारधारा के विरुद्ध कार्यविधि और हीन कर्तव्यनिष्ठा के आधार पर कुछ विधायकों ने यह अधिकार खो दिया है। ऐसी स्थिति में अन्य विकल्पों का उपयोग ही शेष बचता है। किंतु इसके विपरीत अन्य किसी कारण के सर्वेक्षण में विधायक को विकल्प का स्थान ही नहीं दिया गया। ऐसी स्थिति में स्थापित किए गए विकल्पों के अलावा और कोई चारा ही नहीं बचता है।
यह बात पूरी तरह स्पष्ट की जाती है कि प्रदेश के कई वर्तमान विधायक गफलत में रह रहे हैं। पार्टी के द्वारा किए गए सर्वेक्षण में उन्हें समायोजित ही नहीं किया गया है। कई लोग इस बात से वाकिफ भी है और अन्य विकल्पों की खोज में लगे हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो अधिकार पूर्वक टिकट प्राप्त करने की उधेड़बुन में हैं। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इसकी पूरी जानकारी ही नहीं है।
करण कुछ भी रहा हो लोनी विधानसभा हमेशा सुर्खियों में रही है। पिछले कुछ दिनों से लोनी क्षेत्र वायु प्रदूषण के शीर्ष स्थान पर अपनी स्थिति कायम रखने में सफल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय इसके विरुद्ध पूरी सख्ती बरत रहा है। लेकिन प्रशासन इस पर नियंत्रण करने में असफल रहा है। विधायक व सांसद जनता की समस्या को राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं। लाखों 'परिवार' इस विकट समस्या के भंवर में फंसे हुए हैं। इसके बावजूद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कमजोर विपक्ष और भविष्य में 20 वर्षों तक शासन करने की योजना बना रहे हैं। पूर्ण बहुमत की ऐसी खोखली सरकार से उम्मीद लगाना मूर्खता ही है, जो अनदेखी और लापरवाही के साथ शासन कर रही है। सही मायने में इस बार भाजपा प्रत्याशी का अप्रत्यक्ष रूप से बहिष्कार कर देना चाहिए। बल्कि परिणाम ऐसे होने चाहिए जिसके कारण लालची नेताओं को स्वच्छ वातावरण में भी सांस लेना दुभर हो जाए।

शनिवार, 29 मई 2021

कांग्रेस और राहुल 'समसामयिक'

कॉंग्रेस और राहुल   'समसामयिक'
बैक फुट की जगह अब फ्रंट फुट पर दिखाई देने लगे !
 2014 के बाद 7 साल में यदि राजनीतिक परिपेक्ष में कॉन्ग्रेस और राहुल गांधी का राजनीतिक विश्लेषण करें तो, दोनों का ज्यादातर समय बैकफुट पर खेलते हुए दिखाई दिया। ऐसा भी नहीं था कि राहुल गांधी और कांग्रेस ठीक से नहीं खेलें। उन्होंने 7 सालों में कई बार चौके और छक्के भी मारे। लेकिन वह या तो रन आउट  होते हुए दिखाई दिए या फिर केंद्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार के नेताओं ने उन्हें कैच आउट कर दीया।
 नोटबंदी, जीएसटी, राफेल सौदा, भारत-चीन तनाव, समान नागरिकता बिल, तीन कृषि बिल जैसे मुद्दों को लेकर राहुल गांधी ने खूब चौके छक्के मारे। लेकिन वह या तो रन आउट हुए या फिर सरकार में बैठे नेताओं ने  कैच लपक कर आउट कर दिया।
लेकिन कोविड-19 एक ऐसा मैच बनकर आया, जिसमें राहुल गांधी खूब चौके छक्के मार रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा ना तो राहुल गांधी को रन आउट कर पा रही है और ना ही उनका कैच लपक पा रही है। बल्कि, भाजपा सरकार ही राहुल गांधी को जमकर खेलने का मौका दे रही है ? कोविड-19 के आगमन से लेकर अभी तक राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को कोरोना महामारी के  बढ़ते प्रकोप को लेकर निरंतर आगाहा करते आ रहे हैं और बीमारी से किस प्रकार से निपटा जाए इसके लिए वह सुझाव भी दे रहे हैं। मगर भाजपा सरकार में बैठे नेता ना केवल राहुल गांधी के सुझाव को दरकिनार कर रहे हैं। बल्कि राहुल गांधी का मजाक भी बनाते हुए दिखाई दिए। 
मौजूदा वक्त में राहुल गांधी अच्छी बैटिंग इसलिए भी कर रहे हैं। क्योंकि दूसरे छोर पर श्रीमती प्रियंका गांधी  राहुल गांधी का मजबूती के साथ खड़े होकर साथ दे रही हैं।
 राहुल गांधी रन आउट और कैच आउट इसलिए भी हो जाते थे क्योंकि नोटबंदी को यदि छोड़ दे तो, भाजपा सरकार ने अन्य जिन योजनाओं पर काम कर लागू किया है। वह योजनाएं कांग्रेस शासन के समय से अटकी पड़ी हुई थी। उन्हें भाजपा ने सत्ता में आकर लागू किया, जिसमें जीएसटी, एफडीआई, समान नागरिकता बिल, कृषि कानून, धारा 370 और राफेल विमान सौदा जैसे अनेक योजनाएं थी जो लंबित पड़ी हुई थी। जिन्हें भाजपा ने सत्ता में आकर लागू किया।
जब कॉन्ग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी इन योजनाओं का विरोध करते थे या हैं तो भाजपा के नेता इन योजनाओं को कांग्रेस शासन काल की लंबित योजनाएं बताकर कांग्रेस और राहुल गांधी को चुप करा दिया करते थे। और कांग्रेस बैकफुट पर आ जाया करती है। लेकिन कोरोना महामारी ने कांग्रेस और राहुल गांधी को फ्रंट फुट पर खेलने का मौका दे दिया है। भाजपा के नेताओं के पास इसका तोड़ अभी तक नजर नहीं आ रहा है। जबकि कांग्रेस के पास कहने के लिए और भाजपा सरकार का विरोध करने के लिए बहुत कुछ है। क्योंकि देश में आजादी के बाद बीमारियां और महामारी पहले भी आए हैं। तब सीमित संसाधन और सीमित धन होने के बाद भी कांग्रेस सरकार ने बीमारियों और महामारियो का जमकर मुकाबला किया और जनता को मुफ्त में दवाइयां और मुफ्त टी के भी लगवाए थे।
 28 मई शुक्रवार को राहुल गांधी ने एक बार फिर से प्रेस वार्ता की और सरकार को सुझाव देकर घेरा भी, लेकिन पूर्व की तरह शुक्रवार को भी भाजापा के बड़े नेता राहुल गांधी की काट के लिए पत्रकारों के सामने आए।
कोविड-19 में राहुल गांधी के द्वारा भाजपा सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दे और सरकार को दिए गए सुझाव इस समय जनता के दिलों दिमाग में छा गए हैं। जनता को लगने लगा है कि राहुल गांधी ठीक कह रहे हैं। लेकिन सरकार मान नहीं रही है, भाजपा के रणनीतिकार ही क्या राहुल गांधी को राजनीतिक ताकत दे रहे हैं। यह बड़ा सवाल है ? राहुल गांधी इस समय पूर्ण कालीन राजनीति भी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जबकि उन पर पहले आरोप लगता था कि राहुल गांधी अवसर देखकर राजनीति करते हैं। क्योंकि राहुल गांधी कई मौकों पर देश से नदारद हो जाते थे।
 देवेंद्र यादव 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

किसान: खेत से सड़क पर आ गए

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

पिछले 6 से 7 सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून को वापस लो। सरकार भी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर कानून वापसी की बात छोड़कर हर बात मानने तैयार है। लेकिन पेंच फंस गया इसी बात पर । आखिर में सुप्रीमकोर्ट को दखल देना पड़ा,चार सदस्यों की कमेटी को कानून की समीक्षा करने को कहा। इससे किसान भड़क गए एवं वे चार सदस्यों की निष्पक्षता पर ही सवाल उठाने लगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दिल्ली बार्डर में सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों की संख्या को देखकर ये अंदाजा न लगाया जाए कि कानून से केवल इन्हें तकलीफ है, जबकि वास्तविकता ये है कि इससे पूरे देश के किसान चिंता जाहिर कर चुके है। अब सरकार को हठ छोड़कर इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर उनके हक में फैसला देना चाहिए।

बाबा भारती की याद आ गई:- पिछले दिनों बाबा भारती और डाकू खड़कसिंह की याद ताजा हो गई। दरअसल हुआ ये कि लिफ्ट मांग कर दो युवकों ने तीसरे युवक की बाइक और मोबाइल छीन कर भाग गए। ये तो नेकी कर और जूते खा वाली बात हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि वो बात अलग थी कि बाबा भारती ने डाकू खड़कसिंह से कहा कि इस घटना की जिक्र कही भी मत करना वर्ना भरोसा उठ जाएगा। यहां बाबा भारती की जगह पुलिस है क्या एक्शन होगा जनता को मालूम है।

बघेल जी को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं:- पिछले दिनों छग के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है, और कोरोना की रामबाण दवा है चापड़ा चटनी। उन्होंने बताया कि ये कोई जनप्रतिनिधि या मैं नहीं बल्कि उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा है। लखमा ने कहा कि बस्तर में लाल चीटी का चापड़ा चटनी चाव से खाया जाता है। यही वजह है कि बस्तर में कोरोना नहीं फैला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर दौरे पर थे और लोग जानना चाहते है कि लखमा ने भूपेश बघेल को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं। लोगों ने यह सुझाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चापड़ा चटनी सेंटर भी खोल दिया जाए।

कांग्रेसी जासूसी भी करते हैं :- बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय 100 क्विंटल धान बेचे हैं, और उनके खाते में एक लाख 86 हजार रुपए आ गए हैं। ऐसी जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता ने दी है। कांग्रेसी राजनीति के साथ-साथ अब भाजपाइयों की जासूसी भी करने लग गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसियों की राजनीति नहीं चलने पर कम से कम देश के खुफिया विभाग में सेवा तो ली जा सकती है।

तंज कसना भारी पड़ गया:- पिछले दिनों भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिन्ह बना दिया जाये। अब केंद्र सरकार द्वारा गोबर के पेंट की लांचिंग पर भूपेश बघेल गदगद हैं और विधायक जी को बोल रहे हैं कि गोबर उन्हीं के मुँह पर पड़ा। जनता में खुसुर फुसुर है कि धान से एथेनॉल बनाने का प्रोजेक्ट हो या गोबर खरीदी योजना दोनों छत्तीसगढ़ का प्रोजेक्ट है। ख़ुशी की बात है कि चलिए केंद्र ने यहाँ की योजनाओं का अनुसरण कर छत्तीसगढिय़ो का मान तो बढ़ाया।

छजकां की सत्ता में आदिवासी मुख्यमंत्री:- पिछले दिनों जनता कांग्रेस के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी का बयान आया कि छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की सत्ता आएगी तो मुख्यमंत्री आदिवासी ही होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छजकां अगर सत्ता में आई तो आदिवासी मुख्यमंत्री नकली आदिवासी बनेगा या असली आदिवासी बनेगा, ये भी बताते जाएं। बहरहाल सत्ता तो दूर है कम से कम छजकां के मुख्य पदों पर ही आदिवासियों को बैठाकर शुरूआत तो कीजिए, पूछती है जनता।

लगता है जनता नासमझ है:- कांग्रेसी किसानों के लिए धरना प्रदर्शन कर भाजपा और केंद्र सरकार पर किसानों की हालात को लकेर दोष मढ़ रही है, दूसरी तरफ भाजपाई भी किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन कर रहे है। कांग्रेस वाले बोल रहे हैं केंद्र सरकार बारदाना दे ,भाजपाई बोल रहे हैं भूपेश सरकार बारदाना दे , समझ में नहीं आ रहा कि बारदाना आखिर है कहाँ। जनता में खुसुर-फुसर है कि समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है। लगता है जनता को नेता लोग ना समझ मान लिए है।

एससी ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई

एससी ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कड़ी फटकार लग...