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रविवार, 7 अप्रैल 2024

54 साल बाद पूर्ण सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा

54 साल बाद पूर्ण सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा 

सरस्वती उपाध्याय 
आज साल का पहला सूर्य ग्रहण सोमवती अमावस्या के दिन लग रहा है। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण  है, जो करीब 54 साल बाद लग रहा है। इससे पहले ऐसा सूर्य ग्रहण 1971 में दिखाई दिया था। सोमवती अमावस्या पर दान-स्नान का विशेष महत्व होता है‌ ऐसे में लोग चिंतित हैं कि सूर्य ग्रहण के चलते वो सोमवती अमावस्या पर दान और स्नान कैसे करेंगे। आइए जानते हैं कि यह सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को कितने बजे लगेगा? इस सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य होगा या नहीं, और सूर्य ग्रहण व सोमवती अमावस्या के संयोग में कौन से उपाय आपको लाभ दे सकते हैं?
कितने बजे लगेगा सूर्य ग्रहण? 
भारतीय समयानुसार, साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा। सूर्य ग्रहण का समापन रात 02 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस सूर्य ग्रहण की अवधि 5 घंटे 10 मिनट होगी।

क्या भारत में लगेगा सूतक काल?
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में पूजा-पाठ की मनाही होती है। लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है, जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान हो। चूंकि साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी लागू नहीं होगा।

शनिवार, 6 अप्रैल 2024

सूर्य ग्रहण आने से पहले सूरज में शांति देखी

सूर्य ग्रहण आने से पहले सूरज में शांति देखी

अखिलेश पांडेय 
8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा में दिखेगा। इस सूर्य ग्रहण का इंतजार आम लोगों के साथ साथ वैज्ञानिकों को भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्ण सूर्य ग्रह के दौरान सूर्य का कोराना देखा जा सकता है। कोरोना को सूर्य के वायुमंडल की तरह समझ लीजिए। क्योंकि इस समय सूर्य अपने 11 वर्षों के चक्र के चरम पर हैं। इसलिए उसमें ज्यादा गतिविधि देखी जा रही है। लेकिन सूर्य ग्रहण आने से ठीक पहले वैज्ञानिकों ने अचानक से सूरज में शांति देखी है।
सूर्य ग्रहण के दौरान एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। इसे समग्रता कहते हैं जो कुछ मिनटों का होता है। इस दौरान सूर्य का कोई भी प्रकाश हमें नहीं दिखता है। लेकिन चंद्रमा के ठीक पीछे हमें सूर्य का वायुमंडल यानी उसका कोरोना दिखाई देता है। लेकिन अचानक अप्रत्याशित तरीके से सूर्य में शांति देखी गई है। कुछ दिनों पहले ही सौर गतिविधि बहुत ज्यादा देखी जा रही थी। इस कारण उम्मीद की जा रही थी कि समग्रता के दौरान सूर्य से निकलने वाले तूफान और भी विशाल होंगे, जिन्हें देखा जा सकेगा।
लेटेस्ट अंतरिक्ष मौसम पूर्वामुमान के मुताबिक जितने विशाल और ऊर्जा वाले कोरोना की उम्मीद थी अब वह असंभव लगता है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि समग्रता के पथ पर यह किसी भी अन्य सूर्य ग्रहण की तुलना में अधिक प्रभावशाली दिखना चाहिए। सौर चक्र 11 वर्षों का होता है। इस चक्र के दौरान सौर गतिविधियां कम से ज्यादा की ओर जाती हैं और फिर कम होती हैं। ऐसे ही यह चक्र चलता रहता है। इस समय सूर्य अपनी गतिविधि के चरम पर है, जिसे सोलर मैक्सिमम कहते हैं। सौर गतिविधियों के चरम पर होने से काले सनस्पॉट सूर्य की सतह पर फैल जाते हैं। इनमें से अक्सर शक्तिशाली तूफान निकलते हैं।
सूर्य को अचानक क्या हुआएक्सपर्ट्स का मानना है कि सोलर मैक्सिमम का चरण पूर्वानुमान से एक साल पहले ही शुरू हो चुका है। लेकिन जब तक यह पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब तक हम कुछ नहीं कह सकते। पिछले दो महीनों से सौर गतिविधियां बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थीं। सूर्य पर विशाल सनस्पॉट थे जो लगातार एक्स श्रेणी की सौर लपटें निकाल रहे थे, जो सबसे शक्तिशाली सौर विस्फोट होते हैं। 23 मार्च को प्लाज्मा और रेडिएशन का एक बादल पृथ्वी से टकराया, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है। यह पृथ्वी पर छह साल का सबसे बड़ा सौर तूफान था। लेकिन अब सूर्य में पृथ्वी की ओर कुछ ही एक्टिव सनस्पॉट हैं। यह भी बहुत छोटे हैं। इसमें से ग्रहण के दौरान बेहद कम सौर ज्वाला निकलने की संभावना है।

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

6 अप्रैल को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे 'शनि'

6 अप्रैल को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे 'शनि'

सरस्वती उपाध्याय 
न्याय देव शनि का नक्षत्र परिवर्तन होने वाला है। शनि 6 अप्रैल को दोपहर करीब 03.55 बजे पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे।
ज्योतिषविदों की मानें तो शनि का यह नक्षत्र परिवर्तन 3 राशियों को लाभ देगा। इन राशियों को धन, कारोबार, करियर और स्वास्थ्य के मोर्चे पर लाभ होगा।
कन्या- शनि आपके छठे भाव में गोचर कर रहे हैं। आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होगी।
नौकरी करने वाले जातकों को कार्यक्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे‌। सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होगी‌। वाहन, घर, मकान या प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं।
वृश्चिक- यह नक्षत्र परिवर्तन आपके चौथे भाव में होने जा रहा है। ऐसे में, आपको भौतिक सुख प्राप्त होंगे। करियर में सफलता के नए अवसर मिलेंगे।
वाहन या प्रापर्टी खरीदने के योग प्रबल हैं। शादीशुदा लोगों का दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहेगा। आपको जल्द कोई शुभ समाचार मिल सकता है।
कुंभ- यह गोचर आपके लग्न भाव में होने जा रहा है‌। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। आय को बढ़ाने का काम करेंगे। मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
आपका वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा। भविष्य की लिए की जा रही योजनाएं सफल होंगी। पढ़ाई-लिखाई में बच्चों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा।

रविवार, 18 फ़रवरी 2024

ज्योतिष: होली के दिन लगेगा पहला 'चंद्र ग्रहण'

ज्योतिष: होली के दिन लगेगा पहला 'चंद्र ग्रहण'

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। इस साल होली के दिन साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। होली 25 मार्च, 2024 सोमवार को है। वैसे तो ग्रहण एकमात्र  खगोलीय घटना है, लेकिन इसे धार्मिक मान्यताओं में शुभ नहीं माना जाता है।
ग्रहण के समय चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे। जहां पर पहले से ही केतु ग्रह विराजमान होंगे। इस दिन दोनों ग्रह की युति भी हो रही है। साल के पहले चंद्र ग्रहण का असर हर राशि पर देखने को मिलेगा। तो आइए जानें कि, चंद्र ग्रहण का असर किन राशियों के लिए शुभ होगा।

मिथुन राशि
साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण मिथुन राशि वालों के लिए बहुत शुभ रहने वाला है। बिजनेस कर रहे लोगों को काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ सकता है। व्यापार कर रहे लोगों को धन लाभ होने की संभावना है। छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा सकते हैं। लव लाइफ में रोमांस की बहार छाई रहेगी। घर में किसी विदेशी मेहमान का आगमन हो सकता है।

सिंह राशि
चंद्र ग्रहण का असर सिंह राशि वालों के लिए अनुकूल रहने वाला है। नौकरी पेशा लोगों को प्रमोशन मिलने की संभावना है। परिवार के साथ किसी रिश्तेदार के घर जाने का प्लान बनाएंगे। छात्रों को पढ़ाई में सीनियर्स का पूरा सहयोग भी मिलेगा। लव लाइफ में प्यार के फूल खिलते हुए नजर आएंगे। माता की सेहत में पहले से सुधार होता हुआ नजर आएगा।

मकर राशि  
मकर राशि के जातकों के लिए साल का पहला चंद्र ग्रहण बहुत उत्तम रहने वाला है। उद्योग से जुड़े लोगों को बड़ा मुनाफा होगा। भाई के साथ मिलकर कोई नया काम शुरू कर सकते हैं। परिवार के साथ हंसी-खुशी समय व्यतीत करने का मौका मिलेगा। शादीशुदा लोग घर वालों के साथ कोई खुशखबरी शेयर कर सकते हैं। सेहत को लेकर लापरवाही न करें।

कन्या राशि  
कन्या राशि के जातकों के लिए साल का पहला चंद्र ग्रहण मिलाजुला रहने वाला है। कारोबार में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। कोर्ट-कचहरी के मामले में फैसला आपके पक्ष में रहेगा। किसी को उधार देने से पहले एक बार सोच-विचार कर लें, नहीं तो पछताना पड़ सकता है। माता के साथ किसी दोस्त के घर जाने का प्लान बनाएंगे।

वृश्चिक राशि
साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बेहतर रहने वाला है। लंबे समय से सोचे हुए काम पूरे हो सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे लोगों को मनचाही सफलता मिलेगी। इस राशि के युवा अपने करियर को लेकर अहम फैसला लेंगे। परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का प्रोग्राम बना सकते हैं।  

धनु राशि
चंद्र ग्रहण का असर धनु राशि वालों के लिए सामान्य रहने वाला है। इस राशि के छात्रों को अपनी मेहनत के अच्छे परिणाम हासिल होंगे। परिवार के साथ रिश्तों में मधुरता बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में आपको मान-सम्मान, सरकारी काम को पूरा करने के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति की मदद लेनी पड़ सकती है। लवमेट रोमांस को बनाएं रखने के लिए डिनर डेट पर जाएंगे।

सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

8 अप्रैल को लगेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण: नासा

8 अप्रैल को लगेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण: नासा

सरस्वती उपाध्याय 
8 अप्रैल को लगने वाले सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास होने वाला है। नासा के अनुसार यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और देखा जाए तो साल 2017 के बाद यह लंबी एस्टोनोमिकल इंवेट होगी। अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के कुछ इलाकों में इस साल पूर्ण सूर्य ग्रहण नजर दिखाई देगा। अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के कुछ इलाकों में इस साल पूर्ण सूर्य ग्रहण का ऐसा नजारा होगा, कि सूर्य ग्रहण के समय लोगों को दिन में रात लगेगी और यह समय का काफी लंबा होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि सबसे पहले यह मेक्सिको के प्रशांत तट पर सुबह 11 बजकर 7 मिनट पर दिखेगा। चांद पूरी तरह से सूरज को ढंक लेगा, तो दिन में रात जैसा नजारा होगा। अमेरिका के 13 राज्यों में यह पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा। पूरे उत्तरी अमेरिका में आंशिक सूर्य ग्रहण नजर आएगा। इसका अधिकतम समय 4 मिनट 28 सेकंड का होगा। इसके बाद सूर्य का कुछ भाग धीरे-धीरे नजर आने लगेगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका में और टेक्सास में चंद्रमा की छाया उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने पर  यह मिसौरी, इलिनोइस, केंटुकी, इंडियाना, ओहियो, पेंसिल्वेनिया, न्यूयॉर्क, वर्मोंट और न्यू हैम्पशायर से होकर गुजरेगा । ग्रहण कनाडा के समुद्री प्रांतों में जाने से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में 15:35 से होकर गुजरेगा। महान अमेरिकी ग्रहण के अनुसार, सबसे लंबी अवधि टॉरियोन, मैक्सिको के पास 4 मिनट और 27 सेकंड की होगी, जो 2017 की तुलना में लगभग दोगुनी है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण 2024 कैसे देखें
पूर्ण सूर्य ग्रहण देखते समय आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसे देखने से पहले खास विशेष सौर फिल्टर आदि के साथ ही देखना चाहिए। बिना दूरबीन, दूरबीन या कैमरा लेंस के माध्यम से चमकदार सूरज के किसी भी हिस्से को देखने से आंखों की गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

रविवार, 22 अक्तूबर 2023

28 अक्तूबर को लगेगा साल का अंतिम 'चंद्रग्रहण'

28 अक्तूबर को लगेगा साल का अंतिम 'चंद्रग्रहण' 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। साल का अंतिम चंद्रग्रहण 28 अक्तूबर को लगेगा। यह देर रात 1:05 से 2:24 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दिन शाम 4:06 बजे चंद्रोदय हो जाएगा। बरेली के ज्योतिर्विद डॉ. सौरभ शंखधर ने बताया कि चंद्रग्रहण का सूतक शाम 4:05 बजे से आरंभ हो जाएगा।
घर में मंत्र जपने से एक गुना, किसी मंदिर में जपने से 10 गुना, तीर्थ स्थान या किसी नदी के किनारे जपने से 100 गुना और ग्रहण काल में मंत्र जपने से उसका हजार गुना फल मिलता है। ग्रहण काल में मंत्रोच्चार के लिए माला की भी आवश्यकता नहीं होती। बिना माला के भी मंत्रों को सिद्ध किया जा सकता है और मंत्रों की शक्ति के आधार पर धन, वैभव और अपार संपदा प्राप्त की जा सकती है। जब तक जप चलता रहे, देसी घी का दिया जलाकर रखें। 
मेष, कर्क, वृश्चिक, मीन राशि के लिए नेष्ट, वृष, कन्या, कुंभ राशि के लिए मध्यम, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, मकर राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ होगा।
सूतक काल में स्नान, दान, पुण्य कार्य, हवन और भगवान की मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस समय आप गुरु मंत्र, राहु और चंद्रमा के मंत्रों का जप कर सकते हैं। हालांकि, सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चे, वृद्धजन भोजन कर सकते हैं। उन्हें दोष नहीं लगेगा। सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते या कुश डाल दें।
जिस दिन चंद्रग्रहण लगेगा, उसी दिन शरद पूर्णिमा है। किसी भी भोजन पात्र में तुलसी दल रख दिया जाए तो उस पर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता। ऐसे में खीर में तुलसी दल या कुश रखने से ये दोष प्रभावी नहीं होगा। ग्रहण शुरू होने से पहले रात आठ बजे खीर को खुले आसमान के नीचे रख दें और फिर ग्रहण लगने से पहले ही उसे हटा लें।

सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

14 को दूसरा सूर्य ग्रहण, शनि का नक्षत्र परिवर्तन

14 को दूसरा सूर्य ग्रहण, शनि का नक्षत्र परिवर्तन 

सरस्वती उपाध्याय 
14 अक्टूबर को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है और इसके ठीक अगले दिन यानी 15 अक्टूबर को शनि का नक्षत्र परिवर्तन होगा।
15 अक्टूबर को शनि देव धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। सूर्य ग्रहण के बाद शनि के इस नक्षत्र परिवर्तन को तीन राशियों के लिए शुभ माना जा रहा है।

कर्क- शनि के नक्षत्र परिवर्तन को कर्क राशि के जातकों के लिए अशुभ माना जा रहा है‌। इस राशि वालों को संभलकर रहने की सलाह दी गई है।

कर्क राशि के जातकों को धन, संपत्ति का नुकसान हो सकता है।आर्थिक मोर्चे पर जल्दबाजी में कोई फैसला न करें।

कन्या- शनि के नक्षत्र परिवर्तन से पहले सूर्य ग्रहण इसी राशि में लगेगा। करियर, आर्थिक और सेहत के मामले में लापरवाही न दिखाएं। नौकरी-व्यापारी में दिक्कतें आ सकती हैं। रुपये-पैसे का नुकसान हो सकता है। घरेलू कलह मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।

धनु- धनु राशि वाले ठगी का शिकार हो सकते हैं। लंबी यात्राओं पर जाने से बचें। वाद-विवाद में पड़ने से नुकसान उठाएंगे।

मीन- आय के स्रोत प्रभावित हो सकते हैं। रुपये-पैसे का लेन-देन बिल्कुल न करें। स्वास्थ्य गड़बड़ हो सकता है‌। पुराने रोग घेर सकते हैं‌।

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

प्रोटोटाइप ब्लूवॉकर 3 उपग्रह का प्रभाव, चिंता

प्रोटोटाइप ब्लूवॉकर 3 उपग्रह का प्रभाव, चिंता 

इकबाल अंसारी/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/लंदन। पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे बड़े उपग्रहों के समूहों ने खगोलविदों की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि ये रात के समय आकाश में तारों का अवलोकन की उनकी क्षमता को बाधित कर सकते हैं। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने नेचर पत्रिका में एक शोधपत्र प्रकाशित किया है, जिसमें खगोल विज्ञान पर प्रोटोटाइप ब्लूवॉकर 3 उपग्रह के प्रभाव का विवरण दिया गया है। इस टीम में इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

ब्लूवॉकर 3 एक प्रोटोटाइप उपग्रह है, जो इसका स्वामित्व रखने वाली कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल द्वारा नियोजित उपग्रह समूह का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दुनिया में कहीं भी मोबाइल या ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करना है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ब्लूवॉकर 3 के अवलोकन से पता चला है कि यह रात के आकाश में सबसे चमकदार वस्तुओं में से एक था, जिसकी चमक ने सभी चमकदार तारों की चमक को फीका कर दिया। दुनिया भर में कई कंपनियों ने ऐसे उपग्रह तारामंडल की परिकल्पना की है। 

पृथ्वी के करीब इनकी स्थिति और अपेक्षाकृत बड़े आकार के कारण, रात के समय आकाश के अवलोकन को बाधित करने की इनकी क्षमता अधिक है तथा यही कारण है कि खगोलविद इन नक्षत्रों, या उपग्रहों के समूहों के बारे में चिंता जता रहे हैं। इंपीरियल कॉलेज में भौतिकी विभाग के डेव क्लेमेंट्स ने कहा, "रात का आकाश एक अनोखी प्रयोगशाला है जो वैज्ञानिकों को ऐसे प्रयोग करने की अनुमति देता है जो स्थलीय प्रयोगशालाओं में नहीं किए जा सकते।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘प्राचीन समय का रात्रि आकाश भी मानवता की साझा सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे बड़े पैमाने पर समाज एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।’’ सितंबर 2022 में ब्लूवॉकर 3 के प्रक्षेपण के कुछ हफ्तों के भीतर किए गए अवलोकन से पता चला कि उपग्रह आकाश में सबसे चमकदार वस्तुओं में से एक था। 

खगोलविदों ने कहा कि उपग्रह तारामंडल दुनिया भर में संचार में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन खगोलीय अवलोकनों में इनका हस्तक्षेप ब्रह्मांड की समझ में वैज्ञानिकों की प्रगति को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है। उन्होंने अपने शोधपत्र में कहा कि इसलिए इन उपग्रह तारामंडल की तैनाती इनके दुष्प्रभावों पर उचित विचार करते हुए और खगोल विज्ञान पर इनके प्रभाव को कम करने के प्रयासों के साथ की जानी चाहिए। 

मंगलवार, 27 जून 2023

गुरु पूर्णिमा पर कई राशियों को मिलेगा लाभ

गुरु पूर्णिमा पर कई राशियों को मिलेगा लाभ

सरस्वती उपाध्याय

कहते है कि यदि कुंडली में गुरु उच्च और प्रबल स्थान पर हैं, तो हमें कार्यों में सफलता, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है और अगर गुरू पूर्णिमा पर गुरू की पूजा की जाए तो बड़ा फल प्राप्त होगा। खास बात ये है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, तभी से इस दिन गुरू पुर्णिमा मनाई जाती है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।  इस साल गुरू पूर्णिमा 3 जुलाई को पड़ रही है और इस दिन 3 बड़े संयोग भी बन रहे है, जिससे कई राशियों को लाभ मिलेगा।

एक साथ बनेंगे 3 योग

ज्योतिष के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा वाले दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग बन रहा है। इन शुभ योग में गुरुओं दीक्षा लेना शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और सफलता मिलेगी।ब्रह्म योग 02 जुलाई 2023 को रात 07.26 से 03 जुलाई 2023 दोपहर 03.45 रहेगा।इंद्र योग – 03 जुलाई 2023 से दोपहर 03.45 से 04 जुलाई 2023 सुबह 11.50 तक रहेगा। बुधादित्य योग भी बनेगा क्योकि 24 जून को बुध का मिथुन राशि में प्रवेश हो गया है, ऐसे में सूर्य पहले से ही मिथुन राशि में विराजमान हैं, ऐसे में इन ग्रहों की युति से बुधादित्य राजयोग बन रहा है।

गुरु पूर्णिमा तिथि 2023

हिंदू पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष 2 जुलाई को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। जिसका समापन 3 जुलाई को रात 11 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा का त्योहार 3 जुलाई को मनाया जाएगा।

मिथुन राशि : गुरू पूर्णिमा मिथुन राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहने वाली है। मिथुन राशि वालों को करियर में सफलता मिलेगी। बैंक बैलेंस बढ़ेगा। पारिवारिक समस्या से मुक्ति मिलेगी। आपको शुभ समाचार भी प्राप्त हो सकता है।

सिंह राशि : गुरू पूर्णिमा का दिन जातकों के लिए बेहद अच्छा रहने वाला है। सिंह राशि के जातकों को धन लाभ हो सकता है। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी। कार्यस्थल में शुभ समाचार मिलने की प्रबल संभावना है। नया काम शुरू करने के लिए अच्छा समय है।

शुक्रवार, 16 जून 2023

ज्योतिष: 139 दिनों तक उल्टी चाल चलेंगे 'शनिदेव'

ज्योतिष: 139 दिनों तक उल्टी चाल चलेंगे 'शनिदेव'

सरस्वती उपाध्याय 

30 साल के बाद यानी 3 दशक के बाद 3 राशियों की जिंदगी में गोल्डन टाइम शुरू होने जा रहा है। यह गोल्डन टाइम 17 जून 2023 से शुरू होकर 4 नवंबर 2023 तक रहेगा। शनिदेव 139 दिनों तक उल्टी चाल चलेंगे, जिसे ज्योतिष की भाषा में वक्री हो जाना कहते हैं। शनिदेव जब उल्टी चाल चलेंगे तो 3 राशियों, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और कुंभ राशि वालों की झोली भर देंगे।

शनि देव को हमारे ज्योतिष में और नवग्रहों में एक प्रमुख स्थान हासिल है। इन्हें न्याय का देवता और कर्म का कारक माना जाता है। शनिदेव एक ऐसे ग्रह हैं, जो हमारे कर्मों के मुताबिक हमें फल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिन पर उनकी क्रूर दृष्टि पड़ती है, उस व्यक्ति की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि हमारे इसी जीवन में शनि हमारे कर्मों के मुताबिक हमें फल देते हैं।

यही शनि देव 17 जून 2023 को रात 10:48 पर वक्री हो जाएंगे यानी उल्टी चाल चलने लगेंगे। 139 दिन उल्टी चाल चलने के बाद शनि देव इसी साल 4 नवंबर 2023 को सुबह 8:26 पर फिर से मार्गी हो जाएंगे यानी सीधी चाल चलने लगेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सभी 9 ग्रहों में शनि का गोचर विशेष महत्व रखता है। शनि देव सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। शनि अढ़ाई साल के बाद अपनी राशि बदलते हैं और सभी 12 राशियों के भ्रमण में वह 30 साल का समय लगाते हैं। इनकी महादशा 19 साल तक चलती है। शनि एक राशि में अढ़ाई साल रहते हैं और इसी बीच कुछ महीनों के लिए वह उल्टी चाल भी चलते हैं। शनिदेव जब अपनी चाल बदलते हैं, उदय होते हैं, अस्त होते हैं ,वक्री अवस्था में होते हैं और फिर मार्गी अवस्था में आते हैं तो जहां कई राशियों को राहत देते हैं, वहीं कई राशियों की जिंदगी में उथल-पुथल भी मचा देते हैं।

17 जून को शनि अपनी ही राशि कुंभ में वक्री होने जा रहे हैं। उनके कुंभ राशि में वक्री होने से शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। वैदिक ज्योतिष में इसे बेहद ही शुभ योग माना गया है। इस दौरान इस राजयोग से 3 राशि वालों को विशेष रूप से लाभ होगा। इस अवधि में इन राशि वालों को धन लाभ और मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।शनिदेव की चाल से 3 राशि वालों का गोल्डन पीरियड शुरू हो जाएगा और इनमें पहली भाग्यशाली राशि सूर्य की सिंह राशि है। सिंह राशि वालों को लंबे समय के बाद कोई खुशखबरी मिलने जा रही है।

शश राजयोग सिंह राशि वालों के लिए अनुकूल रहने वाला है। शनि देव इस राशि के सप्तम भाव में भ्रमण करने जा रहे हैं। ऐसे में आपको आकस्मिक धनलाभ हो सकता है। इस समय परिवार और सभी सदस्यों के साथ अच्छे संबंध बनेंगे। अविवाहित लोगों के लिए विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। वैवाहित लोगों का जीवन अच्छा बितेगा। आजीविका में भी इस समय सुधार होगा। अगर आप कोई काम शुरू करने की सोच रहे हैं, पार्टनरशिप में काम शुरू किया जा सकता है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत हासिल कर सकते हैं। 

सिंह राशि के लोग अपनी मेहनत और लगन से अच्छा नाम और पैसा कमाने में कामयाब रहेंगे। आपकी संपत्ति में भी इजाफा होगा और पैतृक संपत्ति भी हासिल हो सकती है। पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। समाज में मान सम्मान बढ़ेगा और कैरियर में तरक्की होगी। आपकी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होगी।

दूसरी राशि जिसका गोल्डन पीरियड शुरू होने वाला है, वह चंद्रमा की वृश्चिक राशि है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के वक्री करने से बनने वाला शश राजयोग वृश्चिक राशि वालों के लिए भी अनुकूल परिणाम ला सकते है। आर्थिक और प्रॉपर्टी के मामलों में लाभ होगा। बता दें कि शनि आपकी राशि के चतुर्थ भाव में गोचर कर रहे हैं। इस दौरान आप वाहन या प्रॉपर्टी आदि खरीद सकते हैं। पैतृक संपत्ति से इस अवधि में लाभ हो सकता है। मां का सहयोग प्राप्त होगा। रियल स्टेट, जमीन-जायदाद और शनि ग्रह से संबंधित काम करने वाले लोगों के लिए भी ये समय बेहद शुभ रहेगा।

आपके जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लेकर आएगा। आपको अपार धन लाभ भी होगा। आप अपना पैसा बचाने में भी कामयाब रहेंगे। परिणाम स्वरूप आपके बैंक बैलेंस में बढ़ोतरी होगी। कैरियर में अच्छा मुकाम हासिल होगा। आपकी टैलेंट की सराहना होगी। कार्यक्षेत्र में आपको अपने वरिष्ठ अधिकारियों का पूरा सहयोग मिलेगा। व्यापारियों को अपने काम में खूब मुनाफा होगा। परिवार में खुशहाली का माहौल बनेगा। भाग्य के दरवाजे खुल जायेंगे। आपके व्यवहार और आचरण से लोग आपकी तरफ आकर्षित होंगे और आपकी फैन फॉलोइंग भी बढ़ेगी।

तीसरी भाग्यशाली राशि कुंभ राशि है, जिसमें शनिदेव वक्री होने जा रहे हैं और जिसमें शश योग का निर्माण होने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के व्रकी करने से कुंभ राशि वालों को विशेष लाभ दिलाने वाला है। इस दौरान इस राशि के जातक बहुत भाग्यशाली सिद्ध होंगे। बता दें कि शनि कुंभ राशि के लग्न भाव में वक्री करने जा रहे हैं और इसी राशि के स्वामी ग्रह हैं। ऐसे में इस अवधि में व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार देखने को मिलेगा। नेतृत्व क्षमता में बढ़ोतरी होगी। काफी लंबे समय से रुके हुए काम इस अवधि में पूरी होंगे। इस अवधि में जीवनसाथी की तरक्की हो सकती है। पार्टनरशिप में काम कर रहे हैं, तो सफलता मिलेगी।

कुंभ राशि के लोग अपने कैरियर में एक नई उड़ान भर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं का मौका मिल सकता है और विदेश में स्थायी रूप से रहने का भी मौका मिल सकता है। मेष राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में पदोन्नति, सहकर्मियों और वरिष्ठों से सराहना भी मिल सकती है। व्यवसाय करने वाले जातकों को व्यापक रूप से लाभ हो सकता है। अगर आपको बिजनेस में इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे हैं तो इस समय करना बहुत शुभ रहेगा। इसके साथ ही समाज में मान-सम्मान और पद प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।

गुरुवार, 18 मई 2023

विशेष: आज मनाई जाएगी शनि जयंती, जानिए 

विशेष: आज मनाई जाएगी शनि जयंती, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कर्म प्रधान का देवता माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक साल के ज्येष्ठ माह के कृष्ण-पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन सनातन धर्म को मानने वाले लोग भगवान शनिदेव की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करते हैं। इस साल शनि जयंती 19 मई को मनाई जाएगी।

इतना ही नहीं, शनि की उपासना करने से साढ़ेसाती शनि ग्रह का दोष से मुक्ति भी मिलती है। आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे, कि किन राशियों पर शनिदेव की अपार कृपया रहेगी।

ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के मुताबिक भगवान शनि एक ऐसे देवता हैं, जो तिलक पहले करते हैं और राजा बाद में बनाते हैं। शनि जयंती पर कुछ राशि के जातकों के लिए सर्वाधिक लाभ होने वाला है। जैसे मकर राशि, तुला राशि के जातक, मेष राशि के जातक और मिथुन राशि के जातक पर शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की अपार कृपया रहेगी।

शनि जयंती के दिन ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। ऐसी स्थिति में मिथुन राशि के जातकों के लिए मान सम्मान बढ़ेगा। समाज में कद ऊंचा होगा। लंबे समय से अटके हुए काम जल्द पूरा होंगे। धन का लाभ होगा। नौकरी और व्यवसाय के क्षेत्र में पदोन्नति होगी।

गुरुवार, 4 मई 2023

ज्योतिष: आज लगेगा साल का पहला 'चंद्र ग्रहण'

ज्योतिष: आज लगेगा साल का पहला 'चंद्र ग्रहण'

सरस्वती उपाध्याय 

सूर्य ग्रहण के बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को लगने जा रहा है। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को लगेगा। इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर लगने वाले इस चंद्र ग्रहण पर 130 वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बनेगा, दरअसल 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण दोनों का संयोग बन रहा है। आपको बता दें कि 15 दिनों के अंतराल पर यह साल 2023 का दूसरा ग्रहण होगा। इसके पहले 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। इस ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सका था।

अब बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। यह ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसमें चांद की सतह पर धूल भरी आंधी के रूप में नजर आएगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 5 मई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो आधी रात को यानी 1 बजकर 1 मिनट तक चलेगा। ग्रहण का उच्चतम काल रात 10 बजकर 52 मिनट पर होगा। 

धार्मिक नजरिए से जब भी उपच्छाया चंद्रग्रहण लगता है तो इसको ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है ऐसे में इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण के होने पर ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण होने पर 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ काम और पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। सूतक की समाप्ति के बाद ही सभी तरह के धार्मिक कार्य दोबारा से शुरू होते हैं। 

आइए जानते हैं साल के पहले चंद्र ग्रहण का समय, सूतककाल और इसे कहां-कहां पर देखा जा सकेगा। खगोल विज्ञानियों के अनुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। जहां तक भारत में इस चंद्र ग्रहण के दिखाई देने का मामला है तो ज्यादातर खगोल शास्त्र के जानकारों और हिंदू पंचांग की गणनाओं के आधार पर यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। लेकिन टाइम एंड डेट डॉट काम के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है।

साल का पहला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो तब ये तीनों एक सीधी लाइन में कुछ देर के लिए आ जाते हैं। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब पृथ्वी की परछाई सीधी चंद्रमा पर न पड़े तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023

किन राशियों पर रहेगी 'शनि' की कृपा, जानिए 

किन राशियों पर रहेगी 'शनि' की कृपा, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

शनि के कुंभ राशि में होने से शश महायोग का निर्माण होने जा रहा है। इसका बड़ा लाभ कुछ राशियों को मिलने वाला है। आइए जानते हैं, कि किन राशियों पर शनि की कृपा रहेगी। ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। शनि को हमेशा संकट के ग्रह के रूप में देखा जाता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. कई ऐसे शनि योग हैं, जो व्यक्ति रंक से राजा बना देते हैं। इन्हीं में से एक है शश महापुरुष योग...!

अगर शनि, मकर, कुंभ या तुला राशि के केंद्र में स्थित हो और लग्न बलवान हो तो शश योग का निर्माण होता है। यह एक तरह का राजयोग है। 17 जनवरी को शनि का कुंभ राशि में गोचर हुआ था। अगले ढाई साल तक शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शनि के कुंभ राशि में होने से शश महायोग का निर्माण होने वाला है। इसका बंपर लाभ कुछ राशियों को मिलने वाला है।

वृषभ- इस राजयोग से वृषभ राशि वालों को विशेष लाभ मिलने वाला है। शनि की कृपा से आपके जीवन में अच्छे परिवर्तन आने के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। जीवन की कुछ परेशानियों से आपको हमेशा के लिए निजात मिल सकेगी. इस योग से आपको कहीं से आकस्मिक धन की प्राप्ति हो सकती है। आपकी सेहत अच्छी रहेगी और इस दौरान आपको अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा।

मिथुन- इस योग से मिथुन राशि वालों के जीवन में कई अच्छे परिवर्तन आने के पूरे योग बनते दिखाई दे रहे हैं। आप कई सामाजिक कार्य में भी अधिक बढ़-चढ़कर भाग लेंगे, जिससे समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। परिजनों के साथ किसी तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं। पदोनत्ति के लिहाज से आपको कई बड़े अवसर मिलने वाले हैं। आपके शादीशुदा जीवन में चल रहा हर प्रकार का तनाव भी दूर होगा।

सिंह- इस योग के प्रभाव से सिंह राशि के जातकों को कम मेहनत में भी अच्छे परिणाम हासिल होंगे। छात्र इस दौरान जो भी परीक्षा को देंगे, उसमें आपको अच्छे अंक प्राप्त होंगे। शश योग आपको कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता दिलाएगा। इस दौरान आप भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। जो लोग किसी व्यापार से जुड़े हैं, उन्हें भी इस दौरान कोई बड़ी डील मिल सकती है।

तुला- इस योग का प्रभाव तुला राशि वालों के कार्यक्षेत्र में दिखाई देगा। आप जो भी काम करेंगे उसमें आपको सफलता हासिल होगी। राजनीतिक से जुड़े लोग इस योग से शीर्ष पदों तक पहुंच सकते हैं। यह समय आपके लिए आर्थिक लाभ लेकर आया है। इस दौरान आपको करियर में कई नए अवसर मिलने की संभावना है, जो छात्र विदेश जाकर पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए यह समय विशेष फलदायी साबित होगा।

कुंभ- आपकी सेहत में पहले से काफी सुधार होंगे और आप खुद में सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे। इस योग के परिणाम से आपके आर्थिक जीवन में भी पहसे से सुधार आएगा। आप कई महत्वपूर्ण फैसले ले सकते हैं जिसका आपको लाभ होगा। अनुशासन और कड़ी मेहनत के बल पर आप कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ेंगे और पद और वेतन में वृद्धि प्राप्त करने में भी सफल रहेंगे। आपको मान-सम्मान का भी लाभ होगा।

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

20 अप्रैल को लगेगा साल का पहला 'सूर्य ग्रहण'

20 अप्रैल को लगेगा साल का पहला 'सूर्य ग्रहण'

सरस्वती उपाध्याय 

20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्वनी नक्षत्र में लगने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस सूर्य ग्रहण पर ग्रहों का बेहद खास संयोग बनेगा। दरअसल, मंगल के मिथुन में और बुध के मेष राशि में होने से अशुभ योग बन रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, मंगल मेष राशि और बुध ग्रह मिथुन राशि का स्वामी है। वहीं, सूर्यग्रहण के समय सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में राहु और बुध के साथ होंगे‌। बुध के मेष और मंगल के मिथुन राशि में होने की वजह से राशि परिवर्तन योग बन रहा है। जिसका असर कुछ राशियों पर नकारात्मक पड़ेगा और कुछ राशियों पर सकारात्मक। आइए जानते हैं कि इस सूर्य ग्रहण में राशि परिवर्तन योग से किन राशियों को सावधान रहना होगा ?

1. मेष...

मेष राशि वालों को इस राशि परिवर्तन बेहद अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। कानूनी मामलों में फंस सकते हैं। कारोबार से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है‌। अगर आप किसी निवेश के बारे में सोच रहे हैं, तो अभी ना करें। रिश्तों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं‌। अनावश्यक खर्चों पर लगाम लगाने की जरूरत है।

2. वृष...

वृष राशि वालों के लिए यह राशि परिवर्तन अच्छा नहीं है। आपको इच्छानुसार परिणाम मिलने में दिक्कत आ सकती है। आत्मविश्वास की कमी होगी और आप भविष्य के बारे में सोचकर परेशान हो सकते हैं‌। कार्य स्थल पर किसी से झगड़ा हो सकता है‌। अपने गुस्से पर काबू रखें। यात्रा या निवेश करने के लिए भी यह सही समय नहीं है। पैसा कमाने के लिए कोई भी शार्टकट अपनाना भारी पड़ सकता है।

3. कन्या...

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण राशि परिवर्तन अशुभ साबित हो सकता है‌। इसे लेकर आप मानिसक तौर पर परेशान रहेंगे। घर का माहौल भी इस दौरान खराब हो सकता है‌। परिवार के लोगों के साथ आपका मनमुटाव हो सकता है। अगर घर में सुख-शांति चाहते हैं, तो अपना व्यवहार सुधारने की कोशिश करें। जीवनसाथी के साथ छोटे-छोटे मुद्दों पर लड़ाई हो सकती है। काम का बोझ बढ़ने से परेशान होंगे।

4. तुला...

कार्यक्षेत्र में कुछ बदलाव या स्थानांतरण का सामना करना पड़ सकता है। बिजनेस पार्टनर से कुछ मतभेद हो सकती है। किसी भी तरह के निवेश के लिए ये समय उचित नहीं है। अचल संपत्ति या पैतृक संपत्ति से संबंधित मामलों में अचानक लाभ मिल सकता है‌। विवाहित लोगों को अपने जीवनसाथी के सेहत पर ध्यान देना होगा। सेहत के लिहाज से ये गोचर शुभ नहीं रहेगा। आपको आंख और दांतों से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है।

5. मकर...

इसका प्रभाव इस राशि के जातकों की सेहत पर पड़ सकता है। आपको सिरदर्द, आंखों की रोशनी, सर्दी और खांसी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इस दौरान अपनी सेहत पर विशेष ध्यान दें। किसी भी समस्या को टालने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करें। कार्यक्षेत्र में थकान और सुस्ती महसूस कर सकते हैं। ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो सकती है।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

20 अप्रैल को लगेगा वर्ष 2023 का पहला 'सूर्य ग्रहण'

20 अप्रैल को लगेगा वर्ष 2023 का पहला 'सूर्य ग्रहण'

सरस्वती उपाध्याय 

नई दिल्ली। साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है। ग्रहण एक भौगोलिक घटना है। इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल, गुरुवार को है। इस सूर्य ग्रहण की अवधि सुबह 7 बजे से दोपहर 12.29 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण सभी राशियों को प्रभावित करेगा। हालांकि मेष समेत तीन राशियों के जातकों को सतर्क रहने की जरूरत है।  

दिनांक: 20 अप्रैल 2023

दिन: गुरुवार

ग्रहण काल: सुबह 07.04 मिनट से दोपहर 12.29 मिनट तक

इन राशियों को रहना होगा सावधान !

मेष राशिः मेष राशि के जातकों को सूर्य ग्रहण से सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें तकलीफ हो सकती है। इस दौरान सूर्य देव आपकी राशि में गोचर करेंगे। इस कारण ग्रहण का बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। किसी काम को पूरा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कन्या राशिः सूर्य ग्रहण के दिन कन्या राशि वालों को सतर्क रहने की जरूरत है। मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं। मानसिक तनाव रहेगा। असफलता का सामना करना पड़ सकता है। क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा। बेवजह की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

सिंह राशिः सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव आप पर पड़ सकता है। इस अवधि में किए गए काम का विपरीत रिजल्ट मिल सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में मुश्किलें आ सकती हैं। कार्यस्थल में आपको सावधान रहने की जरूरत है। विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

शनिवार, 19 नवंबर 2022

ग्रहों के राशि परिवर्तन और उदित होने का प्रभाव पड़ेगा 

ग्रहों के राशि परिवर्तन और उदित होने का प्रभाव पड़ेगा 

ज्योतिष अनुसार ग्रहों के राशि परिवर्तन और उदित होने का प्रभाव सभी राशियों पर देखा जाता है। इस कड़ी में 20 नवंबर 2022 की रात को वैभव के दाता शुक्र देव वृश्चिक राशि में उदित होने जा रहे हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर देखा जाएगा। लेकिन 3 राशियां ऐसी हैं, जिनको इस समय आकस्मिक धनलाभ और उन्नति के योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं ये तीन राशियां…

सिंह शु्क्र देव आपकी कुंडली के चतुर्थ भाव में उदय होने जा रहे हैं। इसे माता और भौतिक सुख का भाव कहा जाता है। शुक्र के उदय होने से बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलने के योग हैं। प्रॉपर्टी और वाहन खरीद सकते हैं। आर्थिक लाभ होगा। इस समय आपको माता का भी सहयोग प्राप्त होगा।

वृष शुक्र देव आपकी कुंडली के सातवें घर में उदित हो रहे हैं। ये घर शादी-विवाह और पार्टनरशिप का होता है। आपका वैवाहिक जीवन सुखद होगा। अविवाहित लोगों को विवाह का प्रस्ताव आएगा। साझेदारी के काम में अच्छा धनलाभ हो सकता है। साथी के साथ मिलकर निवेश करना अनुकूल साबित हो सकता है।

कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र का उदित होना लाभदायक है। आपकी कुंडली के पांचवे घर में शुक्र उदय होने से संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। पांचवा घर संतान और शिक्षा का होता है। छात्रों को परीक्षा में सफलता मिलेगी। प्रेम-सबंधों में मधुरता आएगी। वाहन या प्रापर्टी खरीद सकते हैं।

रविवार, 30 अक्तूबर 2022

दुनिया के कई देशों में 8 नवंबर को दिखेगा 'चंद्र ग्रहण'

दुनिया के कई देशों में 8 नवंबर को दिखेगा 'चंद्र ग्रहण'

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। दिवाली के अगले दिन आंशिक सूर्य ग्रहण के लगभग एक पखवाड़े बाद भारत और दुनिया के कई अन्य देशों में 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी देबी प्रसाद दुआरी ने यह जानकारी दी। दुआरी ने कहा कि भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस के अलावा एशिया के कई अन्य हिस्सों, उत्तर व दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर व प्रशांत महासागर क्षेत्र के लोग इस खगोलीय घटना का दीदार कर सकेंगे।

दुआरी ने कहा कि पूर्ण चंद्र ग्रहण हर जगह नहीं दिखाई देगा और शुरुआत में लातिन अमेरिका के कुछ देशों में आंशिक चंद्र ग्रहण नजर आएगा। उन्होंने कहा कि आठ नवंबर को भारतीय समयानुसार दोपहर दो बजकर 39 मिनट पर चंद्र ग्रहण शुरू होगा और लगभग तीन बजकर 46 मिनट पर यह पूर्ण चरण में पहुंच जाएगा। साढ़े चार बजे के आसपास चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाएगा। दुआरी ने बताया कि पूर्ण ग्रहण पांच बजकर 11 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जबकि आंशिक ग्रहण शाम के छह बजकर 19 मिनट के आसपास खत्म होगा। उन्होंने कहा कि भारत के सभी हिस्सों में ग्रहण चंद्रोदय के समय से दिखाई देगा, लेकिन आंशिक और पूर्ण, दोनों ही रूपों के प्रारंभिक चरण नहीं दिखाई देंगे, क्योंकि दोनों घटनाएं तब शुरू होंगी, जब देश में चंद्रमा हर जगह क्षितिज से नीचे होगा।

दुआरी ने बताया कि कोलकाता सहित पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग पूर्ण चंद्र ग्रहण के गवाह बन सकेंगे, जबकि देश के बाकी हिस्सों में लोगों को केवल ग्रहण का आंशिक चरण और उसमें होने वाली प्रगति दिखाई देगी। कोलकाता शहर में चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से लगभग चार बजकर 52 मिनट पर निकलना शुरू होगा और इसके दो मिनट बाद पूरी तरह से दिखाई देगा। दुआरी ने बताया कि नयी दिल्ली में चंद्रोदय के बाद लगभग साढ़े पांच बजे से आंशिक ग्रहण देखा जा सकेगा, जिसमें चंद्रमा 66 प्रतिशत ढका नजर आएगा। उन्होंने कहा कि भारत में अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण सात सितंबर 2025 को दिखाई देगा।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

मंगल का मिथुन में गोचर, प्रभावित होगी राशियां 

मंगल का मिथुन में गोचर, प्रभावित होगी राशियां 

ज्योतिषाचार्य हरिहर तिवारी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 16 अक्टूबर के दिन मंगल मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। जब भी कोई ग्रह गोचर करता है तो उसका प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों पर देखने को मिलता है। कुछ लोगों को शुभ तो कुछ को अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस बार का गोचर किन राशियों के लिए मंगलकारी रहने वाला है।

आइए जानें

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बता दें कि मंगल गोचर दोपहर 12 बजकर 04 मिनट पर होगा और 15 दिन बाद यानी 30 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 19 मिनट पर वक्री कर जाएंगे और 13 नवंबर तक ऐसे ही रहने वाले हैं। इस दौरान कुछ राशि वालों का भाग्योदय होने वाला है।

मेष राशि- मंगल का मिथुन राशि में गोचर इस राशि के जातकों का भाग्योदय करने वाला है।इनके जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। ऑफिस में लोगों की सराहना मिलेगी। सीनियर्स का सहयोग प्राप्त करने में कामयाब रहेंगे। मंगल गोचर के दौरान आपके कार्यों की प्रशंसा की जाएगी। इस अवधि में आप स्वच्छ रहेगा। आप लोगों को परिवार का सहयोग प्राप्त होगा।

वृष राशि- इस गोचर से इन राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। अगर आप अपना धन कहीं निवेश करते हैं, तो लाभ होगा। हालांकि, इस दौरान स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। कार्यस्थल पर आपको सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा। वाणी पर संयम रखना होगा। इस दौरान कोई भी निर्णय सोच-समझ कर लेने की जरूरत है।

सिंह राशि- इन राशि वालों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस दौरान आर्थिक लाभ और व्यय दोनों होंगे। मेहनत का पूरा फल पाने में कामयाब रहेंगे।अचल संपत्ति में अगर निवेश करेंगे, तो लाभ मिलने की पूरी संभावना है। अगर शेयर मार्केट में भी निवेश करने की सोच रहे हैं, तो समय अनुकूल है। लेकिन किसी जानकार से सलाह के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचे।

कुंभ राशि- इस राशि के जातकों को इस अवधि में अनुकूल परिणाम मिलेंगे। इस राशि के गोचर कुंडली में मंगल पंचम भाव में होगा, जो कि बच्चों, शिक्षा, ज्ञान और प्रेम का घर कहा जाता है। इस दौरान किसी शार्टकट का सहारा न लें। इस अवधि में किया गया कोई भी निवेश आपको भविष्य में लाभ दिलाएगा।

शनिवार, 4 जून 2022

घर के मंदिर में नहीं रखी जाती 'शनिदेव' की मूर्ति

घर के मंदिर में नहीं रखी जाती 'शनिदेव' की मूर्ति

सरस्वती उपाध्याय    
भगवान की पूजा के लिए लोग अपने घरों में सभी देवी-देवताओं की मूर्ति रखते हैं। लेकिन घर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखी जाती है। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानें। जैसा के हम सभी लोग जानते है कि शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है।
इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में शनि की साढ़े साती या महादशा चल रही है तो इस दिन पूजा-पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन इसके बावजूद भी शनिदेव की मूर्ति को घर में रखने पर पाबंदी है। 
आइए जानें कि आखिर ऐसी क्या वजह है ?
जिसके कारण शनिदेव की मूर्ति को घर के मंदिर में नहीं रखा जाता।
शास्त्रो में कुछ देवी- देवताओं की तस्वीर लगाना वर्जित माना गया है। इन्हीं में से शनिदेव की मूर्ति घर पर लगाना वर्जित माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव को श्राप मिला था कि वह जिसे भी देखेंगे, उसका अनिष्ट यानी बुरा हो जाएगा। यही वजह है कि शनिदेव (Shani Dev) की दृष्टि सीधे तौर पर हमारे जीवन पर ना पड़े इसलिए शनिदेव की तस्वीर या मूर्ति को घर के मंदिर में रखना सही नहीं माना जाता।
कैसे करें शनि देव की मूर्ति पूजा
शनिवार के दिन पूजा के दौरान लाल रंग या लाल फूल का भी प्रयोग न करें क्योंकि लाल रंग मंगल का परिचायक है और मंगल शनि के शत्रु ग्रह हैं।
इस दिन नीले या काले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। शनि देव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
भूलकर भी शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि तांबा का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनि देव सूर्य के परम शत्रु हैं।
पूजा करते समय कभी भी उनकी मूर्ति के सीधे सामने खड़े होकर उनके दर्शन नहीं करने चाहिए।
शनि देव के दर्शन हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं ओर खड़े होकर करना चाहिए।
मंदिर में पूजा करते वक्त शनि देव की आंखों में आंखें डालकर दर्शन नहीं करना चाहिए।
शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए बेहतर है कि शनि देव की मूर्ति की बजाय उनके शिला रूप के दर्शन करें।
कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करें, शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनि देव को तेल अर्पित करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता है कि तेल इधर-उधर ना गिरे या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काली वस्तुओं का दान करें। इसमें आप काले कपड़े, चमड़े के जूते-चप्पल काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल आदि चीजों का दान कर सकते हैं।

सोमवार, 9 मई 2022

चुनिंदा लोगों को सूट करता है नीलम, खासियत

चुनिंदा लोगों को सूट करता है नीलम, खासियत 

श्रीराम मौर्य           
आजकल हर कोई डायमंड पहनता है। फैशन के चक्‍कर में डायमंड पहनना भारी भी पड़ सकता है क्‍योंकि डायमंड सभी राशि वालों को सूट नहीं करता है। इसी तरह नीलम रत्‍न भी चुनिंदा लोगों को ही सूट करता है। लेकिन इन दोनों रत्‍नों की खासियत है कि ये जिन्‍हें सूट कर जाएं उन्‍हें फर्श से अर्श पर पहुंचा देते हैं। वहीं जिन्‍हें सूट न हों तो उन्‍हें तबाह कर देते हैं।

बहुत ताकतवर हैं ये दोनों रत्‍न...
कुंडली के शुक्र और शनि जैसे ग्रहों के अशुभ असर को कम करने के लिए और इन ग्रहों को मजबूत करने के लिए हीरा और नीलम रत्‍न धारण किए जाते हैं। ये रत्‍न दिखने में जितने सुंदर होते हैं, प्रभाव के मामले में उतने ही ताकतवर होते हैं। इनके शुभ और अशुभ असर दोनों ही बहुत दमदार होते हैं इसलिए जीवन पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। लिहाजा इन रत्‍नों को कभी भी बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं पहनना चाहिए।
नीलम रत्‍न शनि का प्रमुख रत्न है। जिन जातकों की कुंडली के लिहाज से यह रत्‍न शुभ हो यह उन्‍हें सफलता के चरम पर पहुंचा देता है। वहीं जिन लोगों के लिए अशुभ हो, उन्‍हें मिट्टी में मिला देता है। बड़ी दुर्घटना, कंगाली, मान हानि कराता है। इसलिए विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर ही नीलम रत्‍न धारण करना चाहिए। बल्कि इसे अंगूठी, पेंडेंट में पहनने से पहले नीले कपड़े में बांधकर तकिए के नीचे रखकर या हाथ में बांध कर सोना चाहिए। यह रत्‍न 24 घंटे में असर दिखाने लगता है। नीलम रत्‍न मकर, कुंभ, वृष, मिथुन, कन्या और तुला के जातक धारण कर सकते हैं।
डायमंड हीरे का संबंध शुक्र ग्रह से है। यह रत्‍न जीवन में सुख-समृद्धि, धन-दौलत देता है। साथ ही लव लाइफ-मैरिड लाइफ पर असर डालता है। लेकिन हीरा हर किसी को सूट नहीं करता है। हालांकि कम वजन के हीरे पहनने से कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन बड़ा हीरा बहुत सोच-समझकर पहनना चाहिए। डायमंड केवल वृषभ, तुला राशि वालों को शुभ फल देता है। यदि यह अशुभ रहे तो जातक धन हानि, दांपत्‍य में समस्‍या झेलता है। इसके अलावा बड़े नुकसान और दुर्घटना का कारण भी बन सकता है।

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