शुक्रवार, 13 मई 2022

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी 

श्रीराम श्रेष्ठ उपाध्याय           
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी है और इस लड़ाई में हमारा सबसे बड़ा हथियार जानकारी है। जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत मीडिया और पत्रकार बंधु हैं। इसी एहम कड़ी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, एक उत्साहवर्धक पहल के रूप में, जलवायु परिवर्तन जैसे जटिल और तथाकथित उदासीन मुद्दे पर पत्रकारों की क्षमता संवर्धन के उद्देश्य से वैश्विक स्तर के कुछ विशेषज्ञों ने, पत्रकारों के लिये एक दिग्‍दर्शिका (गाइड) प्रकाशित की है। इसमें पर्यावरण की रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाताओं के लिये इस बात का मार्गदर्शन प्रदान किया गया है कि वे कैसे जलवायु परिवर्तन और ताप लहर, तूफान तथा बाढ़ जैसी चरम मौसमी स्थितियों के बीच सम्‍बन्‍ध।
जोड़ने के लिये कौन-कौन से तर्क दे सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी, इम्‍पीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गयी और जलवायु वैज्ञानिकों के अंतर्राष्‍ट्रीय समूह वर्ल्‍ड वेदर एट्रिब्‍यूशन द्वारा प्रकाशित इस गाइड में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि किस तरह से एट्रिब्‍यूशन साइंस के जरिये चरम मौसमी घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना सम्‍भव होता है और कैसे व कहां कुछ घटनाओं को हमेशा मानव की गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न वार्मिंग से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।
हाल के समय तक, वैज्ञानिक एकल घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखने से परहेज करते थे। इसके बजाय वे इसी बात तक सीमित रहते थे कि कोई घटना इस तरह की चीजों को जाहिर कर सकती है और अगर प्रदूषणकारी तत्‍वों का उत्‍सर्जन और वार्मिंग इसी तरह जारी रही तो आशंका है
कि भविष्‍य में ऐसी और घटनाएं हो सकती हैं।
मगर वैज्ञानिकों ने ऐसी पद्धतियां विकसित की हैं, जिनसे संवाददाताओं को जलवायु परिवर्तन और किसी एकल चरम मौसमी घटना के बीच सम्‍बन्‍ध जोड़ने का मौका मिलता है। साथ ही यह गणना करने का अवसर भी मिलता है कि कोई घटना ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण कितनी कम या ज्‍यादा सम्‍भावित है और कितनी ज्‍यादा या कम तीव्रता वाली है। इन एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययनों की मदद से
वैज्ञानिकों को ऐसे बयान देने में मदद मिलती है, जैसे- ‘‘यह ताप लहर (हीटवेव) तीन डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी। अगर ग्‍लोबल वार्मिंग नहीं होती तो यह दुनिया इतनी गर्म नहीं होती’’, या यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के बिना कोई घटना प्रभावी रूप से संभव नहीं होती।
यहां तक कि विशिष्‍ट एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययन की गैर-मौजूदगी में भी पत्रकार अक्‍सर जलवायु परिवर्तन और मौसमी घटनाओं के बीच सम्‍बन्‍ध स्‍थापित कर सकते हैं। यह गाइड ऐसी हिदायतें तय करती है कि पत्रकार हीटवेव, बाढ़, चक्रवात, हिमपात, सूखा और वनों की आग के मामले में क्‍या–क्‍या कह सकते हैं।
इस दिग्‍दर्शिका में कहा गया ‘‘जलवायु परिवर्तन किसी एक घटना का कारण नहीं बन सकता, क्‍योंकि सभी मौसमी घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं, मगर जलवायु परिवर्तन इस बात को प्रभावित करता है कि वह किसी घटना को किस हद तक सम्‍भावित और कितनी तीव्रता से प्रभावित कर सकता है।’’
इस गा‍इड के निष्‍कर्षों में यह भी शामिल है कि हर हीटवेव का सम्‍बन्‍ध अब जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा सकता है और भारी वर्षा तथा दुनिया के कुछ हिस्‍सों में सूखा पड़ने की घटनाएं ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन के कारण अधिक सामान्‍य और ज्‍यादा तीव्र हो गयी हैं। कुछ अन्‍य प्रकार की चरम मौसमी स्थितियों के साथ कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण कारक भी हैं, जिनके बारे में
पत्रकारों को जलवायु परिवर्तन से सम्‍बन्‍ध जोड़ते वक्‍त ख्‍याल रखना चाहिये।

ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क

ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क  

अखिलेश पांडेय       

वाशिंगटन डीसी। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में ट्विटर का सौदा किया था। लेकिन शुक्रवार को उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह सौदा फिलहाल रोक गिया गया है। इसके पीछे उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की लंबित जानकारी को कारण बताया है। मस्क ने कहा कि यह गणना बताती है कि प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की संख्या पांच फीसदी से कम है।

हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि स्पैम एवं फर्जी खातों से जुड़ा ब्योरा इस सौदे को जारी रखने के लिए कितना बड़ा जोखिम खड़ा कर सकता है। इस खबर के बाद ट्विटर का शेयर प्री मार्केट ट्रेडिंग में 20% तक गिर गया है। हालांकि, होल्ड की खबर के बाद टेस्ला के सीईओ ने एक और ट्वीट कर कहा कि वह अभी भी ट्विटर के अधिग्रहण के लिए प्रतिबद्ध हैं।बता दें कि ट्विटर के सबसे बड़े शेयरधारक मस्क ने 44 अरब डॉलर में इसका अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। मस्क के पास ट्विटर की 9.2% हिस्सेदारी है। इसके लिए उन्होंने फंड जुटाना भी शुरू कर दिया था। बता दें कि ट्विटर के पास करीब 22.9 करोड़ यूजर्स हैं।

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'   

सरस्वती उपाध्याय            

दुनियाभर में कई ऐसे जीव-जन्तु हैं, जिनकी अपनी खास विशेषताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी पक्षी के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में कहते हैं कि वह अपने पूरे जीवन में कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन बात बिल्कुल सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या यह पक्षी कभी धरती पर उतरता ही नहीं है ? तो इसका जवाब है... हां, यह पक्षी धरती पर उतरता है, लेकिन अपने पैरों में लकड़ी का टुकड़ा लेकर।

भारत में पाया जाता है हरियल...

माना जाता है कि यह पक्षी उसी लकड़ी के टुकड़े पर बैठता है। सबसे खास बात है कि यह पक्षी भारत में बहुतायत में पाया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पक्षी भारत के महाराष्ट्र राज्य का राजकीय पक्षी है‌। इस पक्षी का नाम हरियल है। 29 सेंटीमीटर से लेकर 33 सेंटीमीटर तक के आकार वाले इस पक्षी का वजन सिर्फ 225 ग्राम होता है। सबसे खास बात यह है कि हरियल एक सामाजिक प्राणी है, जो हमेशा झुंड में रहना पसंद करता है। हरियल के पंखों का फैलाव 17 से 19 सेंटीमीटर होता है‌। हल्के पीला और हरे रंग का हरियल ओलिव के फल से बिल्कुल मिलता-जुलता है। हरियल के सिर के ऊपर हल्के नीले-भूरे रंग के बाल उगते हैं‌। हरियल को ऊंचाई वाले पेड़ पसंद हैं‌। यह ज्यादातर जंगलों में ही रहता है. हरियल पीपल और बरगद के पेड़ों पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं और भोजन की तलाश में शहरों के पार्क में भी देखे जाते हैं।

नॉर्वे: 1700 साल पुराना तीर मिलने का अंदाजा

नॉर्वे: 1700 साल पुराना तीर मिलने का अंदाजा

सुनील श्रीवास्तव
ओस्लो। नॉर्वे में एक लौह युग (Iron Age) का एक तीर मिला है। यह तीर पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके ऐरोहेड यानी लोहे का नुकीला हिस्सा, सिन्यू रैपिंग यानी उसे बांधने वाला धागा और एयरोडायनेमिक पंख भी लगे मिले हैं। 1700 साल पुराना यह तीर फिलहाल स्टडी के लिए ग्लेशियल आर्कियोलॉजिस्ट्स पास मौजूद है। इटली के आल्प्स पहाड़ियों पर रहने वाले ओट्जी द आइसमैन (Ötzi the Iceman) 5300 साल पहले ही खत्म हो गए थे। ये लोग तीर के फ्लेचिंग्स, यानी इसमें लगने वाले पंखों को संभालकर रखते थे। यह तीर 1700 साल पुराना है‌।
लेकिन यह इससे पुराना भी हो सकता है। फिलहाल उसकी जांच हो रही है। नॉर्वे के ग्लेशियर आर्कियोलॉजी प्रोग्राम को सह-निदेशक लार्स पिलो ने कहा कि हो सकता है, ये ओट्जी द आइसमैन का तीर हो। लार्स पिलो ने कहा कि आइसमैन उस जमाने में इन तीरों से रेंडियर का शिकार करते थे। उनका मांस खाते थे और खाल का कपड़ा, चादर या ओढ़ने के लिए रजाई बना लेते थे। हालांकि ओट्जी इस तीर की उम्र से हजारों साल पहले मौजूद थे। इसलिए अभी यह कहना मुश्किल है कि ये उनका तीर है‌। यह तीर 31.5 इंच लंबा है‌। यह दक्षिणी नॉर्वे के जोटनहीमन माउंटेन के पास 2019 में मिला था। तब से उसकी जांच चल रही थी‌। जिसके बारे में पुरातत्वविदों ने अब जाकर ट्विटर पर जानकारी बांटी गई है। लार्स ने कहा कि यह अब तक मिले सभी तीरों में से सबसे ज्यादा सुरक्षित हालत में है। इस लोहे के तीर को लकड़ी से बांधने वाले धागे के ऊपर लगाए गए चारकोल के अंश भी बचे हैं।
लार्स ने कहा कि तीर की लकड़ी पाइन (Pine) की है‌। अब हम यह जांच कर रहे हैं कि इसमें लगा पंख किस पक्षी का है। ऐसे तीर डैनिश हथियारों (Danish Weapon) के जखीरे में उपयोग किए जाते थे। ये बात 300 से 600 एडी की है। उस समय बर्फीले पहाड़ों पर लोग रेंडियर और अन्य जानवरों की शिकार करने के लिए ऐसे तीरों का उपयोग करते थे।

यूएई के राष्ट्रपति व शासक नाह्यान का निधन

यूएई के राष्ट्रपति व शासक नाह्यान का निधन   

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत              

रियाद। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति एवं अबूधाबी के शासक शेख खलीफा बिन जायद नाह्यान का शुक्रवार को निधन हो गया। राष्ट्रपति मामलों के मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। राष्ट्रपति के मामलों के मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात, अरब तथा इस्लामिक राष्ट्र एवं दुनिया के लोगों को यूएई के राष्ट्रपति महामहिम शेख खलीफ बिन जायद उल नाह्यान के निधन पर शोक व्यक्त किया।शेख खलीफा ने तीन नवबंर, 2004 से यूएई केे राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। वह अपने पिता, मरहूम शेख जायद बिन सुल्तान अल नाह्यान के उत्तराधिकारी चुने गए थे। शेख जायद ने 1971 से दो नवंबर 2004 तक अंतिम सांस लेने तक यूएई के पहले राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा की थी।

शेख खलीफा का 1948 में जन्म हुआ था और वह यूएई के दूसरे राष्ट्रपति और अबू धाबी अमीरात के 16वें शासक
थे। वह शेख जायद के सबसे बड़े साहबजादे थे।
उनके राष्ट्रपति के बनने के यूएई ने तेजी से विकास किया। शेख खलीफा को एक अच्छा श्रोता, विनम्र और लोगों की बातों में गहरी दिलचस्पी रखने वाले व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता था। उन्हें यूएई के बहुत पसंदीदा इंसान थे।

परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका खारिज

परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका खारिज    

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पाठ्यक्रम की स्नातकोत्तर स्तर की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश (नीट-पीजी -2022-23) की 21 मई को होने वाली परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,“हमारा देश महामारी की चपेट से अब बाहर आ रहा है। इस हालात में मेडिकल शैक्षणिक सत्र को व्यवस्थित करना समय की मांग है। इक्कीस मई को परीक्षा कराना एक नीतिगत फैसला है। लिहाजा, यह अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि नीट-पीजी परीक्षाओं में पहले से ही देरी हो रही है। ऐसे में और देरी करने से अस्पतालों में रोगी देखभाल पर गंभीर प्रभाव होंगे, क्योंकि वहां सामान्य परिस्थितियों में उपलब्ध तीन बैचों की बजाए रेजिडेंट डॉक्टरों के केवल दो बैच ही उपलब्ध हैं। सर्वोच्च अदालत इस तथ्य पर गौर किया कि दो लाख से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण किया है। अंतिम समय में स्थगन अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दाखिले के लिए 21 मई को निर्धारित है।याचिकाकर्ता ने अदालत से नीट-पीजी परीक्षा स्थगित करने के लिये उचित दिशा निर्देश या आदेश देने की मांग की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि नीट-पीजी परीक्षाओं में पहले से ही देरी हो रही है। ऐसे में और देरी करने से अस्पतालों में रोगी देखभाल पर गंभीर प्रभाव होंगे, क्योंकि वहां सामान्य परिस्थितियों में उपलब्ध तीन बैचों की बजाए रेजिडेंट डॉक्टरों के केवल दो बैच ही उपलब्ध हैं। सर्वोच्च अदालत इस तथ्य पर गौर किया कि दो लाख से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण किया है। अंतिम समय में स्थगन अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा।


19 मई को होगा, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

19 मई को होगा, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन   

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग               

नई दिल्ली/मुंबई। रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (आरएमपी), मुंबई स्थित एक थिंक-टैंक के तत्वाधान में लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दलों के खतरे पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 19 मई को सुबह 10:30 बजे से 5 बजे के बीच नेहरू मेमोरियल, ऑडिटोरियम नई दिल्ली में करेगा। यह जानकारी आरएमपी के महानिदेशक रवींद्र साठे ने मीडिया को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा इस तरह के पहले संगोष्ठी का उद्घाटन करेंगे। इस संगोष्ठी के विचार-विमर्श में वंशवादी दलों के कारण लोकतांत्रिक खतरे और वंश आधारित राजनीतिक दलों को पनपने से रोकने के लिए संभावित नियामक ढांचे जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे और महा निदेशक रवींद्र साठे ने इस संगोष्ठी के बारे में मीडिया को जानकारी दी।

यह परिभाषित करते हुए कि वंशवादी दल वे हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक विशेष वंश द्वारा नियंत्रित होते हैं, और जहां न केवल अध्यक्ष का पद एक वंश के पास होता है, बल्कि अन्य प्रमुख पदाधिकारी भी उसी परिवार से आते हैं, संगोष्ठी के आयोजकों ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से लोकतांत्रिक साख कमजोर होती हैं और राजनीतिक दलों को संस्थागत नुकसान पहुंचता है। इस तरह के वंशवाद संचालित पार्टियों में मौजूदा तंत्र के तहत एक ही परिवार व्यावहारिक रूप से सब कुछ नियंत्रित करता है, पार्टी वित्त, पार्टी सदस्यता, पार्टी उम्मीदवारी, और गठबंधन और राजनीतिक भागीदारी के बारे में निर्णय भी वही लेते हैं। विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि इस तरह की पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।’ अपने नेताओं के बेटे-बेटियों को उम्मीदवारी देना एक बात है और एक पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने वाला परिवार पूरी तरह से अलग है। दूसरी वाली प्रचलन लोकतंत्र के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है। सहस्रबुद्धे ने कहा, इसमें कोई भी भविष्यवाणी कर सकता है कि परिवार संचालित पार्टी में मुखिया के परिवार का एक बच्चा तीन दशक बाद पार्टी अध्यक्ष बनना निश्चित है और यह गंभीर रूप से आपत्तिजनक है।

हिंदी से कहीं ज्यादा अहमियत रखती हैं अंग्रेजी

हिंदी से कहीं ज्यादा अहमियत रखती हैं अंग्रेजी     

इकबाल अंसारी          

चेन्नई। हिंदी भाषा को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. के. पोनमुडी ने हिंदी को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। पोनमुडी ने कहा कि भाषा के रूप में अंग्रेजी हिंदी से कहीं ज्यादा अहमियत रखती है और जो लोग हिंदी बोलते हैं, वे छोटे-मोटे काम करते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानीपुरी बेच रहे हैं।

पोनमुडी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लाभकारी पहलुओं को लागू करने का वादा किया, लेकिन दावा किया कि राज्य सरकार केवल दो-भाषा प्रणाली को लागू करने के लिए दृढ़ है। दीक्षांत समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के साथ मंच साझा करते हुए, उन्होंने सवाल किया कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए, जबकि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा पहले से ही सिखाई जा रही है। पोनमुडी ने व्यंग्यात्मक रूप से यह व्यक्त किया कि अंग्रेजी हिंदी से अधिक मूल्यवान है और दावा किया कि हिंदी भाषी नौकरी कर रहे हैं।

तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री को भारत की नंबर-1 बना डाला

तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री को भारत की नंबर-1 बना डाला 
कविता गर्ग     
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान महेश बाबू के बयान के बारे में बात की और कहा कि ये तो उन्होंने सही कहा, बॉलीवुड महेश बाबू को अफोर्ड नहीं कर सकता है। मुझे पता है कि बॉलीवुड के कई फिल्ममेकर्स ने उन्हें कई फिल्में ऑफर की हैं और उनकी जनरेशन ने अकेले ही तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री को भारत की नंबर-1 इंडस्ट्री बना डाला है।बोनी कपूर ने एक मीडिया हाउस से इस बारे में बात करते हुए कहा कि मैं इस पर कमेंट नहीं कर सकतें, क्योंकि मैं दोनों तरफ से ताल्लुक रखता हूं। बॉलीवुड और साउथ, मैंने तमिल, तेलुगु फिल्में की हैं। जल्द ही मलयालम और कन्नड़ फिल्में भी करूंगा। इसलिए इस पर कमेंट करने के लिए मैं सही इंसान नहीं हूं। साथ ही महेश को अधिकार है वह जो महसूस करते हैं, कह सकते हैं। उनके ऐसा कहने के पीछे अपनी वजहें होंगी। उनकी राय पर कमेंट करने वाले हम कौन होते हैं। 
अगर उन्हें ऐसा लगता है तो यह उनके लिए अच्छा है। महेश के इस बयान पर बॉलीवुड यानी हिंदी सिनेमा और साउथ सिनेमा को लेकर तगड़ी बहस छिड़ी हुई है। जहां कुछ इस बहस में कूदने से बच रहे हैं तो कई इसपर रिएक्शन देते नजर आ रहे हैं। इस लिस्ट में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मुकेश भट्ट, सुनील शेट्टी, निर्देशक राम गोपाल वर्मा से लेकर अक्षय कुमार तक अपना रिएक्शन दे चुके हैं।

कोरिया: बुखार से पीड़ित 6 लोगों की मौंत हुईं

कोरिया: बुखार से पीड़ित 6 लोगों की मौंत हुईं 

अखिलेश पांडेय

प्योंगयांग। उत्तर कोरिया ने शुक्रवार को बताया, कि देश में बुखार से पीड़ित छ: लोगों की मौत हुई है। जिनमें से एक व्यक्ति के कोरेाना वायरस के ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उत्तर कोरिया ने देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के पहले मामले की पुष्टि करने के एक दिन बाद यह जानकारी दी है। कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली वाले देश में संक्रमण के प्रकोप के सटीक आंकड़ों की जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। उत्तर कोरिया में अधिकतर आबादी को कोविड-19 रोधी टीके नहीं लगे हैं और कुपोषण की समस्या भी चरम पर है। ऐसा कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया में कोविड-19 संबंधी जांच करने की उचित व्यवस्था नहीं है और उसके पास अन्य चिकित्सकीय उपकरणों की भी कमी है। उत्तर कोरिया की आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) के अनुसार, अप्रैल के अंत से करीब 3.5 लाख लोग बुखार से पीड़ित हुए, जिनमें से 1,62,200 लोग ठीक हो चुके हैं। केवल बृहस्पतिवार को ही 18,000 लोग बुखार से पीड़ित पाए गए थे। वहीं, 1,87,800 लोगों को इलाज के लिए पृथक किया गया है।

'केसीएनए’ ने बताया कि जिन छ: लोगों की मौत हुई है, उनमें से एक व्यक्ति के कोरेाना वायरस के ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं है। उत्तर कोरिया में दो साल बाद कोरोना का पहला मामला सामने आया है। नए केस की पुष्टि के बाद किम जोंग उन ने देश में लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने अपील की है कि कोरोना से बचाव के उपायों को और अधिक बढ़ाया जाए और इनका सख्ती से पालन किया जाए।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण     

1. अंक-217, (वर्ष-05)
2. शनिवार, मई 14, 2022
3. शक-1944, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि-त्रियोदशी, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:33, सूर्यास्त: 07:01।
5. न्‍यूनतम तापमान- 30 डी.सै., अधिकतम-42+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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एससी ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई

एससी ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कड़ी फटकार लग...