गुरुवार, 26 सितंबर 2019

मामूली कहासुनी में चले ईट-पत्थर, डंडे

प्रयागराज। जनपद प्रयागराज के सोरांव थाना अंतर्गत फाफामऊ चौकी क्षेत्र के मलाक हरिहर गांव में बच्चे वॉलीबॉल खेल रहे थे। किसी बात को लेकर खिलाड़ी आपस में भिड़ गए और हाथापाई करने लगे ।जब यह बात दोनों खिलाड़ियों के घरवालों को मालूम हुई तो दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए तथा दोनों तरफ से ईटा पत्थर वह लाठी-डंडे चलने लगे। जिससे एक पक्ष के मकबूल हुसैन पुत्र वाजिद अली उम्र 45 वर्ष अरशद पुत्र इकबाल हुसैन उम्र 28 वर्ष अरशद खान पुत्र मकबूल हुसैन उम्र 22 वर्ष को गंभीर चोटें आई हैं। जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोरांव में इलाज के लिए भर्ती कराया गया स्थिति गंभीर होने पर सीएससी प्रभारी ने तीनों घायलों को बेली प्रयागराज रेफर कर दिया। सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई की पुरानी रंजिश को लेकर दोनों पक्षों में मारपीट हुई है। जिसमें दूसरे पक्ष के लोग दिलशाद गोलू सलमान सहान कल्लू राम के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। थाना प्रभारी सोरांव अरुण कुमार चतुर्वेदी मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच पड़ताल शुरू कर दी।


रिपोर्ट -बृजेश केसरवानी


रेप पीड़िता को एम्स से मिली छुट्टी

एम्स से छुट्टी, डर से दिल्ली में ही रहेगी


उन्नाव। रेप केस की पीड़िता को मंगलवार देर रात एम्स अस्पताल से छुट्टी मिल गई। तीस हजारी 
कोर्ट के आदेश के अनुसार पीड़िता के रहने का इंतजाम अगले 7 दिनों के लिए एम्स के ट्रामा सेंटर हॉस्टल मे किया गया है। दरअसल, पीड़िता के परिवार वालो ने कोर्ट से कहा था कि उनकी जान को उनके गांव में खतरा है, लिहाजा अपनी सुरक्षा के मद्देनजर वह दिल्ली में रहना चाहते हैं। जिसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को ये आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 28 सितम्बर को होगी।
रिपोर्ट -बृजेश केसरवानी


आज होगा विश्वामित्र मिलन मंचन

प्रयागराज। श्री दारागंज रामलीला कमेटी के तत्वाधान में ऐतिहासिक आकाशवाणी व प्रभु श्री राम जन्म की लीला धूमधाम के साथ संपन्न हुई । दारागंज स्थित बक्शी खुर्द सिंगार भवन में आकाशवाणी की लीला आरंभ हुई। जिसमें कमेटी के लीला-मचंन संयोजक पंडित रमेश चंद्र मिश्र के द्वारा आकाशवाणी की लीला की गई। जिसमें उन्होंने आकाश से हुई भविष्यवाणी, जिसमें कहा गया कि हे धरतीवासियों आप परेशान मत हो, आसुरी अत्याचार से धरती को मुक्त कराने हेतु शीघ्र ही धरती पर प्रभु श्री राम जन्म लेने वाले हैं। इस तरह से इस आकाशवाणी को सुनकर सब लोग चौक जाते हैं। दूसरे दृश्य में प्रभु श्री राम के जन्म की किलकारी अयोध्या में गूंजती है। उसके पश्चात सोहर बधाई गीत गाए जाते हैं और सभी लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं। आतिशबाजी और शंखनाद से लोग अयोध्या में खुशी मनाते हैं आज की लीला यही तक हुई। कमेटी के मीडिया प्रभारी तीर्थराज पांडेय ने बताया कि दिनांक 26 सितबंर 2019 को रामलीला मंचन स्थल बड़ी कोठी के पास सायंकाल काल 7:00 बजे विश्वामित्र मिलन की लीला होगी आज के आयोजन में उपस्थित प्रमुख रूप से कमेटी के अध्यक्ष कुल्लू यादव, महामंत्री जितेंद्र गौड़, उपाध्यक्ष अरविंद पांडेय, हीरालाल यादव, कोषाध्यक्ष मुन्ना आजाद, मंत्री विजय सोनकर, विक्कू, निषाद, पंचू यादव, मुन्ना यादव, पुरुषोत्तम, लाल संजय पाठक, राहुल यादव, पंडित धर्मराज पांडेय, पवन यादव, हनी सिंगारिया आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- बृजेश केसरवानी


अपनी जमीं-आसमां (संपादकीय)

अपनी जमीं-आसमां  (संपादकीय)


संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अधिकतर देशों के प्रमुख, विभागों विभागों के प्रमुख और जलवायु संबधित प्रतिनिधियों के द्वारा ग्लोबल वार्मिंग पर अपने-अपने विचार रखे गए। बार-बार एक ही बात दोहराई गई कि विभिन्न स्थानों पर, विभिन्न संगठनों के द्वारा जागरण किया गया। जिसकी लगभग उपस्थित सभी लोगों ने आवाज भी सुनी, कुछ नारे भी लगाए गए हैं। लेकिन उस जागरण और आवाज पर, नारों पर किसी के द्वारा कुछ संतोषजनक नहीं किया गया। ग्लोबल वार्मिंग के जो मौजूदा कारक है। जिनमें कुछ कारकों पर प्रतिबंध की आवश्यकता है। कुछ कारको को परिवर्तित किया जा सकता है। साथ ही कुछ नए उपयोग भी करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन में आश्चर्यजनक बदलाव अनुभव किए जा रहे हैं। सूर्य की तपन से कई नये परिणाम सामने आए हैं। बहुत अधिक सर्दी बरसात का होना या बहुत कम सर्दी बरसात का होना। समुद्री तूफानों में वृद्धि होना, अधिक चक्रवात और सुनामी के साथ तेज गति वाले तूफानों का लगातार बढ़ना। भूकंप अथवा जीवाश्म का केंद्र अस्थित होना। अधिक भूकंप आना, समुंद्र और भूमि में गैसों की उचित सूचना, उनके घटकों की ठीक-ठीक जानकारी ना होना। दुनिया के लिए चिंताजनक विषय हो जाता है। भौगोलिक-भौतिक और वातावरण परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले अनुभव चिंतित करने वाले है। मानव सभ्यता की रक्षा-सुरक्षा की प्रमाणिकता का कोई परिपक्व प्रमाण न होना सार्वभौमिक चिंतन का विषय बन गया है। इस प्रकार के परिवर्तनों के पीछे मानव का भौतिक विकास भी जिम्मेदार है। भौगोलिक संतुलन में हस्तक्षेप की क्रिया भी बढी है। क्या हमें सुविधा भोगी बने रहना चाहिए। सुविधाओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। अतिआवश्यक सुविधाओं का उपयोग करके जलवायु के उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। सबकी अपनी जमीन और आसमान होता है ,होना चाहिए। भविष्य की नींव वर्तमान में रखनी होती है,आज विश्व इस विषय पर चिंतित है।


लेन-देन में जल्दबाजी हानिकारक:धनु

राशिफल 


मेष-चोट व दुर्घटना से शारीरिक कष्ट की आशंका है, लापरवाही न करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। घर में व्यय होगा। व्यापार अच्‍छा चलेगा।


वृष-कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति मनोनुकूल बनेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार पर व्यय होगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। स्त्री पक्ष का सहयोग विशेषकर प्राप्त होगा। चिंता तथा तनाव रह सकते हैं। दुष्टजनों से सावधान रहें।


मिथुन-भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। निवेश में जल्दबाजी न करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जोखिम न उठाएं।


कर्क-संगीत इत्यादि रचनात्मक कार्यों में रुचि जागृत हो सकती है। पठन-पाठन व लेखन इत्यादि कार्यों में लगन व उत्साह से कार्य कर पाएंगे। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में लाभ हो सकता है।


सिंह-स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी हानिकारक होगी। किसी के भी उकसाने में न आएं। भावना पर नियंत्रण रखें। बुरी खबर मिल सकती है। कारोबार, नौकरी व निवेश लाभदायक रहेंगे।


कन्या-किसी मित्र या रिश्तेदार की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय से लाभ बना रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता में वृद्धि होगी।


तुला-भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। नए मित्र बनेंगे। शेयर मार्केट से लाभ होगा। कारोबार अच्‍छा चलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रसन्नता बनी रहेगी। थकान रह सकती है। शत्रु सक्रिय रहेंगे।


वृश्चिक-रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ होने की संभावना है। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। निवेश इत्यादि लाभदायक रहेगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। कोई बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। स्वास्थ्‍य का विशेष ध्यान रखें।


धनु-लेन-देन में जल्दबाजी हानिकारक रहेगी। कानूनी कागजातों पर विशेष ध्यान दें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्ययवृद्धि होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। थकान व कमजोरी रह सकती है। कारोबार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा।


मकर-डूबी हुई रकम प्राप्ति के प्रबल योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में वृद्धि होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार-व्यवसाय से लाभ बढ़ेगा। नए काम मिल सकते हैं। पारिवारिक सहयोग से संतुष्टि व प्रसन्नता दोनों रहेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें।


कुंभ-आर्थिक उन्नति के लिए नए विचार मन में आएंगे। कार्यस्थल पर सुधार व परिवर्तन हो सकता है। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। समाजसेवा की प्रेरणा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रेम-प्रसंग अनुकूल रहेंगे। मित्रों पर व्यय होगा। विवाद से बचें।


मीन-अध्यात्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति मनोनुकूल रहेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। समय पर काम होने से प्रसन्नता में वृद्धि होगी।


कीटों का सामाजिक जीवन

कीटों में सामाजिक जीवन अपने उच्च शिखर पर होता है, जो अन्यत्र केवल मनुष्यों को छोड़कर कहीं नहीं पाया जाता है। कीटों ने संसार में सर्वप्रथम पूर्ण विकसित सामाजिक जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया है।


कीटों की संख्या सभी प्राणियों से अधिक है। कीट वर्ग, आर्थोपोडा (Arthropoda) संघ में आता है। अब तक ज्ञात स्पीशीज़ (Species) की संख्या आठ लाख से भी अधिक है और आधिकारिक अनुमानों के अनुसार अगर इनकी सभी जातियों की खोज की जाय, तो उनकी संख्या 60 लाख से भी अधिक होगी। इनमें बहुत सी ऐसी जातियाँ हैं जिनके प्राणियों की संख्या अरबों में है। इससे कीट वर्ग की बृहद् राशि की कल्पना की जा सकती है।


कीटों के अनेक वर्गों में सामाजिक संगठन का विकास स्वतंत्र रूप से हुआ है। ऐसे कीटों के उदाहरण हैं, सामाजिक ततैया, सामाजिक मधुमक्खियाँ एवं चींटियाँ। ये सभी हाइमेनॉप्टेरा (Hymenoptera) गण में आते हैं। दीमक आइसॉप्टेरा (Isoptera) गण में आती हैं। इन कीटों में सामुदायिक संगठन का विकास सर्वोच्च हुआ है। इन संगठनों में विभिन्न सदस्यों के कार्यों का वर्गीकरण पूरे समुदाय के हित के लिये किया जाता है। सभी सामाजिक कीट बहुरूपी होते हैं, अर्थात्‌ एक स्पीशीज़ में कई स्पष्ट समूह होते हैं। प्रत्येक समूह में जनन जातियाँ, (नर, मादा, राजा, रानी, इमैगी आदि) रचना तथा कार्य की दृष्टि से, बाँझ जातियों (सेवककर्मी सैनिक आदि) से भिन्न होती हैं। बाँझ जातियों में केवल जनन अंग के अवशेष ही पाए जाते हैं, परंतु सामाजिक हाइमेनॉप्टेरा की बाँझ जातियों के अंसेचित अंडों से केवल मादाएँ उत्पन्न होती हैं, जो बाँझ होती हैं। असंसेचित अंडे के अनिषेकजनन (pathenogensis) से क्रियात्मक नर विकसित होते हैं।


उपसामाजिक कीट 
वास्तविक सामाजिक कीटों की उत्पत्ति उपसामाजिक कीटों से हुई। इनमें लैंगिक एवं पारिवारिक समंजन के साथ साथ प्रौढ़ एवं युवकों के बीच कार्यों का वर्गीकरण भी हुआ। पर एक ही लिंग के प्रौढों के बीच श्रम का विभाजन नहीं हुआ है। इस प्रकार सामाजिक ततैयों की उत्पत्ति संभवत: एकमात्र परभक्षी ततैये से हुई होगी, जो यूमिनीज़ (Eumenes) एवं बेस्पिडी कुल के ऑडीनीरस (Odynerus) से संबंधित है। ये दोनों ही गड्ढों या अपने बनाए गए छत्रों में अपने लार्वो के लिये भोजन या तो रखते हैं, अथवा उन्हें शक्तिहीन इल्लियाँ खिलाते हैं। सामाजिक मधुमक्खियों का विकास एकल मधुमक्खियों के स्पीसिडी (Specidae) कुल की एकल ततैयों से हुआ। फॉरमिसिडी (Formicides) कुल में चींटियाँ आती हैं। इस कुल के सभी सदस्य सामाजिक होते हैं।


भू-विज्ञान की शाखा,समुद्र-विज्ञान

समुद्र विज्ञान (Oceanography या oceanology या marine science,) भूविज्ञान की एक शाखा है जो समुद्रों का अध्ययन करती है। इसके अन्तर्गत समुद्र, तटीय क्षेत्र, एस्ट्युरीज (नदी मुख), तटीय जल, शेलव्ज और ओशन बेड, समुद्री जीवों, समुद्री धाराओं, तरंगों, भूभौतिकीय तरलगतिकी एवं अनेक अन्यान्य विषयों का अध्ययन किया जता है। इसमें जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, जिओलोजी, भौतिकी आदि सबकी आवश्यकता पड़ती है। इस क्षेत्र में काम करने वालों को ओशनोग्राफर कहते हैं।  ओशियनोग्राफी वह विज्ञान है जिसमें सागरों तथा महासागरों के हरपहलू का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। ओशियनोग्राफी में समुद्र, उसके तट, समुद्री शाखाओं से लेकर कोस्टल वाटरऔर समुद्री चट्टानों की गहराई का जायजा लेना होता है।


ओशियनोग्राफी कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासाओं का समंदरहै। महासागर में ढेरों जानकारी के खजाने छिपे हैं जिनके रहस्य पर से परदा उठना बाकी है। इस काम में समुद्र के भीतर घंटों गुजारकर सेंपल जुटाना, सर्वे करना, डाटा विश्लेषित करना होता है। यह खोज आधारित क्षेत्र है इसलिए इसमें काम करने वाले लोगों को समुद्र के आस-पास के इलाकों में लंबा समय गुजारना पड़ता है। ओशियनोग्राफर महासागरों व कोस्टल वाटर के रहस्य बारीकी से जाँचता है। वह महासागरीय जल की गति, जल के वितरण और उसके फिजिकल व केमिकल गुण व लक्षण का अध्ययन करता है औरयह जानने की कोशिश करता है कि इनका समुद्र के तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों और जलवायु परक्या असर पड़ता है। यह क्षेत्र शोध आधारित है जहां एक लंबा समय समुद्री उथल-पुथल के बीच बिताना होता है। मिलने वाली चुनौतियों व खतरों के करीब से गुजरना होता है।


कागभुषडं-लोमस क्रिया कलाप

गतांक से...


प्राण सूत्र क्या है? हमारे यहां भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणों की प्रतिक्रियाएं मानी जाती है। प्राण के आधार पर मानव का जीवन न्योछावर रहता है। प्राण ही है जो प्रत्येक लोक-लोकातरों को एक सूत्र में पिरोने वाला है। एक तारा मंडलों की माला बनी हुई है और एक सूत्र में पिरोई हुई है। वही तो प्राण सूत्र कहलाता है। जैसे मानव का शरीर है। मानव के शरीर में नाना प्रकार के संस्कार विधमान होते हैं। नाना प्रकार की आवाज उसमें दृष्टिपात आती है। जैसे चंद्रमा की यात्रा में रत होने जा रहा है। चंद्रमा का यान और विज्ञान उसके मानवीय मस्तिष्‍को में नृत्य कर रहा है। तभी तो उसको चंद्रमा का ज्ञान होता है वह एक सूत्र है जो प्रत्येक परमाणु को अपने सूत्र में पिरोये है। ब्रह्मांड की कल्पना करने वाले आचार्यों ने यह कहा है कि एक ही सूत्र है जिसमें ब्रह्मांड पिरोहा हुआ है तो मैं ऋषि कागभुषडं जी के विद्यालय में इस प्रकार के प्रश्न होते रहते थे। ब्रह्मचारीजन एक स्थली पर विद्यमान होते तो कई तारा मंडलों की गणना हो रही है। कहीं सूर्य की गणना हो रही है, कहीं आकाशगंगा की गणना हो रही है। कहीं नाना निहारिका को निहार रहे अपने अंतरण में, आभा में प्राण सूत्र की चर्चा होती रहती थी। यह सर्वत्र ब्रह्मांड जो गति कर रहा है। अपने आसन पर प्रत्येक प्राणी प्रत्येक लोक-लोकांतर जो क्रियाशील हो रहा है। उसी प्राण सूत्र की महिमा है। प्राण सूत्र की एक आभा कहलाती है, पूर्व से दक्षिणायन को वृत्ती कर रहा है। वह सर्वत्र एक प्राण की आरती हो रही है। देखो काग भुषडं जी और महर्षि लोमस मुनि महाराज का, दोनों के संवाद, कि मैंने अभी-अभी तुम्हें चर्चा की थी। महाराज जी, दोनों उत्तर प्रश्न करते रहते थे। वह यह कहा करते थे कि संसार एक दूसरे में रमण कर रहा है। एक दूसरे में पिरोया हुआ ही दृष्टिपात आता है। जब दोनों की वार्ता आरंभ रहती है तो दोनों अपने को प्राण सूत्र में पिरोया हुआ स्वीकार करते थे। स्वीकार करते थे इस समय अपने स्थलों पर विद्यमान हो करके उन्होंने यह विचारा कि आज हमे सूर्य मंडल की यात्रा करने के लिए तत्पर होना चाहिए, तो वहां उन किरणों में जब प्राण सूत्र उन्होंने दृष्टिपात किया। प्राण सूत्र ही है जिसके द्वारा सूर्य की किरण पृथ्वी मंडल पर आती है। नाना लोक-लोकातंरो में प्रवेश करती है। धौलोक से जब वह सूर्यप्रकाश लेता है, विद्युत लेता है। उसी विद्युत को लेकर के संसार प्रकाशमान होता है। सूर्य प्रकाशित बना हुआ है परंतु देखो योगी जन उस प्राण सूत्र के सहयोग से सूर्य की किरण के साथ-साथ, सूर्य की यात्रा में तत्पर रहते हैं। मैंने बहुत पुरातन काल में तुम्हें निर्णय देते हुए कहा था कि हमारे यहां नाना प्रकार के वैज्ञानिक हुए हैं। जिन वैज्ञानिकों ने सूर्य से ऊर्जा लेकर के, सूर्य से सक्‍ती को लेकर के, सूर्य की यात्रा वाले यानो का निर्माण किया है। उन यादों में विद्यमान हो करके देखो यात्री बना रहा है। इसलिए आचार्यों ने कहा है कि इसी आभा को लेकर के प्राण सूत्र की चिकित्सा हमारे यहां परंपरागतो से विचित्र मानी गई है। कागभुषडं जी ने लोमस से कहा कि प्राण वायु लेकर के सूर्य की आभा में रमण करता है। सूर्य की किरणों के साथ साथ ऊर्जा ले करके उसको प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार मानव के द्वारा एक प्राण चिकित्सा भी कहलाई जाती है। हमारे यहां प्राण चिकित्सा को लेकर के सूर्य और चंद्र दोनों के ज्ञान विज्ञान को लेकर के उन्होंने प्राण चिकित्सा का निर्माण किया है। कागभुषडं जी की विशेषता इस संसार में उस काल में रही है कि उन्होंने प्राण सूत्र लेकर के प्राण चिकित्सा का निर्माण किया है। हमारे यहां कई प्रकार की चिकित्सा का निदान होता रहा है। एक प्राण चिकित्सा है, एक वायु चिकित्सा है ,एक धौ चिकित्सा कहलाती है। एक वनस्पति विज्ञान वाली चिकित्सा कहलाती है। परंतु यह जो प्राण चिकित्सा है यह सर्वोपरि और सबसे महान चिकित्सा मानी जाती है। जब हमारे यहां वैध राज प्राण सूत्र में रमण करनेवाले प्राण की चिकित्सा में तत्पर हुए, तो उन्होंने अपने को प्राण सूत्र में पिरोना आरंभ किया। कागभुषडं जी ने 12 वर्ष तक इस प्रकार का तप किया। मुनिवर, जो वह प्राण के ऊपर अनुसंधान करते रहे कि प्राण की गति क्या है? कितनी घड़ी में नाभि केंद्र से सूर्य प्रणायाम की गलियों में गति कर रहा है। कितनी घड़ियों में यह चंद्र स्वर विज्ञान में गति कर रहा है। यदि दोनों में देखो उनका दोनों स्वरूप, प्रतिभा एक ही सूत्र में पिरोई हुई है। स्वस्थ प्राणी कहलाया जाता है और इसमें दोनों प्रकार के विज्ञान में किसी में किसी प्रकार की त्रुटियां और स्वार्थ मंद और तेज गति रहती है। तो दोनों में किसी प्रकार के रुग्‍ण की आशंका बनी रहेगी। तो परिणाम यह है कि प्रत्येक मानव को प्राण चिकित्सा के ऊपर अध्ययन करना चाहिए। प्राण चिकित्सा वाले बहुत से वैज्ञानिक हुए हैं। प्राण चिकित्सा वालों ने सूर्य की किरणों के द्वारा अपने को प्रवृत्‍त किया है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 27, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-55 (साल-01)
2. शुक्रवार,27 सितबंर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि त्रयोदशी/ चतुर्दशी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:15,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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