वाशिंगटन डीसी। अफगानिस्तान में सुरक्षा बलों की विफलता और तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के तुरंत बाद अमेरिका के विरोधियों ने अवसरों का लाभ उठाना शुरू कर दिया। यूएस न्यूज में लिखे एक लेख में पाल डी शिंकमैन ने कहा कि अफगानिस्तान में अफरा-तफरी के बीच चीन, रूस और ईरान ने बिना समय गंवाए अपने हितों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
लेख के अनुसार, रूस ने इसे प्रत्यक्ष तौर से अमेरिका और नाटो से शीत युद्ध के दौर का बदला लेने के अवसर के रूप में देखा। चीन इसे विदेश में अपनी इच्छा को लागू करने की क्षमता के बारे में अमेरिकी विफलता का सबसे बड़ा उदाहरण मानता है। ईरान इसे युद्ध के मैदान में अमेरिकी विफलता मानता है। जिससे लगता है कि क्षेत्र को लेकर उसकी अपनी महत्वाकांक्षा है।
यूएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पहले ही बोल चुका है कि तालिबान अफगान के लोगों का आदर करता है और वह तालिबान को वैध सरकार के तौर पर मान्यता देगा। बीजिंग से मिली खबरों के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री वांग ई ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से टेलीफोन पर बातचीत की। चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि दोनों नेताओं की बातचीत एक दिन पहले हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि अफगानिस्तान में स्थिति तेजी से बदल रही है। पूर्ववर्ती सरकार ने बिना संघर्ष किए हथियार डाल दिया और तालिबान विजेता बनकर उभरा।