अध्यात्म: 17 सितंबर से आरंभ होगा 'पितृ पक्ष'
सरस्वती उपाध्याय
पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह हिंदू कैलेंडर में मृतक पूर्वजों को समर्पित एक महत्वपूर्ण अवधि है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व है। इस दौरान लोग अपने पितरों को प्रसन्न और संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है।
इस दिन उन पूर्वजों के सम्मान में श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु महीने की पूर्णिमा के दिन हुई थी।
माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी लोक आती हैं और प्रसाद व प्रार्थनाओं के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होती हैं। इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृ दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
इस साल पितृ पक्ष का आरंभ कब से हो रहा है 17 या 18 सितंबर ? इसे लेकर लोगों में दुविधा है। ऐसे में आइए जानते हैं पितरों का पहला श्राद्ध किस दिन किया जाएगा और इस बार पितृ पक्ष कब से आरंभ होने जा रहा है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष 17 सितंबर से आरंभ हो रहा है। लेकिन, इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाएगा। 17 सितंबर यानी मंगलवार को भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध है और पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के कार्य प्रतिपदा तिथि से किए जाते हैं। इसलिए 17 सितंबर को ऋषियों के नाम से तर्पण किया जाएगा। दरअसल, श्राद्ध पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि से होता है। इसलिए 18 सितंबर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान आदि कार्य किए जाएंगे। ऐसे में देखा जाए तो पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से हो रहा है और यह 2 अक्तूबर तक चलेगा।
श्राद्ध की सभी मुख्य तिथियां
17 सितंबर मंगलवार पूर्णिमा का श्राद्ध (ऋषियों के नाम से तर्पण)
18 सितंबर बुधवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)
19 सितंबर गुरुवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार तृतीया तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर शनिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार नवमी तिथि का श्राद्ध
26 सितंबर गुरुवार दशमी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार एकादशी तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर रविवार द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर सोमवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर मंगलवार चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर बुधवार सर्व पितृ अमावस्या (समापन)।
श्राद्ध करने का सबसे उत्तम समय
शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में सुबह और शाम के समय देवी देवताओं की पूजा को शुभ बताया गया है। साथ ही पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय होता है। वहीं, पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11.30 से 12.30 बजे तक बताया गया है। इसलिए आपको पंचांग में अभिजीत मुहूर्त देखने के बाद ही श्राद्ध कर्म करें।