मोहर्रम की दसवीं पर कर्बला की 72 शहादतें
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। माहे मोहर्रम की दसवीं को देश कर्बला के 72 शहादतो का गमे हुसैन रहे है, पहले बुड्ढा ताजिया उठाया गया। हुसैन के शेदाईयो ने बुड्ढा ताजिया को कंधे पर लेकर गस्त कराने लगे, या अली, या हुसैन सदाएं बुलंद होने लगी। पूरे रास्ते लंगर पानी और शरबत पिलाया जा रहा था। बुड्ढा ताजिया नुरुल्लाह रोड खुल्दाबाद हिम्मतगंज होता हुआ, लगभग शाम के आसपास कर्बला पहुंचा। बड़े ताजिए पर अकीदत मंद लोगों ने मन्नते मांगी। फूल चढ़ाएं और लंगर करते रहे, बाद नमाज जोहर, बड़ा ताजिया जोरदार नारे लगाए गए, नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर ऐसा लग रहा था जमीन और आसमान दोनों अल्लाह हो अकबर से गूंज रहा है।
बड़ा ताजिया उठाया जाता है अकीदत मंद अपने कंधों पर ताजिया लेकर निकल पड़ते हैं। ताजिया उठते ही ताजिए के रास्ते में एक सैलाब उमड़ पड़ता है। पूरे रास्ते या अली या हुसैन की सदाएं बुलंद होती रही। घर के छत पर औरतें और बच्चे ताजिया का दीदार के लिए इंतजार करते रहे। हजारों शहादतो के बाद दीन ए इस्लाम की नींव रखी गई। पूरी दुनिया में दीन -ए- इस्लाम का परचम लहरा रहा है। बड़ा ताजिया जॉनसन गंज चौक घंटाघर कोतवाली सेवई मंडी खलीफा मंडी, नखास कोना पर, हुसैनी सैलाब को देखकर ऐसा लग रहा था। जैसे पूरा शहर यहां पर उमड़ पड़ा हो। हर कोई बड़े ताजिया का दीदार करना चाहता था। अकीदत के फूल और अपने बच्चों को बोसा कराना चाहा रहा था। हर तरफ सर ही सर दिखाई दे रहा था। या अली, या हुसैन के सदाएं लग रही थी, पूरा एरिया हुसैनी हो चुका था। सभी धर्म के लोग ताजिया में शामिल हुए।
धीरे-धीरे बड़ा ताजिया खुल्दाबाद हिम्मतगंज होते हुए कर्बला की तरफ रवां दवा था। बड़ा ताजिया कर्बला पहुंचकर अकीदत के फूल को दफनाया गया। हुसैन के सौदाई नम आंखों के साथ अपने घर की तरफ लौटने लगे। दीन -ए- इस्लाम जिंदाबाद हुसैन जिंदाबाद के नारे लगाए। पुलिस प्रशासन प्रशासन समाजसेवी, पत्रकार, मेहंदी ताजिया के मेंबर, बड़े ताजिए के रेहान खान, इमरान खान, फरहत खान, आमिर खान, जफर खान, असरार नियाजी, फैयाज अहमद, गुलाम नबी, मोहम्मद गुलाम, मोहम्मद आमिर मोहम्मद महबूब, डाबर अजीम, पहलवान चांद मियां, अनीस अहमद, सरफराज अहमद, नदीम शिराजी, अली उमर, राम कुमार अग्रहरी, गौरी शंकर, शेरू याकूब, हजारों हुसैनियो ने शिरकत की।