अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। जिले में लोनी स्थित टीला शहबाजपुर गांव में अधिग्रहित भूमि पर कब्जा लेने पहुंची गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) टीम को ग्रामीणों के विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि जीडीए ने उनकी आबादी की भूमि का जबरन अधिग्रहण कर लिया है। जबकि उन्होंने उस भूमि का मुआवजा भी नहीं उठाया है। जीडीए का कहना है कि ग्रामीणों ने अधिग्रहित भूमि पर चारदीवारी आदि बनाकर कब्जा कर लिया है। मामले को निपटाने के लिए जीडीए ने ग्रामीणों को वार्ता के लिए आमंत्रित भी किया।
गौरतलब है कि करीब तीस वर्ष पूर्व जीडीए ने अपनी इंद्रप्रस्थ आवासीय योजना के लिए टीला एवं बंथला गांवों की कई सौ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। जिसकी एवज में किसानों को मुआवजे का भुगतान करने के बाद जीडीए ने अधिकांश अधिग्रहित भूमि पर कब्जा लेकर इंद्रप्रस्थ कॉलोनी विकसित कर ली है। जबकि तीन गैस संयत्रों को भी स्थापित करा दिया है। कुछ समय पूर्व ही जीडीए ने अधिग्रहित भूमि के एक भाग पर ओद्यौगिक भूखंड भी विकसित कर बेचे हैं। गांव की पुरानी आबादी के साथ अधिग्रहित सैकड़ों बीघा भूमि पर ग्रामीणों के मकान व घेर आदि बने हुए हैं। ग्र्रामीणों का कहना है कि यह उनकी पुरानी आबादी का ही हिस्सा है। जिसका ग्रामीणों ने मुआवजा भी नही उठाया है। जबकि जीडीए अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों ने अधिग्रहण के बाद नई आबादी बना ली है। जिसका जीडीए पहले ही अधिग्रहण कर चुका था। इसी भूमि को लेकर ग्रामीणों एवं जीडीए के बीच विवाद चला आ रहा है।
शुक्रवार दोपहर जीडीए की टीम पुलिस बल के साथ इसी भूमि पर कब्जा लेने पहुंची थी। अधिकारियों ने तेजसिंह व सुरेन्द्र की दीवार भी गिरा दी थी, लेकिन इसी दौरान सैकड़ों ग्रामीण मौके पर एकत्र हो गए और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का विरोध करने लगे। एसडीएम खालिद अंजुम खान भी मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद ग्रामीणों ने जीडीए ओएसडी से मोबाइल पर संपर्क कर आबादी की भूमि को अधिग्रहणमुक्त करने की मांग की। मामले को वार्ता के माध्यम से निपटाने के लिए जीडीए अधिकारियों ने ग्रामीणों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। एक सप्ताह में जीडीए एवं ग्रामीणों के बीच वार्ता होगी जिसके बाद मामले का निपटारा होने की संभावना बनेगी।