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शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

पीएम नेतन्याहू की सरकार को बर्बर करार दिया

पीएम नेतन्याहू की सरकार को बर्बर करार दिया 
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बर्बर करार दिया है। इस्राइल की ओर गाजा में किए जा रहे हमलों को प्रियंका ने नरसंहार की कार्रवाई बताया। प्रियंका ने कहा शर्मनाक है कि कई पश्चिमी देश इस्राइल की बर्बरता का समर्थन कर रहे हैं। 
इस्राइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू का अमेरिकी संसद में जोरदार स्वागत किया गया था। उनके भाषण के दौरान दो बार लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाईं थीं। इस पर प्रियंका ने कहा कि अब गाजा में हो रहे नरसंहार में मारे जा रहे नागरिक, माता-पिता, डॉक्टर, नर्स, सहायता कर्मी, पत्रकार, शिक्षक, लेखक, कवि, वरिष्ठ नागरिकों और हजारों मासूम बच्चों के बारे में बोलना पर्याप्त नहीं है। हर सही सोच वाले व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह इस हिंसा और नरसंहार का खुलकर जवाब दे। साथ ही दुनिया की हर सरकार को इस्राइल सरकार के इस कदम की निंदा करनी चाहिए और इसे रोकने की पहल करनी चाहिए।
प्रियंका गांधी ने कहा कि सभ्यता और नागरिकता का दावा करने वाले इस्राइल की यह हरकतें स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। बावजूद इसके इस्राइल के प्रधानमंत्री का अमेरिकी संसद में स्वागत किया जा रहा है। नेतन्याहू कहते हैं कि यह संघर्ष बर्बरता और सभ्यता के बीच है, यह ठीक भी है। मगर उनको यह मानना होगी कि वह और उनकी सरकार ही बर्बर है। इसके अलावा शर्म की बात यह है कि इस्राइल की इस बर्बरता का पश्चिमी देश समर्थन कर रहे हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस नेता गाजा में इस्राइल की कार्रवाई के खिलाफ पहले भी आवाज उठाती रही हैं और फलीस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करती रही हैं।
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका के संसद को संबोधित करते हुए इस्राइल के खिलाफ समूहों को फंडिंग और समर्थन देने के लिए ईरान की आलोचना की थी। नेतन्याहू ने ईरान को निशाने पर लेते हुए कहा था कि अपने शत्रुओं को हराने के लिए साहस की जरूरत होती है। हमें मालूम है कि ईरान इस्राइल के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को फंडिंग कर रहा है। ज्यादा नहीं, लेकिन ऐसे कुछ यहां भी हैं और हर राज्य में हैं। मेरे पास इन प्रदर्शनकारियों के लिए एक संदेश है। इन प्रदर्शनकारियों के लिए मेरा संदेश है- जब तेहरान के तानाशाह, जो समलैंगिकों को फांसी देते हैं और अपने बाल न ढकने के लिए महिलाओं की हत्या कर देते हैं, वह आपकी तारीफ करें, आपको फंड दें, तो मतलब है कि आप आधिकारिक तौर पर ईरान के काम आने वाले बेवकूफ बन चुके हैं।

राष्ट्रपति चुनाव: 3 लोगों के अनुरोधों को मान्य किया

राष्ट्रपति चुनाव: 3 लोगों के अनुरोधों को मान्य किया

अखिलेश पांडेय 
अल्जीयर्स। अल्जीरिया के नेशनल इंडिपेंडेंट अथॉरिटी फॉर इलेक्शन (एएनआईई) ने देश में 7 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए तीन लोगों के उम्मीदवारी अनुरोधों को मान्य किया है। यह जानकारी राज्य संचालित टेलीविजन ईएनटीवी ने गुरुवार को दी। रिपोर्ट के अनुसार, एएनआईई के प्रमुख मोहम्मद चोर्फी ने सितंबर में होने वाले चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची की जानकारी देने के लिए एक प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि एएनआईई ने राष्ट्रपति अब्देलमदजीद तेब्बौने, सोशलिस्ट फोर्सेज फ्रंट के महासचिव यूसेफ औचिचे और मूवमेंट ऑफ सोसाइटी फॉर पीस के प्रमुख अब्देलअली हसनी चेरीफ की उम्मीदवारी को मंजूरी दे दी है और उन्हें योग्य माना है क्योंकि वे निर्धारित सभी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। अल्जीरिया के चुनावी कानून के अनुसार, चुनाव लड़ने के इच्छुक किसी भी उम्मीदवार को नगरपालिका, प्रांतीय या संसदीय परिषदों के निर्वाचित सदस्यों से 600 व्यक्तिगत हस्ताक्षर एकत्रित करने होते हैं या कम से कम 29 प्रांतों में पात्र मतदाताओं में से कम से कम 50,000 हस्ताक्षर एकत्रित करने होते हैं, जिसमे प्रत्येक प्रांत से कम से कम 1,200 हस्ताक्षर शामिल है। राष्ट्रपति तेब्बौने ने 21 मार्च को तकनीकी कारणों' का हवाला देते हुए सात सितंबर को मध्यावधि राष्ट्रपति चुनाव कराने का निर्णय लिया था। उन्होंने 11 जुलाई को अपने दूसरे पांच वर्षीय कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा की थी।

शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

चिली: 7.3 तीव्रता का भूकंप, झटकें महसूस किए

चिली: 7.3 तीव्रता का भूकंप, झटकें महसूस किए 

अखिलेश पांडेय 
सैंटियागो। धरती के नीचे हुई हलचल के बाद जब लोगों को तेजी के साथ भूकंप के झटके लगने लगे और घर के सामान के आपस में भिडने से आवाजें आने लगी तो दहशत में आए लोग घरों से निकलकर बाहर आ गए। 7.3 तीव्रता वाले इस भूकंप से फिलहाल, किसी जान माल की नुकसान की खबर नहीं मिली है। शुक्रवार को चिली के एंटोफगास्टा में आएं भूकंप से लोगों के दिल बुरी तरह से दहल उठे हैं। यूरोपीय मेडिटरेनियन सीस्मोलॉजिकल केंद्र के मुताबिक चिली में आए इस भूकंप का केंद्र जमीन के 128 किलोमीटर नीचे था। जिसके चलते तेजी के साथ धरती हिलने लगी और लोग दहशत में आकर अपने मकानों से निकलकर खुले मैदान में आगे रिक्टर स्केल पर आ जाए। भूकंप की तीव्रता 7.3 मापी गई है। फिलहाल 7.3 तीव्रता के भूकंप से अभी तक किसी तरह के जान और माल के नुकसान की खबर नहीं है। 21 दिन में दूसरी बार आए भूकंप से पहले 29 जून को धरती बुरी तरह से हिल गई थी, 29 जून को आए भूकंप की तीव्रता 5.02 मापी गई थी।

सोमवार, 15 जुलाई 2024

विदेशी सीरियल देखने की सजा, 30 बच्चों की हत्या

विदेशी सीरियल देखने की सजा, 30 बच्चों की हत्या 

अखिलेश पांडेय 
प्योंगयांग। विदेशी टीवी सीरियल देखने की सजा के रूप में 30 बच्चों को सार्वजनिक रूप से मौत के घाट उतार दिया गया है। मौत का निवाला बन बच्चों का कसूर केवल इतना था कि यह दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखते हुए पकड़े गए थे। उत्तर कोरिया में क्रूरता की सभी हदों को पार करते हुए दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखते हुए पकड़े गए 30 बच्चों को सरकार के निर्देश पर मौत के घाट उतार दिया गया है। जानकारी मिल रही है कि उत्तर कोरिया के इन 30 बच्चों को दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखने की सजा के रूप में सार्वजनिक रूप से गोली मारी गई है। बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया में सरकार की ओर से मीडिया प्रसारणों को वैसे तो सख्ती के साथ नियंत्रित किया जाता है, मगर विदेशी टीवी शो पायरेटेड यूएसबी स्टिक के माध्यम से सीमा पार से तस्करी किए जाते रहे हैं।

रविवार, 14 जुलाई 2024

पिछले आठ महीनों में मुझ पर दो बार हमला हुआ

पिछले आठ महीनों में मुझ पर दो बार हमला हुआ 

अखिलेश पांडेय 
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के अरबपति उद्यमी एलन मस्क ने रविवार को कहा कि पिछले आठ महीनों में उन पर दो बार हमला किया गया है। 
मस्क ने अपने सोशल मीडिया पर कहा कि “आने वाला समय खतरनाक है। दो लोग (अलग-अलग मौकों पर) पहले ही मुझे मारने की कोशिश कर चुके हैं। उन्हें टेक्सास में टेस्ला मुख्यालय से लगभग 20 मिनट की ड्राइव पर बंदूकों के साथ गिरफ्तार किया गया।”  इससे पहले दिन में मीडिया ने फुटेज में दिखाया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण में गोलियां चली, जिसके बाद उनके सिर के दाहिने हिस्से पर खून बह रहा था और अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट उन्हें मंच से बाहर ले जा रहे थे। 
मीडिया ने कहा कि ट्रंप सुरक्षित हैं और ठीक हैं। मीडिया ने यह भी कहा कि गोलीबारी की जांच हत्या के प्रयास के रूप में की जा रही है और शूटर को अमेरिकी गुप्त सेवा एजेंटों ने मार गिराया।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

नेपाल: दहल ने 'पीएम' पद से इस्तीफा दिया

नेपाल: दहल ने 'पीएम' पद से इस्तीफा दिया 

अखिलेश पांडेय 
काठमांडू। संसद में विश्वास में हासिल करने के दौरान हार के बाद प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब नई सरकार के गठन की चर्चा शुरू हो गई है। गौरतलब है कि नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल "प्रचंड" को 19 महीने के अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान कई बार विश्वास मत हासिल करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी लेकिन इस बार प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए जिसके कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। 
दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री बनने के लगभग 19 महीने बाद उनकी सरकार को पांचवीं बार विश्वास मत हासिल करने का नंबर आया , जिसमें नेपाल की 275 सदस्य वाली संसद में उन्हें 63 वोट मिले जबकि उनके खिलाफ 194 वोट पड़े। अब नेपाल में नई सरकार के गठन की चर्चाएं शुरू हो चुकी है, कि अब नेपाल का प्रधानमंत्री कौन बनेगा। इसके साथ ही नेपाल की नेपाल कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच समझौता हो गया है, जिसमें 3 साल तक शेर बहादुर देउबा और ओली प्रधानमंत्री के रूप में काम करेंगे।

बुधवार, 10 जुलाई 2024

सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार करने की जरूरत

सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार करने की जरूरत 

अखिलेश पांडेय 
वारसॉ। पोलैंड के सेना प्रमुख ने बुधवार को कहा, कि देश को अपने सैनिकों को पूर्ण युद्ध के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। रूस और बेलारूस के साथ अपनी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही यह घोषणा की गई है।
रूस ने 24 फरवरी, 2022 को पड़ोसी यूक्रेन में हजारों सैनिक भेजे थे, जिससे युद्ध शुरू हुआ, जो अभी भी जारी है। इसके बाद से रूस और उसके सहयोगी बेलारूस के साथ पोलैंड के संबंध काफी खराब हो गए हैं। सेना प्रमुख जनरल विसलाव कुकुला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "आज, हमें अपनी सेना को पूर्ण युद्ध के लिए तैयार करने की जरूरत है, न कि असममित युद्ध के लिए।"
उन्होंने कहा, "यह हमें सीमा पर मिशन और सेना में प्रशिक्षण की तीव्रता को बनाए रखने के बीच एक अच्छा संतुलन खोजने के लिए मजबूर करता है।" उसी कार्यक्रम में बोलते हुए, रक्षा मंत्री के उप मंत्री पावेल बेजा ने कहा कि अगस्त तक पोलैंड की पूर्वी सीमा की रक्षा करने वाले सैनिकों की संख्या वर्तमान 6,000 से बढ़ाकर 8,000 कर दी जाएगी, और 48 घंटे की नोटिस पर 9,000 का अतिरिक्त रियरगार्ड भी तैनात किया जा सकता है। 
मई में, पोलैंड ने "ईस्ट शील्ड" की विवरण की घोषणा की थी, जो बेलारूस और रूस के साथ अपनी सीमा पर रक्षा को मजबूत करने के लिए 10 अरब ज़्लॉटी ($2.5 अरब) का कार्यक्रम है। इसके लिए पोलैंड ने 2028 तक योजना पूरी करने का लक्ष्य रखा है।
2021 में बेलारूस में प्रवासियों का आना-जाना शुरू होने के बाद से बेलारूस के साथ सीमा एक विवाद का बिंदु बनी हुई है। बेलारूस ने मध्य पूर्व में नई अनौपचारिक यात्रा एजेंसियां खोली। जिससे लोगों को यूरोप जाने का एक नया रास्ता मिला, जिसे यूरोपीय संघ ने एक संकट पैदा करने का ढोंग कहा था।
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के जवाब में पोलैंड ने इस साल अपने आर्थिक उत्पादन के 4% से ज़्यादा रक्षा व्यय बढ़ा दिया है। कुकुला ने यह भी कहा कि सेना में भर्ती होने के लिए आवेदकों की वर्तमान उच्च रुचि एक पहेली है, क्योंकि इस कारण बजट से ज़्यादा भर्ती करनी पड़ सकती है, जिससे सैन्य उपकरण खरीदने में दिक्कत आएगी। खासकर, जबकि 2027 से इस रुचि में तेज़ी से गिरावट आने की उम्मीद है। 
पिछले साल के अंत में सशस्त्र बलों का आकार लगभग 190,000 कर्मियों का था, जिसमें भूमि, वायु, नौसेना, विशेष बल और क्षेत्रीय रक्षा बल शामिल थे। पोलैंड कुछ वर्षों के अंदर इस संख्या को बढ़ाकर 300,000 करने की योजना बना रहा है।
पोलैंड का यह कदम रूस की आक्रामक नीतियों और बेलारूस के साथ उसके संबंधों को देखते हुए समझ में आता है। यूरोप में बढ़ते तनाव के बीच पोलैंड अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहा है। लेकिन, यह भी महत्वपूर्ण है, कि इस स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुधारा जाए।

मंगलवार, 9 जुलाई 2024

रूस ने मोदी को 'सर्वोच्च नागरिक सम्मान' से नवाजा

रूस ने मोदी को 'सर्वोच्च नागरिक सम्मान' से नवाजा

अखिलेश पांडेय 
मॉस्को। दो दिवसीय रूस के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है। खुद राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को सम्मानित किया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की रूस यात्रा पर गए हुए हैं। सबसे पहले रूस पहुंचने पर उन्हें गार्ड आफ ऑनर दिया गया था। उसके बाद भारतीय गीत पर थिरकते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत भी किया गया था। रूस दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान आर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया गया। 
सबसे बड़ी बात यह रही कि रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री को खुद सर्वोच्च नागरिक सम्मान आर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से नवाजा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। बताया जाता है, कि इस वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद, आपसी सहयोग और शांति बहाली को लेकर भी विचार-विमर्श किया।

रविवार, 7 जुलाई 2024

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को बंद कर, इस्तीफा मांगा

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को बंद कर, इस्तीफा मांगा 

अखिलेश पांडेय 
जेरूसलम। इजराइल में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को गाजा में युद्ध शुरू होने के नौ महीने पूरे होने पर देशभर में सभी सड़कों को बंद कर दिया। साथ ही उन लोगों ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से पद छोड़ने की मांग भी की है।
प्रदर्शनकारी संघर्ष विराम का आह्वान इसलिए कर रहे हैं। ताकि हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को वापस लाया जा सके। इजराइल में ये प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहे हैं। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिर्ष नेतृत्व ने समझौते के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिए हैं।
मिस्र और हमास के अधिकारियों ने एक सार्वजनिक बयान में कहा कि इस हफ्ते के अंत में युद्ध समाप्त करने के लिए इजराइल की प्रतिबद्धता की प्रमुख मांग छोड़ दी है। कहा जा रहा है कि इससे इजराइल में लड़ाई रुक सकती है।

इजराइल की सांसदों के घरों के बाहर भी प्रदर्शन

वहीं, अगर ऐसा होता है, तो इजराइल और हमास में नवम्बर के बाद पहली बार लड़ाई रुक सकती है और आगे की वार्ता के लिए मंच तैयार हो सकता है। पिछले साल सात अक्टूबर को सीमा पार से हुए हमले के बाद फलस्तीनी उग्रवादी समूह द्वारा शुरू किए गए युद्ध में 1,200 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि 250 अन्य लोगों को बंधक बनाया गया है।
क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइल के जवाबी हवाई और जमीनी हमले में 38 हजार से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। वहीं, इजराइल के प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़कों को बंद कर दिया और इजराइल की संसद के सदस्यों के घरों के बाहर प्रदर्शन किया।

इस बीच इजराइली हमलों में नौ फलस्तीनी की मौत

इस बीच गाजा में लड़ाई जारी रही। रातभर और रविवार तड़के तक इजराइली हमलों में नौ फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, मध्य गाजा के जवैदा कस्बे में एक घर पर हमला होने से छह फलस्तीनी मारे गए हैं। गाजा पट्टी के हमास से जुड़े नागरिक सुरक्षा संगठन ने बताया कि रविवार को तड़के एक और इजराइली हवाई हमला गाजा शहर के पश्चिम में एक घर पर हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी 

सुनील श्रीवास्तव 
मॉस्को। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) देशों के यूक्रेन के पक्ष में उतरने पर बिफरे व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें यूक्रेन के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, यदि यूक्रेन की मदद कर रहे पश्चिमी देश सोचते हैं, कि मॉस्को ऐसा कभी नहीं करेगा, तो यह उनकी गलती है। पुतिन ने इन नाटो सदस्यों को स्पष्ट संदेश दिया, कि यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने पर उनका रूस के साथ संघर्ष हो सकता है, जो परमाणु संघर्ष में बदल सकता है। मॉस्को ने हाल में दक्षिणी रूस में सहयोगी बेलारूस के साथ मिलकर अपने परमाणु हथियार संबंधी सामरिक तैयारी के लिए अभ्यास किया। पश्चिमी देश यूक्रेन में नाटो सैनिकों की तैनाती और रूसी क्षेत्र में सीमित हमलों के लिए उसे लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। रूस ने अपने सैन्य अभ्यास को पश्चिमी देशों के इसी कदम की प्रतिक्रिया बताया।
पुतिन ने यूक्रेन में 24 फरवरी 2022 को हमला शुरू किया था और इसके बाद से वह युद्ध में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप को हतोत्साहित करने के लिए रूस की परमाणु ताकत का कई बार जिक्र कर चुके हैं। पुतिन ने रूस की हालिया सैन्य सफलताओं के बीच कहा कि मॉस्को को यूक्रेन में जीत के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, ‘यूरोप में खासकर छोटे देशों समेत नाटो के सदस्यों के प्रतिनिधियों को यह अंदाजा होना चाहिए कि वह किसके साथ खेल रहे हैं।’
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रूस उन पर हमला करता है तो अमेरिकी सुरक्षा पर भरोसा करना उनकी गलती हो सकती है। पुतिन ने कहा, ‘लगातार तनाव के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यदि यूरोप में ये गंभीर परिणाम होते हैं, तो सामरिक हथियारों के मामले में हमारी क्षमता को देखते हुए अमेरिका क्या कदम उठाएगा ? कहना मुश्किल है। क्या वे वैश्विक संघर्ष चाहते हैं?’

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

चुनाव: स्टार्मर को 'ब्रिटेन' का नया प्रधानमंत्री चुना

चुनाव: स्टार्मर को 'ब्रिटेन' का नया प्रधानमंत्री चुना

अखिलेश पांडेय 
लंदन। ब्रिटेन ने किएर स्टार्मर के रूप में अपना नया प्रधानमंत्री चुन लिया है। लेबर पार्टी के नेता जीत के बाद अपनी पत्नी विक्टोरिया के साथ अपने आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुंच गए हैं। आधिकारिक आवास पर अपने पहले भाषण के दौरान स्टार्मर ने कहा कि देश ने बदलाव के लिए वोट किया है और यह समय सब कुछ फिर से शुरू करने का है। उन्होंने कहा कि हमारा काम बेहद जरूरी है और इसलिए इसकी शुरुआत आज से ही होगी। 
ब्रिटेन की 650 संसदीय सीटों में से 648 के रिजल्ट्स आ चुके हैं। जिसमें लेबर पार्टी को 412 सीटों पर बढ़त मिली है और कंजर्वेटिव पार्टी महज 121 सीटों पर ही जीत हासिल की। 
हार के बाद ऋषि सुनक ने बतौर प्रधानमंत्री अपने आखिरी भाषण में अपनी पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली। इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन के किंग को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

'ईंट से ईंट जोड़कर दोबारा मजबूत बनाएंगे देश'

10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले संबोधन में किएर स्टार्मर ने वादा किया कि वो देश में अवसरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को ईंट से ईंट जोड़कर खड़ा करेंगे। उन्होंने अपने पहले भाषण में स्कूलों और सस्ते घरों की जरूरत की बात करते हुए कहा कि ये सभी चीजें ऐसी हैं, जो मेरे जैसे मिडिल क्लास लोगों की जिंदगी में बहुत अहम हैं।

'सरकार अपने सिद्धांतों के बोझ से मुक्त रहेगी'

स्टार्मर ने अपने भाषण के दौरान बेहद अहम बात कही। उन्होंने कहा कि देश को बड़े रीसेट की जरूरत है और उनकी सरकार सिद्धांतों के बोझ से मुक्त होगी।
स्टार्मर ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि हमारे देश को एक बड़े रीसेट की जरूरत है....जरूरत है कि हम अपनी असली पहचान को जानें। अब से आपके पास सिद्धांत से मुक्त एक सरकार है, जो केवल आपके हित की सेवा करेगी।' उन्होंने कहा कि वो देश में बड़े बदलाव करेंगे और इसकी शुरुआत जल्द होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में बदलाव एक बड़ा काम है, जिसमें वक्त लग सकता है। साथ ही उन्होंने ऋषि सुनक की सरकार के काम के लिए उनकी सराहना भी की। 

'चाहे आपने हमें वोट दिया हो या नहीं...'

स्टार्मर ने कहा कि ब्रिटेन के लाखों लोग कड़ी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन, उनके हितों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'मैं उन लोगों से स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं- इस बार आपके साथ ऐसा नहीं होगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'आपने चाहे लेबर पार्टी को वोट दिया हो या नहीं और खासकर अगर आपने हमें वोट नहीं दिया है, तो मैं प्रत्यक्ष तौर पर आपसे कहना चाहूंगा कि हमारी सरकार आपकी सेवा करेगी। राजनीतिक अच्छाई के लिए की जा सकती है और हम ये आपको दिखाएंगे। हमने लेबर पार्टी को बदल दिया है, अब हम सेवा करेंगे और हमारे शासन करने का तरीका यही होगा।'

रूस ने 'मोबाइल न्यूक्लियर' मिसाइल का टेस्ट किया

रूस ने 'मोबाइल न्यूक्लियर' मिसाइल का टेस्ट किया 

अखिलेश पांडेय 
मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से लड़ाई चल रही है। अब रूस ने 'मोबाइल न्यूक्लियर' मिसाइल का टेस्ट किया है। रक्षा मंत्रालय के हवाले से ये बात सामने आई है, यार्स मिसाइल लांचर दल दो यूनिट से आगे बढऩे के लिए तैयार है।
वहीं, 100 किलोमीटर दूर तैनाती के लिए इस मिसाइल का टेस्ट किया जा रहा है, बताया जा रहा है भविष्य में कई और अधिक दल अभ्यास में शामिल होंगे। 
इस मिसाइल की खास बात ये है कि ये मोबाइल बेस्ड मिसाइल है, इसे ट्रक की मदद से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। रूस इससे पहले भी अपनी कई मिसाइल को टेस्ट कर चुका है। रूस ने हाल ही में कपुस्टिन यार रेंज से टॉप सीक्रेट इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मिसाइल परमाणु हमला करने में कारगर है। इस मिसाइल का जोर रूस की सुरक्षा पर है,ये रूस की सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद करेगी। ये एक सॉलिड फ्यूल मिसाइल है, इसे जमीन पर किसी चलती गाड़ी में तैनात किया जा सकता है।

पश्चिमी क्षेत्र में हमला कर सकते हैं हथियार

वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध की अगर बात करें तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन युद्ध में पश्चिमी देशों को बढ़ती भागीदारी पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि अगर पश्चिमी देश इस युद्ध में शामिल होंगे तो ऐसे में इंटरनेशनल न्यूक्लियर वारÓ का खतरा बढ़ जाएगा। पुतिन ने ये भी कहा था कि हमारे पास ऐसे हथियार भी हैं, जो पश्चिमी क्षेत्र में अपने-अपने टारगेट पर हमला कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा था हम पश्चिमी देशों को सलाह दे रहे हैं न कि डरा रहे हैं। यूक्रेन के साथ नाटो देशों के आने पर परमाणु संघर्ष का वास्तविक खतरा पैदा हुआ है, जिसका मतलब हमारी सभ्यता का विनाश होगा।

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

आतंकवाद से लड़ने में 'सहयोगी' हैं तालिबान

आतंकवाद से लड़ने में 'सहयोगी' हैं तालिबान 

अखिलेश पांडेय 
मॉस्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि रूस में प्रतिबंधित समूह तालिबान, आतंकवाद से लड़ने में मॉस्को का "सहयोगी" हैं। क्योंकि, वे अफ़गानिस्तान पर नियंत्रण रखते हैं। मास्को ने 2003 से रूस में प्रतिबंधित संगठन होने के बावजूद तालिबान के साथ वर्षों से संबंधों को बढ़ावा दिया है, और पुतिन ने पिछले महीने मास्को से तालिबान सरकार के साथ संबंधों को "बढ़ाने" का आह्वान किया था।"हमें यह मान लेना चाहिए कि तालिबान देश में सत्ता को नियंत्रित करता है। और इस अर्थ में, तालिबान, निश्चित रूप से, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे सहयोगी हैं, क्योंकि कोई भी अधिकारी अपने शासन वाले राज्य में स्थिरता में रुचि रखता है," पुतिन ने अस्ताना में कहा।
तालिबान वर्षों से अफ़गानिस्तान में जिहादी प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) के खिलाफ़ लड़ रहा है।मार्च में, IS-K के लड़ाकों ने मास्को के एक कॉन्सर्ट हॉल पर हमला करके 140 से  अधिक लोगों को मार डाला, जो लगभग दो दशकों में रूस में सबसे घातक आतंकवादी हमला था। 2021 में अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से, तालिबान ने इस्लामी कानून के एक चरम रूप को लागू किया है, जो प्रभावी रूप से महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से प्रतिबंधित करता है।पुतिन ने कहा कि तालिबान ने "कुछ जिम्मेदारियाँ ली हैं" लेकिन अभी भी "ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगातार ध्यान देने की ज़रूरत है"। उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि तालिबान अफ़गानिस्तान में सब कुछ स्थिर होने में दिलचस्पी रखता है।"मॉस्को ने अफ़गानिस्तान के साथ संबंधों को बेहतर बनाया है - जिसके साथ 1980 के दशक में सोवियत आक्रमण के बाद से इसका एक जटिल इतिहास रहा है - अमेरिका के देश से बाहर निकलने के बाद से।

बेलारूस को संगठन की सदस्यता दिलाई गई

बेलारूस को संगठन की सदस्यता दिलाई गई 

अखिलेश पांडेय 
अस्ताना। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक गुरुवार को अस्ताना में शुरू हुई। इस मौके पर बेलारूस को आधिकारिक तौर पर संगठन की सदस्यता दिलाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, शिखर सम्मेलन की शुरुआत एक आधिकारिक समारोह के साथ हुई। इसमें बेलारूस को औपचारिक रूप से संगठन में शामिल किया गया। 
कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को बधाई देते हुए घोषणा की कि प्रिय राष्ट्राध्यक्षों, एससीओ में बेलारूस गणराज्य की पूर्ण सदस्यता पर निर्णय लिया गया है।
इस घोषणा पर लुकाशेंको ने कहा कि उनका देश एससीओ के प्रभाव का विस्तार करने और अपने सहयोगियों और समर्थकों के दायरे को व्यापक बनाने का प्रयास करेगा।
अस्ताना में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, भारत, ईरान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस, मंगोलिया, अजरबैजान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान तथा एससीओ महासचिव और एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के कार्यकारी निदेशक भाग ले रहे हैं।

भारत के साथ अच्छे हैं संबंध

बता दें कि बेलारूस के साथ भारत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। दोनों देशों के बीच परंपरागत रूप से मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। जिस वक्त 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ था, उस वक्त बेलारूस को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था‌

एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा निशाना

भारत ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को ‘अलग-थलग करने’ और ‘बेनकाब’ करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को रखते हुए जयशंकर ने कहा कि एससीओ का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है।
जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ‘‘हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं. यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है‌। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।’’

'आतंकवाद' को एक बड़ी चिंता का विषय बताया

'आतंकवाद' को एक बड़ी चिंता का विषय बताया

अखिलेश पांडेय 
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में सदस्यों देशों में आतंकवाद को एक बड़ी चिंता का विषय बताया और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ 'सार्थक' वार्ता की अपील की।
बुधवार को दो दिन की आधिकारिक यात्रा पर कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना पहुंचे शहबाज ने SCO समिट में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। सम्मेलन में चीन, भारत, तुर्किये, ईरान, आजरबैजान और किर्गिस्तान के नेताओं व राजनयिकों ने आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने संबोधन में आर्थिक विकास के लिए क्षेत्र में शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में स्थायी शांति कायम करना इस साझा उद्देश्य का मुख्य आधार है।' उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय 'अफगान सरकार के साथ सार्थक रूप से बातचीत कर उनकी वास्तविक आर्थिक व विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करे।' शरीफ ने यह भी कहा कि अफगान तालिबान को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे कि उसकी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए न किया जाए। उन्होंने कहा, 'प्रायोजित आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़े और स्पष्ट शब्दों में निंदा की जानी चाहिए।' उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए "निर्दोष लोगों की हत्या करने या आतंकवाद का डर दिखाने का कोई औचित्य नहीं है।" 
इसके जवाब में भारत ने बृहस्पतिवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को 'अलग-थलग करने' और 'बेनकाब' करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। SCO राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को रखते हुए जयशंकर ने कहा कि SCO का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है। जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ''हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं। यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।'' सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हुए। जयशंकर ने कहा कि पिछले साल भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त बयान नयी दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। उन्होंने रेखांकित किया कि एससीओ 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सदियों पुराने सिद्धांत का पालन करते हुए लोगों को एकजुट करने, सहयोग करने, बढ़ने और समृद्ध होने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है जिसका अर्थ है 'पूरी दुनिया एक परिवार है'। 
जयशंकर ने बाद में 'एक्स' पर लिखा, ''प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के शिखर सम्मेलन में भारत का वक्तव्य दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार निर्वाचित होने पर शुभकामनाएं देने के लिए सम्मेलन में उपस्थित नेताओं को धन्यवाद।''

बुधवार, 3 जुलाई 2024

अमेरिका: आज मनाया जाएगा 'स्वतंत्रता दिवस'

अमेरिका: आज मनाया जाएगा 'स्वतंत्रता दिवस' 

अखिलेश पांडेय 
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका, जिसे आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि एक वक्त अमेरिका भी गुलाम था ? दुनिया के कई देशों की तरह अमेरिका पर भी लंबे समय तक राज किया गया था। अमेरिका को 4 जुलाई 1776 के दिन आजादी मिली थी। आज हम आपको बताएंगे, कि अमेरिका को किस देश ने गुलाम बनाया था और अमेरिका को आजादी कैसे मिली थी ?
भारत समेत अन्य देशों की तरह अमेरिका को भी ब्रिटेन ने लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखा था। ब्रिटेन ने दुनिया के करीब 80 देशों और आइलैंड पर शासन किया है। ब्रिटिश साम्राज्य में दुनिया के करीब 26% इलाके इसके अधीन थे, इसमें अमेरिका देश भी शामिल था। आज भी लोगों को सुनकर आश्चर्य होता है, कि आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी कभी ब्रिटिश का गुलाम रहा है। 
बता दें, कि हर साल 4 जुलाई के दिन अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। क्योंकि, 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद होने का ऐलान किया था। इसी के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना हुई थी। इस बार 4 जुलाई के दिन अमेरिका 248 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 

कैसे हुआ अमेरिका गुलाम ?

कहा जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस जब भारत आने के लिए यूरोप से निकला था, उस वक्त वो गलती से अमेरिका पहुंच गया था। इसके बाद कोलंबस ने अपने लोगों को नए द्वीप के बारे में बताया था। इसके बाद ब्रिटिश लोग सबसे ज्यादा तादाद में उस आइलैंड पर पहुंचकर, अमेरिका पर कब्जा कर लिया था। भारत की तरह अमेरिका पर भी ब्रिटिश ने अत्याचार किये थे। इससे ब्रिटिश ऑफिसर्स और अमेरिकियों के बीच टकराव पैदा होने लगा था।

कैसे मिली आजादी ?

बता दें कि 4 जुलाई को अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1941 से इस दिन अमेरिका में 4 जुलाई को महत्वपूर्ण संघीय अवकाश घोषित होता रहा है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस समारोह की परंपरा 18वीं शताब्दी और अमेरिकी क्रांति से चली आ रही है। 4 जुलाई, 1776 को 13 ब्रिटिश कालोनियों के प्रतिनिधियों ने स्वतंत्रता की घोषणा को अपनाया था, जो थॉमस जेफरसन द्वारा अपनाया गया एक ऐतिहासिक दस्तावेज था। इसी दिन अमेरिकी उपनिवेशों ने खुद को ब्रिटिश शासन से आजाद घोषित कर दिया था‌। 1776 से लेकर आज तक हर साल 4 जुलाई को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

आजादी के लिए वोटिंग

अमेरिकी उपनिवेशों ब्रिटेन से आजादी 4 जुलाई 1776 को मिली थी‌। लेकिन इसकी प्रक्रिया 2 जुलाई 1776 को हुई थी, जब कॉन्टिनेंटर कांग्रेस ने स्वतंत्रता की घोषणा के लिए गुप्त मतदान किया था। उस दिन 12 से 13 अमेरिकी उपनिवेशों ने आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश शासन से अलग होने का फैसला किया था। अमेरिकी उपनिवेशों को स्वतंत्रत राज्य घोषित करने वालों में उस समय के प्रसिद्ध राजनेता और राजनयिक थॉमस जेफरसन और राजनीतिक दार्शनिक बेंजामिन फ्रैंकलिन शामिल थे। जेफरसन बाद में अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने थे।

जेएफ-17 विमान को हथियारों से लैस कर रहा पाक

जेएफ-17 विमान को हथियारों से लैस कर रहा पाक

अखिलेश पांडेय 
इस्लामाबाद। पाकिस्तान अपने जेएफ-17 लड़ाकू विमान को परमाणु हथियारों से लैस कर रहा है। इस विमान को चीन और पाकिस्तान ने मिल कर बनाया है। हाल ही में सामने आई एक तस्वीर में पाकिस्तान के JF-17 को सामरिक परमाणु मिसाइलों से लैस दिखाया गया है।
एक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी की गई है। 2023 में किए गए फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के एक विश्लेषण के अनुसार , इन तस्वीरों से पता चलता है कि पाकिस्तान की एकमात्र परमाणु-सक्षम एयर-लॉन्च क्रूज़ मिसाइल को अब JF-17 जेट के साथ जोड़ा गया है। इससे पहले मिराज विमानों पर ये मिसाइल तैनात थी। पाकिस्तानी मिसाइल RA'AD का परीक्षण पहली बार 2007 में परीक्षण किया गया था। यह पारंपरिक और परमाणु हथियार दोनों को ले जाने में सक्षम है।
पाकिस्तान अपने पुराने मिराज विमानों को रिटायर करने की योजना बना रहा है। इसके बाद JF-17 इसकी वायु-परमाणु रक्षा के लिए मुख्य विमान बन जाएगा। पाकिस्तान अपने JF-17 को अपग्रेड करने पर काम कर रहा है ताकि मिराज की जगह पर इसे रमाणु हमले की भूमिकाओं में इस्तेमाल किया जा सके। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने RAAD-II ALCM मिसाइल को फिर से डिजाइन किया है। इसके उद्देश्य या क्षमताओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बता दें कि JF-17 थंडर को चीन में FC-1 जियाओलोंग भी कहा जाता है। यह एक हल्का, एकल इंजन वाला लड़ाकू विमान है। इसे पाकिस्तान और चीन ने मिलकर विकसित किया था। JF-17 लगभग 49 फीट लंबा है, इसके पंखों का फैलाव 31 फीट है और इसकी ऊंचाई 15.6 फीट है। यह अधिकतम 28,000 पाउंड वजन के साथ उड़ान भर सकता है।
यह कई प्रकार के हथियार ले जा सकता है। यह PL-5, PL-9 और SD-10 जैसी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग कर सकता है। हवा से जमीन पर मार करने वाले मिशनों के लिए, यह बिना निर्देशित बम, लेजर-निर्देशित बम और जहाज-रोधी मिसाइलें लॉन्च कर सकता है। विमान में 23 मिमी जीएसएच-23-2 ट्विन-बैरल गन भी है। इसकी स्पीड लगभग 2,037 किलोमीटर प्रति घंटा है।
परमाणु हथियारों की होड़ में भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। भारत द्वारा अपनी अग्नि मिसाइलों के कई सफल परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान अबाबील मिसाइल विकसित कर रहा है। भारत पूरे चीन को कवर करने के लिए अपनी मिसाइल रेंज का विस्तार करने के लिए काम कर रहा है। पाकिस्तान ने सामरिक परमाणु हथियारों में भारी निवेश करते हुए अपनी परमाणु रणनीति भारत पर केंद्रित की है। 
दो फ्रंट पर खतरे को देखते हुए भारत अपनी परमाणु नीति में बदलाव कर सकता है। परंपरागत रूप से, भारत के परमाणु हथियारों को शांतिकाल के दौरान उनके लॉन्चरों से अलग रखता है। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शांतिकाल में भी हथियार और लांचर को एक साथ रखने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। भारत फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों को भी अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर रहा है, जो परमाणु मिसाइल ले जा सकते हैं।

मंगलवार, 2 जुलाई 2024

यूक्रेनी सैनिकों का बेलारूस सीमा पर जमावड़ा

यूक्रेनी सैनिकों का बेलारूस सीमा पर जमावड़ा 

अखिलेश पांडेय 
मॉस्को। रूस ने कहा है कि बेलारूस की सैन्य रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी सैनिकों का उसकी सीमा पर लगातार जमावड़ा हो रहा है, यह चिंता का विषय है। वहीं, यूक्रेन के सीमा गार्ड की ओर से इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया है। बेलारूस 28 माह से चल रहे युद्ध में रूस का निकट सहयोगी है। वह रूस का लगातार समर्थन कर रहा है।

बेलारूस की सैन्य रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली

क्रेमलिन ने सोमवार को कहा कि बेलारूस की सैन्य रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। यह पहली बार नहीं है, जब बेलारूस यूक्रेनी सैनिकों को लेकर खतरा जता रहा है। रूस ने कहा कि यह रिपोर्ट केवल बेलारूस के लिए नहीं बल्कि रूस के लिए भी चिंता का विषय है। बेलारूस हमारा निकट सहयोगी और साझेदार है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको दोनों कजाखस्तान में 3-4 जुलाई को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में भाग लेंगे। उस दौरान दोनों नेता यदि जरूरी हुआ तो इस पर चर्चा करेंगे।

यूक्रेन की गोलाबारी में एक नागिरक की मौत

उधर, रूस के बेलगोरोद रीजन के गवर्नर ने सोमवार को दावा किया कि यूक्रेन की गोलाबारी में एक नागिरक की मौत हो गई। बेलेगोरोद यूक्रेन की सीमा खार्कीव से सटा है। रूस ने कहा कि फरवरी, 2022 में शुरू रूसी सैन्य अभियान के बाद से यूक्रेन की ओर से यहां लगातार हमले किए जा रहे हैं।

एक दिन में जंग का समाधान निकाल सकते हैं

एक दिन में जंग का समाधान निकाल सकते हैं 

अखिलेश पांडेय 
वाशिंगटन डीसी। रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। भले ही जंग रूस और यूक्रेन के बीच चल रही हो। लेकिन, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में यह बड़ मुद्दा बन गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार कहा है, कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो एक दिन में रूस और यूक्रेन के बीच जंग का समाधान निकाल सकते हैं। भले ही ट्रंप कुछ भी कह रहे हों लेकिन संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत का कहना है कि ट्रंप ऐसा नहीं कर सकते हैं। 

एक दिन में हल नहीं हो सकता संकट

रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार के दावे के बारे में पूछे जाने पर रूसी राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यूक्रेन का संकट एक दिन में हल नहीं किया जा सकता है।’’ नेबेंजिया ने कहा कि यह जंग अप्रैल 2022 में खत्म हो सकती थी जब इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन एक समझौते के ‘‘बेहद करीब’’ पहुंच गए थे। उन्होंने यूक्रेन का साथ दे रहे पश्चिमी देशों पर अप्रैल 2022 में होने वाले शांति समझौते को अवरुद्ध करने का दोष मढ़ा।

नहीं दिया गया जवाब

रूसी राजदूत ने कहा कि अब जेलेंस्की ‘‘अपने ऐसे तथाकथित शांति समझौते पर बात कर रहे हैं, जो जाहिर तौर पर कोई शांति समझौता नहीं, बल्कि एक मजाक है।’’ ट्रंप के प्रचार अभियान दल ने नेबेंजिया की टिप्पणियों पर अभी कोई जवाब नहीं दिया है। रूसी राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने जिस तरह की बात कही है उससे अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि यूक्रेन में स्थिति को लेकर रूस किस तरह से गंभीर है। 

बार-बार यह दावा करते रहे हैं ट्रंप

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ने मई 2023 में सीएनएन टाउन हॉल में कहा था, ‘‘रूसी और यूक्रेनी नागरिक मर रहे हैं। मैं उन्हें मरने से रोकना चाहता हूं और मैं 24 घंटे में यह कर सकता हूं।’’ उन्होंने कहा कि उनके यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने के बाद यह होगा। वह अपने प्रचार अभियान में बार-बार यह दावा करते रहे हैं। ट्रंप ने पिछले सप्ताह भी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ बहस के दौरान दावा किया था, ‘‘अगर हमारे पास ऐसा राष्ट्रपति होता जिसका पुतिन सम्मान करते हैं, तो वह कभी यूक्रेन पर हमला नहीं करते।’’

तनाव को कम करने हेतु बैठक की: चीन-फिलीपींस

तनाव को कम करने हेतु बैठक की: चीन-फिलीपींस

अखिलेश पांडेय 
बीजिंग/मनीला। चीन और फिलीपींस ने विवादित दक्षिण चीन सागर में अपने सबसे खराब टकराव के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के लिए मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की। जिससे व्यापक संघर्ष की आशंका पैदा हो गई, जिसमें मनीला के सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हो सकता है।
17 जून को सेकंड थॉमस शोल में हुई अराजक झड़प की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए किसी भी बड़े समझौते का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिसमें फिलिपिनो नौसेना के कर्मियों को चोटें आईं और दो सैन्य नौकाओं को नुकसान पहुंचा। उत्तर-पश्चिमी फिलीपींस का शोल विवादित जल में सबसे खतरनाक फ्लैशपॉइंट के रूप में उभरा है, जिस पर चीन लगभग पूरी तरह से दावा करता है। चाइनीज नेवी और नागरिक जहाजों ने एक ज़मीनी जहाज पर सवार फिलीपींस के नौसैनिकों को घेर लिया, उनकी फिर से आपूर्ति को रोकने की कोशिश की और फिलीपींस से वापस जाने की मांग की। मंगलवार देर रात मनीला में विदेश मामलों के विभाग ने एक बयान में कहा कि चीनी और फिलीपींस के प्रतिनिधिमंडलों ने "अपने-अपने पदों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना तनाव को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।" "समुद्र में स्थिति को संभालने के लिए उपाय विकसित करने में पर्याप्त प्रगति हुई है, लेकिन महत्वपूर्ण मतभेद बने हुए हैं।" फिलीपीन पक्ष के अनुसार, फिलीपीन विदेश अवर सचिव थेरेसा लाज़ारो ने अपने चीनी समकक्ष, उप विदेश मंत्री चेन शियाओडोंग से कहा कि "फिलीपींस अपने हितों की रक्षा करने और दक्षिण चीन सागर में अपनी संप्रभुता, संप्रभु अधिकारों और अधिकार क्षेत्र को बनाए रखने में अथक प्रयास करेगा।
समुद्र में आपात स्थितियों के दौरान संचार में सुधार के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और दोनों पक्षों ने अपने तट रक्षकों के बीच संबंधों को बढ़ाने पर बातचीत जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन कोई विवरण नहीं दिया गया। समुद्री वैज्ञानिक सहयोग को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के बीच एक अकादमिक मंच आयोजित करने की एक और विश्वास-निर्माण योजना भी थी। बैठक से पहले, फिलीपींस ने औपचारिक रूप से चीन के प्रतिनिधिमंडल से कम से कम सात राइफलें वापस करने के लिए कहने की योजना बनाई, जिन्हें चीनी तट रक्षक कर्मियों ने 17 जून को तट पर आमने-सामने की झड़प के दौरान जब्त किया था और नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा, एक फिलीपीन अधिकारी ने संवेदनशील मामले पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने के अधिकार की कमी के कारण नाम न बताने की शर्त पर एसोसिएटेड प्रेस को बताया।
एशियाई पड़ोसी देशों ने अपने संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए 2017 में पहली बार आयोजित की गई द्विसदनीय परामर्शदात्री तंत्र बैठकों को आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। लेकिन उच्च-समुद्री टकराव विशेष रूप से राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के अधीन जारी रहे हैं, जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती के विपरीत, चीन के प्रतिकार के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ सैन्य और रक्षा संबंधों को बढ़ावा दिया है।फिलीपींस और चीन के अलावा, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई भी रणनीतिक समुद्र पर अतिव्यापी दावे करते हैं, जिसमें समृद्ध मछली पकड़ने के क्षेत्र हैं और संभावित रूप से गैस के अधिक भंडार हैं जो अब तक कुछ तटीय राज्यों द्वारा सीमांत क्षेत्रों में पाए गए हैं। चीनी सेनाओं और वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच अतीत में छिटपुट टकराव हुए हैं, लेकिन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने अपने पर्याप्त आर्थिक संबंधों को अस्थिर करने के डर से चीन का आक्रामक रूप से सामना करने का विरोध किया है। मार्कोस के नेतृत्व में, जिन्होंने 2022 में पदभार संभाला, फिलीपींस ने वीडियो और तस्वीरें सार्वजनिक करके और पत्रकारों को कोस्ट गार्ड पेट्रोल जहाजों में शामिल होने की अनुमति देकर आक्रामक चीनी कार्रवाइयों को उजागर करने के लिए एक अभियान शुरू किया, जो बीजिंग की सेनाओं के साथ खतरनाक टकरावों में शामिल रहे हैं। विवादित जल पर अमेरिका का कोई दावा नहीं है, लेकिन उसने गश्त के लिए युद्धपोत और लड़ाकू जेट तैनात किए हैं, जिसका उद्देश्य नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और फिलीपींस और जापान जैसे सहयोगियों को आश्वस्त करना है, जिनका पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है। पिछले महीने सेकंड थॉमस शोल में टकराव के बाद, जहां चीनी सेना को चाकू, कुल्हाड़ी और तात्कालिक भाले लहराते हुए वीडियो में पकड़ा गया था, वाशिंगटन ने चेतावनी दी कि अगर दक्षिण चीन सागर सहित तट रक्षक सहित फिलिपिनो सेना सशस्त्र हमले की चपेट में आती है, तो 1951 की पारस्परिक रक्षा संधि के तहत फिलीपींस की रक्षा करने में उसकी मदद करना उसका दायित्व है। मार्कोस ने कहा कि चीनी कार्रवाइयों से संधि सक्रिय नहीं होगी क्योंकि कोई गोली नहीं चलाई गई।

पीएम नेतन्याहू की सरकार को बर्बर करार दिया

पीएम नेतन्याहू की सरकार को बर्बर करार दिया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार को कांग्रेस...