वाशिंगटन डीसी/ काबुल। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के हटने के बाद आतंकी संगठन तालिबान के हमले तेज हो गए हैं और उसने देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में इस बदलाव को लेकर अमेरिका समेत भारत और अन्य देशों ने चिंता जताई है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान के प्रभारी रॉस विल्सन ने कहा, कि जैसा, कि हम मीडिया रिपोर्टिंग और देश के विभिन्न हिस्सों में तालिबान के प्रत्यक्ष तौर पर हमलों और अफगानिस्तान में नागरिकों को निशाना बना कर किए जा रहे हमलों को देख रहे हैं। हम तालिबान से जारी हिंसा को समाप्त करने और बातचीत की मेज पर लौटने का आह्वान करते हैं।
ज्ञात हो कि पिछले 25 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और राष्ट्रीय पुनर्गठन वाली उच्च परिषद के चेयरमैन अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की। बाइडन ने अफगानिस्तान की सुरक्षा के स्तर पर अमेरिकी सहयोग दोहराने के साथ ही स्पष्ट किया कि 11 सितंबर तक अमेरिकी फौजों की वापसी को लेकर उनका फैसला नहीं बदलेगा। तब तक नाटो सेनाओं की भी वापसी हो जाएगी। यह सब तब होगा। जब तालिबान ने अभी तक अमेरिकी योजनाओं के अनुरूप कदम उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।