वाशिंगटन डीसी/ बीजिंग। चीन के साथ बढ़ते तनाव के मध्य अमेरिका ने अपने सुरक्षा इंतजामों को पोख्ता करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में अमेरिका ने एक हाइपरसोनिक मिसाइल को विकसित किया है। यह मिसाइल एक घंटे में छह हजार किलोमीटर तक दूरी तय करने में सक्षम है। यह मिसाइल जल्द ही अमेरिकी सेना में शामिल हो सकती है। लेफ्टिनेंट जनरल एल नील थर्गुड ने कहा कि यह हाइपरसोनिक हथियार भविष्य में युद्ध प्रणाली में बदलाव की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि इसलिए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय इसके विकास पर जोर दे रहा है। आखिर क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल की क्षमता। क्या है चीन को खतरा। अमेरिकी मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि इस मिसाइल को लेकर अमेरिकन आर्मी में एक खास यूनिट को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। यह भी दावा किया जा रहा है कि यह मिसाइल जल्द ही सेना में शामिल हो जाएगी। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। उधर, अमेरिकी सेना की रैपिड कैपिबिलिटिज एंड क्रिटिकल टेक्नोलॉजी ऑफिस के निर्देशक लेफि्टनेंट जनरल एल नीथ थर्गुड ने दावा किया है कि यह मिसाइल सितंबर तक सेना में कमीशन कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि अपने परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा किया है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 3 डॉक्टर कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद पॉजिटिव पाए गए हैं। दस दिन बाद इनमें कोरोना के लक्षण दिखे, जिसके बाद तीनों का कोरोना टेस्ट करवाया गया। तीनों डॉक्टरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इन्हें ऐहतियातन होम आइसोलेट कर दिया गया है। हालांकि अभी तक इन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगाई गई है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश पठानियां ने इस बात की पुष्टि की। डॉ. रजनीश पठानियां ने कहा कि हम वैक्सीन को संक्रमण से नहीं जोड़ सकते हैं। खुराक मिलने से पहले उन्हें संक्रमण हो सकता है। उन्होंने कहा कि दवा लगाने के बाद 3 से 4 महीने बाद एंटी बॉडी बनती है। वैक्सीन के असर या बेअसर होने का इससे कोई संबंध नहीं है।बताया गया है कि वैक्सीन की पहली खुराक मिलने के बाद से डॉक्टर नियमित रूप से अपनी ड्यूटी कर रहे थे। माना जा रहा है कि इलाज के दौरान वे कोरोना संक्रमित हो गए। डॉ. पठानिया ने बताया कि उनके संपर्क में आने वाले मरीजों की कोई जानकारी नहीं है।बता दें कि हिमाचल में कोरोना वैक्सीनेशन का पहला चरण 16 जनवरी को शुरू किया गया था। वैक्सीन पाने वाले पहले स्वास्थ्यकर्मी हरदीप सिंह थे, जबकि आइजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज दूसरे नंबर पर थे, जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी। राज्यभर में 27 केंद्रों पर टीकाकरण किया जा रहा है।