एक बिमारी 'संपादकीय'
करवट लेने को मजबूर है,
साहब, अब तो पसीना छूट गया।
शरीर का नहीं रहा ठिकाना,
उदर में विषैला बम फूट गया।
संपूर्ण पृथ्वी स्वास्थ्य के प्रति प्रौद्योगिकी तकनीक के साथ जागरूक हैं। विश्व में सर्वोच्च स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के बारे में बात करें, तो सर्वप्रथम डबल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) का नाम आता हैं। परंतु, विश्व के कुछ प्रतिशत चिकित्सक इस तकनीक का प्रयोग अपने लाभ के लिए करते हैं। विश्व के भले ही अधिक से अधिक चिकित्सक अपना कार्य पूरी लगन, श्रद्धा, सतर्कता एवं सावधानी से करतें हैं। किंतु विश्व के कुछ ऐसे चिकित्सक भी है, जो छिप-छिप कर कर अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की जान से खिलवाड़ करते हैं। हालांकि, वे ऊंचे पदों पर नहीं है एवं अधिकतर स्थानों में प्रसिद्ध भी नहीं है। किंतु जैसे एक छोटा-सा अंगारा भी पूरा घर जलाकर राख कर सकता है। ठीक उसी प्रकार, विज्ञान के ज्ञान से रहित कुछ चिकित्सक विश्व को बहुत हानी पहुंचा सकतें हैं। यहां तक कि कुछ चिकित्सकों को इस बात का भी अंदाजा नहीं है, कि बुखार को नापने का मात्रक क्या है ?
ऐसे चिकित्सक विश्व एवं स्वास्थ्य विभाग की आंखों में धूल झोंकने के अच्छे उदाहरण है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती की बात है। स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहना चाहिए, कि कहीं अपने स्वार्थ के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ तो नहीं हो रहा हैं ?
हालांकि, ऐसे चिकित्सक बहुत कम श्रेणी में आते हैं। कम से कम बैचलर-'एमबीबीएस' डिग्री प्राप्त चिकित्सक स्वास्थ्य के मामलों में महत्वपूर्ण होते हैं। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही विश्व के अधिकतर क्षेत्रों में असहनीय प्रताड़ना का स्वरूप बन रही है।