अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में हुए कथित एक हजार करोड़ के फर्जी अस्पताल घोटाले मामले में हाईकोर्ट से सुनवाई को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में पेश स्पेशल लीव पिटीशन में सुनवाई करते हुए इस प्रकरण को वापस छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ही भेजा गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि मामले में याचिकाकर्ताओं विवेक ढांढ और एमके राउत का पक्ष सुनते हुए फैसला करें।
रायपुर कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने प्रदेश में प्रशासनिक लगाम संभालने वाले कुछ आईएएस अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक जनहित याचिका दायर कर रिटायर्ड अफसरों द्वारा बड़ी गड़बड़ी करने का दावा है। बताया गया है कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने पर कई तथ्य सामने आए हैं। पता चला है कि नया रायपुर स्थित इस कथित नि:शक्त जन अस्पताल को एक एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा है। अस्पताल में करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं। रखरखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया। तब ये जानकारी सामने आई कि न कोई अस्पताल है न कोई N
एनजीओ, सब सिर्फ कागजों में है। मामला साल 2015-2016 के आसपास का है।
साल 2018 में जनहित याचिका एडवोकेट देवर्षि ठाकुर के माध्यम से पेश की गई। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ये 1 हजार करोड़ का घोटाला है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने साल 2019 में हुई सुनवाई में घोटाले में शामिल अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर करने के निर्देश दिए। तब महाधिवक्ता ने शासन का पक्ष प्रस्तुत किया उन्होंने बताया था कि सीबीआई की जगह यह मामला राज्य पुलिस को सौंपा जाए।
सरकार की तरफ से कहा गया कि पुलिस जो जांच करे उसे स्वयं हाईकोर्ट अपनी निगरानी मे रखे। दूसरी तरफ रिटायर्ड आईएएस और प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके विवेक ढांढ और एम के राउत ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। इसी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अब हाईकोर्ट को सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।
कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया था कि राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (राज्य स्रोत नि:शक्तजन संस्थान) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इसी मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई से इस पर एफआईआर दर्ज कर जांच करने कहा था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब ये केस फिर से चर्चा में आ गया है। इस पर हाईकोर्ट अब सुनवाई की प्रक्रिया पूरी करेगा।