आधे-अधूरे शौचालयों का निर्माण कहां गया पैसा?
मनोज पाल
मुज़फ्फरनगर। स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है। मगर स्वार्थी लोग प्रधानमंत्री के इस सपने को अपने लालच और स्वार्थ के कारण गर्त में धकेलने का काम करते हैं। लाभार्थी को लाभ मिले या ना मिले पर स्वार्थी लोगों का लाभ होना जरूरी है। चाहे कोई गरीब हो या अमीर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब है।
सदर तहसील के गांव सिखरेड़ा यहां पर गांव में घुसने से पहले ही आपको एक बड़ा बोर्ड लगा हुआ मिलेगा और उस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है खुले में शौच से मुक्त गांव मगर जब आप गांव के अंदर जाएंगे और शौचालयों की हालत देखेंगे तो आप हैरत में पड़ सकते हैं,क्योंकि आपको वहां शौचालय भी मिलेंगे शौचालय के चारों तरफ होने वाली दीवार भी मिल सकती है मगर शौचालय में सीटें नहीं मिलेगी। कुछ शौचालयों में आपको दीवार तक भी नहीं मिलेगी।
जब लाभार्थी के खाते में सीधा पैसा आता है और शौचालय का निर्माण उसके द्वारा ही कराया जाता है तो गांव के निवासी यह क्यों कह रहे हैं कि ग्राम प्रधान ने हम से पैसे लेकर आधे अधूरे शौचालयों का निर्माण खुद कराया है। जबकि ग्राम प्रधान का कहना है कि शौचालयके निर्माण में उनकी कोई भागीदारी नहीं है। जब शौचालयों के निर्माण का पैसा लाभार्थी के खाते में सीधा आता है और उसका निर्माण भी कराना लाभार्थी का ही दायित्व है आधे अधूरे शौचालय का निर्माण क्यों हुआ? पैसे किसके पास गये ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। इस ओर शासन प्रशासन को भी बड़ी गहनता से जांच करनी चाहिये कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी जो शौचालय का निर्माण पूर्ण नही हो पाए।