प्रयागराज। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंध समिति की आमसभा की बैठक सोमवार को अध्यक्ष विमल देव आश्रम के नेतृत्व में कार्यकारिणी समिति के सदस्य पदाधिकारियों ने अपनी निष्ठा जताई। इस दौरान प्रबंध समिति से इस्तीफा देकर, अलग संगठन बनाने वाले 8 पदाधिकारियों को निष्कासन की पुष्टि की गई । साथ ही उपाध्यक्ष महामंत्री प्रवक्ता और संगठन मंत्री के पदों पर सर्वसम्मति से नए सिरे से पदाधिकारी का चयन किया गया। स्वामी राजेश्वर आश्रम डंडी सन्यासी प्रबंध समिति के नए महामंत्री होंगे सेक्टर 5 स्थित स्वामी हरी स्वरानंद तीर्थ के बुरा मत शिविर में हुई कार्यकारिणी की आम सभा की बैठक जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती की मौजूदगी में आरंभ हुई।सबसे पहले स्वामी महेश आश्रम ब्रह्म आश्रम और शंकर आश्रम के निष्कासन की पुष्टि की गई इसके बाद स्वामी वासुदेवानंद ने कहा कि विमल देव ही दंडी संन्यासी प्रबंध समिति के अध्यक्ष थे हैं और रहेंगे इस दौरान स्वामी हरिहरानंद टीकरमाफी मच के स्वामी हरी चेतन ब्रह्मचारी जी वरेश्वरा नंद तीर्थ को प्रबंध समिति का संरक्षक चुना गया है।
मंगलवार, 21 जनवरी 2020
माघ-मेले के बाद पांच दिवसीय रामकथा
प्रयागराज। माघ मेला के तुलसी मार्ग इस्थित श्रीमत परमहंस आश्रम टीकरमाफी अमेठी में पांच दिवसीय श्रीराम कथा आरंभ हो गई। कथा का शुभारंभ मेला एसपी आशुतोष मिश्रा ने दीप जलाकर किया। मानस मर्मज्ञ जयप्रकाश ने संगीतमय राम कथा सुनाई। कथा प्रतिदिन 2:00 से 5:00 बजे तक होगी कथा के साथ-साथ रामायण मेला का भी शुभारंभ किया गया कार्यक्रम में मुख्य रूप से परम अध्यक्ष स्वामी हरी चेतन ब्रह्मचारी जी हर्ष चेतन ब्रह्मचारी जी समाजसेवी फूल चंद दुबे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
बृजेश केसरवानी
भारत को हिंदूराष्ट्र घोषित करने: निश्चलानंद
प्रयागराज। गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सोमवार को भारत समेत पड़ोसी देश नेपाल और भूटान को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए विश्व स्तर पर पहल करने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इस आशय का प्रस्ताव लाया जाना चाहिए दुनिया में मुस्लिम ईसाई की तरह हिंदू राष्ट्र के रूप में कोई देश नहीं है इसलिए इस पर विचार किया जाना चाहिए । त्रिवेणी मार्ग स्थित माघ मेला के गोवर्धन पुरी मठ शिविर में पत्रकारों से बातचीत में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुसलमान अयोध्या ही नहीं देश के किसी भी कोने में अगर एक इंची भूमि स्वीकार करते हैं तो वे बाबर के अनुयाई साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत ने 3 मुसलमानों को राष्ट्रपति बनाया गृहमंत्री शिक्षा मंत्री व मुख्य न्यायधीश जैसे पदों पर भी मुसलमान रहे हैं अभी केरल के राज्यपाल मुसलमान ही है ।क्या इस तरह की उदारता का परिचय देते हुए किसी मुस्लिम देश में हिंदू को ऐसा पद दिया जा सकता है।
डिजिटल भुगतान में कर्नाटक सबसे आगे
नई दिल्ली। सरकार के डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा के साथ ही यूपीआई, भीम ऐप और फिनटेक कंपनियों के सरल डिजिटल भुगतान समाधान उपलब्ध कराने से इनके माध्यम से लेनदेन में तेजी आयी है। इसको अपनाने के मामले में देश में कर्नाटक अव्वल रहा है जबकि महाराष्ट्र दूसरे और दिल्ली तीसरे पायदान पर है। वित्तीय कंपनी रेजरपे ने मंगलवार को यहां ‘द एरा ऑफ राइजिंग फिनटेक’ रिपोर्ट का चैथा संस्करण जारी किया जिसमें यह खुलासा किया गया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान अपनाने के मामले में कर्नाटक अव्वल राज्य रहा वहीं डिजिटलाइज्ड शहरों में बेंगलुरु पहले और दिल्ली दूसरे स्थान पर है। इस मामले में हैदराबाद तीसरे स्थान पर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर में डिजिटल लेनदेन वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में 235 फीसदी बढ़ा है। दिल्ली एनसीआर में यूपीआई लेनदेन 2018 और 2019 के बीच 442 फीसदी बढ़ा। दिल्ली एनसीआर में वित्तीय सेवा क्षेत्र में डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी सबसे अधिक 12 फीसदी से अधिक रही। दिल्ली एनसीआर के लोग खाद्य और पेय पदार्थों के साथ ही यात्रा के लिए डिजिटल भुगतान का उपयोग तेजी करने लगे हैं। रेजरपे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सह संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा कि पिछले साल दिल्ली में फिनटेक क्षेत्र के लिए काफी जोर रहा। नए डिजिटल भुगतान मोड को अपनाने के साथ, डिजिटल मुद्रा को मुख्यधारा में लाया गया है। और पिछले छह महीनों में क्षेत्र में डिजिटल भुगतान के व्यवसायों और उपभोक्ता वरीयताओं के उपभोग पैटर्न में जबरदस्त बदलाव देखा गया। उन्होंने कहा कि भारत में उपभोक्ताओं के वित्तीय समावेशन पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। दिल्ली एक ऐसा क्षेत्र है जो व्यवसायों के लिए वित्तीय समावेशन के समाधान की दिशा में सक्रिय रूप से शामिल है। फिनटेक स्पेस ने तेजी ने दिल्ली में 350 से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं।
पाकःगेहूं आयात करने को दी गई मंजूरी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जारी गेंहू संकट के बीच सरकार ने आसमान छूती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 3,00,000 टन गेंहू आयात करने को मंजूरी दे दी है। गेंहू के इस आयात पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
डॉन न्यूज के अनुसार, यह निर्णय मंत्रिमंडल की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) की सोमवार को हुई एक बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के वित्त एवं वाणिज्य मामलों के सलाहकार डॉ. अब्दुल हफीज शेख ने की। बैठक में विभाग को अब अनुमानित 1,720 अरब रुपये के सर्कुलर ऋण के एक भाग को चुकाने के लिए 200 अरब रुपये के इस्लामिक सुकूक बॉन्ड्स जारी करने का भी निर्णय लिया गया। रपट में विश्वस्त सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय ने ईसीसी बैठक में कहा कि सरकार के पास अभी 42 लाख टन गेंहू का भंडारण है, जिससे दो महीने तक घरेलू खपत हो सकती है। वहीं नई फसल भी मार्च के मध्य तक बाजार में आने लगती है। पाकिस्तान में गेंहू के आटा की कीमत 800 रुपये से 1,200 रुपये प्रति 20 किलोग्राम है। जिसमें प्रति किलोग्राम 20 रुपये तक की वृद्धि दर्ज की गई है। इस संकट के पीछे एक कारण यह है कि पिछले साल इस समय गेंहू का भंडारण 70 लाख टन था, वहीं इस वर्ष सिर्फ 42 लाख टन बचा है। लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि मांग और आपूर्ति में अंतर और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इसकी कीमतों में भारी अंतर के कारण जमाखोरों, कालाबाजारी करने वालों और कमोडिटी तस्करों को कमाई करने का अवसर मिल गया है। इसके अलावा दो और कारण हैं, जिनके चलते पाकिस्तान गेंहू संकट का सामना कर रहा है। पहला यह कि सिंध सरकार ने अंतरप्रांतीय खाद्य समिति और ईसीसी द्वारा तय लक्ष्य से 35 प्रतिशत कम खरीदारी की थी। दूसरा कारण संचार मंत्रालय के अंतर्गत एजेंसियों द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद हड़तालें हो गईं और गेंहू का सामान्य वितरण प्रभावित हो गया। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री खुसरो बख्तियार ने 4,00,000 टन गेंहू आयात करने पर जोर दिया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेता जहांगीर तरीन ने पहले ही चार लाख टन गेंहू आयात करने की घोषणा की थी। लेकिन डॉ. हफीज ने तीन लाख टन आयात को पर्याप्त समझा। इस बीच, देश के राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने सोमवार को देश में मौजूदा गेंहू संकट से अनभिज्ञता जाहिर कर आम आदमी के जले पर नमक छिड़क दिया। सोशल मीडिया पर उपलब्ध एक वीडियो क्लिप में गेंहू की कमी से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, “यह मेरे संज्ञान में नहीं है, लेकिन मुझे इसकी जानकारी होनी चाहिए।
आंध्र-प्रदेश प्रदेश में समावेशी विधेयक पेश
अमरावती। आंध्रप्रदेश विधानपरिषद में मंगलवार को ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास विधेयक 2020′ पेश हो गया, जिसके तहत राज्य में तीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव है। विधानसभा ने सोमवार देर रात इस विधेयक को पारित कर दिया था। मुख्यमंत्री वाई.एस जगन मोहन रेड्डी ने इस विधेयक पर विधानपरिषद में प्रदेश में तीन राजधानी की महत्ता को बताया। वहीं अमरावती के आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी का दर्जा खोने से नाराज तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता दोक्का माणिक्य वरप्रसाद राव ने मंगलवार को राज्य विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। रेड्डी ने घोषणा किया, “हम दो अन्य राज्य विशाखापत्तनम को प्रशासनिक राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी के रूप में जोड़ रहे हैं। सचिवालय और विभागों के मुख्यालय विशाखापत्तनम में होंगे।” इस विधेयक का उद्देश्य विशाखापत्तनम को प्रशासनिक राजधानी, कुरनूल को न्यायिक राजधानी और अमरावती को आंध्र प्रदेश की विधायी राजधानी बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “लोगों को सच जानना चाहिए। मैं आप लोगों को ग्राफिक्स और गलत दावे करके ठग नहीं सकता हूं। हम सिर्फ 10 प्रतिशत के खर्च से विशाखापत्तनम का विकास कर सकते हैं जो कि पहले से ही राज्य का अच्छा शहर है। राज्य की प्रथमिकताएं प्रतिष्ठित भवनों और पूंजीगत खर्चे से कहीं अधिक जरूरी है।” उन्होंने श्री कृष्ण और श्री रामकृष्ण समिति का जिक्र करते हुए कहा कि इन दोनों समितियों की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से विकेंद्रीकरण का सुझाव देती हैं। मौजूदा समय में हम एक लाख करोड़ रुपये केवल राजधानी के निर्माण में खर्च करने की स्थिति में नहीं है।” रेड्डी कहा, “हमें सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये की आवश्यक्ता है। सरकारी संस्थानों में शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपये तथा हर जिले में बेहतर सुविधाओं को लागू करने के लिए हर नगरपालिका में 500 करोड़ रुपये की जरूरत है। कहा कि तीन राजधानी बनाने से अमरावती के साथ कोई अन्याय नहीं होगा बल्कि अन्य के साथ न्याय होगा।” उन्होंने कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार में अमरावती के किसानों के साथ राज्य के किभी जिले के किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।” अमरावती के आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी का दर्जा खोने से नाराज तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता दोक्का माणिक्य वरप्रसाद राव ने मंगलवार को राज्य विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। पूर्व मंत्री ने अपना इस्तीफा तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को भेजा है। राव ने लिखा कि उनका इस्तीफा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी(वाईएसआरसीपी) सरकार द्वारा राज्य में तीन राजधानियों को विकसित करने के कदम के विरोध में है। उन्होंने कहा कि उन्हें अमरावती के राज्य की राजधानी के तौर पर दर्जा खोने का दुख है, क्योंकि प्रमुख कार्यों को विशाखापट्टनम और कुरनूल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रैली
लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रैली की। उन्होंने कहा वे देश को बताना चाहते हैं कि सीएए के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। शाह ने ऐलान किया कि वे लखनऊ की भूमि से डंके की चोट पर कहते हैं जिसे विरोध करना हो करें, सीएए वापस नहीं होगा। सीएए के समर्थन में शाह की यह छठी रैली है। शाह ने कहा मैंने इस बिल को लोकसभा में पारित किया। वह राहुल, अखिलेश, ममता, मायावती से सार्वजनिक चर्चा के लिए तैयार हैं। अल्पसंख्यक छोड़ दीजिए, किसी की भी नागरिकता चली जाए यह बता दीजिए। कांग्रेस, सपा, बसपा और तृणमूल देश में दंगे व धरना प्रदर्शन करा रही है। सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है। नागरिकता देने का प्रावधान है। शाह ने कहा पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में करोड़ों लोग रह रहे हैं, वहां अब अत्याचार हो रहा है। मैंने उनके दर्द को सुना है। सामूहिक बलात्कार किया जाता है। जबरन निकाह, धर्म परिवर्तन कराया जाता है। हजारों मंदिर, गुरुद्वारे तोड़े जाते हैं। अफगानिस्तान के भीतर आसमान को छूने वाला भगवान बुद्ध के पुतले को गोले दागकर जीर्ण शीर्ण करने का पाप हुआ है। यह आजादी के वक्त से चल रहा है। नरेंद्र मोदी सीएए लेकर आए। सीएए के खिलाफ राहुल बाबा एंड कंपनी, ममता दीदी, अखिलेश, बहन जी सभी कांव कांव करने लगे। कांग्रेस के पाप के कारण देश के दो टुकड़े हो गए। कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार कर लिया। लाखों लोग मारे गए, अत्याचार हुआ। जब विभाजन हुआ तब पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्क थे, लेकिन आज 3 प्रतिशत बचे हैं। कहां गए वो लोग या तो मार दिया गया, या फिर भारत में शरण ली। तब आपका ह्यूमन राइट्स कहां सो रहा था। कश्मीर के अंदर से पांच लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को अपने देश के भीतर विस्थापित होना पड़ा। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिसंबर 2019 में उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हिंसा हुई थी। इस दौरान 21 लोगों की जान गई। हिंसा में शामिल लोगों पर पुलिस ने बड़े स्तर पर कार्रवाई की। प्रदेश में अभी भी प्रयागराज के अलावा राजधानी लखनऊ के घंटाघर पर विरोध प्रदर्शन जारी है। महिलाएं तीन दिन से धरने पर बैठी हैं। प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों की ओर से सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट भी हो रहे हैं। पुलिस ने ऐसे 112 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
आवासीय इमारत में लगी आग, 11 की मौत
मॉस्को। रूस के टॉम्स्क क्षेत्र में स्थित एक आवासीय इमारत में मंगलवार को आग लगने के कारण करीब 11 लोगों की मौत हो गई। आपातकालीन मंत्री के बयान के हवाले से समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया, “सुबह 7.03 बजे 11वें व्यक्ति का शव बरामद किया गया।” मंगलवार तड़के लगी आग ने लकड़ी से बनी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई, वहीं दो लोग भागकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। प्रशासन ने इस घटना के कारण की जांच करने की घोषणा की है।
विधानसभा में प्रस्ताव लाएगी बंगाल सरकार
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार मुखर हैं। इस कानून के खिलाफ वह मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं। अब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं। पश्चिम बंगाल सरकार एंटी सीएए प्रस्ताव 27 जनवरी को दोपहर 2 बजे पेश करेगी। इस प्रस्ताव को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। बता दें कि ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि वह नागरिकता संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगी। इससे पहले ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून के बाद अब एनपीआर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि आपको इस कानून को अपने राज्य में लागू करने से पहले इसे अच्छे से पढ़ना चाहिए। इसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। ममता ने ऐलान किया है कि वो 22 जनवरी को सीएए और एनआरसी के खिलाफ दार्जिलिंग एक रैली निकालने जा रही हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि मैं भाजपा शासित पूर्वोत्तर-त्रिपुरा, असम, मणिपुर और अरुणाचल तथा विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों से अपील करूंगी कि वे निर्णय पर पहुंचने से पहले कानून को ठीक तरह से पढ़ें और एनपीआर फॉर्म के विवरण खंडों का संज्ञान लें। उन्होंने कहा कि एनपीआर एक खतरनाक खेल है और यह एनआरसी और सीएए से पूरी तरह संबंधित है। राज्यों को इसे वापस करने के लिए प्रस्ताव पास करना चाहिए। बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को 'खतरनाक खेल' करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है। ममता ने कहा कि, ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव पारित करेगी।
2 दिवसीय कार्यशाला का किया आयोजन
राजनांदगांव। जिले के पीटीएस में अन्तर्राज्यीय नक्सल विरोधी अभियान पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केन्द्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के.विजय कुमार विशेष रूप से उपस्थित हुए। राजनांदगांव मे आयोजित नक्सल विरोधी अभियान के कार्यशाला को अहम माना जा रहा है। कार्यशाला में गढ़चिरौली,नारायणपुर,कांकेर और राजनांदगांव के पुलिस, डीआरजी,एसटीएफ,आईटीबीपी,बीएसएफ,सीआरपीएफ के आला अधिकारी शामिल हुए। कार्यशाला में क्षेत्र मे चलाये जा रहे नक्सली उन्मूलन के लिए व्यापक योजना तैयार की गई। इस मौके पर राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक बीएस धुर्वे ने कहा कि नक्सलियों के खात्मा के उद्देश्य से यह कार्यशाला का आयोजन किया गया है। केंद्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के.विजय कुमार की उपस्थिति ने केंद्र सरकार की नक्सली विरोधी अभियान में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है। इस मौके पर के.विजय कुमार ने क्षेत्र में चलाए जा रहे नक्सली उन्मूलन की गतिविधियों की जानकारी ली और कई अहम सुझाव भी दिए।
समस्या कम होने की बजाय बढ़ी, लगातार
नई दिल्ली। भारत में बेरोजगारी की समस्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। सितंबर-दिसंबर 2019 के बीच ये 7.5 फीसदी पर पहुंच गई। बेरोजगारी की स्थिति पढ़े-लिखे युवाओं में सबसे अधिक पाई गई है। उच्च शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर 60 फीसदी से अधिक पहुंच गई है। ये बात सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के द्वारा जारी आंकड़ों में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेजुएट लोगों के लिए 2019 सबसे बुरा साल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है,'बेरोजगारी में मई-अगस्त 2017 के बाद लगातार सात बार वृद्धि हुई है। उस वक्त बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी थी।' सीएमआईई के सर्वे के अनुसार, इस सर्वे में 1,74,405 घरों को शामिल किया गया। इसमें पता चला कि बेरोजगारी दर ग्रामीण भारत से अधिक शहरी भारत में है। शहरी बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही, जो देश में आर्थिक मंदी को दर्शाती है। बता दें सीएमआईई एक निजी थिंक टैंक है, जिसके सर्वे और आंकड़ों को काफी विश्वसनीय माना जाता है।
शहरी भारत में सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान बेरोजगारी की दर 9 फीसदी तक पहुंच गई। वहीं ग्रामीण भारत में इस दौरान बेरोजगारी 6.8 फीसदी रही। यह हाल तब है जब कुल बेरोजगारी में करीब 66 फीसदी हिस्सा ग्रामीण भारत का होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में कम बेरोजगारी दर है और इसका भारत की समग्र बेरोजगारी दर को कम करने पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। लेकिन, ग्रामीण रोजगार खराब गुणवत्ता का है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि बेरोजगारी की दर शहरी युवाओं में सबसे अधिक है, खासतौर पर पढ़े लिखे लोगों में। '20-24 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी की दर 37 फीसदी पाई गई, ग्रेजुएट में ये दर सबसे अधिक 60 फीसदी रही। साल 2019 के दौरान उनमें बेरोजगारी की औसत दर 63.4 फीसदी तक पहुंच गई।' बेरोजगारी की ये दर 2016 में 47.1 फीसदी, 2017 में 42 फीसदी और 2018 में 55.1 फीसदी थी। 20-29 साल के ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर 42.8 फीसदी, पोस्ट-ग्रेजुएट लोगों में 23 फीसदी और 15-19 आयु वर्ग के नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं में 45 फीसदी रही।
चिल्फी में दिखा बाईसन गौर, दहशत
कवर्धा। जिले के सीमावर्ती क्षेत्र चिल्फ़ी के ग्राम बेंदा के पास एक बार फिर से बाईसन गौर के दस्तक से आसपास के ग्रामीण दहशत में है। बताया जा रहा है कि चार की झुंड में बाईसन गांव के पास घूम रहे थे। आपको बता दें कि ग्राम बेंदा टाईगर रिजर्व कान्हा से लगा हुआ है, यही कारण है कि इस इलाके में आये दिन कई वन्यप्राणी देखे जा रहें हैं, और आसपास के गांव में रहने वाले लोग जंगली जानवर के डर से दहशत में हैं। वहीं सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुँचकर बाईसन को जंगल की ओर खदेड़ दिए हैं।
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55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...