मंगलवार, 21 जनवरी 2020

समस्या कम होने की बजाय बढ़ी, लगातार

नई दिल्ली। भारत में बेरोजगारी की समस्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। सितंबर-दिसंबर 2019 के बीच ये 7.5 फीसदी पर पहुंच गई। बेरोजगारी की स्थिति पढ़े-लिखे युवाओं में सबसे अधिक पाई गई है। उच्च शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर 60 फीसदी से अधिक पहुंच गई है। ये बात सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के द्वारा जारी आंकड़ों में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेजुएट लोगों के लिए 2019 सबसे बुरा साल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है,'बेरोजगारी में मई-अगस्त 2017 के बाद लगातार सात बार वृद्धि हुई है। उस वक्त बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी थी।' सीएमआईई के सर्वे के अनुसार, इस सर्वे में 1,74,405 घरों को शामिल किया गया। इसमें पता चला कि बेरोजगारी दर ग्रामीण भारत से अधिक शहरी भारत में है। शहरी बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही, जो देश में आर्थिक मंदी को दर्शाती है। बता दें सीएमआईई एक निजी थ‍िंक टैंक है, जिसके सर्वे और आंकड़ों को काफी विश्वसनीय माना जाता है।


शहरी भारत में सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान बेरोजगारी की दर 9 फीसदी तक पहुंच गई। वहीं ग्रामीण भारत में इस दौरान बेरोजगारी 6.8 फीसदी रही। यह हाल तब है जब कुल बेरोजगारी में करीब 66 फीसदी हिस्सा ग्रामीण भारत का होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में कम बेरोजगारी दर है और इसका भारत की समग्र बेरोजगारी दर को कम करने पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। लेकिन, ग्रामीण रोजगार खराब गुणवत्ता का है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि बेरोजगारी की दर शहरी युवाओं में सबसे अधिक है, खासतौर पर पढ़े लिखे लोगों में। '20-24 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी की दर 37 फीसदी पाई गई, ग्रेजुएट में ये दर सबसे अधिक 60 फीसदी रही। साल 2019 के दौरान उनमें बेरोजगारी की औसत दर 63.4 फीसदी तक पहुंच गई।' बेरोजगारी की ये दर 2016 में 47.1 फीसदी, 2017 में 42 फीसदी और 2018 में 55.1 फीसदी थी। 20-29 साल के ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर 42.8 फीसदी, पोस्ट-ग्रेजुएट लोगों में 23 फीसदी और 15-19 आयु वर्ग के नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं में 45 फीसदी रही।


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