'दिल्ली नगर निगम' को लोकसभा में पेश किया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सरकार ने दिल्ली के तीन नगर निगमों का एकीकरण करने संबंधी दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020 को शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्यों के विरोध के बीच लोकसभा में पेश किया। विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को पेश करनाा, इस सदन के विधायी दायरे में नहीं आता है। निचले सदन में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने उक्त विधेयक पेश किया। इसका कांग्रेस, आरएसपी और बहुजन समाज पार्टी ने विरोध किया।
इस पर गृह राज्य मंत्री राय ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि विधेयक को पेश करना कहीं से भी भारत के संविधान की मूल भावना का उल्लंघन नहीं है और ना ही यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 239 (क) (क) के तहत दिल्ली से जुड़े इस कानून में संशोधन करने में सदन सक्षम है। राय ने कहा कि दिल्ली में तीन समवर्ती नगर निगमों के सृजन का मुख्य उद्देश्य जनता को प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराना था लेकिन पिछले 10 वर्षों का अनुभव यह दर्शाता है कि ऐसा नहीं हुआ। इसलिये यह विधेयक लाया गया है। विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह विधेयक दिल्ली सरकार और दिल्ली विधानसभा के अधिकार क्षेत्र का हनन करता है।
उन्होंने कहा कि सदस्यों को विधेयक के मसौदा का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला और इसका मसौदा जटिल है। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक संघीय ढांचे पर प्रहार करता है। उन्होंने कहा कि इसे सदन में लाने से पहले केंद्र ने राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया।उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के प्रयास में जल्दबाजी में यह विधेयक लाई है। बसपा के रीतेश पांडे ने कहा कि हम इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हैं क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। उन्होंने संविधान के संबंधित अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए कहा कि एक तरफ नगर निगम का चुनाव नहीं कराया गया, दूसरी ओर तीनों नगर निगमों के एकीकरण का विधेयक लेकर आएं हैं, जो संवैधानिक रूप से गलत है। यह दिल्ली विधानसभा के अधिकार क्षेत्र का विषय है।
वहीं, कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि हम इस विधेयक को पेश किये जाने का इसलिये विरोध करते हैं क्योंकि यह इस सदन की विधायी दक्षता एवं दायरे से बाहर का विषय है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका से जुड़ा विषय राज्य सरकार के पास है और इस बारे में अगर किसी की विधायी दक्षता है, तो वह दिल्ली विधानसभा के पास है इस सदन के पास नहीं। तिवारी ने कहा कि यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वर्ष 2011 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधानसभा द्वारा दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 द्वारा उक्त अधिनियम को संशोधित किया गया था जिससे उक्त निगम का तीन पृथक निगमों में विभाजन हो गया। तत्काल दिल्ली नगर निगम के तीन भागों में विभाजन करने का मुख्य उद्देश्य जनता को अधिक प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये दिल्ली में विभिन्न केंद्रों में सुसंबद्ध नगर पालिकाओं का सृजन करना था, फिर भी दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में विभाजन राज्य क्षेत्रीय प्रभागों और राजस्व सृजन की संभाव्यता के अर्थ में असमान था।
इसमें कहा गया है कि समय के साथ दिल्ली के तीन नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई जिससे वे अपने कर्मचारियां को वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में अक्षम हो गए। वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में विलंब का परिणाम नगर निगम कर्मचारियों द्वारा निरंतर हड़ताल के रूप में सामने आया जिसने न केवल नागरिक सेवाओं को प्रभावित किया बल्कि इससे सफाई और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हुईं। तीन नगर निगमों की ऐसी वित्तीय कठिनाइयों का परिणाम उनकी संविदा संबंधी और कानूनी बाध्यताओं को पूरा करने में अनियमित विलंब के रूप में हुआ जिसने दिल्ली में नागरिक सेवाओं के बनाए रखने में गंभीर रूकावटें उत्पन्न कीं। इसमें कहा गया है कि दिल्ली में तीन समवर्ती नगर निगमों के सृजन का मुख्य उद्देश्य जनता को प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराना था।
मसौदे के अनुसार पिछले 10 वर्षो का अनुभव यह दर्शाता है कि संसाधनों की अपर्याप्तता और निधियों के आवंटन एवं जारी करने की अनिश्चितता के कारण तीनों निगम गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जिससे उनके लिये वांछित स्तर पर दिल्ली में नागरिक सेवाओं को बनाए रखना कठिन हो गया। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, सरकार देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं प्रदान करने तथा वित्तीय कठिनाइयों एवं क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 लाई है। इसके तहत तीन नगर निगमों को एकीकृत करने की बात कही गई है। इसमें संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिये एक सुदृढ़ तंत्र सुनिश्चित करना तथा दिल्ली के लोगों को अधिक कुशल नागरिक सेवा पूरी तरह पारदर्शिता के साथ प्रदान करने की बात कही गई है।