मंगलवार, 26 मई 2020

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन पर लगाई रोक

वाशिंगटन/नई दिल्ली। इन दिनों दुनियाभर में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के प्रयोग को लेकर वाद-विवाद चल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संक्रमित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। वहीं, एक फ्रांसीसी डॉक्टर (French doctor) ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वायरल निरोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) और क्लोरोक्वीन मरीजों को कोरोना वायरस से उबरने में मदद कर सकती है। उसने उस अध्ययन को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इस दवा का कोई लाभ नहीं है।


मार्सेल के रहने वाले डॉक्टर प्रोफेसर डिडियर राउल्ट को संकट की इस घड़ी में फ्रांस में बड़ी पहचान हासिल हुई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने डॉक्टर राउल्ट से मुलाकात भी की थी। राउल्ट लगातार इस बात को कहते रहे हैं कि इस दवा का स्पष्ट रूप से लाभ है। गौर हो कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump) भी लगातार दवा की योग्यता का समर्थन करते रहे हैं। ट्रंप कहते रहे हैं कि वह कोरोना से बचने के लिए एहतियात के तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सेवन कर रहे हैं।


डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर में दवा के ट्रायल पर लगाई अस्थायी रोक


बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी। WHO के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि पिछले सप्ताह लैंसेट में प्रकाशित एक शोध से यह बात सामने आई है कि जो लोग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ले रहे थे, उनमें हृदय संबंधी बीमारी का खतरा और यहां तक कि मृत्यु होने की आशंका बढ़ गई थी। यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर इस दवा के इस्तेमाल पर फिलहाल अस्थायी रोक लगाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अस्थायी रोक सिर्फ कोरोना के मरीजों को लेकर है, अन्य बीमारी के मामलों में इस दवा के इस्तेमाल संबंधी नियम पर इस रोक का कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के इलाज से जुड़े परीक्षण यथावत चलते रहेंगे। बता दें कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को अमेरिका में साल 1950 के मध्य में लाइसेंस दिया गया था।


एक हत्या छुपाने के लिए कर दी 9 हत्या


एक हत्या छुपाने के लिए हत्यारे ने की 9 हत्या, पुलिस ने सुलझया हत्या का केस, अवैध संबंधो में हुई हत्या





वरंगल। तेलंगाना के वरंगल जिले के एक कुएं में 9 शव मिलने के बाद सनसनी फैली गई थी। दरअसल बता दे कि, अब गिचिकोंडा पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के मुताबिक उसने 9 नहीं 10 हत्याएं की हैं। ये हत्याएं एक ही व्यक्ति ने की हैं, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मकसूद की पत्नी की दीदी की बेटी राफिका भी पश्चिम बंगाल से यहां आई थी, यहां बोरी बनाने वाली फैक्ट्री में काम करती थी। मकसूद के दोस्त संजय को राफिका खाना खिलाती थी।

आरोपी संजय ने राफिका से नजदीकी बड़ाईं, संजय को करीबी बढ़ाने से राफिका की मां ने मना किया तो उसने शादी का वादा किया। संजय ट्रेन में राफिका को लेकर बंगाल गया और उसके परिवार से मिलाने और शादी का वादा किया। ट्रेन से वापस लौटते समय संजय ने छाछ में नींद की गोली मिलाकर राफिका को पिला दी। जिसके बाद वह बेहोशी हो गई उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी ओर उसे ट्रेन से फेंक दिया। फिर अंजान बनकर दूसरी ट्रेन से वापस आ गया। मकसूद का परिवार और उसके रिश्तेदार राफिका की हत्या का आरोप संजय पर लगा रहे थे, वह कहां है उस बारे में पूछताछ कर रहे थे। पुलिस में बताने की धमकी दे रहे थे, उसे दबाने के लिए संजय कुमार यादव ने 18 मई को दवा की दुकान से ढेर सारी नींद की गोलियां खरीदीं और उनके घर आकर 20 तारीख को खाने में बेहोशी की दवा मिला दी। उसने उनके पड़ोसी बिहार के रहने वाले श्रीराम और श्याम के खाने में भी बेहोशी की दवा मिला दी। जब सभी बेहोश हो गए तो उन्हें बोरियों में भरकर कुएं में फेंक दिया। पानी में डूबने से उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सभी की मौत पानी में डूबने से बताई गई। आरोपी संजय कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है।



यूपी में कैदियों की पैरोल बढ़ाने का फैसला


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैदियों की पैरोल अवधि बढ़ाने का लिया फैसला





लखनऊ। यूपी सरकार ने 2234 सजायाफ्ता कैदियों को मिली विशेष पेरोल की अवधि को बढ़ाने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने 24 मई को जारी बयान में कहा कि 2234 सजायाफ्ता कैदी राज्य की विभिन्न जेलों में हैं। उन्हें आठ सप्ताह की विशेष पेरोल दी गयी थी। अब ये पेरोल और आठ सप्ताह के लिए बढ़ा दी गयी है। महानिदेशक आनंद कुमार ने सोमवार को बताया कि कैदियों को विशेष पेरोल दी गई थी। इस साल मार्च में उत्तर प्रदेश सरकार ने तय किया था कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार के बीच राज्य की 71 जेलों में बंद 11 हजार कैदियों को रिहा कर दिया जाए। उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर जिन कैदियों को सात साल की जेल हुई है, उन्हें पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करने के लिए उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया जाए।



'लू': कम समय में खतरनाक परिणाम

 बचने के घरेलू नुस्खे : गर्मियां शुरू हो चुकी हैं और साथ ही हवा के थपेड़ों ने लू का रूप ले लिया है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन से घबराकर पैदल ही घर लौटने वाले लोगों और गर्मियों में बाहर जाने वालों के लिए यह लू जानलेवा भी साबित हो सकती है। गर्मियों के दिनों में कई बार लू लगने से लोगों की मौतें हो जाती हैं। लू लगते ही पैरों के तलुओं में जलन, आंखों में जलन के साथ बेहोशी की हालत बन जाती है। कई बार लू लगने वाले मरीज की दिनभर के भीतर मौत हो जाती है। ऐसी किसी थी स्थिति से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि हमें पता हो कि लू लगने से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए… गर्मियों में घर से बाहर निकलते वक्त सिर पर कोई गमछा या टोपी लगा लें ताकि सिर ढंका रहे। ऐसे कपड़े पहनें ताकि पूरा शरीर ढंका रहे। हल्के रंग या सफेद रंग के कपड़े पहनें। आंखों को सूर्य की रोशनी से बचाने के लिए सनग्लासेस पहनें


बच्चे ही नहीं बड़े भी नकसीर के शिकार

अक्सर गर्मी के मौसम में हमे कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। और गर्मी के इस मौसम में शरीर में गर्मी के कारण नाक से खून आने लगता है। इसे नकसीर फूटना कहते है। कभी कभी यह समस्या बड़ो में भी देखी जाती है। वैसे तो यह कोई बड़ी बीमारी नहीं है पर अगर इसका इलाज सही ढंग से ना किया जाये तो ये बड़ी परेशानी की वजह बन सकती है।


नकसीर रोकने के उपाय –
अगर आप नकसीर फूटने की समस्या से परेशान है तो शीशम के पत्तो का शरबत पीने से आपकी ये समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।


– नाक से खून आने पर पीपल के पत्तों के रस की कुछ बूंदो को नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।


– अगर आपको नकसीर फूटने की बीमारी है तो आपको हर वक़्त अपने पास प्याज रखना चाहिए। नाक से खून निकलने पर अगर प्याज को सुंघा जाये तो नाक से खून आना बंद हो जाता है।


– इसके अलावा काली मिट्टी पर पानी छिड़ककर सूंघने से भी इस समस्या में आराम मिलता है।


– नकसीर फूटने पर सिर पर ठंडे पानी की धार डालने से आराम मिलता है।


जुलाई के अंत तक विकराल होगा संक्रमण

नई दिल्ली। भारत में ताजा आकंड़ों (25 मई) के मुताबिक कोरोना वायरस के 1,38,845 मामले हैं और 4021 लोगों की मौत हो गई है। लेकिन आने वाले महीनों में भारत में कोविड-19 और भी घातक हो सकता है। एक रिसर्च में दावा किया गया है कि भारत में जुलाई की शुरुआत तक 630,000 से 21 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में बॉयोस्टैटिस्टिक्स और महामारी रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी से भारत में कोरोना स्थिति पर बात की है। भ्रमर मुखर्जी ने कहा है कि भारत में संक्रमण के मामलों का बढ़ना अभी कम नहीं हुआ है ये और तेजी से बढ़ेंगे।


भ्रमर मुखर्जी की टीम का अनुमान है कि भारत में जुलाई की शुरुआत तक 630,000 से 21 (2.1मिलियन) लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। देश भर में संक्रमण के कुल मामलों का पांचवां हिस्सा अकेले मुंबई शहर में है।


रिपोर्ट में भारत के अस्पतालों की स्थिति और बेड्स की कमी की भी बात की गई है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण में वृद्धि से जुड़े इन अनुमानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि वे बढ़ते मरीजों की देखभाल कैसे करेंगे।


भ्रमर मुखर्जी की टीम ने सबसे पहले अनुमान लगाया था कि मई में भारत में कोविड-19 के केस एक लाख के पार हो जाएंगे


बता दें कि भ्रमर मुखर्जी की टीम ने सबसे पहले ट्वीट कर इस बात की जानकारी अप्रैल में दी थी कि मध्य मई तक भारत में संक्रमितों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो जाएगी।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भारत के कोविड-19 अस्पताल पर क्या-क्या कहा है?


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 24 मई 2020 को मीडिया से बात करते हुए बताया कि पूरे देश में कोविड-19 समर्पित 968 अस्पताल चिह्नित किए गए हैं ,जिनमें 2,50,397 बिस्तरों (1,62,237 पृथकवास बिस्तर और 20,468 गहन चिकित्सा बिस्तर) की व्यवस्था है। इनके अलावा कोविड-19 मरीजों को समर्पित 2,065 स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनमें 1,76,946 बिस्तरों (1,20,596 पृथकवास बिस्तर और 10,691 गहन चिकित्सा बिस्तर) हैं।


वहीं कोविड-19 मरीजों की देखभाल को समर्पित 7,063 केंद्रों में 6,46,438 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है।’


देश में कोविड-19 की स्थिति की जानकारी देते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करने से प


विवादः चीन से बड़े टकराव की आशंका

2017 के डोकलाम विवाद के बाद सबसे बड़े टकराव की आशंका
लद्दाख। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आस-पास चीन और भारतीय सेना के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है। दोनों सेनाएं आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है। भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि दोनों इलाकों में हमारी क्षमताएं चीन से बेहतर हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि भारतीय पोस्ट केएम120 और गालवान वैली समेत कई अहम पॉइंट्स के आस-पास चीन के सैनिक मौजूद हैं। नॉर्दन आर्मी के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हुड्डा का कहना है कि चीन की ये हरकत सामान्य बात नहीं है, जबकि गालवान जैसे इलाकों में भारत-चीन के बीच कोई विवाद भी नहीं है।पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच करीब दो महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच चीन ने भारतीय इलाके में 10 किलोमीटर भीतर घुसकर 100 से ज्यादा तंबू गाड़ दिए हैं। इस महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच 3 बार झड़प भी हो चुकी है।
1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील
उस दिन शाम के वक्त झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।
2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया, फिर झड़प रुकी।
3) तारीख– संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।
डोकलाम पर 73 दिन टकराव चला था
भारत-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। के आखिर में दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।
क्या था डोकलाम विवाद?
डोकलाम में विवाद तब शुरू हुआ, जब भारतीय सेना ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था। इस इलाके का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का बॉर्डर जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर लंबा है। इसका 220 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम में आता है।


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