नई दिल्ली। इमरान ख़ान अपने देश की सेना और विपक्ष का विश्वास खो चुके हैं, लिहाज़ा इमरान के तख्तापलट की तारीख 'तय' हो गई है। एक लाइन की खबर ये है कि इमरान खान की विदाई होने वाली है। या यूं कहें कि पाकिस्तान में फिर एक बार सैनिक शासन की तैयारी हो चुकी है। क्योंकि पाकिस्तान के बड़े बिजनेसमैन के साथ पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बैठक नहीं होती है। बैठक होती है रावलपिंडी में जहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का हेडक्वार्टर है। वैसे भी पाकिस्तान की तरह वहां के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भी फेल हो चुके हैं।
सरकार के खिलाफ गुस्से का फायदा उठाएगी बाजवा की सेना:-पाकिस्तान में सेना रेडियो स्टेशन, टीवी स्टेशन, दूर संचार भवन, संसद हर जगह कब्जा कर सकती है और पाकिस्तान में फिर एक बार सेना के बूट की धमक सुनाई देगी। पाकिस्तान में फिर एक बार एक चुनी हुई सरकार की बलि सेना लेने जा रही है। इस बैठक में पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमर जावेद बाजवा से पाकिस्तान के बड़े कारोबारियों ने मुलाकात की। ये मुलाकात रावलपिंडी के आर्मी हाउस में की गई थी। मुलाकात के बाद पाकिस्तान के बड़े बिजनेस लीडर्स ने सेना प्रमुख के साथ डिनर भी किया। सूत्रों के मुताबिक बिजनेस लीडर्स ने कहा है कि इमरान सरकार अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही है।
पाकिस्तान के बड़े कारोबारियों ने इमरान खान से भी मुलाकात की थी लेकिन क्योंकि उनकी समस्य़ाओं को दूर करने के लिए इमरान खान ने कोई कदम नहीं उठाया इसलिए इन सभी बिजनेस लीडर्स ने अब आर्मी चीफ से मुलाकात की है।
इमरान के लिए क्यों ये खतरे की घंटी है ये समझिए
तो क्या पाकिस्तान में इमरान की नहीं बाजवा की ज्यादा चलती है? क्या इमरान का कहा शब्द आखिरी नहीं माना जाता? क्या आर्मी चीफ ही पाकिस्तान में सत्ता का सबसे बड़ा केंद्र है? अफसोस यही है कि हर सवाल का जवाब हां में है। पाकिस्तान ने पहले भी तख्तापलट देखें हैं, और फिर एक बार पाकिस्तान का एक जनरल एक चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंके तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
इमरान खान के तख्तापलट का कोड 111 क्या है:पाकिस्तानी सेना की ट्रिपल वन ब्रिगेड के अधिकारियों और सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। ट्रिपल वन ब्रिगेड रावलपिंडी में तैनात रहती है। ट्रिपल वन ब्रिगेड रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना की गैरिसन ब्रिगेड है
इसलिए इसे COUP BRIGADE भी कहते हैं जो तख्तापलट के लिए कुख्यात है। इस ब्रिगेड का इस्तेमाल इससे पहले हुई लगभग हर सैन्य तख्तापलट में किया गया है। ब्रिगेड के सभी अधिकारियों और सैनिकों को ड्यूटी पर लौटने के आदेश दिए गए हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ज़िम्मा ब्रिगेड 111 के पास ही है।