शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

तुमको देखा तो यह ख्याल आयाः जन्मदिन

तुमको देखा तो ये ख्याल आया।


ध्रुव गुप्त।
मुंबई। आधुनिक भारतीय सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में एक शबाना आज़मी ने अपने चार दशक लंबे फिल्म कैरियर में सिनेमा में संवेदनशील और यथार्थवादी अभिनय के जो आयाम जोड़े उसकी मिसाल भारतीय तो क्या, विश्व सिनेमा में भी कम ही मिलती है। उन्होंने बताया कि बिना शारीरिक हावभाव के आंखों और चेहरे से भी अभिनय किया जा सकता है। 
महान शायर कैफ़ी आज़मी और रंगमंच अभिनेत्री शौकत आज़मी की इस बेटी को फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट से ग्रेजुएशन के बाद जो पहली फिल्म मिली थी ख्वाजा अहमद अब्बास की 'फ़ासला', लेकिन उनकी जो पहली फिल्म परदे पर आई, वह थी श्याम बेनेगल की 'अंकुर'। इस फिल्म की सफलता और ख्याति ने उन्हें उस दौर की एक दूसरी महान अभिनेत्री स्मिता पाटिल के साथ तत्कालीन समांतर और कला सिनेमा का अनिवार्य हिस्सा बना दिया। 
सौ से ज्यादा हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों में अभिनय कर चुकी शबाना देश की पहली अभिनेत्री हैं जिन्हें अपनी फिल्मों - अंकुर, अर्थ, खंडहर, पार और गॉडमदर में अभिनय के लिए पांच राष्ट्रीय पुरस्कार और अपनी फिल्मों - अंकुर, थोड़ी सी बेवफाई, मासूम, अवतार, मंडी, स्पर्श, मकड़ी और तहज़ीब के लिए आठ फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। 
फिल्मों के अलावा वे अपने सामाजिक सरोकारों और जन मुद्दों पर संघर्ष के लिए भी जानी जाती हैं। बाल कल्याण से जुड़े मसलों, एड्स के प्रति जागरूकता और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में उनकी सक्रिय भागीदारी ने दिखाया कि एक कलाकार की संवेदनशीलता पर्दे पर ही नहीं, वास्तविक जीवन में भी व्यक्त होती है।
जन्मदिन पर शबाना जी के लंबे, सृजनशील जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।                  


जल, जंगल और जमीन के हक का संघर्ष

बिहार में जल, जंगल और ज़मीन के हक़ों के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासियों चलवाई गईं गोलियां।


आवेश तिवारी 
पटना। बिहार के इस चुनावी माहौल में जिला कैमूर के अधौरा प्रखंड़ में अपने जल, जंगल और ज़मीन के हक़ों के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासीयों पर बीजेपी जद यू  की गठबंधन सरकार की पुलिस द्वारा बर्बर गोलियां बरसाई गई हैं।
11 सितंबर 2020 को पुलिस और वन विभाग ने निहत्थे आदिवासियों पर गोली चलाई  जिसमें 3 लोग घायल हो गए और कई को चोटें आयी। इतना ही नही  दर्जनों आदिवासीयों को फर्जी मुकदमें में जेल भेज दिया गया।
आदिवासी समुदाय व वनों में रहने वाले वनाश्रित समुदाय अपने बुनियादी अधिकारों वनाधिकार कानून को लागू करने को लेकर दो दिवसीय पूर्व आयोजित कार्यक्रम के अनुसार धरने पर बैठे थे, जो कि 10 और 11 सितंबर को था। 
हजारो की संख्या में बैठे आदिवासियों से जब कोई भी अधिकारी बात करने नही आया तो क्षुब्ध हो कर आदिवासीयों ने पहले दिन शाम को वन विभाग के दफ्तर को घेर कर उसकी सांकेतिक ताला बंदी कर दी थी।                


किसान संगठनों का सरकार पर आरोप

देश के किसान मोदी सरकार के तीन नये विधेयकों का विरोध क्यों कर रहे हैं।


वो दिन दूर नही जब भारत के हिंदू यजीदी बनकर अपनी ही जन्मभूमि पर रहम की भीख मांगते नजर आयेगें।
यूपी में क़ानून का नहीं, अपराधियों से रिश्तों का 'राजधर्म' चलता है।
 जब तुम कहते हो कि भारत पर तुम्हारा बराबर का हक़ है।
कृष्णकांत।
मैंने ये जानना चाहा कि देश के किसान मोदी सरकार के तीन नये विधेयकों का विरोध क्यों कर रहे हैं।किसान संगठनों के विरोध के कारण जायज हैं।
किसान संगठनों का आरोप है।
नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों और कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा।
इन तीनों विधेयक किसानों को बंधुआ मजदूरी में धकेल देंगे।
ये विधेयक मंडी सिस्टम खत्म करने वाले, न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने वाले और कॉरपोरेट ठेका खेती को बढ़ावा देने वाले हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होगा।
बाजार समितियां किसी इलाक़े तक सीमित नहीं रहेंगी।दूसरी जगहों के लोग आकर मंडी में अपना माल डाल देंगे और स्थानीय किसान को उनकी निर्धारित रकम नहीं मिल पाएगी।नये विधेयक से मं​डी समितियों का निजीकरण होगा।
नया विधेयक ठेके पर खेती की बात कहता है।जो कंपनी या व्यक्ति ठेके पर कृषि उत्पाद लेगा, उसे प्राकृतिक आपदा या कृषि में हुआ नुक़सान से कोई लेना देना नहीं होगा।इसका नुकसान सिर्फ किसान उठाएगा।
अब तक किसानों पर खाद्य सामग्री जमा करके रखने पर कोई पाबंदी नहीं थी।ये पाबंदी सिर्फ़ व्यावसायिक कंपनियों पर ही थी।अब संशोधन के बाद जमाख़ोरी रोकने की कोई व्यवस्था नहीं रह जाएगी, जिससे बड़े पूंजीपतियों को तो फ़ायदा होगा, लेकिन किसानों को इसका नुक़सान झेलना पड़ेगा।
किसानों का मानना है कि ये विधेयक "जमाख़ोरी और कालाबाज़ारी की आजादी" का विधेयक है।विधेयक में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की उपज की खरीद कैसे सुनिश्चित होगी, किसानों की कर्जमाफी का क्या होगा।                  


छात्र सभा सपा की पुलिस से हुई झड़प

 समाजवादी छात्र सभा ने मनाया बेरोजगार दिवस पर पुलिस से हुई झड़प।


अतीश द्विवेदी


लखीमपुर खीरी। समाजवादी छात्र सभा ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को बेरोजगार दिवस के रूप में मनाया। लोहिया भवन से कलेक्ट्रेट तक जाने के लिए कार्यक्रम तय था। पुलिस  ने लोहिया भवन पहुंचने से पहले ही कचहरी के गेट नम्बर दो पर कार्यकर्ताओं की गाड़ियां पुलिस की गाड़ी लगाकर रोक ली गई। छात्रसभा के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए व थाली पीटते हुए पैदल ही आगे बढ़ने लगे। पुलिस ने लोहिया भवन के सामने छात्रसभा के कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने से रोक लिया ।
छात्र सभा के कार्यकर्ता नारे बाजी करते हुए वही लोहिया भवन के सामने सड़क पर लेट गए।  निवर्तमान छात्रसभा जिलाध्यक्ष आकाश लाला ने बताया कि हम तमाम साथी ज्ञापन के माध्यम से मोदी-योगी की जनविरोधी नीतियों के चलते डूबती अर्थव्यवस्था घटते रोजगार, बेहाल तंगहाल आत्महत्या को मजबूर नौजवान की पीड़ा, प्रदेश देश सरकारी विभागों में खाली पड़े रिक्त पदों को भरने, योगी सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में पांच साल के संविदा के कानून को वापस लेने, औऱ लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हुए लोगों को 15 हजार मासिक गुजारा भत्ता देने की मांग की है।
निवर्तमान जिला महासचिव प्रवीन यादव ने बताया कि पूंजी परस्त, कारपोरेट परस्त सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौप कर देश को अंदर से खोखला करने पर उतारू है, जिसे समाजवादी कार्यकर्ता और देश का युवा किसी कीमत पर बर्दास्त नहीं करेगा।कार्यकर्ताओं ने तीखी नोक झोंक के बाद वहीं पर आए सदर एस डी एम को ज्ञापन सौंपा। जिसमे प्रमुख रूप खुर्शीद अहमद, पंकज लाला, शाबान अहमद, यज्ञ प्रताप मिश्रा, रजत गुप्ता, अनुभव यादव, सुधाकर लाला, विवेक तिवारी, नईम राईन, प्रशांत लाला, शिवम गुप्ता, तालिब नज़ीर, प्रभात श्रीवास्तव, शोएब अहमद, एहतिशाम खान, बॉबी वर्मा समेत सैकड़ों युवा मौजूद रहे।                  


कहासुनीः बरसाई ईंटें, चले लाठी-डंडे

अतुल त्यागी (मंडल प्रभारी)
हाापुड़। जनपद के थाना धौलाना क्षेत्र में दो पक्षों में जरा सी
 कहासुनी को लेकर जमकर चले लाठी-डंडे और ईंट पत्थर इतना ही नहीं दोनों पक्ष एक दूसरे की जान पर उतारू हो गए।


बड़े ही बेखौफ तरीके से लाठी-डंडे और ईट पत्थरों से लैस होकर दोनों पक्ष सड़क पर उतर आए और आपस में भिड़ गए इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर चले लाठी-डंडे और ईंट पत्थर जिसमें दोनों तरफ से कई लोग घायल हो गए ।


इसी दौरान किसी ने दोनों पक्षों की मार पिटाई का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया अब बड़े ही तेजी से लाठी-डंडों से लैस सड़क पर दोनों पक्षों पर वार करते हुए वीडियो वायरल हो रहा है थाना धौलाना क्षेत्र के गांव दहरा का मामला।


बनियान धारी गैंग ने दो घरों को बनाया निशाना

जनपद हापुड़ के थाना सिंभावली क्षेत्र से बड़ी खबर।
अतुल त्यागी (मंडल प्रभारी)
हापुड़। कच्छा बनियान धारी आधा दर्जन से भी ज्यादा बदमाशों ने दो घरों को बनाया अपना त्निशाना दहशत का माहौल। लाखों रुपए की कीमत के जेवरात और नकदी कच्छा बनियान धारी बदमाश बड़े ही शातिर तरीके से घटना को अंजाम देकर मौके से हुए। हापुड़ के थाना सिंभावली पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल पुलिस गश्त की खुली पोल व्यापारियों से लेकर आम जनता तक घर से लेकर बाहर तक नहीं सुरक्षित। हापुड़ में कहीं ना कहीं रोज हो रही है लूट और डकैती जैसी वारदातें घर से लेकर बाहर तक कोई भी अपने आप को सुरक्षित नहीं समझ रहा पुलिस गश्त की खुल रही है पोल लोगों में दहशत का माहौल।                       


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 सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है मैं मीर हसन पुत्र नसीबुद्दीन निवासी, मकान संख्या-483 सरिता विहार, लोनी ,गाजियाबाद के द्वारा मेरे पुत्र रिजवान एवं उसकी पत्नी रुकैया के व्यवहार और चरित्र के कारण सभी प्रकार के संबंध विच्छेद करता हूं। भविष्य में उनके द्वारा किसी भी प्रकार के कृत्य से मेरा किसी प्रकार कोई संबंध नहीं माना जाए। मो. 8750283831



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