‘गतिशील’ कानूनी ढांचे की जरूरत पर बल दिया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को एक नए ‘‘गतिशील’’ कानूनी ढांचे की जरूरत पर बल दिया। जो साइबर क्षेत्र में पेश होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विनियमों तथा नियंत्रण की मांगों में संतुलन कायम कर सके।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा ‘साइबर अपराध जांच एवं डिजिटल फोरेंसिक’ विषय पर आयोजित दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रौद्योगिकी में बहुत अधिक बदलाव आए हैं, लेकिन साथ ही इससे लोगों के जीवन में घुसपैठ बढ़ गई है। यह मामूली भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर समय यह घातक होती है और इसका उद्देश्य गलत कृत्यों को अंजाम देना ही होता है।
उन्होंने बताया कि कानूनी रणनीति, प्रौद्योगिकी, संगठनों, क्षमता निर्माण और आपसी सहयोग से इस समस्या से निपटा जा सकता है। साइबर अपराधों का मुकाबला करने के लिए कानूनी रणनीति पर वैष्णव ने कहा कि देश के कानूनी ढांचे को बड़े पैमाने पर बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, मुझे नहीं लगता कि किसी भी क्रमिक बदलाव से मदद मिलेगी। परिवर्तन पर्याप्त, महत्वपूर्ण, मौलिक और संरचनात्मक होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरा संघर्ष निजता व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और ‘‘निजता के अधिकार की आड़ में धोखाधड़ी भरे कृत्यों को रोकने के लिए’’ अधिक विनियमन तथा नियंत्रण रखने की परस्पर विरोधी मांगों के बीच है। वैष्णव ने कहा कि समाज एक ओर कहता है कि निजता का अधिकार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण हैं और उसमें किसी का दखल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता वहीं दूसरा वर्ग नियमों तथा नियंत्रण की मांग करता है और इन दोनों मांगों के बीच संतुलन कायम करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कानूनी ढांचे को पूरी तरह से एक नया आकार देना चाहिए, जो गतिशील, समय के अनुरूप हो तथाहमारी हर पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करे, साथ ही लोगों को, उनके विचारों व सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाए और उन लोगों को दूर रखे, जो मेहनत की कमाई को ठगना चाहते हैं। मंत्री ने समारोह में 12 सीबीआई अधिकारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और दो सीबीआई अधिकारियों को असाधारण खुफिया पदक से भी सम्मानित किया।