नई दिल्ली/ बीजिंग। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनातनी के बीच ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा। एक तरफ वह शांति की बात पर बल देता है, तो दूसरी ओर अपनी ही बात के खिलाफ काम करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने लद्दाख के गलवान इलाके में 423 मीटर भीतर तक भारतीय इलाके में कर ली घुसपैठ कर ली है। एनडीटीवी ने इन हाई रेस्जोल्यूशन तस्वीरों के आधार पर बताया कि 25 जून तक भारतीय क्षेत्र में 423 मीटर अंदर तक 16 चीनी टेंट और तिरपाल, एक बड़ा शेल्टर और कम से कम 14 वाहन इस क्षेत्र में थे।
वहीं, भारत और चीन में तीसरे दौर की Corps Commander स्तर की बात मंगलवार को सुबह 10:30 बजे लद्दाख के चुशुल में होगी। पहले दो राउंड्स की बातचीत मोल्डो में हुई थीं, जो कि एलएसी पर चीन की ओर पड़ता है। यह जानकारी समचार एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से सोमवार को दी। इससे पहले, भारत चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आयी है। दरअसल जुलाई माह के अंत तक फ्रांस से हमें 6 लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। इससे वायुसेना की ताकत में उल्लेखनीय इजाफा होगा। राफेल की मेटेओर मिसाइल से 150 किलोमीटर दूर का निशाना भेदा जा सकता है। ऐसे में भारतीय वायुसेना को चीनी वायुसेना पर बढ़त मिलने की उम्मीद है।
लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारत और जापान ने हिंद महासागर में युद्धभ्यास किया है। दोनों देशों की नौसेनाओं ने इस युद्धाभ्यास में भाग लिया। युद्धाभ्यास में दोनों देशों के दो-दो युद्धपोत शामिल हुए। इस दौरान रणनीतिक संचार बेहतर करने का अभ्यास किया गया। बता दें कि बीते तीन वर्षों से भारत और जापान की नौसेनाएं हिंद महासागर में युद्धाभ्यास कर रही हैं। जिस तरह से चीन दक्षिणी चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर में भी अपनी ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में भारत और जापान भी मिलकर चीन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।
लद्दाख में एलएसी पर सेना ने इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप की तैनाती की है। बता दें कि इस ग्रुप में शामिल जवान ऊंची पहाड़ियों में युद्ध करने में पारंगत होते हैं। ये 17वीं माउंटेन कोर के जवान हैं, जिन्हें ऊंचे और दुर्गम इलाकों में युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया गया है। दरअसल चीनी मीडिया में खबर आयी थी कि गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प से पहले चीन ने पर्वतारोहियों और मार्शल आर्ट के लड़ाकों को एलएसी पर भेजा था। इसके बाद भारतीय सेना ने भी अपने इंटीग्रेडेट बैटल ग्रुप को सीमा पर तैनात करने का फैसला किया है।
चंद्रमौलेश्वर शिवांंशु 'निर्भयपुत्र'