बुधवार, 20 जनवरी 2021
पीएम आवास योजना के तहत मिलें ₹2691 करोड़
हम नहीं दे सकते ट्रैक्टर रैली की इजाजत: एससी
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। माचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को पुलिस का मामला बताए जाने के बाद मामले में न्यायालय से हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका वापस ली। उच्चतम न्यायालय ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दायर याचिका पर कहा, आप प्राधिकार हैं और आपको इससे निपटना है। इस पर आदेश पारित करना अदालत का काम नहीं । वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के खिलाफ अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहा। दरअसल गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के विरोध में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च कर पाएंगे या नहीं, आज इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई हो रही है। इससे पहले सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला करने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए और किसे नहीं। आज हो रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के खिलाफ केंद्र की याचिका पर हम कोई आदेश पारित नहीं करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कहा है कि यह पुलिस को तय करना है। हम आदेश पारित नहीं करने वाले हैं। आप कार्रवाई करने के अधिकारी हैं। दरअसल, प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली अथवा गणतंत्र दिवस पर समारोहों एवं सभाओं को बाधित करने की कोशिश करने के अन्य प्रकार के प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए दिल्ली पुलिस के मार्फत केंद्र की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ इस मामले पर आज अपना फैसला सुनाएगी।
विकास प्राधिकरण में होते हैं 'भ्रष्टाचार के एग्रीमेंट'
अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में भ्रष्टाचार से जुड़ा बड़ा मामला प्रकाश में आया है। एक तथाकथित एग्रीमेंट पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने से एकाएक हड़कंप मच गया है। जीडीए में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। यह भी सर्वमान्य तथ्य है कि जीडीए में अवैध निर्माण के कराने के लिए मोटी रिश्वत ली जाती है। सूत्रों के अनुसार रिश्वत का यह पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक जाता है। यही वजह है कि शिकायत मिलने के बाद भी प्रवर्तन विभाग के अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। अब सोशल मीडिया के जरिए जीडीए में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। आरोप है कि अवैध निर्माण करने के लिए जीडीए में सुविधा शुल्क की राशि फिक्स होती है। यह राशि मिलने के बाद संबंधित अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ट्रांस हिंडन क्षेत्र के अवैध निर्माण का जिक्र किया गया है। आरोप है कि विक्रम एंक्लेव साहिबाबाद क्षेत्र का मामला है। सोशल मीडिया पर वायरल कागजात की प्रति बताती है कि यह मामला 28 अगस्त 2020 का है। जिसमें बताया गया है कि विक्रम एंक्लेव साहिबाबाद क्षेत्र में एक भूखण्ड में पांच छत डाली जानी है। जिसमें पार्किंग, अपर ग्राउंड फ्लोर, फस्र्ट फ्लोर, सेंकेण्ड फ्लोर व थर्ड फ्लोर बनेगें।
छत के हिसाब से रेट होते हैं तय
हर एक छत के लिए 1 लाख 20 रूपए एवं पांच छत के लिए 6 लाख रुपए की मांग की गई। यह भूखण्ड करीब 355 वर्ग गज के दो भाग में बंटा है। वायरल पत्र से इस बात का अंदाजा लगाना आसान है कि जीडीए सीमांतर्गत अवैध तरीके से मकान की छत बनाने का रेट एक लाख 20 हजार रूपए है। उधर इस भूखण्ड पर निर्माणकर्ता आरसी शर्मा एवं जावेद को जीडीए की तरफ से 30 सिंतबर 2020 को नोटिस जारी किया गया था। जीडीए के प्रवर्तन जोन 8 की तरफ से जारी इस नोटिस में संबंधित निर्माण को अवैध करार दिया गया था। माना जा रहा है कि कलई खुलने और कार्रवाई की आशंका से जीडीए के प्रवर्तन विभाग में निर्माणकर्ताओं को यह नोटिस जारी किया। जबकि सोशल मीडिया पर वायरल शपथ पत्र की प्रति बताती है कि जीडीए के नोटिस जारी करने के पहले अवैध निर्माण के लेनदेन की कार्रवाई हो चुकी थी।
गणतंत्र-दिवस पर मिल सकती है रैली की इजाजत
नई दिल्ली। आशा की जा रही है कि किसान संगठनों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को एक सीमित संख्या में ट्रैक्टरों और लोगों के साथ ‘पुलिस की निगरानी’ में एक ‘निर्धारित मार्ग’ से निकालने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन यदि किसान इस योजना पर राजी नहीं हुए और सीमाओं पर पुलिस की नाकाबंदी तोड़ने की कोशिश की तो पुलिस ‘पूरी ताकत के साथ उन्हें पीछे धकेल देगी।’ पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘रैली की अनुमति तभी दी जाएगी जब निर्धारित मार्ग, इसमें शामिल ट्रैक्टरों और लोगों की संख्या पर आपसी सहमति होगी। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीमा में प्रवेश करने वाले ट्रैक्टरों की संख्या सीमित होगी और इसका पूरा ब्योरा वाहन नंबर, आरसी नंबर, ड्राइवर और सह-यात्रियों के नाम आदि पुलिस को पहले से मुहैया कराना होगा।’ सूत्र ने कहा, ‘यह एक रेग्युलेटेड रैली होनी चाहिए और किसानों को इस पर सहमत होना चाहिए। बिना अनुमति वाले ट्रैक्टरों को रैली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। अगर किसानों ने अलग से इसमें भाग लेने की कोशिश की तो पुलिस पूरी ताकत से उन्हें पीछे धकेल देगी।आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि दिल्ली पुलिस आंदोलनकारी किसानों के गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने पर निर्णय ले। अदालत केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली पुलिस के जरिये दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 26 जनवरी के कार्यक्रम और समारोह को बाधित करने के इच्छुक किसानों की तरफ से किसी प्रदर्शन या प्रस्तावित रैली के खिलाफ निषेधाज्ञा की मांग की गई थी। यह स्पष्ट करते हुए कि यह कानून-व्यवस्था का मामला है, अदालत ने कहा कि पुलिस ही ‘सबसे पहले यह तय करने के लिए अधिकृत है कि किसे दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’ कोर्ट ने कहा, ‘हम आपको यह नहीं बताने जा रहे हैं कि आपको क्या करना चाहिए। हम इस मामले को 20 जनवरी को सुनेंगे।’
रैली ‘सौहार्दपूर्ण तरीके’ से होनी चाहिए
दिल्ली पुलिस भी किसान संगठनों से इस बारे में बातचीत कर रही है कि रैली को ‘सौहार्दपूर्ण तरीके’ से कैसे आयोजित किया जाए। ऊपर उद्धृत सूत्र ने कहा, ‘रैली सौहार्दपूर्ण ढंग से निकालने के लिए आम सहमति बनानी होगी। यदि वे इसे विनियमित करने पर सहमत होते हैं, तो हमारी पायलट कार तय मार्ग पर ट्रैक्टरों को के साथ चलेगी और रैली आसानी से निकाली जा सकेगी। हम उनके लिए सीमा खोलेंगे।’ सूत्र ने आगे कहा, ‘कोई फैसला लेने से पहले किसानों को हमें यह आश्वस्त करना होगा कि वह केवल सीमित संख्या में रैली में शामिल होंगे और किसी नई जगह ब्लॉक नहीं बनाएंगे। कोई भी उन्हें रैली निकालने से नहीं रोक रहा है, बस इसे पूरी तरह से विनियमित करना होगा।’ हालांकि, भाकियू (सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डालेवाल ने कहा, ‘हिस्सा लेने वालों की संख्या सीमित करना मुश्किल होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पुलिस को बताया है कि हमारे ट्रैक्टर सिंघू बॉर्डर से प्रवेश करेंगे और आउटर रिंग रोड पर जाएंगे। हम चाहते हैं कि यह सौहार्दपूर्ण हो, लेकिन अगर वे कहते हैं कि सिर्फ कुछ ही ट्रैक्टरों को अनुमति दी जाएगी तो इसका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। बहुत अधिक समर्थन है और बहुत सारे भागीदार हैं। उन्हें सभी ड्राइवरों, वाहन नंबरों का ब्योरा देना भी मुश्किल काम है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम पुलिस से बात कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इस पर सहमति बन जाएगी।’
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