शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

हार्ट अटैक आने के कारण एक्टर सिद्धांत की मौंत

हार्ट अटैक आने के कारण एक्टर सिद्धांत की मौंत

कविता गर्ग 

मुंबई। छोटे पर्दे के जाने- माने एक्टर सिद्धांत वीर सूर्यवंशी की मौंत हो गई है। एक्टर महज 46 वर्ष के थे। उनकी मौत हार्ट अटैक आने के कारण हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्टर शुक्रवार की सुबह वर्क आउट कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें आर्ट अटैक  आ गया। एक्टर को आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इन टीवी सीरियल्स में किया काम
एक्टर  सिद्धांत वीर सूर्यवंशी ने टीवी धारावाहिक कुसुम, वारिस और सूर्यपुत्र करण के लिए काफी मशहूर रहे। सीरियल कुसुम उनकी डेब्यू टीवी थी। कसौटी जिंदगी की, कृष्णा अर्जुन, क्या दिल में है। इसके बाद उनकी आखिरी प्रोजेक्ट टीवी शो 'क्यों रिश्तों में कट्टी- बट्टी' और 'जिद्दी दिल' था। एक्टर के मौत की जानकार टीवी एक्टर जय भानुशाली ने दी। सिद्धांत के दो बच्चे और पत्नी अलीसिया राउत हैं।

बतौर मॉडल की थी करियर की शुरूआत
सिद्धांत वीर सूर्यवंशी ने बतौर मॉडल अपने करियर की शुरुआत की थी। सीरियल कुसुम से इन्होंने अपना टीवी डेब्यू किया था। इसके अलावा भी सिद्धांत वीर सूर्यवंशी ने कई पॉपुलर टीवी शोज में काम कर घर-घर में अपनी पहचान बनाई। 

राजस्थान: 3 दिन का विशेष अभियान, निर्णय किया 

राजस्थान: 3 दिन का विशेष अभियान, निर्णय किया 

नरेश राघानी 

जयपुर। राजस्थान में खान विभाग द्वारा पुलिस प्रशासन के समन्वय से अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण के विरुद्ध तत्काल प्रभाव से तीन दिन का विशेष अभियान चलाने का निर्णय किया गया है। खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य के सभी माइनिंग अधिकारियों को आज शुक्रवार को ही अपने क्षेत्र के संबंधित पुलिस अधीक्षकोें से संपर्क कर प्रभावी कार्यवाही की रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार से प्रदेश में कार्यवाही की सूचना भी आने लगी ह्रै और आरंभिक सूचनाओं के अनुसार बिना रवन्ना या टीपी के खनिज परिवहन करते हुए 13 से अधिक वाहन जब्त कर संबंधित पुलिस थानों को सुपुर्द किए गए है।

डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को स्टोनमार्ट के उद्घाटन अवसर पर कहा था कि राज्य सरकार अवैध खनन के प्रति गंभीर है और निरंतर अभियान चलाकर इस पर रोक लगाने के प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री गहलोत के निर्देश के साथ ही विभाग एक्शन मोड पर आ गया है और विभाग ने आज ही पुलिस अधीक्षकों से संपर्क कर तीन दिनों तक लगातार अभियान चलाकर अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अवैध खनन पर प्रभावी रोक के लिए एक और विभाग द्वारा संबंधित विभागों से समन्वय बनाते हुए अभियान चलाकर बड़ी मशीनरी की जब्ती और एफआईआर एवं गिरफ्तारी जैसे कठोर कदम उठाए जा रहे हैं वहीं वैध खनन को बढ़ावा देने के लिए खनिज ब्लाक तैयार कर ई नीलामी की जा रही है। ताकि अवैध खनन पर रोक लगाई जा सके।

केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का शुक्रवार को अनावरण किया। ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ के अनुसार, यह शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा है। ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’ (समृद्धि की प्रतिमा) नामक यह प्रतिमा बेंगलुरु के विकास के लिए केम्पेगौड़ा के योगदान को याद करती है।

यह प्रतिमा 218 टन वजनी (98 टन कांसा और 120 टन इस्पात) है। इसे यहां केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थापित किया गया है। इसमें लगी तलवार चार टन की है। प्रतिमा के पीछे 23 एकड़ में फैला एक विरासत थीम पार्क है जो 16वीं सदी के शासक को समर्पित है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 84 करोड़ रुपये है।

हालांकि, कांग्रेस ने कैम्पेगौड़ा की मूर्ति के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाया हैं। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सवाल उठाया कि कैम्पेगौड़ा की मूर्ति बनाने के लिए सरकारी पैसों का इस्तेमाल क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि कैम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का जिम्मा बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (BIAL) के पास है और उसे ही इस मूर्ति का खर्चा उठाना चाहिए था।

शिवकुमार ने कहा, 'सरकारी पैसे से बनी प्रतिमा को स्थापित करना अपराध है। कर्नाटक सरकार ने BIAL को जमीन और फंड दिया था। 4,200 एकड़ जमीन में से 2,000 एकड़ जमीन सिर्फ 6 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दी गई थी। उनके पास शेयर भी हैं। BIAL को अपने पैसे का इस्तेमाल करना चाहिए था।' पूर्ववर्ती विजयनगर साम्राज्य के सामंती शासक केम्पेगौड़ा ने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की थी। उन्हें ओल्ड मैसूरु तथा दक्षिण कर्नाटक के अन्य हिस्सों में बहुल वोक्कालिगा समुदाय द्वारा श्रद्धेय माना जाता है। प्रख्यात मूर्तिकार और पद्म भूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने इस प्रतिमा का निर्माण किया है। सुतार ने गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ तथा बेंगलुरु के विधानसौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा भी बनायी थी।

इस प्रतिमा के लिए राज्य के 22,000 से अधिक स्थानों से ‘पवित्र मिट्टी’ एकत्रित की गयी जिसे सांकेतिक रूप से प्रतिमा के चार टॉवर में से एक के नीचे की मिट्टी में मिलाया गया। पिछले दो सप्ताह में 21 विशेष वाहनों ने गांवों, शहरों और नगरों में पवित्र मिट्टी एकत्रित की। अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस प्रतिमा की स्थापना से राजनीतिक दलों के बीच केम्पेगौड़ा की विरासत पर दावा जताने की स्पर्धा शुरू होती दिख रही है, जिसका मकसद राजनीतिक रूप से प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से चुनावी समर्थन हासिल करना है। विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने पहले कहा था कि उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सबसे पहले हवाई अड्डे पर केम्पेगौड़ा की प्रतिमा स्थापित करने की योजना बनाई थी।

कैम्पेगौड़ा हैं कौन?

नदप्रभु कैम्पेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के शासक थे। 1537 में उन्होंने ही बेंगलुरु की स्थापना की थी। यहां उन्होंने कन्नड़ भाषा में कई शिलालेख बनवाए थे। कैम्पेगौड़ा के पिता मोरासू वोक्कालिगा कैम्पेंनंजे गौड़ा के पुत्र थे, जिन्होंने 70 साल से भी ज्यादा समय तक येल्हानकनाडु पर शासन किया था। माना जाता है कि 15वीं सदी में उनका परिवार तमिलनाडु के कांची से कर्नाटक आ गया और विजयनगर साम्राज्य का शासन संभाला। सन् 1513 में कैम्पेगौड़ा ने अपने पिता की विरासत को संभाला। कैम्पेगौड़ा ने लगभग 46 साल तक विजयनगर साम्राज्य पर शासन किया।

माना जाता है कि एक बार कैम्पेगौड़ा अपने मंत्री वीरन्ना और सलाहकार गिद्दे गौड़ा के साथ शिकार पर गए थे, तभी उन्होंने एक ऐसे शहर की कल्पना की थी जहां किले, टैंक, छावनी, मंदिर और कारोबार करने की सुविधा हो। कैम्पेगौड़ा ने पहले शिवगंगा रियासत पर जीत हासिल की और बाद में डोम्लूर को भी जीत लिया। डोम्लूर पुराने बेंगलुरु एयरपोर्ट की सड़क पर स्थित है। 1537 में उन्होंने बेंगलुरु किले का निर्माण किया और शहर बसाया। और अपनी राजधानी को येलहांका से बेंगलुरु में स्थानांतरित कर लिया।

कैम्पेगौड़ा ने जो किला बनाया था, वो लाल रंग का था। इस किले में 8 दरवाजे थे और अंदर दो चौड़ी सड़कें थीं। किले के बाहर चारों ओर चौड़ी खाई भी बनी थी। उन्होंने दूर-दराज के इलाकों से कुशल कारीगरों को भी यहां बसाया ताकि वो कारोबार कर सकें।

टीचर के द्वारा खाने में छिपकली खिलाने का मामला 

टीचर के द्वारा खाने में छिपकली खिलाने का मामला 

अविनाश श्रीवास्तव 

भागलपुर। बिहार के भागलपुर में एक टीचर के द्वारा खाने में छिपकली खिलाने का मामला सामने आया है, जिससे 200 से ज्यादा बच्चे बीमार पड़ गए हैं। बताया जा रहा है कि एक स्कूल में मिड-डे मिल के खाने में छिपकली होने की बात बच्चों ने टीचर से कही, लेकिन टीचर ने बच्चों से कहा कि खाने में छिपकली नहीं वो बैंगन है।

आरोप है कि बच्चों ने जब खाना खाने से इनकार कर दिया तो उन्हें टीचर ने पीटा और जबरदस्ती खाना खिलाया। जैसे ही बच्चों ने खाना खाया उन्हें उलटियां होना शुरू हो गईं और थोड़ी देर के बाद बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। बीमार पड़ने के तुरंत ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। फिलहाल बच्चों का उपचार किया जा रहा है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

अनुशंसित नामों को लंबित रखने पर नाराजगी: एससी 

अनुशंसित नामों को लंबित रखने पर नाराजगी: एससी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत की कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गये नामों सहित उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को केंद्र द्वारा लंबित रखने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह ‘अस्वीकार्य’ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नामों पर कोई निर्णय न लेना ऐसा तरीका बनता जा रहा है कि उनलोगों को अपनी सहमति वापस लेने को मजबूर किया जाए, जिनके नामों की सिफारिश उच्चतर न्यायपालिका में बतौर न्यायाधीश नियुक्ति के लिए की गई है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, ‘‘नामों को बेवजह लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है।’’

पीठ ने केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करके शीर्ष अदालत के 20 अप्रैल 2021 के आदेश के अनुरूप समय पर नियुक्ति के लिए निर्धारित समय सीमा की ‘‘जानबूझकर अवज्ञा’’ करने के आरोप वाली याचिका पर जवाब मांगा। एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता पई अमित के माध्यम से दायर याचिका में उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ‘‘असाधारण देरी’ का मुद्दा उठाया है। इसने 11 नामों का उल्लेख किया है, जिनकी सिफारिश की गई थी और बाद में ये नाम दोबारा भी भेजे जा चुके हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘अगर हम विचार के लिए लंबित मामलों की स्थिति को देखें, तो सरकार के पास ऐसे 11 मामले लंबित हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी थी और अभी तक उनकी नियुक्ति की प्रतीक्षा की जा रही है।’’ पीठ ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों सहित अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में देरी के कारण कुछ लोगों ने अपनी सहमति वापस ले ली है और (न्यायिक) तंत्र ने पीठ में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने का अवसर खो दिया है।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम पाते हैं कि नामों को रोककर रखने का तरीका इन लोगों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने का एक तरीका बन गया है, ऐसा हुआ भी है।’’ याचिकाकर्ता के वकील की इस बात का भी संज्ञान लिया गया कि जिन व्यक्तियों का नाम दोबारा भेजे जाने के बाद भी लंबित था, उनमें से एक का निधन हो गया है।

पीठ ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी है कि शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए पांच सप्ताह से अधिक समय पहले की गई सिफारिश आज भी लंबित है। पीठ ने कहा, ‘‘हम वास्तव में इसे समझ पाने या इसका मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह वर्तमान सचिव (न्याय) और सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को फिलहाल ‘‘सामान्य नोटिस’’ जारी कर रही है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-397, (वर्ष-05)

2. शनिवार, नवंबर 12, 2022

3. शक-1944, मार्गशीर्ष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-चतुर्थी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:02, सूर्यास्त: 05:36। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 22 डी.सै., अधिकतम-33+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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