उज्जैन। शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि गुरुवार 10 जून को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है। अमावस्या तिथि 9 जून को 13.57 बजे से प्रारंभ होकर 10 जून 16.21 बजे समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनि देव को कर्मफल दाता व न्याय का देवता भी कहा जाता है। शनिदेव ने भगवान शंकर की घोर तपस्या की, शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न हो कर शिव ने शनिदेव को वरदान दिया कि तुम नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ होंगे। तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश और दंडाधिकारी रहोगे, तुम ही लोगों को कर्मों के अनुसार न्याय और दंड दोगे। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक शनि देव से डरना नही चाहिए, जो लोग अच्छे कर्म करते है उन्हें शनि राजा बना देते हैं और जो बुरे कर्म करते है उन्हें राजा से रंक बना देते हैं।
शनिदेव की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है। शनि जयंती के दिन किया गया दान पुण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों को दूर करता है। जिन जातकों को साढ़े साती चल रही है, उन्हें शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल , उड़द, काली मिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए। साथ ही शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उड़द, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं।