बुधवार, 22 जून 2022

बगावत: 40 विधायकों के साथ सरकार से अलग

बगावत: 40 विधायकों के साथ सरकार से अलग 
कविता गर्ग  
मुंबई। महाराष्ट्र में राकांपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने वाली पार्टी शिवसेना की सरकार को अपने ही पार्टी के नेताओं के बगावती तेवर का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव सरकार के खिलाफ बगावत कर 40 विधायकों के साथ सरकार से अलग हो गए हैं। शिवसेना से बगावत करने वाले महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है। बीता दिनों सूरत के ला मेरिडियन होटल पहुंचने वाले एकनाथ शिंदे आज गुवाहाटी पहुंच गए हैं, जहां भाजपा के एक विधायक ने उनका स्वागत  किया।
इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि राज्य के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और अस्पताल में एडमिट हैं। मीडिया से गुवाहाटी में बात करते हुए एकनाथ शिंदे ने इसके संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि हमें 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है और जल्दी ही कुछ और हमारे साथ आ सकते हैं।
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना नेता संजय राउत के उस आरोप भी खारिज किया कि ज्यादातर विधायकों को जबरदस्ती ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि किसी पर भी दबाव नहीं डाला गया। हमारे पास 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। उन्होंने कहा कि काम के लिए फंड न जारी होने के चलते विधायकों में नाराजगी थी। कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे एक अलग गुट बना सकते हैं और इससे विधायकों की सदस्यता भी नहीं जाएगी। इसकी वजह यह है कि उनके पास जरूरी दो तिहाई विधायकों का समर्थन है। पार्टी को तोड़ने के लिए 37 विधायक जरूरी हैं और इतने लोगों की बगावत पर विधायकों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।
सूरत से निकलने से पहले एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों के साथ तस्वीरें शेयर कीं। एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमें 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है। हम बालासाहेब ठाकरे के विचारों को आगे ले जाने वाले हैं। हम किसी के भी खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बाला साहेब ठाकरे और आनंद दिघे की विचारधारा के लिए काम करना चाहते हैं। यही नहीं उद्धव ठाकरे की सरकार में एक और मंत्री संदीपन भुमरे ने कहा, ‘हम एकनाथ शिंदे के साथ हैं और हम शिवसेना का एक अलग गुट बनाने पर विचार कर रहे हैं। हम महसूस कर रहे हैं कि मौजूदा हालात में काम नहीं हो पा रहे हैं। विधायकों को लगता है कि विकास के लिए फंड का सही आवंटन नहीं किया जा रहा है।’
इस बीच एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के रवैये पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के चीफ ने एक तरफ मिलिंद नार्वेकर को मुझसे बातचीत के लिए भेजा है तो वहीं दूसरी तरफ विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा मेरे पुतले जलाए गए हैं और मुझे बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नए विधायक दल के नेता की नियुक्ति नियमों से अलग है। इसके लिए सभी विधायकों की मीटिंग बुलानी चाहिए थी और ज्यादातर तो मेरे ही साथ हैं। बता दें कि शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटाकर अजय चौधरी को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

भूकंप आने से 130 से अधिक लोगों की मौत हुई

भूकंप आने से 130 से अधिक लोगों की मौत हुई
अखिलेश पांडेय 
काबुल। अफगानिस्तान में भयानक भूकंप आने से 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। भूकंप की तीव्रता 6.1 मैग्नीट्यूड बताई जा रही है।न्यूज एजेंसी रायटर्स के हवाले से खबर है कि अफगानिस्तान में तीव्र भूकंप आने से 130 लोगों की मौत हो गई है। राहत और बचाव कार्य के लिए एजेंसियां मौके पर पहुंच चुकी है। लोगों को बचाने और घायलों को अस्पताल में पहुंचाने का काम जारी है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने कहा कि बुधवार तड़के 6.1 तीव्रता के भूकंप ने घनी आबादी वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को हिला दिया। अफगानिस्तान अधिकारियों ने कहा काफी लोगों के हताहत होने की आशंका है।यूएसजीएस के अनुसार, भूकंप दक्षिणपूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त शहर से लगभग 44 किमी (27 मील) दूर 51 किमी की गहराई पर आया। तालिबान प्रशासन के प्राकृतिक आपदा मंत्रालय के प्रमुख, मोहम्मद नसीम हक्कानी ने कहा कि वे आगे की जांच पूरी करने के बाद एक अपडेट देंगे।
अफगानिस्तान के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यहां भूकंप से 130 से अधिक लोगों के मौत की पुष्टि की है। मीडिया रिपोर्ट से मुताबिक मौतों का आंकड़ा अभी और भी बढ़ सकता है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि भूकंप से 100 से ज्यादा घर तबाह हो गये हैं। उन्होंने बताया कि बचाव कार्य में हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है। वहीं सहायता के लिए एजेंसियों को आने के लिए कहा है। लेकिन भूकंप प्रभावित क्षेत्र दूरस्थ, इसलिए यहां मदद पहुंचने में थोड़ी देर हो रही है‌।

सरकारों को गिराने की साजिशें कर रहा विपक्ष

सरकारों को गिराने की साजिशें कर रहा विपक्ष
कविता गर्ग/नरेश राघानी 
मुंबई/जयपुर। जैसा कि महाराष्ट्र में एमवीए सरकार के लिए संकट केंद्र में है, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि देश में विपक्षी दलों द्वारा संचालित विभिन्न राज्य सरकारों को गिराने की साजिशें चल रही हैं।
उन्होंने राजस्थान में 2020 के उस दौर को याद किया जब कांग्रेस के कई विधायक बागी हो गए थे और कहा था कि बड़ी मात्रा में पैसा बांटा गया लेकिन पार्टी के विधायक वफादार रहे।
“मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि राजस्थान के विधायक मेरे साथ 34 दिनों तक रहे। ऑफर सामने आते ही 10 करोड़ रुपये की पहली किस्त देने का था। लेकिन उसके बाद भी कोई बाहर नहीं निकला। हाल ही में हमने तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी।
दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए, गहलोत ने कहा  हम बार-बार कह रहे हैं कि संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है और लोकतंत्र खतरे में है। इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि मध्य प्रदेश की (कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस) सरकार गिरा दी गई। हमने सुना है कि प्रत्येक विधायक के साथ 25 करोड़ रुपये, 30 करोड़ रुपये और 35 करोड़ रुपये के सौदे किए गए थे। यह उनके लिए एक नया प्रयोग था और वे इसमें सफल भी हुए। हमने मध्य प्रदेश में उनके द्वारा किए गए कुकर्मों को समय पर समझा और सतर्क रहे और सफल हुए।”
“मैं महाराष्ट्र में की गई साजिश के बारे में सुन रहा हूं। विधायकों को सूरत ले जाया गया है। यह उनकी (भाजपा की) सरकार गिराने की कोशिश है, जो दुनिया के सामने आ गई है। उन्होंने इतनी बड़ी साजिश की है, कैसे किया गया, कैसे खरीद-फरोख्त हो रही होगी, कौन से सौदे हो रहे होंगे, यह या तो उन्हें पता है या उनकी आत्मा को पता है।
गहलोत ने कहा कि सभी ने “तमाशा” देखा जो एमवीए सरकार के सत्ता में आने से पहले महाराष्ट्र में हुआ था।
“अचानक सुबह 6.30 बजे शपथ ली गई। बधाई मिलने लगी। श्री (देवेंद्र) फडणवीस, जो शपथ लेने वाले थे, ने वापस ट्वीट कर कहा कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ लेकिन फिर उन्हें खुद लाल-चेहरा छोड़ दिया गया था, “उन्होंने अल्पकालिक सरकार को याद करते हुए कहा फडणवीस, राकांपा के अजित पवार के साथ।
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, गहलोत ने कहा। “पहले मध्य प्रदेश में हुआ, फिर राजस्थान में हुआ। अब महाराष्ट्र में सरकार गिराने की साजिशें चल रही हैं। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ईडी और इनकम डेक्स का गलत इस्तेमाल हो रहा है। न्याय नहीं मिलने पर व्यक्ति न्यायपालिका के पास जाता है। अब न्यायपालिका खुद दबाव में है। दबाव में हो तो आदमी को कहाँ जाना चाहिए? यह बहुत खतरनाक खेल होता जा रहा है। ये फासीवादी लोग हैं जो लोकतंत्र का मुखौटा पहने हुए हैं। वे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन लोकतंत्र के नाम पर राजनीति कर रहे हैं।

उपमुख्यमंत्री के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का केस

उपमुख्यमंत्री के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का केस

 इकबाल अंसारी  

दिसपुर। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की पत्नी रिनिकी भूयान सरमा ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मंगलवार को 100 करोड़ रुपए की मानहानि का केस दर्ज किया है। यह केस गुवाहाटी के सिविल जज कोर्ट में दर्ज हुआ है। आप नेता मनीष सिसोदिया ने 4 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया था कि असम की सरकार ने मुख्यमंत्री की पत्नी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं। कंपनी को पीपीई किट बाजार भाव से अधिक रेट पर सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जब देश में 2020 में कोरोना की लहर थी। रिनिकी सरमा के वकील पद्माधर नायक ने कहा कि हमे उम्मीद है कि यह केस आज 22 जून को कोर्ट में लिस्ट होगा।

इससे पहले हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि वह मनीष सिसोदिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। हालांकि अपने बयान पर सफाई देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा था कि एक समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा था, असम में पीपीई किट की किल्लत थी, मेरी पत्नी ने आगे आने की हिम्मत दिखाई और 1500 पीपीई किट दान में दिया, इसके लिए कोई पैसे नहीं लिए, ताकि लोगों की जिंदगी बच सके। उन्होंने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। ये पीपीई किट्स सरकार को तोहफे में दी गई थी, मेरी पत्नी की कंपनी ने इसके लिए कोई बिल नहीं दिया था। बता दें कि मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा जी, आपकी पत्नी की कंपनी जेसीपी इंडस्ट्रीज ने 5000 किट 990 रुपए के दाम से दिए हैं, मुझे बताइए क्या ये गलत पेपर है। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है, अपनी ही पत्नी की कंपनी को बतौर स्वास्थ्य मंत्री कॉन्ट्रैक्ट देना क्या भ्रष्टाचार नहीं है। इस ट्वीट पर हिमंत बिस्व सरमा की पत्नी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा महामारी के पहले हफ्ते में असम में एक भी पीपीई किट नहीं थी। इसका संज्ञान लेते हुए मैंने 1500 पीपीई किट एनएचएम को दी। बाद में मैंने एनएचएम को लिखा कि इसमे मेरे सीएसआर के तहत देखा जाए। मैंने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। मैं हमेशा अपने विश्वास को लेकर पारदर्शी रही हूं, फिर चाहे वह मेरे पति की राजनीतिक पहचान ही क्यों ना हो।


12,249 नए कोरोना मरीज सामने आए: भारत

12,249 नए कोरोना मरीज सामने आए: भारत
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। देश में कोरोना तेजी से अपने पैर पसार रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में आज 12,249 नए कोरोना मरीज सामने आए हैं। जबकि, मंगलवार को 9,923 मामले सामने आए थे। यह संख्या कल के मुकाबले 2,326 ज्यादा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 13 लोगों की कोरोना के कारण मौत हुई है।
सक्रिय मरीजों की संख्या 81 हजार के पार जा चुकी है। वहीं संक्रमण दर में भी इजाफा दर्ज किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोरोना की संक्रमण दर अब बढ़कर 3.94 प्रतिशत पहुंच गई है।
वहीं 9,862 लोगों ने कोरोना को मात दी। देश में अब 81,687 सक्रिय कोरोना मरीज हैं। कल की तुलना में सक्रिय कोरोना मरीजों में 2374 का इजाफा हुआ है।

डॉलर के मुकाबले 4 पैसे टूटकर 78.17 पर बंद

डॉलर के मुकाबले 4 पैसे टूटकर 78.17 पर बंद

विजय कुमार 'तन्हा' 
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी/मुंबई। घरेलू शेयर बाजार में सुस्त रुख और मजबूत अमेरिकी डॉलर को देखते हुए बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4 पैसे टूटकर 78.17 पर बंद हुआ।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमतों ने स्थानीय इकाई का समर्थन किया और इसकी गिरावट को सीमित कर दिया, विदेशी मुद्रा डीलरों ने कहा। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा में, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.13 पर अपरिवर्तित खुला, फिर पिछले बंद के मुकाबले 4 पैसे की गिरावट दर्ज करते हुए 78.17 के भाव पर बंद हुआ।
पिछले सत्र में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.13 पर बंद हुआ था।
घरेलू इक्विटी बाजार के मोर्चे पर, 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 364.12 अंक या 0.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,167.95 पर कारोबार कर रहा था, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 123.10 अंक या 0.79 प्रतिशत गिरकर 15,515.70 पर बंद हुआ।
इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.17 प्रतिशत बढ़कर 104.61 हो गया।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 3.47 प्रतिशत की गिरावट के साथ 110.67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशक मंगलवार को पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता बने रहे, क्योंकि उन्होंने एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार 2,701.21 करोड़ रुपये के शेयर उतारे।

श्रमिकों की 7 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग, हड़ताल

श्रमिकों की 7 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग, हड़ताल
सुनील श्रीवास्तव  
लंदन। ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को श्रमिक संघों की वेतन मांगों पर एक समझदार समझौता करने का आह्वान किया, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन में 30 वर्षों में सबसे खराब रेल हड़ताल हुई, जिसमें अधिकांश कर्मचारी नेटवर्क को पंगु बनाने के लिए बाहर निकल गए।
पांच में से सिर्फ एक ट्रेन के मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को चलने की उम्मीद है, जब कर्मचारी हड़ताल पर हैं, सोमवार शाम से इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। यात्रियों से आग्रह किया गया है कि यदि आवश्यक हो तो ही ट्रेन से यात्रा करें।
डाउनिंग स्ट्रीट में कैबिनेट की बैठक से पहले जॉनसन ने कहा, “वेतन पर बहुत अधिक मांग भी दुनिया भर के परिवारों के सामने रहने की बढ़ती लागत के साथ मौजूदा चुनौतियों को समाप्त करने के लिए अविश्वसनीय रूप से कठिन बना देगी।
“अब ब्रिटिश लोगों और रेल कर्मचारियों की भलाई के लिए एक समझदार समझौता करने का समय है,” उन्होंने कहा।
सार्वजनिक स्वामित्व वाली नेटवर्क रेल और 13 रेल ऑपरेटरों के हजारों कर्मचारियों ने सोमवार को हड़ताल से बचने के लिए आखिरी खाई की बातचीत के बाद आधी रात से वाकआउट कर लिया। आरएमटी रेल यूनियन ने सरकार पर रेल नेटवर्क के नियोक्ताओं को वेतन पर स्वतंत्र रूप से बातचीत करने से रोकने का आरोप लगाया। संघ कथित तौर पर 7 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की मांग कर रहा है, जो मुद्रास्फीति से कम है लेकिन नियोक्ताओं द्वारा की पेशकश की तुलना में अधिक है।
आरएमटी यूनियन के महासचिव मिक लिंच ने कहा, “यह स्पष्ट है कि टोरी सरकार ने लंदन के लिए राष्ट्रीय रेल और परिवहन से GBP 4 बिलियन की फंडिंग को कम करने के बाद अब सक्रिय रूप से इस विवाद को सुलझाने से रोक दिया है।”
रेल कंपनियों ने अब वेतन दरों का प्रस्ताव दिया है जो पिछले कुछ वर्षों के वेतन फ्रीज के शीर्ष पर आने वाली मुद्रास्फीति की प्रासंगिक दरों के तहत बड़े पैमाने पर हैं। सरकार के इशारे पर, कंपनियां भी हजारों नौकरियों में कटौती लागू करने की मांग कर रही हैं और अनिवार्य अतिरेक के खिलाफ कोई गारंटी देने में विफल रही हैं,” उन्होंने कहा।
नेटवर्क रेल के सीईओ एंड्रयू हैन्स ने कहा कि सरकार बातचीत में बाधा नहीं है”, रिपोर्टों के बीच कि यूनियनों ने 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
लंदन के ट्यूब नेटवर्क से जुड़ी एक अलग पंक्ति में, लंदन अंडरग्राउंड नेटवर्क के कर्मचारी भी मंगलवार को नौकरी में कटौती और अपनी पेंशन में बदलाव को लेकर हड़ताल पर हैं।

डाउनिंग स्ट्रीट ने एक बयान में कहा, “मुद्रास्फीति से निपटने और इसे जमने से रोकने की हमारी जिम्मेदारी है।
बयान में कहा गया है, “ऐसा करने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वेतन निपटान समझदार हैं और मुद्रास्फीति से मेल खाने के लिए हाथापाई नहीं करते हैं, और परिणामस्वरूप कीमतों में वृद्धि होती है क्योंकि वेतन वृद्धि को शामिल करने के लिए माल और सेवा की लागत में वृद्धि होती है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-257, (वर्ष-05)
2. बृहस्पतिवार, जून 23, 2022
3. शक-1944, आषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दसमीं, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:15।
5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-38+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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मंगलवार, 21 जून 2022

योगेश्वर 'संपादकीय'

योगेश्वर    'संपादकीय' 

योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। योग-प्राणायाम सनातन संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है। पुरातन काल से योग-साधना का वर्णन किया गया है। कई साधक-तपस्वियों ने योगी पद प्राप्त किया है। भगवान श्री कृष्ण को 'योगेश्वर' नाम से संबोधित भी किया गया है। अर्थात, योगियों के ईश्वर का वर्णन भी किया गया है। इससे यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि योग की उत्पत्ति और सामूहिक उपयोग का सदैव भारत में प्रचलन रहा है। योग के महत्व को विश्व स्तर पर प्रचारित करने का श्रेय माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। आज 'विश्व योग दिवस' पर संपूर्ण विश्व में योगासन अभ्यास किए गए। इस माध्यम से योग-आसन को विश्व में बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। आधुनिकता और प्रतिस्पर्धा की होड़ में योग के लाभ को जन-जन तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। यह जनकल्याण की भावना को प्रदर्शित भी करता है। लेकिन दिखावा कुछ ज्यादा हो गया है। योग दिवस पर योगासन करते हुए फोटो-वीडियो को प्रचारित करना योगासन का परिहास हो गया है। योग हमारे जीवन में दैनिक गतिविधियों में सम्मिलित होना चाहिए। असाध्य व जटिल रोग मुक्ति का एक सरल साधन योग हैं। इंद्रियों और ज्ञानेंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करने का एकमात्र उपाय योग हैं। 
हालांकि इसके विपरीत कुपोषित-अव्यवस्थित वर्ग इस मर्म से अनभिज्ञ हैं।कुपोषण-भुखमरी के कारण चटनी के साथ रूखा-सूखा खाने वाले व्यक्ति को योग की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। न तो उनके शरीर में इतनी चर्बी चढ़ी होती है और नए कोई वसा वाला भोजन ही उन्हें प्राप्त होता है। जिसके कारण वसा से होने वाला कोई रोग उत्पन्न हो। ऐसी स्थिति में योग के उपभोग का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। परंतु जीवन पर मोटापा बोझ बनने लगता है। शरीर रोगों का घर बन जाता है। ऐसी स्थिति में योग का विशेष महत्व हो जाता है। योग की सख्त आवश्यकता वालों की संख्या भारत की कुल आबादी की 20 प्रतिशत से अधिक नहीं है। इसके विपरीत कुपोषण के शिकार, भुखमरी से जुझने वालों की संख्या 80 प्रतिशत के लगभग है। सीधे तौर पर कहा जाए तो योग की सख्त आवश्यकता मात्र 20 प्रतिशत लोगों को ही है। 80 प्रतिशत लोगों को योग कि नहीं पौष्टिक भोजन की है। कुपोषण के शिकार भुखमरी से जुझने वालों की संख्या 4 गुना अधिक है। 
ऐसी स्थिति में जो खर्च योग शिविरों के आयोजनों पर किया जा रहा है। यदि वह धन कुपोषित वर्ग के प्रति खर्च किया जाए तो कुछ लोग, कुछ समय तक भरपेट पौष्टिक भोजन कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि नमक-मिर्च की चटनी और रुखा-सुखा भोजन उनकी जटाग्नि शांत नहीं कर पाता है। पेट तो खूब पानी पीकर भी भर जाता है। किंतु आवश्यक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती है। 'योगेश्वर' की इतनी अनुकंपा तो उन पर बनी हुई है। इसके बाद तो हमें खुद के गिरेबान में झांकने की जरूरत है।
राधेश्याम   'निर्भयपुत्र'

111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया

111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। चुनावी सुधारों को लेकर गंभीर चुनाव आयोग ने देश के और 111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। साथ ही इनके चुनाव चिन्ह और मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं भी छीन ली हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग इससे पहले भी 87 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई कर चुका है। बता दें कि चुनाव आयोग ने गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत पिछले दिनों ही दिए थे। इसमें 21 सौ से ज्यादा दलों को नियमों का पालन नहीं करने का आरोपित पाया गया था। आयोग ने इन सभी दलों को नोटिस भी जारी किया था।इनमें से तीन ऐसे दल भी थे, जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल पाए गए है। यह कार्रवाई वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की रिपोर्ट के आधार पर की है। इसमें बड़ी संख्या में आयोग को चंदे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी है। अकेले वर्ष 2019-20 में ऐसे दलों की संख्या 23 सौ से अधिक है। जिसके बाद से चुनाव आयोग सभी दलों की जांच पड़ताल में लग गई है।

चुनाव सुधार की इस मुहिम में चुनाव आयोग ने अब राजनीतिक दलों को मिलने वाले छोटे-छोटे चंदे पर भी नजर रखने की रणनीति तैयार करने में जुटा है। इसमें राजनीतिक दलों को ऐसे सभी चंदे का ब्योरा भी देना होगा, जो भले ही 20 हजार से कम होगा।आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल 20-20 हजार से कम की राशि में कई किस्तों में लेकर ब्योरा देने से बच जाते है। आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी, इसे लागू कर दिया जाएगा।इसके इसके अलावा एक व्यक्ति से एक सीट से ही चुनाव लड़ने की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। अगर कोई प्रत्याशी दो जगहों से लड़ेगा और एक सीट छोड़ेगा, तो चुनाव का पूरा खर्च उससे लिए जाने आदि का प्रस्ताव शामिल है।

'ध्रुवीकरण-कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया

'ध्रुवीकरण-कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया

इकबाल अंसारी  
दिसपुर। असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने मंगलवार को राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार पर ‘ध्रुवीकरण’ और ‘कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा, “आप कुछ समय के लिए लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं। लेकिन हर समय नहीं”। सैकिया ने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस जमीनी स्तर पर अपने काम को अंजाम देने के लिए हरसंभव प्रयत्न करेगी।
सैकिया ने यूनीवार्ता को दिए एक विशेष साक्षात्कार में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के ‘मदरसा’ वाले बयान के बारे में कहा, “सत्तारूढ भाजपा ने कुछ मुद्दों को जानबूझकर अपने ‘कुशासन’ से लोगों का ध्यान भटकाने और वोटों का ‘ध्रुवीकरण’ करने के मकसद से बनाया है। यह मुख्यमंत्री सरमा और भाजपा को एजेंडे का हिस्सा है। हम इसके खिलाफ जमकर लड़ेंगे।”  सरमा ने पिछले महीने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ‘मदरसा’ शब्द विलुप्त हो जाना चाहिए, क्योंकि यदि यह शब्द बच्चों के दिमाग घर कर गया तो वे इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बन सकते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 का जिक्र किया। जिसे सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्वोत्तर राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कुछ महीनों बाद विधानसभा में पारित होने के लिए लाया गया था। उन्होंंने कहा कि वर्ष की शुरूआत में सरकार गाय संरक्षण विधेयक लाई। इस संबंध में हमारे पास पहले से ही 1950 का कानून था। असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021, मवेशियों के वध कर उनकोे खाने और अवैध परिवहन को विनियमित करके उनके संरक्षण के लिए एक अधिनियम है।
सैकिया ने भाजपा सरकार पर सभी मोर्चों में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा, “असम के लिए 2016-2025 तक के भाजपा के विजन दस्तावेजों का क्या हुआ। पहले ही छह साल को समय निकल गया है लेकिन वे विधानसभा चुनाव से पहले उनके द्वारा की गई प्रमुख घोषणाओं को लागू नहीं कर सके। असम का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन है। सरकार सभी मोर्चों में असफल रही है।” उन्होंने सत्ता पक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, “आप कुछ समय तक जनता को बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन हर समय नहीं।
” असम में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए सैकिया ने इस संबंध में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और दावा किया कि राज्य पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय सहायता से वंचित रहा है। नजीरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक ने कहा, “भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे का जिक्र करते रहते हैं। केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी सत्ता में रहने के बावजूद मोदी सरकार ने आज तक असम को कोई केंद्रीय सहायता नहीं दी है।
जबकि अन्य राज्यों गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा को केन्द्र से सहायता मिली है।” सैकिया ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “ भाजपा ने असम की बाढ़ और कटाव को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का वादा किया। मुझे उम्मीद है कि पार्टी अपना वादा नहीं भूली होगी और उसे निभाएगी। मुझे उम्मीद है की पार्टी अपना वादा पूरा करेगी। असम में बाढ़ और कटाव से पिछले तीन-चार वर्षों में हुए नुकसान को कम करने के लिए सरकार को तत्काल विशेष केंद्रीय राहत के रूप में 20,000 करोड़ रुपये जारी करने चाहिए।
” आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्य के राजनीति में आने पर सैकिया ने कहा, “कुछ नए लोग आए हैं। मुझे नहीं लगता कि वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले इतने थोड़े समय के भीतर वे ज्यादा असर नहीं डाल सकेंगे और जीत दर्ज नहीं कर पाएंगे।” उन्होंने कहा, “राज्य में केवल कांग्रेस ही भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है और पार्टी इस संबंध में जमीनी स्तर पर काम कर रही है।
वर्ष 2014, 2016, 2019 और 2021 में जनता को बहलाया गया था। वर्ष 2024 में जनता फिर से झूठे वादों में नहीं आयेगी।” नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछताछ के बारे में सैकिया ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया।  सैकिया ने नयी भर्ती के अग्निपथ योजना पर कहा, “यह भविष्य की संभावनाओं के बिना एक संविदात्मक नौकरी की तरह है। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।” उन्होंने युवा को इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की और कहा कि वे लोकतांत्रिक तरीके से अपना अधिकार के मामले को उठाये लेकिन सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचायें।

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