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मंगलवार, 12 जनवरी 2021

स्कूल निदेशक ने 10वीं की छात्रा से रेप किया

अविनाश श्रीवास्तव  

 मोतिहारी। 10 वीं में पढ़ाई करने वाली छात्रा के साथ स्कूल का डायरेक्टर का रेप करने का मामला सामने आया है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि डायरेक्टर उससे धमकी देकर दो साल में कई बार उसके साथ रेप किया। यह घटना मोतिहारी के सिकरहना की है।

केस दर्ज- बताया जा रहा है कि स्कूल डायरेक्टर का कई मैसेज वायरल हुआ तो इस मामला का खुलासा हुआ। पीड़िता ने डायरेक्टर के खिलाफ केस दर्ज कराया है। ढाका थाने की पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। गिरफ्तारी के लिए पुलिस कई जगहों पर छापेमारी कर रही है, लेकिन डायरेक्टर फरार है। उसके एक परिजन को पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस ने पीड़िता को मेडिकल जांच लिए भेज दिया है। इस घटना से नाराज लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ भी किया है। 

2 साल पहले पहली बार किया था रेप- पीड़िता ने पुलिस को बताया कि जब वह दो साल पहले 8वीं में पढ़ती थी तो उस दौरान ही डायरेक्टर आबिद खान अपनी बहन के माध्यम से ऑफिस में बुलाया और उसके साथ छेड़खानी की। कुछ दिनों के बाद उसके साथ रेप किया और धमकी दिया कि अगर किसी को बताओगी तो हत्या कर देगा। वह डर से किसी को नहीं बतायी। वह दो सालों के बीच कई बार उसके साथ रेप किया।


2021 में तेजस्वी बिहार के सीएम बनेंगे: तेज प्रताप

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने दावा किया है कि बिहार में 2021 में महागठबंधन की सरकार बनेगी और तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे। वाराणसी पहुंचे तेजप्रताप यादव ने 2021 में बिहार में सरकार बनाने का दावा कर दिया है। बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन करने पहुंचे तेजप्रताप यादव ने मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि  2021 में हमारी सरकार आ रही है। नीतीश सरकार के गिरने के सवाल पर तेज प्रताप बोले कि ये सरकार अभी ही गिर गई है। सरकार को सत्ता में आए दो महीने पूरे हो चुके हैं।
 लेकिन अभी तक ना तो कैबिनेट का विस्तार हुआ है औप ना ही राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीटों के बंटवारे को लेकर फॉर्मूला सामने आया है। वहीं कोरोना वैक्सीन को लेकर तेजप्रताप यादव ने फिर कहा कि पहले कुर्सी पर बैठे लोगों को वैक्सीन लगवाना चाहिए। इसके बाद जो आपलोग सवाल कर रहे हैं आपको लेना चाहिए फिर हम सोचेंगे।

सोमवार, 11 जनवरी 2021

धन्यवाद यात्रा, हार का फैक्टर समझने की कोशिश

अविनाश श्रीवास्तव  
 पटना। धन्यवाद यात्रा पर निकलने से पहले भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवारों की हार का फैक्टर समझने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने आज अपनी पार्टी के तमाम प्रदेश उपाध्यक्षों की बैठक बुलाई है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर तेजस्वी यादव ने प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक कर रहे हैं इस बैठक में इस बात को लेकर कई मजबूत जनाधार वाली सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को क्यों मुंह की खानी पड़ी। आज की बैठक के बाद तेजस्वी यादव अगले कुछ दिनों में पार्टी के अन्य नेताओं के साथ भी चर्चा करने वाले हैं। तेजस्वी यादव ने चुनाव के दौरान भितरघात जैसे कारणों की रिपोर्ट लेने के लिए नेताओं की कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी भी अपनी रिपोर्ट तेजस्वी यादव के सामने देगी। दरअसल तेजस्वी यादव इस पूरी कवायद के जरिए अपनी यात्रा का कार्यक्रम तय करना चाहते हैं। तेजस्वी यादव का मकसद है कि वह उन इलाकों से अपनी यात्रा की शुरुआत करें जहां आरजेडी पिछले चुनाव में कमजोर साबित हुई है। 
आज की बैठक में तेजस्वी यादव के साथ वृषण पटेल, उदय नारायण चौधरी, भूदेव चौधरी, सुरेश पासवान समेत कई नेता मौजूद है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की इस बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी के 23 उपाध्यक्ष को आमंत्रित किया गया है, जिनमें कई नेता 10 सर्कुलर आवास पहुंच चुके हैं।

बिहार में दाखिल खारिज का काम ठप हुआ

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। बिहार में इन दिनों जमीन के दाखिल ख़ारिज कराने का काम बिलकुल कछुआ की चाल में रेंग रहा है। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद भी म्यूटेशन के लिए लोगों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। याचिकाओं की संख्या तो बढ़ गई लेकिन समय पर निष्पादन नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 100 में से 5 लोगों का भी काम अधिकारी समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बिहार में दाखिल-खारिज के आवेदन में केवल 3.46 प्रतिशत का ही निष्पादन समय पर हो पाया है। यह आंकड़ा पिछले साल 1 दिसंबर तक का है। खुद विभाग की समीक्षा बैठक में यह खुलासा हुआ है कि आख़िरकार अधिकारी कर क्या रहे हैं। इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ऑनलाइन म्यूटेशन का निपटारा हो भी जाता है तो कर्मी जान-बूझकर त्रुटि छोड़ देते हैं। कभी नाम गलत तो कभी खाता संख्या गलत चढ़ा देते हैं। 
हालांकि इसके लिए सरकार ने सुधार की अलग ऑनलाइन व्यवस्था की है। हम आपको बता दें कि बिहार में जमीन के दाखिल ख़ारिज कराने को लेकर राज्य के सभी अंचलों को ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ दिया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में जब व्यवस्था मैनुअल थी तो म्यूटेशन के लिए 13 लाख 41 हजार 734 याचिकाएं दायर की गई थी। 

साल 2019-20 में जब व्यवस्था पूरी तरह ऑनलाइन हो गई तो याचिकाओं की संख्या 20 लाख 25 हजार 391 हो गई। पिछले साल 1 दिसम्बर 2020 तक याचिकाओं की संख्या 40 लाख 71 हजार 908 हो गई। इनमें निष्पादन 76.64 फीसदी आवेदनों का हो गया। लेकिन अधिसंख्य आवेदन का निपटारा तय समय के बाद हुआ।


डीलर के घर लाखों की लूट, विरोध पर बम फेंका

अविनाश श्रीवास्तव  
 सुपौल। इस वक़्त की बड़ी खबर सुपौल जिले से सामने आ रही है जहां 10-12 की संख्या में हथियारबंद अपराधियों ने डीलर के घर भीषण डकैती की घटना को अंजाम दिया है। अपराधियों ने हथियार के बल पर लाखों रुपये कैश और गहने पर अपना हाथ साफ़ कर लिया। इतना ही नहीं जब घटना के दौरान पड़ोसी की नींद खुली और उसने विरोध किया तो अपराधियों ने उनके ऊपर बम फेंक दिया। इस बम विस्फोट में पड़ोसी बुरी तरह घायल हो गए।
 बताया जा रहा है कि 10-12 की संख्या में हथियारबंद डकैतों ने डीलर देबनारायण चौधरी के घर धावा बोला। पिछले दरवाजे को तोड़कर सभी डकैत घर में घुसे और हथियार के बल पर घर वालों को बंधक बनाकर एक-एक कमरे की तलाशी ली। इसके बाद लॉकर तोड़कर जेवरात और कैश सहित लाखों रुपये समेट लिए। शोर सुनकर पड़ोसी त्रिभुवन साह की नींद खुली और देखने पहुंचे तो सभी डकैत बम फेंककर फरार हो गए। बम के विस्फोट में त्रिभुवन साह जख्मी हो गए। घटना की जानकारी पुलिस को दी गई जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर जांच में जुट गई है। पुलिस ने मौके से तीन जिंदा बम बरामद किया है। पीड़ित डीलर के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

रविवार, 10 जनवरी 2021

विश्वासघाती है भाजपा पार्टी, मांझी का आरोप

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। 2 दिनों से चल रही जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बीच विधानसभा चुनाव की समीक्षा जारी है। जनता दल यूनाइटेड लगातार इस बात पर मंथन कर रहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के बुरे प्रदर्शन के पीछे कौन सी वजह रहे। जेडीयू के नेताओं ने कार्यकारिणी की बैठक में खुलकर बीजेपी की भूमिका पर सवाल खड़ा कर सीधा आरोप लगाया कि बीजेपी की वजह से विधानसभा चुनाव हारे, नीतीश कुमार ने भी अपने नेताओं के सामने दो टूक शब्दों में कह दिया कि उन्हें दोस्त और दुश्मन की अच्छे तरीके से पहचान है। लेकिन अब जेडीयू के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बीजेपी की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गठबंधन धर्म निभाना नीतीश से सीखे:-जीतन राम मांझी ने कहां है कि राजनीति में गठबंधन धर्म को निभाना अगर सीखना है तो नीतीश कुमार से सीखा जा सकता है। गठबंधन में शामिल दल के आंतरिक विरोध और साजिशों के बावजूद भी उनका सहयोग करना नीतीश जी को राजनीतिक तौर पर महान बनाता है। नीतीश कुमार के जज्बे को मैं सलाम करता हूं। जीतन राम मांझी ने ट्वीट के जरिए बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। साफ मैसेज दे दिया है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार के खिलाफ साजिश रची और उसके बावजूद नीतीश सहयोग करते रहे।

कैबिनेट विस्तार से पहले तारीफ:-जीतन राम मांझी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब नीतीश कैबिनेट का विस्तार करीब है। उम्मीद जताई जा रही है कि मकर संक्रांति के बाद बीजेपी जब अपने नेताओं की लिस्ट भेजेगी तो नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। जीतन राम मांझी खुद कह चुके हैं कि उन्हें नीतीश कैबिनेट में एक और मंत्री पद चाहिए ऐसे में जेडीयू का जो दर्द बीजेपी के रवैया पर सामने आया है उसमें मांझी भी नीतीश के साथ खड़े दिखने को तैयार है।

तेजस्वी को सलाह:-जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव को भी सलाह दी है। मांझी ने कहा कि आप बिहार के भविष्य हैं। आपको अनर्गल बयान से बचना चाहिए। जब आप अपने दल के राजनैतिक कार्यक्रम खरवास के बाद आरंभ कर रहें हैं तो मंत्रिपरिषद का विस्तार पर इतना क्यों उतावले हो रहें हैं? सही वक्त पर सबकुछ हो जाएगा बस आप पॉज़िटिव राजनीति किजिए।

फर्जी मास्टरों के नाम पर 53,000 टीचरों की बलि

अविनाश श्रीवास्तव  
 पटना। बिहार चुनाव परिणाम के बाद से सीएम नीतीश कुमार फर्जी मास्टरों को लेकर एक्शन में नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि बिहार सरकार फर्जी मास्टरों के नाम पर उन 53000 टीचरों को बलि का बकरा बनाने जा रही है जिन्होंने अभी तक अपना सर्टिफिकेट जमा नहीं किया है। जानकारी अनुसार बिहार के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2006 के बाद से नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों की पांच साल से चल रही निगरानी जांच को अंतिम पड़ाव तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। नियोजन इकाइयों की लापरवाही से निजात के लिए दूसरा रास्ता चुना गया है। अब भी जिन 53 हजार शिक्षकों के नियोजन फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए हैं, शिक्षा विभाग उनके नाम सार्वजनिक करेगा। साथ ही, अब सीधे इन शिक्षकों से ही उनके शैक्षिक कागजात मांगे जाएंगे। शुक्रवार और शनिवार को शिक्षा विभाग और निगरानी ब्यूरो के आलाधिकारियों की साझा बैठक में यह निर्णय लिया गया है।शनिवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों की जांच अंतहीन नहीं चल सकती है। वर्ष 2015 से जांच चल रही है, पांच साल हो गए। अब हम उन 53 हजार शिक्षकों के नाम सार्वजनिक रूप से नोटिस जारी करेंगे। शिक्षा विभाग इसके लिए एक वेब पोर्टल विकसित करेगा। संबंधित शिक्षकों को अपने शैक्षणिक उपलब्धियों के प्रमाण इस पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। इसके लिए एक समय सीमा तय की जाएगी। साथ ही, नियोजन इकाइयों से मेधा सूची मांगी जाएगी। 53 हजार शिक्षकों के कागजातों का मिलान मेधा सूची से किया जाएगा। तय समय सीमा में जो शिक्षक अपने शैक्षणिक प्रमाण नहीं देंगे, उनकी नौकरी जाएगी। साथ ही प्राथमिकी समेत अन्य निर्धारित कार्रवाई भी की जाएगी।

गौरतलब हो कि निगरानी को साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों में से 1 लाख 10 हजार शिक्षकों के नियोजन फोल्डर पिछले माह तक नहीं मिले थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने जब जिला शिक्षा प्रशासन और नियोजन इकाइयों की नकेल कसी तो करीब 57 हजार फोल्डर जांच के लिए निगरानी को दे दिए गए हैं। अब भी 53 हजार शिक्षकों के कागजात नहीं मिलने के बाद अब इसके लिए सीधे शिक्षकों को ही जिम्मेवार बनाया गया है।

सोमवार को होनी है सुनवाई : नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों की निगरानी जांच को लेकर सोमवार को पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। इस मामले में शिक्षा विभाग और निगरानी ब्यूरो को स्टेटस रिपोर्ट शपथ पत्र के रूप में देनी होगी। इसके मद्देनजर 8 और 9 को हुई बैठकों के बाद दोनों विभागों ने नियोजन फोल्डर नहीं मिलने का काट निकाला है। जल्द ही 53 हजार शिक्षकों से उनके कागजात मांगे जाएंगे।

मध्यावधि चुनाव को लेकर आरजेडी ने की बैठक

अविनाश श्रीवास्तव
 पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव खत्म हुए भले ही अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा हो, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और एक बार फिर से चुनावी तैयारी में जुटने वाले हैं। तेजस्वी यादव बिहार में मध्यावधि चुनाव की उम्मीद लिए अभी से अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने में जुट गए हैं। तेजस्वी यादव धन्यवाद यात्रा पर भी निकलने वाले हैं लेकिन उसके पहले उन्होंने पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं की अलग-अलग बैठक बुलाई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक 11 जनवरी को सभी प्रदेश उपाध्यक्षओं के साथ बैठक करेंगे। राज्य के 22 प्रदेश उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। पार्टी के ज्यादातर प्रमुख नेता किसी पद पर काबिज है। विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में मौजूदा स्थिति को लेकर इस बैठक में तेजस्वी चर्चा करेंगे। तेजस्वी यादव इसी बैठक में अपने आगामी यात्रा की रूपरेखा तय करेंगे और मकर संक्रांति के बाद कब से यात्रा की शुरुआत की जाए इसको लेकर शेड्यूल तय किया जाएगा।
मकर संक्रांति के बाद 16 जनवरी को तेजस्वी ने प्रदेश प्रधान महासचिव महा सचिवों और सचिवों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में संगठन को लेकर चर्चा होगी। तब तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं से रिपोर्ट मांगी गई है। जहां कहीं भी आरजेडी का प्रदर्शन कमजोर रहा है। उसकी पूरी रिपोर्ट तेजस्वी यादव के सामने होगी. आरजेडी इस बात की तलाश करेगा कि आखिर उसका प्रदर्शन कई जगहों पर सामाजिक समीकरण के तौर पर कमजोर क्यों रहा। बैठक में हार के कारणों की तलाश भी होगी। आरजेडी की तरफ से पहले ही नेताओं की कमेटी बनाई गई है जो भितरघात से जुड़े मामलों की जांच रिपोर्ट देने वाली है। तेजस्वी यादव उन इलाकों से अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं जहां पार्टी का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। कमजोर कड़ी को मजबूत करने के पीछे तेजस्वी यादव का मकसद यह है कि पार्टी आगामी चुनाव में और बेहतर प्रदर्शन कर पाए।

शनिवार, 9 जनवरी 2021

सीएम के निर्देश पर 23 पुलिसकर्मियों को हटाया

अविनाश श्रीवास्तव  
 पटना। बिहार में गिरती कानून व्यवस्था को लेकर बिहार सरकार की फजीहत हो रही है। सीएम नीतीश कुमार ने कल डीजीपी को तलब किया था और कई निर्देश दिया था। जिसके बाद डीजीपी एक्शन में आ गए हैं।
डीजी सेल से 23 पुलिसकर्मियों को हटाया

नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद डीजीपी एसके सिंघल ने डीजी सेल में तैनात 23 पुलिसकर्मियों को हटा दिए है। इसमें कई डीएसपी, इंस्पेक्टर, दारोगा शामिल थे। सभी को वापस अपने जिले में योगदान करने का निर्देश दिया है। इनको मुख्यालय से हटा दिया गया है।

सरकार की हो रही फजीहत

बिहार में रोज बैंक लूट, आभूषण दुकान, कारोबारी से लूट, मर्डर  और गैंगरेप की घटनाएं रोज हो रही है। जिससे विपक्ष बिहार के सुशासन की सरकार पर सवाल उठा रहा है। यहां तक की महाजंगल राज का नाम दे रहे है। ऐसे में सीएम नीतीश कुमार अधिकारियों को क्राइम कंट्रोल करने को लेकर कई आदेश दे रहे हैं। इसको लेकर ही हाल के दिनों में वह पुलिस मुख्यालय में दो बार अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं और चेतावनी दे चुके हैं।

अधिकारियों को चेताया था

23 दिसंबर को सीएम नीतीश कुमार ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि या तो क्राइम कंट्रोल करिए या फिर पुलिस के महत्वपूर्ण पदों को छोड़ दीजिए। मुख्यमंत्री ने लगभग ढाई घंटे तक पटेल भवन में वक्त बिताया। इस दौरान मीटिंग भी की और पटेल भवन के अलग-अलग हिस्सों का जायजा भी लिया था। मुख्यमंत्री जब पटेल भवन का निरीक्षण कर रहे थे इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कहा कि हमने पुलिसिंग को मुस्तैद बनाने के लिए हर संभव कोशिश की है। राज्य सरकार स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पैसों की कोई कमी नहीं होने दे रही। पुलिस को सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, लेकिन इसके बावजूद अगर रिजल्ट नहीं मिलता और बिहार में क्राइम पेट्रोल लॉ ऑर्डर ठीक नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में उनके पास कोई विकल्प नहीं रह जाता है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि अब वह किसी को बख्शने के मूड में नहीं है। अपराधियों के ऊपर हर हालत में लगाम लगानी होगी। पटेल भवन से निकलते वक्त नीतीश कुमार ने जब मीडिया से बातचीत की तो इसमें भी उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वह आगे भी पुलिस महकमा आते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हर दिन में यहां नहीं आ सकते लेकिन अब बीच-बीच में आना लगा रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि और बेहतर काम करने के लिए उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की है।

गुरुवार, 7 जनवरी 2021

पिस्टल के बल पर नाबालिग छात्रा से गैंगरेप

मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कोचिंग से घर लौट रही 10वीं की छात्रा को अगवा कर पांच युवकों ने पिस्टल के बल पर गैंगरेप जैसी शर्मनाक घटना को अंजाम दिया है। घटना जिले के सकरा थाना के पिपरी-सहदुल्लापुर रोड में सोमवार शाम की है। घटना में पुलिस की लापरवाही से तीन दिन बाद केस दर्ज हुआ। जानकारी के मुताबिक, मंगलवार शाम को कोचिंग से घर लौट रही 10वीं की छात्रा को बोलेरो सवार युवकों ने अगवा कर लिया। सुजावलपुर स्थित एक बंद पेट्रोल पंप के जर्जर कमरे में ले जाकर छात्रों को बंधक बनाकर पिस्टल की नोक पर पांच युवकों ने गैंगरेप किया।  किसी तरह पीड़िता ने खिड़की के रास्ते भाग कर अपनी जान बचाने सड़क पर पहुंची। सड़क पर पहुंचते ही एक राहगीर की छात्रा पर नजर पड़ी। राहगीर ने इसकी सूचना परिजन को दी। मौके पर पहुंच कर परिजन छात्रा को घर ले गए। छात्रा ने घर पर सारी बातें परिजनों को बताई। इसके बाद पूरे मामले की सूचना सकरा थाना को दी गई।

वसूली का विडियों वायरल, 4 पुलिस कर्मी सस्पेंड

अविनाश श्रीवास्तव   

पटना। बिहार की राजधानी पटना में पुलिस के चार कर्मियों को अवैध वसूली के मामले में एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने सस्पेंड कर दिया है। एसएसपी उपेंद्र शर्मा के निर्देश पर चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। दरअसल, मामला ग्रामीण पटना के मसौढ़ी इलाके का है। जहां एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पुलिसकर्मियों के रात के वक्त अवैध वसूली करने की तस्वीरें सामने आई हैं। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि पुलिस वाले रात के वक्त आने जाने वाले वाहनों से अवैध वसूली कर रहे हैं।इस वीडियो को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी अपने टि्वटर हैंडल के जरिए साझा किया और लिखा “बिहार में कोई पुल, जीरो माइल या बायपास रोड नहीं है। जहां से पुलिस द्वारा ट्रक चालकों से अवैध वसूली नहीं होती हो। इस वसूली का हिस्सा, एसपी, डीएसपी से लेकर डीजीपी तक जाता है। इस वसूली में कोताही होने पर पुलिसकर्मियों का तबादला हो जाता है क्योंकि सुशासन बाबू को आरसीपी टैक्स में कमी बर्दाश्त नहीं। आरजेडी द्वारा इस वीडियो के सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के साथ ही यह वीडियो तेजी से वायरल होना शुरू हुआ। जिसके बाद एसएसपी उपेंद्र शर्मा को भी इसकी जानकारी मिली। 

बिहारः जीविका दीदियों ने किया प्रदर्शन-हंगामा

अविनाश श्रीवास्तव  
पूर्णिया। इस वक्त की बड़ी खबर पूर्णिया से आ रही है, जहां सीएम के कार्यक्रम के दौरान जीविका कर्मियों ने जमकर हंगामा किया है। जीविका कर्मियों ने स्थानीय प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया है। 
बता दें कि आज सीएम नीतीश कुमार पूर्णिया के धमदाहा के दमगड़ा पहुंचे हैं जहां जीविका दीदियों के प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं। इस दौरान सीएम जीविका दीदियों से सीधा संवाद भी कर रहे हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों ने जमकर हंगामा किया है। हंगामा कर रही जीविका कर्मियों का कहना है कि उनके पास एंट्री पास भी है पर इसके बाद भी उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया। जीविका कर्मियों ने कहा कि सीएम हमसे संवाद करने आए हैं और हमे ही कार्यक्रम स्थल पर नहीं जाने दिया जा रहा है।

मांझी ने रखी डिमांड, आरजेडी का समर्थन मिला

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। जीतन राम मांझी ने कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि उनको एक मंत्री पद और एक एमएलसी चाहिए। इस बयान का आरजेडी ने समर्थन किया है। आरजेडी ने कहा कि सत्ता की चाबी मांझी के पास है। ऐसे में उनको तो डिप्टी सीएम का पद मिलना ही चाहिए। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जो दो नंबर की पार्टी है वह दो दो डिप्टी सीएम बना रखे हैं और जो तीन नंबर की पार्टी है वह मुख्यमंत्री के पद पर है। जिस बैसाखी के सहारे एनडीए की सरकार चल रही है उसको एक मंत्री पद पर ही काम चलाया जा रहा है। जीतन राम मांझी को भी अपने बेटे के लिए डिप्टी सीएम की मांग करनी चाहिए।

आरजेडी ने मांझी के बेटे को बनाया एमएलसी

तिवारी ने कहा कि जब जीतन राम मांझी राजद में थे तो यही लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने उनके बेटे को एमएलसी बनाया था और उन्हें आज उनको मंत्री पद पर बैठाया गया। तेजस्वी यादव पर हमला बोलने पर तिवारी ने कहा कि जीतन राम मांझी को सत्ता संभालने क्यों मिला हुआ है। सत्ता संभल नहीं रहा बेरोजगार रोजगार के लिए भटक रहे हैं। अपराध पर लगाम नहीं लग रहा है और सवाल खड़े कर रहे हैं।

मांझी ने कल किया था डिमांड

जीतन राम मांझी ने हम कार्यकारिणी की बैठक के बाद कहा था कि उनकी पार्टी को एक और मंत्री का पद चाहिए। इसके अलावे उनको एक एमएमली भी चाहिए। मांझी ने साफ कर दिया दोनों को पाने के लिए वह नीतीश कुमार पर दबाव भी बनाएंगे। फिलहाल में मांझी का बेटा संतोष कुमार सुन मंत्री हैं।

जीतन राम मांझी ने कहा कि जिस पार्टी की नीति ठीक होती है उस पार्टी को जनता का सहयोग मिलता है। हमारे समाज के लोग विधायक, मंत्री बन जाते हैं और समाज की जरूरत भूल जाते हैं। हमारी पार्टी का एजेंडा है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए. हमें न्यायपालिका में भी आरक्षण चाहिए।

सीटें जीतते तो सत्ता की चाबी हमारे पास होगी

मांझी ने कहा कि सबको एक समान शिक्षा मिलनी चाहिए। इसको लेकर अगर आने वाले समय में आंदोलन करना पड़ेगा तो जरूर करेंगे। इसी मुद्दे को लेकर हमें आगे चलना होगा। जो लोग इस मुद्दे के साथ पार्टी में रहते हैं, तो रहें। नहीं तो बाहर चले जाए। न्यायपालिका में जिस घटना में एससी-एसटी जुड़े होते हैं। उस केस में सजा होती है। स्वर्ण जाति के लोग पैरवी करते है। मैं अपने सीएम कार्यकाल में एससी-एसटी के लिए काम करके दिखा। अगर हमारी पार्टी के 7 सीट पर जीत जाते तो आज सत्ता की चाबी हमारे पास रहती है। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने हमें सीएम बनाया. इसका फायदा गरीब को मिलना है।

सोमवार, 4 जनवरी 2021

बिहारः डायन बताकर पति के सामने हत्या की

अंधविश्वास: डायन बताकर पति के सामने कर दी महिला की हत्या, गांव में हड़कंप

जमुई। बिहार के जमुई में डायन का आरोप लगाकर एक महिला की हत्या करने का मामला सामने आया है। घटना शनिवार की है। जब जमुई जिले के खैरा थाना इलाके के लालदैया गांव में ये वारदात हुई। डायन का आरोप लगाकर 50 वर्षीय महिला की हत्या किये जाने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। पीड़ित महिला का शव उसके घर में ही फंदे से लटका हुआ मिला है। मृत महिला के पति ने बताया कि डायन का आरोप लगाकर गांव के ही चार लोगों ने पहले उसे खूब मारा पीटा और फिर घर के ही फंदे से लटका दिया।
पति का यह भी आरोप था। कि वो लोग उसे भी मारना चाहते थे। लेकिन धमकी के बाद वह शोर नहीं किया और उसकी पत्नी की हत्या उसके आंखों के सामने कर दी गई। मृतक महिला का नाम कलवतिया देवी बताया गया है। हत्या की इस घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर तफ्तीश शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है। कि बीते शुक्रवार को दिन में ललदैया गांव के ही एक 5 साल के लड़के लुदना कुमार की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। कुछ दिनों से बीमार चल रहे लड़के की मौत के बाद उसके घर वाले महिला कलवतिया देवी को जिम्मेदार बता रहे थे।
मृतक महिला के पति अजुज़्न यादव का कहना है कि बच्चे की मौत के बाद वो लोग मेरी पत्नी पर डायन का आरोप लगाते हुए उसके साथ मारपीट की । मारपीट के दौरान उन लोगों ने शोर नहीं करने दिया और हत्या कर मार देने का धमकी देकर मुझे भी चुप करा दिया था। घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंची खैरा पुलिस शव को अपने कब्जे में लेते हुए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले में एसपी प्रमोद कुमार मंडल ने बताया कि महिला की हत्या डायन का आरोप लगाते हुए मारपीट कर की गई है। इस घटना को हत्या का मामला मानते हुए केस दर्ज किया जा रहा है। जो भी आरोपी हैं। उनकी जल्द गिरफ्तारी होगी। एसपी ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास में डायन जैसी चीजों का कोई स्थान नहीं है।

बिहार: पीएम मोदी और बीजेपी नेता लगवाएं टीका

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

राजभवन घेरने निकले किसानों पर लाठीचार्ज

पटना में किसानों पर लाठीचार्ज, राजभवन घेरने निकले थे किसान संगठन
अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन का असर अब बिहार में भी देखने को मिल रहा है। विपक्षी दलों ने भी कानूनों का पुरजोर विरोध करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आज वामदलों के कार्यकर्ता राजभवन को घेरने सड़क पर उतर चुके हैं। लेकिन बीच में ही प्रशासन ने कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए उनपर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया बता दें कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए किसान आज 'राजभवन मार्च' निकाल रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं की मांग है। कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले इसलिए बिहार के विभिन्न जिलों से एकत्रित होकर किसान राजभवन मार्च' करेंगें और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे इस मार्च में अखिल भारतीय किसान महासभा के साथ-साथ एआईकेएससीसी के सभी सदस्य संगठन शामिल हुए हैं। इस प्रदर्शन में बटाईदार किसानों का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। पूर्णिया अररिया, सीमांचल के अन्य जिलों, चंपारण, सिवान गोपालगंज आदि जिलों के किसान आज पटना में इकठ्ठे होकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

15 साल के गठबंधन में ऐसा कभी नहीं हुआ

जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में दरार, वशिष्ट नारायण बोले 15 साल के गठबंधन में ऐसा कभी नहीं है
अविनाश श्रीवास्तव  
पटना।अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच रिश्तो में आई तल्खी को अब पार्टी के नेता खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं। जेडीयू और बीजेपी के बीच रिश्ते में दरार आ चुकी है। इस बात को जेडीयू के ही प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी कंफर्म किया है।उन्होंने कहा है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि अरुणाचल के घटनाक्रम के बाद रिश्तो में दरार आई है।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है। कि पिछले 15 सालों में गठबंधन के अंदर ऐसा कभी नहीं हुआ। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है। कि अरुणाचल प्रदेश में जो कुछ हुआ, वह गठबंधन धर्म के विपरीत है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है। कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ पिछले 15 सालों की दोस्ती में ऐसा कभी नहीं किया  जैसा बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में किया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे लेकर हम अफसोस जाहिर कर चुके हैं। पार्टी ने तय किया है। कि अब बिहार के बाहर जेडीयू अपने बूते संगठन का विस्तार करेगा हम चुनाव भी लड़ेंगे और पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा भी दिलाएंगे।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने ये भी कहा है। कि आरसीपी सिंह के जेडीयू अध्यक्ष बनने के बाद नीतीश कुमार भी सरकार के साथ-साथ पार्टी को अलग से वक्त दे पाएंगे।  आरसीपी सिंह पहले से संगठन के लिए काम करते रहे हैं। लिहाजा अब पार्टी के विस्तार को खास तौर पर बिहार के बाहर जेडीयू अपना फैलाओ कर पाएगा।

बिहार के किसानों की आंदोलन में हिस्सेदारी कम

अविनाश श्रीवास्तव  

 पटना। बिहार देश का वह राज्य है जहाँ सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ कुल आबादी का 77 फ़ीसदी हिस्सा कृषि पर आश्रित है, जो पंजाब और उत्तर प्रदेश की तुलना में कहीं अधिक है। पंजाब में कृषि पर निर्भर आबादी का प्रतिशत 75 है जबकि उत्तर प्रदेश में यह 65 फ़ीसदी है। बावजूद इसके किसान आंदोलन में बिहार के किसानों की उल्लेखनीय भागीदारी नहीं है। बिहार के किसानों को संगठित और जागरूक करने के लिए पंजाब के किसान नेता यहाँ आकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर रहे हैं। आज़ादी से पहले कई किसान आंदोलनों के जनक रहे बिहार में बीते कई बरसों में न तो कोई किसान संगठन सक्रिय दिखता है और न ही यहाँ के किसानों का कोई नुमाइंदा नज़र आता है।

आख़िर क्या वजह है कि जिस राज्य की तीन चौथाई से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, वहाँ आज कोई किसान नेता नहीं है? क्या बिहार के किसानों को इसकी ज़रूरत नहीं है या यहाँ किसानी से जुड़ी कोई समस्या ही नहीं है? क्या बिहार के किसानों को नए कृषि क़ानूनों से कोई दिक्कत नहीं है? वैशाली स्मॉल फ़ॉर्मर्स एसोसिएशन से जुड़े वैशाली के किसान यूके शर्मा कहते हैं, 

“बिहार की किसानी का पैटर्न बदल गया है। यहाँ की खेती बटाईदारी और मालगुजारी (लीज़) पर ज़्यादा आधारित हो गई है। ऐसी जोतें कम हैं जिनके मालिक ख़ुद खेती करते हों। महज़ पाँच-सात फ़ीसदी। इसलिए नए कृषि क़ानूनों का असर केवल उन्हीं पाँच-सात फ़ीसदी खेती करने वाले लोगों पर पड़ेगा। यहाँ छोटे, मझोले और सीमांत किसानों की आबादी सबसे अधिक है, जो दो हेक्टेयर या उससे थोड़ी कम-ज़्यादा में खेती करते हैं। यह आबादी मुख्य रूप से खेती केवल इसलिए करती है ताकि परिवार के खाने भर का अनाज पैदा हो जाए। इसलिए इन्हें एमएसपी से कोई ख़ास मतलब वैसे भी नहीं है। और जिसे एमएसपी से मतलब है, उसके लिए यहाँ मंडी का सिस्टम ही नहीं है।”

भंडारण की कोई सुविधा नहीं

हालाँकि अपने 30 क्विंटल धान को बेचने लिए यूके शर्मा पैक्सों (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों) से मिन्नतें करते रहे हैं। उनके क्षेत्र के पैक्स ने अभी तक धान की ख़रीद शुरू भी नहीं की है। यूके शर्मा बताते हैं कि उनकी जानकारी के कई किसानों ने बाज़ार में मोल-भाव कर 1100-1200 रुपये की दर पर अपने धान बेच दिए हैं क्योंकि उनके पास उसके भंडारण की कोई सुविधा नहीं है और पैसों की ज़रूरत भी थी। बिहार में सरकार के स्तर पर अनाज की ख़रीद-फरोख़्त के लिए साल 2005 के बाद से मंडी की व्यवस्था की जगह प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों की व्यवस्था है। ये समितियाँ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूँ-धान ख़रीदती हैं।

  • फिर भी बिहार के किसान आवाज़ क्यों नहीं उठा रहे हैं?

    ऐसा नहीं है कि बिहार के किसान यहाँ की पैक्स की व्यवस्था का भरपूर लाभ उठा रहे हैं, सभी किसानों को अपना अनाज बेचने पर एमएसपी मिल जा रही है और उन्हें किसानी में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। सच्चाई तो यह है कि इस साल बिहार सरकार ने फ़रवरी तक 45 लाख टन धान ख़रीद का लक्ष्य रखा है। दिसंबर बीतने को है लेकिन अभी तक लगभग दो लाख टन धान की ख़रीद ही हो सकी है। साथ ही बीते कई बरसों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सरकार की तरफ़ से पैक्सों के लिए धान-ख़रीद का जो लक्ष्य निर्धारित हुआ, उसका 30 फ़ीसद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदा गया हो। इसके अलावा भी यहाँ के किसानों को अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं। मसलन, अभी भी क़रीब पाँच लाख हेक्टेयर से अधिक ज़मीन पर बाढ़ का पानी जमा है, जिससे वहां रबी की बुआई नहीं हो पा रही है। केवल 30 फ़ीसद खेतों तक ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।

    बिहार से सबसे अधिक किसानों का पलायन हुआ

    पूर्णिया के किसान गिरीन्द्र नाथ झा कहते हैं, “आवाज़ें तो तब उठतीं, जब यहाँ के किसान यहीं होते। सच्चाई यह है कि बिहार से सबसे अधिक किसानों का पलायन हुआ है। यहाँ अब किसान कम रह गए हैं। जो हैं, वो खेतिहर हैं। जोत को लीज़ पर लेकर या फसल की साझेदारी पर खेती करते हैं। जिसका खेत पर अधिकार नहीं है, वो खेती के लिए मिलने वाले अधिकारों की माँग करने में वैसे भी कम ही दिलचस्पी लेगा।”

    बिहार के तथाकथित किसानों को फ़र्क नहीं पड़ता

    गिरीन्द्र नाथ झा के मुताबिक़ बिहार में ‘गै़रहाज़िर किसानों’ की संख्या ज़्यादा है। जिनका मतलब केवल अपने खेत से मिलने वाली मालगुजारी और फ़सल के शेयर पर होता है। फ़सल कैसे उपज रही है, उसके लिए किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार की तरफ़ से क्या व्यवस्था की जा रही है, इन सब बातों से बिहार के तथाकथित किसानों (जिनकी जोत है) को फ़र्क नहीं पड़ता।

    किसानों से बात करनी पड़ेगी, उन्हें भरोसे में लेना पड़ेगा

    अगर बिहार को खेती में आगे ले जाना है सरकार को पहले उन ग़ैरहाज़िर किसानों को वापस बुलाना होगा, जो अपनी जोत छोड़कर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। जैसे कोई इंडस्ट्री लगाने के लिए सरकार उद्योगपतियों के समूह से वार्ता करती है, वैसे ही खेती के लिए उसे उन ग़ैरहाज़िर किसानों से बात करनी पड़ेगी, उन्हें भरोसे में लेना पड़ेगा। इधर, भाकपा (माले) से जुड़े अखिल भारतीय किसान समन्वय संघर्ष समिति के सदस्य और खुद खेती करने वाले बक्सर के रामदेव यादव कहते हैं, “आंदोलन यहाँ भी हो रहा है। हमारे संगठन के किसान भाई पूरे राज्य में सड़कों पर उतर रहे हैं। 29 मार्च को हमलोग राजभवन मार्च की तैयारी में हैं।”

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

मुझे नहीं बनना है सीएम, भाजपा किसी को बनाएं

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। बिहार की सियासत में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। अरुणाचल प्रदेश में 6 जेडीयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों के बीच मतभेद सामने आ गए हैं। नीतीश कुमार  ने तो यहां तक कह दिया कि वह मुख्यमंत्री बनना ही नहीं चाहते थे, लेकिन भाजपा के दबाव के आगे वह सीएम बने।एनडीए चाहे अब जिसे बिहार का मुख्यमंत्री बना दे | जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार भाजपा से काफी नाराज नजर आए। उन्होंने कहा कि अब मुझे किसी पद का मोह नहीं है। नीतीश कुमार ने कल हुई जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्‍यक्ष बना दिया | पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में छह विधायकों के जदयू छोड़कर भाजपा में शामिन होने के बाद राज्य में जदयू का एक विधायक बचा है। जदयू ने अरुणाचल प्रदेश में अपने विधायकों के पाला बदलकर भाजपा में जाने को लेकर रविवार को नाराजगी जतायी और कहा कि यह ‘‘यह गठबंधन राजनीति का कोई अच्छा संकेत” नहीं है। जदयू ने साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी के समय पालन किये जाने वाले गठबंधन धर्म पर जोर दिया। 

जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा, ‘‘साझेदारों को वैसी ‘गठबंधन राजनीति’ का पालन करना चाहिए जैसा अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल या पिछले 15 वर्षों से बिहार में किया गया।” उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन सहयोगियों को गठबंधन सरकार चलाते हुए ‘अटल धर्म’ का पालन करना चाहिए।” उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सफलतापूर्वक 23 सहयोगियों की गठबंधन सरकार चलाने का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके (सहयोगियों) के बीच कोई विरोधाभास नहीं था। 

रविवार, 27 दिसंबर 2020

आरसीपी सिंह बने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष

आरसीपी सिंह बने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बैठक में लिया गया फैसला
अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। इस वक्त की बड़ी खबर पटना से आ रही है। जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को बनाया गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसका फैसला लिया गया है। बैठक में खुद नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का एलान किया । इसके बाद  आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया और उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया। 
नीतीश बोले-हार की जिम्मेवारी लेता हूं
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि वे बिहार चुनाव में पार्टी के हार की जिम्मेवारी लेते हैं। नीतीश ने कहा कि मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी होने के कारण वे पार्टी को समय नहीं दे पा रहे हैं। पार्टी को आगे ले जाने के लिए जेडीयू को फुलटाइम अध्यक्ष की जरूरत है। फुल टाइम अध्यक्ष की पार्टी को बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी से पहले नंबर की पार्टी बना सकता है।
नीतीश की पसंद आरसीपी
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि आरसीपी सिंह संगठन का काम काफी पहले से देख रहे हैं। वे संगठन महासचिव का पद भी संभाल रहे हैं। लिहाजा उन्हें अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है। नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव पर सभी ने हामी भरी और ये तय हो गया कि आरसीपी सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे।
पटना में चल रही बैठक 
जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में चल रही है। यह बैठक कार्यालय के कर्पूरी सभागार में राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में हो रही है। इस बैठक में देश भर से जेडीयू के नेता नेता भाग ले रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी। इसमें आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाने का औपचारिक प्रस्ताव लाया जायेगा और उसे मंजूर कराने की औपचारिकता निभायी जायेगी।

18 जून को रखा जाएगा 'निर्जला एकादशी' व्रत

18 जून को रखा जाएगा 'निर्जला एकादशी' व्रत  सरस्वती उपाध्याय  जगत के पालनहार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि समर्पित है। हर महीने के कृष्...