मंगलवार, 5 नवंबर 2019

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर साधा निशाना

नई दिल्ली! देश-विदेश सोनिया के राहुल से 'पुत्र मोह' पर जल्द आएगी वेब सीरीज, अब राहुल गांधी की अक्षमताओं को तार-तार करेगी ये वेब सीरीज!


लंबे समय तक गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान रहे पंकज शंकर ने पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा है और वह राहुल गांधी की कथित ''विफलताओं'' को रेखांकित करने के लिए एक वेब सीरीज का निर्माण कर रहे हैं!


पूर्व पत्रकार पंकज शंकर का कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ वर्षों का जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि केवल प्रियंका गांधी वाड्रा ही कांग्रेस के भाग्य को बदल सकती हैं लेकिन सोनिया गांधी का ''पुत्र मोह'' कांग्रेस में उनकी बेटी के उन्नयन में बाधा बन रहा है।


शंकर ने कहा, ''वेब सीरीज निर्माण करना कांग्रेस नेतृत्व को आईना दिखाने का मेरा एक प्रयास है, ताकि मैं उन्हें बताऊं कि वास्तविकता उनकी समझ से बहुत दूर है।''


देश हित में प्याज खाना बंद कर देना चाहिए

नई दिल्ली! देश में प्याज के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं। महाराष्ट्र के लासलगांव स्थित प्याज की सबसे बड़ी मंडी में इसकी कीमतों में जोरदार उछाल आया है। हालांकि सरकार ने लगातार बढ़ती आपूर्ति की वजह से दामों में गिरावट को लेकर भरोसा जताया था। लेकिन इसके महज दो दिन बाद यानी सोमवार को लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतें 10 फीसदी बढ़ गईं।


इतनी बढ़ी प्याज की कीमत
प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से जनता परेशान है। सोमवार को प्याज का थोक मूल्य 55.50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। यह चार साल का शीर्ष स्तर है। इससे पहले अगस्त की शुरुआत में इसकी कीमत 13 रुपये थी। खुदरा में प्याज की कीमत 20 रुपये प्रति किलो से बढक़र 80 रुपये हो चुकी है।100 रुपये प्रति किलो हो सकती है प्याज की कीमत,प्याज का दाम जल्दी ही 100 रुपये के स्तर को छू सकता है। खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 70 से 80 रुपये के बीच चल रही है। बात अगर पिछले तीन माह की करें, तो इस अवधि में थोक बिक्री में प्याज के दामों में चार गुना का इजाफ देखा गया है।


इस संदर्भ में कारोबारियों का कहना है कि बीते वर्ष प्याज का बहुत कम उत्पादन हुआ था। इसलिए इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बेमौसम बारिश की वजह से प्याज की फसल प्रभावित हुई है। इसके अतिरिक्त कारोबारियों ने सरकार की प्रतिकूल नीतियों को इसका जिम्मेदार ठहराया है।


कलयुगी मां ने 6 माह के बेटे को मार डाला

हरिद्वार। छह माह का बेटा बहुत रोता था और हमेशा स्तनपान ही करता रहता था, इससे परेशान होकर मां ने ही उसे गंगा में डूबाकर मार डाला। दिल झकझोर कर रख देने वाली इस वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मां पुलिस के पास पहुंची और बेटा गायब होने की सूचना दी। लेकिन पुलिस की तफ्तीश में मामला खुल गया।


आरोपी मां संगीता बैग में बेटे को डालकर हरिद्वार में आनंदमयी पुलिया के पास ले गई और गंगा में डूबाकर उसकी हत्या कर दी। बच्चे के दम तोड़ देने के बाद उसने शव गंगा में ही बहा दिया। "मासूम बेटे के कत्ल के बाद महिला ने पुलिस को गच्चा देने की कोशिश जरूर की, लेकिन नाकामयाब रही। चंद सवालों में ही असलियत उसकी जुबां पर आ गई। कनखल पुलिस ने जब सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो संदेह चंद मिनट में ही हकीकत में बदल गया"।


रोपी महिला ने सिलसिलेवार ढंग से कत्ल की दास्तां बयां कर दी। दरअसल, रविवार की शाम जब मासूम के घर से रहस्यमय ढंग से गायब होने की खबर कनखल पुलिस को मिली, तब एसओ हरिओमराज चौहान खुद महिला के घर पहुंचे। उन्होंने जब संगीता से बातचीत की तो वह बिल्कुल सामान्य दिखाई दी। उसके चेहरे पर बेटे के लापता हो जाने जैसा कोई दुख नजर ही नहीं आ रहा था। यह बात एसओ को अटपटी लगी, फिर पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई। दीपक बलूनी के घर से लेकर मुख्य सड़क तक के सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए। मासूम के लापता होने से ठीक पौने घंटे पहले के एक सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस की राह बिल्कुल आसान कर दी। इसमें बच्चे की मां ही काले रंग का बैग कंधे पर टांगकर तेजी में जाते हुए और फिर चंद मिनट बाद ही आते हुए दिखाई दे रही है।


जबकि उसने बताया था कि जब वह डेयरी पर दूध लेने गई, तब बेटा गायब हुआ। एसओ ने उच्चाधिकारियों को विश्वास में लेकर मां को हिरासत में ले सवाल किए तो उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया। मासूम के घर से गायब होने के बाद जब पुलिस घर पहुंची थी तब संगीता की बेटी आराध्या ने भी मां का नाम लेकर एक पुलिसकर्मी को चौंका दिया। दरअसल, आरोपी संगीता जब बेटे को लेकर गई थी उससे पहले उसने बेटी को छत पर छोड़ दिया था। आराध्या ने मां को भाई को बैग में ठूंसते देख लिया था। कनखल थाने के एक पुलिसकर्मी की माने तो जब वह वहां पहुंचे थे तब बेटी ने तुतलाती जुबां में मां का नाम लिया था।


करीब एक माह पूर्व आरोपी संगीता ने सार्वजनिक स्थान पर बेटे को छोड़ देने की भी प्लानिंग की थी, लेकिन बाद में कदम पीछे खींच लिए। पूछताछ में उसने बताया कि इसके लिए उसे बेटे को लेकर घर से जाना पड़ता। वक्त भी अधिक लगता। फिर वह कहानी क्या बनाती। इसलिए उसने यह कदम नहीं उठाया। गंगा के नजदीक होने के चलते नदी में डुबाकर मारने की प्लानिंग की। उसने सोचा था कि इस काम में उसे चंद मिनट लगेंगे और वह बेटे के घर से गायब होने की कहानी बना देगी।


चक्रवाती तूफान में लिया भयानक रूप

भुवनेश्वर। मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना एक निम्न दाब क्षेत्र गंभीर रूप लेते हुए मंगलवार को बहुत ही गम्भीर रूप में तब्दील हो गया। मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि बुधवार को इसके चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है। भुवनेश्वर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एचआर बिस्वास ने कहा कि यह विक्षोभ पूर्व-मध्य और उससे लगी बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी हिस्से और उत्तरी अंडमान सागर पर केंद्रित है। यह विक्षोभ जल्द ही गहरा सकता है और फिर बुधवार को इसके एक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की आशंका है। इस समय बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर से जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार यह सिस्टम पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए प्रभावी होगा। उन्होंने बताया कि चक्रवाती तूफान शुरू में पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ सकता है और फिर बाद में उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर ओडि़शा-पश्चिम बंगाल के तटों की ओर बढ़ सकता है। हम इसकी गति और दिशा पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। अभी इसके संभावित प्रभाव को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आई है। उधर गुजरात के कुछ हिस्सों में 6 से 8 नवंबर तक भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, चक्रवाती तूफान के कारण आंधी के साथ तेज बारिश होगी। मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे अगली सूचना तक समुद्र में न जाएं।


ड्राइवर की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

कटनी। जबलपुर से रीवा जा रही शटल ट्रेन मंगलवार को बड़े हादसे की शिकार होते होते बच गई। ट्रेन में बैठे यात्रियों को अचानक तेज झटका लगा, जिससे बोगियों में हड़कंप मच गया, लोग ट्रेन के रुकते ही नीचे कूदने लगे। बताया जा रहा है कि शटल पैसेंजर निवार स्टेशन से माधवनगर स्टेशन की ओर जा रही थी। तभी अचानक लोको पायलट की नजर टूटी पटरी पर पड़ी। आनन-फानन में ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया। इससे यात्रियों को जोर का झटका लगा, जिससे लोग दहशत में आ गए। ड्राइवर द्वारा ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकने से बड़ा हादसा टल गया। ट्रेन के रूकते ही यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई।


वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद रेलवे अमले ने 1 घंटे में सुधार कार्य के बाद ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना किया है। घटना के समय ट्रेन की सभी बोगियों में बड़ी संख्या में यात्री मौजूद थे। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि गाड़ी क्रमांक 51701 रीवा-जबलपुर शटल निवार स्टेशन से रवाना होकर माधव नगर की ओर जा रही थी। जैसे ही शटल गाड़ी 1073/2/3 ट्रेन किलोमीटर के पास आईबीएच सिग्नल के समीप पहुंची वैसे ही लोको पायलट की नहर टूटी हुई पटरी पर पड़ी। आनन-फानन में लोको पायलट ने ट्रेन को बड़ी दुर्घटना से बचाने के लिए इमरजेंसी ब्रेक लगाया।


बुलबुल' तूफान डहा सकता है कहर

रायपुर। बस्तर के लिए अगले तीन दिनों में फिर से मौसम का प्रकोप सामने आ सकता है और संभावना व्यक्त की जा रही है कि 08 और 09 नवंबर के बाद यहां का मौसम तूफानी हो सकता है।


मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक तूफान हिंद महासागर क्षेत्र से उठ रहा है और बुलबुल नाम के इस तूफान का निशाना बस्तर बन सकता है। वैसे बस्तर में इसका प्रभाव अधिक रहेगा, लेकिन इस तूफान की गति कितनी होगी इस संबंध में अभी जानकारी जुटाई जा रही है।


उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह तक प्रतिदिन वर्षा का प्रभाव बना रहता था और अभी चंद ही दिन हुए हैं जिससे मौसम थोड़ा सूखा दिख रहा है।लगातार वर्षा के कारण अंचल के किसान धान की कटाई करने के लिए सूखे मौसम की प्रतीक्षा कर रहे थे और पिछले पांच दिनों से तेजी से कटाई का काम खेतों में चल रहा है। इस मानसून सत्र में बस्तर में अत्याधिक वर्षा रिकार्ड की गई है और धान के लिए यह वर्षा अच्छी रही। 


जिसकी वजह से धान की उत्पादन की भी अच्छी संभावना है। अब हिंद महासागर में उठने वाला बुलबुल तूफान की चेतावनी से किसान और अधिक भयभीत हो गये हैं। मौसम विभाग के एचपी चंद्रा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस तूफान का असर दक्षिण छत्तीसगढ़ अर्थात बस्तर में अधिक होगा। किसानों को इस इस संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता बताई गई है।


चटनी के लिए 'लाल चीटियों' की होती है बिक्री

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग के रीति रिवाज एवं खानपान राज्य के अन्य हिस्सों से काफी भिन्न है। इसका एक ताजा उदाहरण लाल चीटियों की चटनी को लिया जा सकता है। बस्तर में इसे चापड़ा चटनी कहा जाता है। वर्षा ऋतु के समाप्त होने के बाद हाट बाजारों में लाल चीटियां बिकने आने लगती है। आदिवासी समाज के लोगों द्वारा चापड़ा चटनी बड़े चाव से खाई जाती है। इन दिनों स्थानीय साप्ताहिक बाजारों में पत्ते के दोनों में लाल चीटियां बिकती हुए देखी जा सकती है। 10 रुपए से लेकर 50 रुपए दोने तक में लाल चीटियां बिकती हैं। इन दोने में लाल चीटियों के अंडे भी होते हैं। आदिवासियों का कहना है कि लाल चीटियों को मिर्च, लहसुन तथा नमक के साथ पीसा जाता है। इसके बाद इसे खाया जाता है। आदिवासियों का दावा है कि संचारी रोगों से बचाव के रूप में भी लाल चीटियों की चटनी खाई जाती है। यदि किसी को बदलते मौसम में बुखार आने लगे तो उसे लाल चीटियों की चटनी यानी चापड़ा चटनी खाने की समझाइश भी दी जाती है। चापड़ा चटनी को बस्तर में घृणा के रूप में नहीं देखा जाता बल्कि बड़े चाव के साथ खाया जाता है।


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ट्रेन ने एक्सप्रेस को मारी टक्कर, 9 की मौत मिनाक्षी लोढी  कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार सुबह 8:55 बजे एक मालगाड़ी ट्रेन ने क...