शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

पाक एयरवेज से न गुजरे कर सकता है हमला

न्यूयॉर्क। अमेरिका (America) ने पाकिस्तान के एयरस्पेस (Pakistan Air Space) में आतंकी हमले (Terror alert) की अलर्ट जारी किया है। चेतावनी में कहा गया है कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी तत्वों की मौजूदगी से अमेरिकी विमानों पर छोटे हथियारों, एयरपोर्ट पर हमले और ऐंटी-एयरक्राफ्ट फायर के माध्यम से निशाना बनाए जाने का लगातार खतरा है। अमेरिका ने अपनी सभी कमर्शियल और दूसरी उड़ानों को ये चेतावनी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि 2014 से 2019 के बीच पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी/आतंकी समूहों ने एयरपोर्ट समेत एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कई हमलों के माध्यम से अपने इरादों को जाहिर किया है।



अमेरिका ने ईरान के जनरल को मारा

अमेरिका ने लिया 'बदला', बगदाद में मिसाइलें दागकर ईरान के 'बाहुबली' जनरल को मारा


न्न्यूयॉर्क। बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी सेना द्वारा किए गए मिसाइल हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर सहित आठ लोगों की मौत हो गई है। ताजा हमले के बाद अमेरिका और ईरान में तनाव और बढ़ने के आसार हैं। वहीं इराक से भी अमेरिकी संबंधों में खटास आ सकती है। 


अमेरिका ने कम से कम तीन कत्यूषा मिसाइल दागे जिससे बगदाद हवाई अड्डे पर भीषण तबाही मची। हवाई अड्डे पर मौजूद ईरान और हिज्बुल्लाह की संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा। अमेरिका ने यह हमला खुफिया जानकारी मिलने के बाद किया। अमेरिका ने यह भी दावा किया कि मारा गया ईरानी कमांडर अमेरिकी नागरिकों पर हमले की साजिश रच रहा था। 


ट्रंप ने दिया था ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर की हत्या का आदेश: पेंटागन


अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश में अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रक्षात्मक कार्रवाई करते हुए ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने का आदेश दिया था।


रेवोल्यूशनरी गार्ड ने कासिम सुलेमानी की मौत की पुष्टि की


ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड ने सरकारी टेलीविजन पर एक बयान में कुद्स यूनिट के कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत की पुष्टि की है। बयान में कहा गया है कि बगदाद में अमेरिकी बलों के हमले में उनकी मौत हो गई।
अमेरिका के इस हमले में ईरान की कुद्स फोर्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की भी मौत हो गई है। वहीं पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सिज (पीएमएफ) के डिप्टी कमांडर अबु महदी अल-मुहांदिस भी मारा गया है। पीएमएफ ने इस हमले के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि इराकी सैन्य बल के घायलों को लेकर पुष्ट जानकारी नहीं मिली है।


अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए निर्णायक रक्षात्मक कार्रवाई की है: व्हाइट हाउस


व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर अमेरिकी सेना ने विदेशी आतंकवादी संगठन ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स-क्वैड्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या करके विदेश में अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए निर्णायक रक्षात्मक कार्रवाई की है। व्हाइट हाउस ने यह भी दावा किया कि कासिम सुलेमानी सक्रिय रूप से इराक और उस क्षेत्र में रह रहे अमेरिकी राजनयिकों और अन्य सदस्यों पर हमले की योजना बना रहे थे।


ईरान बोला- अमेरिका को भारी कीमत चुकानी होगी


सुलेमानी की मौत को लेकर इरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने अमेरिका पर हमला बोला है। उन्होंने बगदाद हवाई अड्डे पर किए मिसाइल हमले को मूर्खतापूर्ण कदम बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अमेरिका का जनरल सुलेमानी को निशाना बनाने और उनकी हत्या करने के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का कदम बहुत खतरनाक और मूर्खतापूर्ण है। उनका बल प्रभावी रूप से दाएश (आईएसआईएस), अल नुसराह, अल कायदा एट अल से लड़ता था। अमेरिका को अपने इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी होगी।'


सना इल्तिजा जावेद को किया नजरबंद

जम्मू। प्रशासन ने उन कश्मीरी नेताओं को अगले सप्ताह रिहा करने का फैसला किया है, जिन्होंने सशर्त रिहाई की खातिर बांड भरकर दे दिए हैं। करीब आधा दर्जन फिर भी नहीं माने हैं।
प्रशासन उनके कारण परेशान है क्योंकि उनको कहां रखा जाए का सवाल उसे इसलिए कचोट रहा है क्योंकि उनकी सेहत खराब होती जा रही है। इन नेताओें की रिहाई की खबर के बीच एक खबर यह भी है कि सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद को नजरबंद कर दिया है।


एमएलए होस्टल में बीते एक माह से बंदी बनाकर रखे गए 5 से 6 नेताओं को छोड़ अन्य सभी को जल्द ही सशर्त रिहा करने के विकल्प पर प्रशासन गंभीरता से विचार कर रहा है। पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के चेयरमैन शाह फैसल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नईम अख्तर, वहीद उर-रहमान पारा और नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर को रिहा करने के बजाय किसी अन्य जगह स्थानांतरित किया जा सकता है। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की मार्च से पहले रिहाई की संभावना भी न के बराबर व्यक्त की जा रही है।


पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने से उपजे हालात के बीच प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अलगाववादियों के अलावा गैर भाजपा दलों से जुड़े मुख्यधारा की राजनीति करने वाले सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था। इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी हैं।


इन तीनों को अलग-अलग जगहों पर रखा गया है। फारूक अब्दुल्ला फिलहाल, पीएसए के तहत नजरबंद हैं। तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा हिरासत में लिए गए सभी प्रमुख नेताओं को पहले शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर में स्थित सेंटूर होटल में रखा गया था। सेंटूर होटल को सबजेल का दर्जा दिया गया था। शुरू में सेंटूर जेल में करीब 57 लोगों को रखा गया। हालात में सुधार के बाद वहां से कई नेताओं को रिहा किया गया और कुछ को वहां से उनके घरों में स्थानांतरित कर नजरबंद रखा गया।


गत नवंबर माह के दौरान 34 नेताओं जिनमें सज्जाद गनी लोन, श्रीनगर के पूर्व डिप्टी मेयर शेख इमरान, नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर, श्रीनगर के पूर्व मेयर और नेशनल कांफ्रेंस की युवा इकाई के प्रधान सलमान सागर, नेकां विधायक इश्फाक जब्बार, पीडीपी के नईम अख्तर, वहीद उर रहमाना पारा, जहूर मीर, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के चेयरमैन शाह फैसल के नाम प्रमुख हैं, को सेंटूर सबजेल से एमएलए होस्टल में स्थानांतरित किया गया। इसके साथ ही एमएलए होस्टल को सबजेल का दर्जा दिया गया था।


सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में लगातार सुधरते हालात और राजनीतिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार एमएलए होस्टल में रखे गए राजनीतिक बंदियों की सिलसिलेवार रिहाई का क्रम जारी रखा हुआ है। यह रिहाई एक बांड के आधार पर हो रही है।
तीन दिन पहले सब जेल एमएलए होस्टल से पांच पूर्व विधायकों और एमएलसी को रिहा किया गया है। इन पांच नेताओं की रिहाई से पहले भी सबजेल एमएलए होस्टल से कुछ नेताओं को रिहा किया गया है और इस समय करीब दो दर्जन नेता ही इस सबजेल में एहतियातन हिरासत को झेल रहे हैं।


उन्होंने बताया कि इस सबजेल एमएलए होस्टल में बंद नेताओं में से अधिकांश को अगले 10-15 दिनों में क्रमानुसार रिहा किया जाएगा। इन सभी नेताओं ने एक बांड भरा है, जिसके अनुसार, यह लोग जम्मू कश्मीर में शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग का यकीन दिला रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में छह नेताओं जिनमें पीडीपी के पूर्व विधायक एजाज मीर, नेकां नेता सलमान सागर, शौकत गनई, अली मोहम्मद डार, अल्ताफ कालू, अवामी इत्तेहाद पार्टी के नेता बिलाल सुल्तान के नाम बताए जा रहे हैं को अगले पांच दिनों में रिहा किया जा सकता है। अल्ताफ कालू का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जबकि सलमान सागर के नाना का देहांत हुआ है और वह अपने परिजनों के साथ दुख की इस घड़ी में रहना चाहते हैं।


सूत्रों के अनुसार, पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन, पूर्व नौकरशाह शाह फैसल, पीडीपी नेता नईम अख्तर, वहीद उर रहमान पारा और नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर को फिलहाल रिहा किए जाने की कोई योजना नहीं है। इन नेताओं के साथ कई बार संबंधित प्रशासन ने रिहाई के मुद्दे पर चर्चा करते हुए बांड भरने को कहा है, लेकिन इन्होंने सशर्त रिहाई से इन्कार किया है। कहा जाता है कि शाह फैसल, नईम अख्तर, सागर और लोन ने तो बातचीत के लिए आए अधिकारियों के साथ तीखी बहस करते हुए एक बार बांड के दस्तावेज को भी फाड़ दिया था। इस बीच एक खबर यह है कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद ने दावा किया है कि उन्हें श्रीनगर में ही उनके ही घर पर नजरबंद किया गया है। एक ट्‍वीट के मुताबिक इस बात की जानकारी दी गई है। इस संबंध में और जानकारी का इंतजार है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।


गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान खत्म किए जाने के बाद कश्मीर के कई स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया गया है। हाल ही में सना ने बयान भी दिया था कि अगर उन्हें भी नजरबंद कर लिया जाता है तो यह हैरानी वाली बात नहीं होगी।


नीतीश को मोदी सरकार का बड़ा झटका

पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार को गुरुवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब केंद्र की मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड में 'जल जीवन हरियाली मिशन' पर आधारित बिहार सरकार की झांकी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
प्रस्ताव के खारिज होने का मतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में राजपथ पर भव्य गणतंत्र दिवस परेड में बिहार का प्रतिनिधित्व नहीं होगा। दिल्ली स्थित बिहार सूचना केंद्र के सूत्रों ने प्रस्ताव के खारिज होने की पुष्टि की।


प्रस्ताव को इस आधार पर स्वीकृति नहीं मिली कि यह राज्यों की झांकियों के चयन के लिए जरूरी मानकों को पूरा नहीं कर सकी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में हरित क्षेत्र और भूजल स्तर को बढ़ावा देने के लिए अक्टूबर 2019 में 'जल-जीवन-हरियाली मिशन' की शुरुआत की थी। बिहार ने इसी थीम पर आधारित झांकी का प्रस्ताव दिया था।


विपक्षी राजद ने झांकी का प्रस्ताव खारिज होने पर केंद्र की राजग सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर बिहार के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'उन्होंने (केंद्र की राजग सरकार ने) बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग को खारिज किया और अब गणतंत्र दिवस पर झांकी के जरिए अपनी योजना का प्रदर्शन करने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया… यह ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा की 'डबल इंजन' की सरकार की सच्चाई है।'
बिहार के साथ ही पश्चिम बंगाल और महाराष्‍ट्र के प्रस्ताव भी खारिज कर दिए गए हैं। इस तरह 3 बड़े राज्यों की झांकियां गणतंत्र दिवस परेड में नहीं दिखाई देगी।


104 बच्चों की मौत की हाई लेवल जांच

कोटा। राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। मौत का आंकड़ा 104 पर पहुंच गया है। साल के पहले दिन 3 बच्चों ने दम तोड़ा, जबकि गुरुवार को एक बच्चे की मौत हुई। कोटा के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी आज कोटा पहुंच रहे हैं। इसके अलावा केंद्र की हाई लेवल टीम भी कोटा जाएगी।
कोटा में बच्चों की मौत का आंकड़ा


104 पर पहुंचाकेंद्र ने राजस्थान सरकार को मदद का भरोसा दिया राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। मौत का आंकड़ा 104 पर पहुंच गया है। साल के पहले दिन 3 बच्चों ने दम तोड़ा, जबकि गुरुवार को एक बच्चे की मौत हुई। कोटा के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी आज कोटा पहुंच रहे हैं।


इसके अलावा केंद्र की हाई लेवल टीम भी कोटा जाएगी. कोटा में मौत का आंकड़ा नया नहीं है। 2014 में 15719 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 1198 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। अगले साल यानी 2015 में 17579 बच्चे भर्ती हुए जिसमें 1260 बच्चों की मौत हुई। साल 2018 और 2019 में भी यही सिलसिला चला।


विशेष टीम लेगी जायजा


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक विशेष टीम राजस्थान के कोटा स्थित जे.के. लोन हॉस्पिटल जाएगी। इस टीम में जोधपुर एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर, स्वास्थ्य, वित्त और क्षेत्रीय निदेशक शामिल होंगे। इसके अलावा जयपुर से भी विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया गया है। कोटा स्थित इस अस्पताल में उपचार के दौरान बीते दिसंबर में लगभग 100 बच्चों की मौत हो चुकी है।


केंद्र ने हर संभव मदद का दिया भरोसा


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री से बात की है। उनके मुताबिक, केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को बच्चों के इलाज में हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बाल रोग विशेषज्ञ की एक टीम को भी राजस्थान के लिए रवाना किया गया है, ताकि वहां बच्चों की मौत रोकी जा सके।


डॉ. हर्ष वर्धन ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बताया कि जे.के. लोन हॉस्पिटल को वित्त वर्ष 2019-20 में अग्रिम राशि के तौर पर पर 91 लाख रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं. यह राशि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दी गई है। वहीं कोटा जिले की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 -20 के लिए इस जिले को 27 करोड़ 45 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से और अधिक वित्तीय सहायता दिए जाने की पेशकश की है। डॉ. हर्ष वर्धन ने राजस्थान सरकार से कहा कि जरूरत होने पर राजस्थान सरकार वित्तीय सहायता के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज सकती है।


इससे पहले, भाजपा की 4 महिला सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कोटा स्थित जे.के. लोन अस्पताल का निरीक्षण किया। यहां दिसंबर माह में लगभग 100 बच्चों की मौत पर कई सामाजिक संगठन भी अपनी चिंता सरकार के सामने जाहिर कर चुके हैं।


राजस्थान सरकार की रिपोर्ट


राजस्थान सरकार ने गुरुवार को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट जारी की है जिसमें से बताया गया है कि खराब परफॉर्मेंस वाले 10 एनआईसीयू में से 9 भाजपा शासित राज्यों में हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश के तीन हैं जिसमें लखनऊ भी शामिल है। बिहार के चार हैं, झारखंड और गुजरात का एक न्यू मेटल आईसीयू है।


उत्तर प्रदेश के सैफई अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की मृत्यु दर 44 है और लखनऊ में 31.6 है। गुजरात के वडोदरा में मृत्यु दर 26 फ़ीसदी है जबकि राजस्थान में मृत्यु दर बेहद कम है. राजस्थान में सबसे ज्यादा मृत्यु कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीजेपी शासन के दौरान 2015 में अगस्त महीने में हुई है। 1 महीने में 154 बच्चों की मृत्यु हुई थी और 1 दिन में 12 बच्चे मरे थे।


विधानसभा की कमान संभालेंगे अमित

नई दिल्ली। भाजपा को नए अध्यक्ष के लिए फरवरी में संभावित दिल्ली विधानसभा चुनाव तक इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे में गृह मंत्री बनने के बाद वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के बाद अब दिल्ली विधानसभा चुनाव की भी सीधी जिम्मेदारी संभालेंगे। माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के तत्काल के बाद कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार्टी की सीधी कमान दे दी जाएगी। दरअसल अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 50 फीसदी राज्यों में संगठन चुनाव जरूरी है। यह सिलसिला पार्टी मकर संक्रांति के बाद शुरू करेगी। इसी दौरान दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। आमतौर पर लोकसभा या विधानसभा चुनाव के जारी रहते भाजपा अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं करती है। ऐसे में पार्टी को नया अध्यक्ष फरवरी के दूसरे हफ्ते के बाद ही मिलने की संभावना है।


नड्डा संभालेंगे कमान


जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर पार्टी ने उन्हें ही अध्यक्ष बनाने का संदेश काफी पहले दे दिया है। कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नड्डा का राष्ट्रीय स्तर पर प्रवास करा कर भी पार्टी ने इस आशय का संदेश दिया है। अगर नड्डा फरवरी में अध्यक्ष पद की कमान संभालते हैं तो उनके सामने पहली चुनौती बिहार विधानसभा और दूसरी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की होगी।


इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार संभव


दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद इसी महीने के अंतिम सप्ताह से संसद का बजट सत्र शुरू हो जाएगा। बजट पेश करने के बाद फरवरी के पहले हफ्ते में सत्र का पहला चरण पूरा हो जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा में सांगठनिक फेरबदल को भी तत्काल अंजाम दिया जाएगा। इसके बाद मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला विस्तार किए जाने की संभावना है।


शेयर बाजार में 0.15 फ़ीसदी की गिरावट

नई दिल्ली। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को शेयर बाजार लाल निशान पर खुला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 61.36 अंक यानी 0.15 फीसदी की गिरावट के बाद 41,565.28 के स्तर पर खुला। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 35.95 अंक यानी 0.29 फीसदी की गिरावट के बाद 12,246.25 के स्तर पर खुला।


ऐसा रहा दिग्गज शेयरों का हाल


दिग्गज शेयरों की बात करें, तो ओएनजीसी, गेल, टीसीएस, इंफोसिस, इंफ्राटेल, एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट और यस बैंक के शेयर हरे निशान पर खुले। वहीं एशियन पेंट्स, जी लिमिटेड, बीपीसीएल, एक्सिस बैंक, टाटा मोटर्स, वेदांता लिमिटेड, सिप्ला, जेएसडब्ल्यू स्टील और इंडसइंड बैंक के शेयर लाल निशान पर खुले।


सेक्टोरियल इंडेक्स पर नजर


सेक्टोरियल इंडेक्स पर नजर डालें, तो आज आईटी के अतिरिक्त सभी सेक्टर्स लाल निशान पर खुले। इनमें एफएमसीजी, फार्मा, पीएसयू बैंक, ऑटो, रियल्टी, मेटल, मीडिया और प्राइवेट बैंक शामिल हैं।


प्री ओपन के दौरान यह था शेयर मार्केट का हाल


प्री ओपन के दौरान सुबह 9:11 बजे शेयर मार्केट सपाट स्तर पर था। सेंसेक्स 7.87 अंक यानी 0.02 फीसदी की बढ़त के बाद 41,634.51 के स्तर पर था। वहीं निफ्टी 21.10 अंक यानी 0.17 फीसदी की गिरावट के बाद 12,261.10 के स्तर पर था।


71.49 के स्तर पर खुला रुपया


डॉलर के मुकाबले आज रुपया 12 पैसे की गिरावट के बाद 71.49 के स्तर पर खुला। वहीं पिछले कारोबारी दिन भी डॉलर के मुकाबले रुपया 71.37 के स्तर पर ही बंद हुआ था।


गुरुवार को हरे निशान पर खुला था बाजार


पिछले कारोबारी दिन शेयर बाजार बढ़त पर खुला था। सेंसेक्स 77.61 अंक यानी 0.19 फीसदी की बढ़त के बाद 41,383.63 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 23.40 अंक यानी 0.19 फीसदी की बढ़त के बाद 12,205.90 के स्तर पर खुला था।


पिछले कारोबारी दिन बढ़त पर बंद हुआ था बाजार


साल 2020 के दूसरे कारोबारी दिन गुरुवार को दिनभर के कारोबार के बाद शेयर बाजार हरे निशान पर बंद हुआ था। सेंसेक्स 322.62 अंक यानी 0.78 फीसदी की बढ़त के बाद 41,628.64 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 100.45 अंक यानी 0.82 फीसदी की बढ़त के बाद 12,282.95 के स्तर पर बंद हुआ था।


10 जनवरी को होगा पहला चंद्र ग्रहण

नई दिल्ली। नए साल 2020 प्रारंभ हो चुका है। इस साल की शुरुआत में 10 जनवरी 2020 में चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) लगेगा, जो भारत में भी दिखाई देगा। इससे पहले साल 2019 के आखिरी महीने 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण दिखाई दिया था। इस सूर्य ग्रहण को भारत सहित दुनिया के कई हिस्से में देखा गया था। ग्रहण का समय- 10 जनवरी रात 10 बजकर 37 मिनट से 11 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक। चंद्र ग्रहण- भारत, अफ्रीक, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।


जानिए चंद्र ग्रहण के समय कैसे बरते सतर्कता : वैज्ञानिक शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल यानी कमजारे हो जाती है। ऐसे में पेट में दूषित भोजन और पानी जाने पर बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है. मान्यता है कि ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए. कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है।


चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से ग्रहण की छाया पड़ने से रोकना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें बेहद हानिकारक होती हैं जिसका प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है।ग्रहण के समय कहा जाता है कि पूजा पाठ वर्जित है। इसी कारण है कि कई मंदिरों में भी मंदिर के कपाट ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं. ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन करना वर्जित होता है इसलिए आप अपने मन में ईश्वर को याद करें। ग्रहण के समय कभी भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। कहा जाता है कि इस समय बनाए गए शारीरिक संबध से पैदा हुए बच्चे को जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


जनवरी 04, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-149 (साल-01)
2. शुक्रवार, जनवरी 04, 2020
3. शक-1941, पौष - शुक्ल पक्ष, तिथि- सप्तमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 07:15,सूर्यास्त 05:37
5. न्‍यूनतम तापमान -6 डी.सै.,अधिकतम-19+ डी.सै., बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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गुरुवार, 2 जनवरी 2020

'शहीद का शव' देख पत्नी ने दी जान

रांची। झारखंड से एक द‍िल दहलाने वाली खबर आई है। यहां एक गांव में जब त‍िरंगे में ल‍िपटकर सैन‍िक का शव पहुंचा तो उसकी पत्नी अपने होश नहीं संभाल सकी और उसने कुएं में छलांग लगाकर जान दे दी। यह दर्दनाक घटना झारखंड के रांची ज‍िले की है।


झारखंड में रांची के बहेरा टोली गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। मनीता उरांव के पति बजरंग उरांव फौज में थे। जानकारी के अनुसार और जम्मू कश्मीर में ही 30 दिसंबर को बजरंग की गिरकर मौत हो गई थी।


सैनिक का शव गांव पहुंचते ही सैनिक की पत्नी ने कुएं में छलांग लगा दी। सैनिक की पत्नी की भी मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार, बजरंग उरांव जम्मू कश्मीर में पोस्टेड थे। 30 दिसंबर को बजरंग उरांव की अचानक गिर जाने के बाद मौत हो गई थी। एक जनवरी को सैनिक बजरंग उरांव का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा था लेकिन इस दुख को उनकी पत्नी नहीं झेल पाई और कुएं में कूदकर जान दे दी।


नए अध्यादेश पर योगी ने लगाई रोक

संतकबीरनगर। उत्तर प्रदेश बुनकर सभा की आवश्यक बैठक खलीलाबाद के अन्सार टोला में जिला अध्यक्ष हाजी इमामुद्दीन अंसारी की अध्यक्षता मे हुई। बैठक मे बुनकरो ने जिला अध्यक्ष हाजी इमामुद्दीन अंसारी का माल्यार्पण कर, मिठाई खिला कर खुशी का इजहार किया।
बैठक को संबोधित करते हुए हाजी इमामुद्दीन ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य अशोक धवन, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने हमारी समस्याओं को सुना और प्रदेश सरकार ने बुनकरो की बात सुनकर नये अध्यादेश पर रोक लगाई।
श्री अंसारी ने कहा सरकार गरीब बुनकरों से चाहती है कि पॉवरलूम का कारोबार तरक्की करे और बुनकरों के सामाजिक हालात बेहतर हों, सरकार के ऊपर अधिक बोझ भी न हो और बुनकर भी खुशहाल रहे। ज्ञात हो कि बुनकरों के 2006 के बिजली बिल, फ्लैट रेट के आदेश को निरस्त करते हुए 4 दिसम्बर को नया आदेश जारी कर दिया था, और नए आदेश से प्रदेश भर के बुनकरों में हड़कंप मच गया था बीते 28 और 29 दिसम्बर को बुनकरों ने बनारस और गोरखपुर में प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी जी की मुलाकात करके अपनी परेशानी से अवगत कराया था।


इसके अलावा बुनकरों के प्रतिनिधि मंडल ने 30 और 31 दिसम्बर को लखनऊ में संसदीय कार्य मंत्री और हथकरघा मंत्री से भी मुलाकात की और शाम को फिर लोकभवन में मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्या बताई। इन सभी भागदौड़ का नतीजा रहा कि मेहनत रंग लाई, हुआ यह कि 31 दिसम्बर की शाम तक सरकार ने अपने आदेश दिनांक 04 दिसम्बर वाले आदेश को वापस ले लिया और स्थायी रोक लगा दी । ये जानकारी बुनकर सभा के जिला अध्यक्ष हाजी इमामुद्दीन अंसारी ने दी है। हाजी इमामुद्दीन अंसारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश बुनकर सभा के प्रदेश अध्यक्ष हाजी इफ्तिखार अन्सारी, अकिल अहमद बनारस, हाजी मनजूर अहमद अन्सारी बनारस रईसूददीन अन्सारी मेरठ, हाजी राजू अन्सारी गोरखपुर, तफजूल हुसेन अन्सारी बाराबंकी, फखरुद्दीन अन्सारी मऊ, आदि के संघर्ष से यह काम मुमकिन हुआ है बैठक में श्री अंसारी ने जिला प्रशासन का भी आभार व्यक्त किया कि हमारी बात सरकार तक पहुंचाई, बैठक मे मुख्य रूप से मो0 इलियास अंसारी, मो0 जमा अंसारी, कौशर अली अंसारी, सेराज अंसारी, अनवर अंसारी, हिमायतुललाह अन्सारी, योगेश प्रसाद वर्मा, सरफुद्ववजा अंसारी, वसी अंसारी, नियाज अन्सारी आदि मौजूद रहे ।बैठक का संचालन बुनकर नेता रमाशंकर पासवान ने किया।


अयोध्या मामलाः गृह-मंत्री ने बनाई डेस्क

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के करीब दो महीने बाद केंद्र सरकार ने इससे संबंधित सभी मामले को देखने के लिए एक अलग से डेस्क बनाई है। इसकी अध्यक्षता अडिशनल सेक्रटरी स्तर के अधिकारी करेंगे। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अयोध्या मामले और कोर्ट के फैसलों से जुड़े मामले को तीन अधिकारी देखेंगे। इस टीम का नेतृत्व अडिशनल सेक्रटरी ज्ञानेश कुमार करेंगे। अयोध्या से संबंधित सभी मामलों को देखेगी नई डेस्क
अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद सरकार का यह कदम काफी महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण की इजाजत दी है। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने और 5 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया है। अब ज्ञानेश कुमार की अगुआई वाली गृह मंत्रालय की नई डेस्क अयोध्या मामले से जुड़े सभी मामलों को देखेगी। गृह मंत्रालय में पहले भी रह चुका है अयोध्या के लिए अलग से सेल
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें अयोध्या में 3 भूखंडों का जिक्र किया गया है, जिसमें से किसी एक को यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा, 'इस तरह के सभी मामलों को गृह मंत्रालय की नई डेस्क हैंडल करेगी।' बता दें कि गृह मंत्रालय में 1990 के दशक से लेकर 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में अयोध्या से संबंधित एक अलग विभाग था लेकिन लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद इसे बंद कर दिया गया।


आर्टिकल 370 पर ऐतिहासिक फैसले से भी जुड़े रहे हैं ज्ञानेश कुमार
खास बात यह है कि ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े विभाग के भी प्रमुख रहे हैं। आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और सूबे को 2 केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में बंटवारे के ऐतिहासिक फैसले में भी कुमार की अहम भूमिका थी। यह था ऐतिहासिक फैसला शीर्ष अदालत ने सालों से लंबित अयोध्या के विवादित मुद्दे का समाधान करते हुए नवंबर में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। इसके साथ ही मामले के वादी सुन्नी वक्फ बोर्ड को शहर में ही दूसरी जगह 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि दिए जाने का आदेश दिया था।


18 जून को रखा जाएगा 'निर्जला एकादशी' व्रत

18 जून को रखा जाएगा 'निर्जला एकादशी' व्रत  सरस्वती उपाध्याय  जगत के पालनहार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि समर्पित है। हर महीने के कृष्...