मधुकर कहिन
दीवाली अपनी-अपनी
हर व्यक्ति अपने-अपने अंदाज में दिवाली मना रहा है । लेकिन इस अंदाज में सबसे अच्छा अंदाज इस बार विधायक वासुदेव देवनानी का लगा। आइए आपको बताते हैं कैसे ?
तो साहब। विधायक महोदय ने हर साल की भांति इस साल भी लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं प्रेषित करने के लिए एक कार्ड बनाया है । इस कार्ड में दिवाली की शुभकामनाएं तो है ही लेकिन साथ साथ केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जानकारी भी है । और केंद्र सरकार द्वारा 2016 में अजमेर को मिली स्मार्ट सिटी योजना की सौगात का भी वर्णन है। मतलब वह मास्टर जी है तो मास्टर जी ने शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला है,और भाजपा से विधायक हैं तो केंद्र शासित भाजपा सरकार द्वारा किए गए अजमेर के भले का एक तरह से मानचित्र भी है।
विधायक देवनानी इन दिनों खुद अपने मित्रों से मिलने उनके घर पहुंच रहे हैं। देवनानी का यह रिश्ते निभाने का तरीका बहुत लोकप्रिय भी हो रहा है। अब तक शायद अजमेर के स्थापित कांग्रेसी नेताओं में डॉ गोपाल बाहेती जैसे बहुत कम लोग ही यह व्यहवारिकता निभाते दिखाई देते हैं। शायद इसी वजह से कांग्रेस लगातार पिछले बीस साल से शहर की सीमाओं में घुस नहीं पाई है। अजमेर में कांग्रेस के मेयर,पार्षद या फिर विधायक शायद जनता से इसी संपर्क शून्यता की वजह से नहीं बन पाए हैं।
हर बड़े कांग्रेसी नेता को यह लगता है कि 'मैं तो बहुत बड़ा नेता हूँ ... लोग मेरे दरवाज़े पर आएँ दीवाली मिलने। मैं किसी के पास क्यों जाऊं ? यही सोच कर अपने घर या कार्यालय पर *दरबार सजा कर बैठ जाते हैं । ताकि लोग आलम पनाह को हाज़री बजाने* दरबार में आते रहें। *अजमेर के कांग्रेस नेताओं के इस रवैया की वजह से शायद उन्हें मालूम नहीं है कि वह जनता से कितना दूर जाकर बैठ गए हैं। जहां से उनका अजमेर जिले में वापस राज में आना लगभग असंभव हो चुका है। जिसका लाभ अप्रत्यक्ष रूप से अजमेर की भाजपा को सरलता से मिल रहा है। कॉंग्रेस नेताओं को इस से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।
खैर, सीखना ही ज़िंदगी है। फिर जिसे यह लगता है कि उसे कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं है।
वह परम ज्ञानी है । ऐसे परम ज्ञानी जन को इस से ज्यादा ज्ञान पेलना शायद गलती होगा। सो इस दीवाली पर इतना ही बहुत ... बाकी किस्सा फिर कभी।
आप सभी को धनतेरस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
नरेश राघानी