मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

नीति आयोग का दफ्तर सील, 1 संक्रमित

नई दिल्ली। एक कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद नीति आयोग के दफ्तर को सील कर दिया गया है. यह दूसरा सरकारी कार्यालय है, जिसे कोरोना संक्रमित की वजह से सील किया गया है, इसके पहले नई दिल्ली स्थित नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सील किया जा चुका है। कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद कार्यालय को सील किए जाने के बाद एक वरिष्ठ नीति आयोग के अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाउडलाइन के प्रोटोकाल के हिसाब से पूरी प्रक्रिया की जा रही है। भवन को सील करने के बाद सेनिटाइजेशन का काम जारी है।


मंगलवार सुबह 9 बजे कार्यालयीन कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आने के बाद उसे सेल्फ क्वारेंटाइन में जाने के लिए कहा गया है, वहीं भवन को पूरे मापदंडों को पूरा करने के लिए आगामी दो-तीन दिनों के लिए सील कर दिया गया है। नीति आयोग के पहले 22 अप्रैल को नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक कर्मचारी को कोरोना पॉजिटिव आने पर जोरबाग स्थित कार्यालय को सील कर दिया गया था। सेनिटाइजेशन की कार्रवाई पूरी होने के बाद सोमवार को कार्यालय में कामकाज फिर से शुरू हुआ है।


पीएम का गणित 'संपादकीय'

पीएम का गणित   'संपादकीय' 
देश के सभी नागरिकों के पैरों में कोरोनावायरस कोविड-19 की बेड़िया पड़ी है। घर से बाहर जाना दुश्वारियां भरा तो है ही, साथ ही प्राणघातक भी हो सकता है।
मित्रों, आज मैं भी आपसे अपने मन की बात कहे बिना नहीं रहूंगा। देश के प्रधानमंत्री के द्वारा देश के नागरिकों के साथ यह व्यवहार किया गया है। बल्कि यूं कहिए कि देश की नागरिकता गणित सेे ही बाहर कर दिया है। नागरिकों को सुख-सुविधा, महत्वपूर्ण अधिकारो से वंचित रखने के बाद उन्हें देश की निर्धारित आबादी से ही गायब कर दिया जाए। यह तो पूरी तरह अनुचित है।


हालांकि यह सच भी है और इसका प्रमाण स्वयं बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपने संबोधन में दिया जाता रहा है। देश की (सवा सौ करोड़ आबादी) 125 करोड़ लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है। बाकी कई करोड़ लोगों का दायित्व किसका है ? उनका संकल्प कौन लेगा ? बाकी कई करोड़ की आबादी का संकल्प मैं लेता हूं। शेष भारतीय नागरिक असहनीय पीड़ा का दंश झेलते रहेंगे। उनके छोटे-छोटे दूध मुंहे बच्चों का फर्ज है कि वे कुपोषण को अपना सौभाग्य मानते रहे और उनका यह फर्ज बना रहेगा। देश में कुपोषण की उपलब्धि का उन्मुक्त स्थान यथावत बनाए रखेंगे। महाजन के छोटे से कर्ज़ का ताउम्र ब्याज देते रहेंगे और अपनी जरूरतों में अंतर करने की समझ, लाचारी के बोझ तले दबाते रहेंगे। देश की गरिमा और प्रधानमंत्री को इतना समर्पण करना कर्तव्यनिष्ठा हीं तो है। बेरोजगारी से त्रस्त इतनी बड़ी जनसंख्या आज भीख मांगने की भी स्थिति में नहीं है। महामारी में प्रशासन का चाबुक गरीब की नंगी चमड़ी पर तो खूब चल रहा है। लेकिन उसके किसी जख्म पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं है। 'राम' का नाम इस संसार का आधार है। उसमें स्वयं संक्षिप्त और विस्तृत बना रहने की अपार क्षमता है। यदि उसी 'राम' के नाम को सिद्धांत बनाया गया है तो उसी 'राम' के पथगमन का अनुसरण होना चाहिए। नरकीय यातनाएं झेलने वाले मनुष्यों के अनुकूल कुछ भी नहीं है। बल्कि प्रतिकूल संभावनाएं अर्जित करने का कार्य किया जा रहा है। हो सकता है, सरकार और सरकार के नुमाइंदों को यह सच अधिक तीखा लगें। लेकिन देश के बाकी कई करोड़ लोगों का यही सच है। जो देश के प्रधानमंत्री की गिनती में पहले से ही नहीं है। 



राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


कानपुर मदरसे में 40 छात्र संक्रमित

 3 मदरसे हॉटस्पॉट एरिया में स्थित हैं


छात्रों की उम्र 10 से 20 साल के बीच


कानपुर। उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कानपुर के तीन अलग-अलग मदरसों में करीब 47 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इन बच्चों की उम्र 10 से 20 साल के बीच है। कानपुर में हिदायतुल्लाह मदरसा, जाजमऊ के अशरफाबाद मदरसा और कुलीबाजार मदरसा हॉटस्पॉट एरिया में स्थित है।
शहर के मछरिया इलाके के हिदायतुल्लाह मदरसा में सबसे पहले जमातियों के संपर्क में आने से छात्र कोरोना संक्रमित हुए थे। 14 अप्रैल को मदरसे में पढ़ने वाले 8 छात्र की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वहीं, अशरफाबाद मदरसे से 6 छात्र 20 अप्रैल को पॉजिटिव पाए गए। प्रशासन की बड़ी परेशानी तब खड़ी हुई, जब कुलीबाजार स्थित मदरसे में 32 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये सभी छात्र बिहार के रहने वाले हैं। एसपी सिटी राजकुमार अग्रवाल ने कहा कानपुर के तीन मदरसों से करीब 47 छात्र पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं, सीएमओ डॉकटर अशोक शुक्ला ने 90 मदरसों की जांच का दावा करते हुए कहा इनमें 40 कोरोना संक्रमित हैं।
कोविड अस्पतालों को बढ़ाने का निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना वायरस से निपटने की दिशा में तमाम मोर्चों पर लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड अस्पतालों को बढ़ाने का निर्देश दिया है। वहीं, प्रदेश के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि राज्य में लगभग 10 से 15 लाख लोगों की क्षमता के क्वारनटीन केंद्र बनाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 1 मई से दोबारा राशन वितरण शुरू होगा।


दंगों की आरोपी की प्रेगनेंसी पर बवाल

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में हुए सीएए विरोधी दंगों में कट्टरपंथी समूह पीएफआई का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने जामिया के 2 छात्रों को इस संबंध में गिरफ्तार किया। एक नाम मीरान हैदर और दूसरा प्रेग्नेंट सफूरा जरगर (Safoora Zargar)। दोनों पर उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप है। जिसके कारण इनके खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालाँकि, हैदर की गिरफ्तारी को लेकर अप्रैल माह के शुरूआत में खूब सवाल उठाए गए थे। लेकिन संगीन आरोपों के कारण ये आवाज हल्की पड़ गई। इसके बाद सफूरा की गिरफ्तारी पर कट्टरपंथियों ने आवाज बुलंद की और दिल्ली पुलिस का क्रूर चेहरा दर्शाने के लिए उसकी प्रेग्नेंसी को लेकर बवाल खड़ा कर दिया।


 किसी भी महिला से संबंधित ऐसी खबर सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाना आम बात है। लेकिन दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाने से पहले, केंद्र सरकार को कोसने से पहले ये भी जानने की आवश्यकता है कि आरोपित महिला पर कैसे  हैं और मात्र प्रेगनेंसी का हवाला देकर उसपर लगे आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता और न ही इस बात से मुँह फेरा जा सकता है कि मीडिया गिरोह कैसे इस पूरे मामले को अलग कोण दे रहा है।
विचार करिए! आज जब आरोपित महिला के ऊपर लगे आरोप इतने संगीन है उस समय उसके लिए रिपोर्ट में ‘छात्र’ और ‘स्कॉलर’ शब्द का प्रयोग हो रहा है। व उसके प्रोफेसर उसे उसके अपराधों से निजात दिलाने के लिए उसके अकादमिक रिकॉर्ड का हवाला दे रहे हैं। उस समय सोचने वाली बात है कि सफूरा के लिए जो उसकी प्रेगनेंसी के नाम पर ट्रेंड चलाया जा रहा है उसमें उसके 3 महीने से प्रेग्नेंट होने की बात हैं, जबकि दिल्ली में हुई हिंसा 2 महीने पुरानी घटना है।
आज अगर वाकई ही इस एंगल से किसी के अपराध पर होने वाली कार्रवाई पर इतना फर्क पड़ता है, तो क्या जरूरत थी प्रेगनेंसी के दौरान सड़कों पर आने की, आंदोलनों में अपनी सक्रियता दिखाने की? अगर आज इस आधार पर सफूरा के लिए दया माँगी जाती है, उनकी जाँच को रोका जाता है, तो कल को क्या हर अपराधी महिला या अपराध करने के इल्जाम में गिरफ्तार हुई महिला प्रेगनेंसी के नाम पर अपने लिए छूट नहीं माँगेगी?
ज्ञात रहे कि दिल्ली में हुई हिंदू विरोधी हिंसा में मीरान हैदर के साथ सफूरा जरगर को साजिश करने के आरोप में आरोपित बनाया गया है। जिसमें उस समय 50 से ज्यादा निर्दोष लोगों की लाशें गिरी थीं ।


ड्यूटी में लगे स्टाफ को मिले पीपीई किट

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कोरोना ड्यूटी में लगे हर तरह के स्टाफ को पीपीई किट देने की मांग उठाई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट के माध्यम से लिखा कि ” कोरोना ड्यूटी में लगे उन हर तरह के स्टाफ को तत्काल पीपीई किट दिए जाएं, जिनका लोगों से ज्यादा संपर्क होता है। जैसे सभी स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, आपूर्ति सेवा में लगे ड्राइवर और राशन डीलर, इनकी नियमित जांच होनी चाहिए।” इससे पहले अखिलेश ने कहा था कि “कोरोना संक्रमण झेल रहे प्रदेश के किसानों पर बे-मौसम बरसात, आंधी और ओलावृष्टि की भी प्रातिक मार आ पड़ी है। उसका जीवन घोर संकट में पड़ गया है। आजीविका के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे हैं। जिलों के अधिकारी भी किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुए हैं। गेहूं और आम की फसल की हुई बर्बादी का सरकार के पास कोई ब्यौरा नहीं है।”


समाजवादी पार्टी की मांग है कि आकाशीय बिजली गिरने, दीवार और मकान गिरने से हुई मौतों पर प्रत्येक मृतक आश्रितों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये। साथ ही फसलों के हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए।


अकुंशः यूपी में 15 दिन में 100 हत्या

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में एक पखवाड़े में 100 लोगों की हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इन घटनाओं की गहन जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव ने कहा कि पिछले तीन दिन में राज्य में दो महात्माओं सहित पांच लोगों की हत्या हुई है। ये सारी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय है और इनकी निष्पक्षता से जांच करना आवश्यक है। उन्होंने ट्वीट किया “अप्रैल के पहले 15 दिन में ही उत्तर प्रदेश में सौ लोगों की हत्या हो गई। तीन दिन पहले एटा में पचौरी परिवार के पांच लोगों के शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए। कोई नहीं जानता उनके साथ क्या हुआ।”


उन्होंने कहा “आज बुलंदशहर में एक मंदिर में सो रहे दो साधुओं को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे जघन्य अपराधों की गहराई से जाँच होनी चाहिए और इस समय किसी को भी इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। निष्पक्ष जाँच करके पूरा सच प्रदेश के समक्ष लाना चाहिए। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है।”


 


नमाज रोकने पर पथराव, 27 घायल

औरंगाबाद । महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मस्जिद में नमाज पढ़ने को रोकने गई पुलिस पर लोगों ने पथराव कर दिया गया। जिले के ग्रामीण इलाके में सोमवार रात 8 बजे हुई इस घटना में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। मामले में पुलिस ने अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि पुलिस पर पथराव करने वाली भीड़ में महिलाएं भी शामिल थीं।


बताया जा रहा है कि संभाजी मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में करीब 100 लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे। पुलिस ने पहले उन्हें रोका और लॉकडाउन का हवाला देकर अपने-अपने घर लौट जाने की अपील की। इस दौरान कुछ लोग भड़क गए और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। पथराव की खबर पाकर मौके पर मौके पर भारी संख्या में फोर्स पहुंच गई और लोगों को हटाया। साथ ही घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस मामले में पुलिस अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।


सुविधाओं व यात्रा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया

सुविधाओं व यात्रा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया पंकज कपूर  देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को बदरीनाथ पहुंच कर श्रद्धालुओं की...