गुरुवार, 24 जून 2021

तीरथ के सीएम बने रहने की राह में अडंगा लगाया

पंकज कपूर                         
देहरादून। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सीएम बने रहने की राह में कांग्रेस ने अडंगा लगा दिया हैं। सीएम को दस सितंबर 2021 तक विधानसभा का सदस्य बनना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत किसी भी मंत्री को छह महीने के भीतर सदन का सदस्य बनना आवश्यक है। राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151ए के तहत अब राज्य में उपचुनाव नहीं हो सकता हैं। क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है। 
इस धारा में प्रावधान है कि लोकसभा या विधानसभा की कोई सीट खाली होने पर चुनाव आयोग को छह महीने के भीतर चुनाव कराना चाहिए। लेकिन छह महीने के भीतर यह उपचुनाव तब न हो अगर विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम बचा हो।तीरथ सिंह रावत इस साल मार्च में मुख्यमंत्री बनाए गए थे। इस लिहाज से उनके छह महीने दस सितंबर 2021 को पूरे हो रहे हैं। राज्य में अभी दो विधानसभा सीटें खाली हैं। इस लिहाज से उनके पास विधानसभा सदस्य बनने का यही रास्ता है कि वे इन दो में से किसी एक सीट से चुनाव जीतें। सीएम अभी तक लोकसभा सांसद हैं और उन्होंने लोक सभा से इस्तीफा भी नहीं दिया है। 
ऐसे हालातों में उनके भविष्य को लेकर पार्टी के भीतर अटकलें शुरु हो गई हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या तीरथ सिंह रावत बतौर मुख्यमंत्री अपने भविष्य को लेकर आशंकित है, इसीलिए उन्होंने अभी तक लोक सभा से इस्तीफा नहीं दिया है। यह भी पूछा जा रहा है कि जब उनके पास मौका था तब उन्होंने सल्ट विधानसभा सीट से उपचुनाव क्यों नहीं लड़ा। लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार चुनाव आयोग पर यह पाबंदी नहीं है कि वह विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम होने पर उपचुनाव न कराए। ऐसा केवल इसलिए है ताकि प्रशासनिक तौर पर असुविधा न हो।

तीसरी लहर के बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट ने चिंता बढ़ाईं

अकांशु उपाध्याय               
नई दिल्ली। देश में तीसरी लहर के बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि, अब तक सरकार इसे वेरियंट ऑफ इंट्रेस्ट मान रही थी। लेकिन अब इसे चिंता का विषय मान रही है। इसको लेकर तीन राज्यों में अलर्ट जारी करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिट्ठी लिखी है। डेल्टा प्लस के अबतक 40 मामले सामने आए
देश में डेल्टा प्लस के मामले भी तेजी बढ़ते जा रहे हैं। चार राज्यों से अबतक 40 मामले सामने आ चुके हैं। अकेले महाराष्ट्र से 21 मामले सामने आए हैं। इसके साथ मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु से भी मामले सामने आए हैं। 
दरअसल डेल्टा प्लस वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट से म्यूटेट होकर बना है। तकनीकी रूप से कहा जाए तो डेल्टा प्लस को बी.1.617.2.1 नाम दिया गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के मुताबिक डेल्टा प्लस वेरियंट भी दो तरह के हो गए हैं। इन्हें एवाई.1 और एवाई.2 का नाम दिया गया है। इन दोनों में एक और नई म्यूटेशन भी नजर आई है, जिसे एके417एन नाम दिया गया है। 
डेल्टा प्लस संक्रमण का पहला मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में मिला था। यहां 64 साल की महिला में इस नए वेरियंट का पता चला था। महिला होम आइसोलेशन में ही रहते हुए पूरी तरह स्वस्थ हो गई। 
लेकिन मध्य प्रदेश के ही शिवपुरी में डेल्टा प्लस से संक्रमित चार लोगों की मौत हो गई है। केरल के दो जिलों पलक्कड़ और पथनमथिट्टा में तीन लोगों में इस नए वैरियंट की पुष्टि हुई है। तीन लोगों में एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरियंट भारत के अलावा अभी 9 देशों में पाया गया है। ये देश हैं- अमेरिका, यूके, पुर्तगाल, स्विजरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन, रूस। जबकि डेल्टा वैरियंट भारत सहित दुनिया के 80 देशों में पाया गया है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर की वजह भी यही डेल्टा वेरियंट ही था।

बेसिक शिक्षा विभाग की संयुक्त बैठक आयोजित की

हरिओम उपाध्याय                
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को विधानसभा स्थित पारिजात कक्ष में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सम्बंध में उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा तथा बेसिक शिक्षा विभाग की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने विभाग को उप्र बोर्ड 10वीं व 12वीं का परिणाम जुलाई में घोषित करने के निर्देश दिए।
बैठक में आयोग के गठन तथा अन्य विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। 
उप मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर निर्देश दिया कि विभिन्न आयोगों द्वारा चयनित शिक्षकों का अतिशीघ्र पदस्थापन किया जाय। उन्होंने कहा कि विभिन्न आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों को पदस्थापन के लिए किसी भी दशा में भटकना न पड़े। इस कार्य में किसी भी दशा में लापरवाही नहीं होनी चाहिए और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को तत्काल दंडित किया जाए। उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रधानाचार्य और शिक्षकों के ऑनलाइन स्थानांतरण के लिए 28 जून तक पोर्टल खोल दिया जाए। उन्होंने संस्कृत अध्यापकों के रिक्त पदों पर शिक्षकों को उपलब्ध कराने हेतु तत्काल नीति निर्धारण कराए जाने का भी निर्देश दिए। डॉ शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा के अंकपत्र जुलाई माह में जारी कर दिया जाए। 
वहीं, उच्च शिक्षा विभाग स्नातक व स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए एक पारदर्शी नीति अपनाकर प्रवेश प्रारम्भ किया जाए।

किसान नेता टिकैत ने केन्द्र सरकार पर कसा तंज

अकांशु उपाध्याय             

नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं किसान नेता राकेश टिकैत ने केन्द्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि 7 माह से किसान शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहा है। क्या सरकार को यह सुनकर शर्म नहीं आती। इससे पूर्व ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि 4 लाख ट्रैक्टर भी यहीं है और 25 लाख किसान भी यहीं हैं।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि ये 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग यहां हैं। ये ट्रैक्टर इसी देश के हैं और अफगानिस्तान से नहीं आए हैं। हम पिछले 7 महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, क्या सरकार को यह सुनकर शर्म नहीं आती कि किसानों का क्या कहना है। यह लोकतंत्र में काम नहीं करता। राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया इससे पहले तंज कसते हुए कहा था कि चार लाख ट्रैक्टर भी यही हैं और 25 लाख किसान भी यहीं हैं। उन्होंने यह ट्वीट करते हुए बिल वापसी ही घर वापसी का हैशटेग का यूज करते हुए लिखा था कि 4 लाख ट्रैक्टर भी यहीं है।

दिल्ली के ढब को खड़े-खड़े घे करें वे। वो 25 लाख किसान भी यही हैं औश्र 26 तारीख भी हर महीने आती है। ये सरकार याद रख लें। कुछ दिनों पहले राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से कोलकाता में किसानों से जुड़े मामलों पर वार्ता की थी। ममता ने इस बैठक में किसान नेताओं को नये कृषि कानूनों के विरूद्ध आंदोलन के समर्थन करने का आश्वासन दिया था। इसके साथ-साथ ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्यों को निशाना बनाना संघीय ढांचे के लिये अच्छी बात नहीं है।

अबदुल्ला ने मीटिंग से पहले पीएम मोदी से वार्ता की

अकांशु उपाध्याय           

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दिल्ली में जम्मू कश्मीर के मसले को लेकर बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी पहुंच गये है। उन्होंने इस मीटिंग से पहले पीएम मोदी से वार्ता की है। बैठक में जम्मू कश्मीर के सभी दलों के नेताओं से पीएम मोदी बात करेंगे। इस मीटिंग में फारूक अब्दुल्ला शामिल होने के लिये दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने कहा है कि हमें पाकिस्तान के बारे में वार्ता नहीं करनी है। हमें अपने वतन को लेकर गुफ्तुगू करनी है। उन्होंने कहा है कि जो भी हमारी मीटिंग में वार्ता होगी। इसकी जानकारी हम मीडिया को देंगे।

फारूक अब्दुल्ला ने एक निजी चैनल को बातचीत के दौरान बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से बुलाई गई बैठक जाने का भी वेलकम किया है। उन्होंने कहा है कि यह देर से आने लेकिन दुरूस्त आने जैसा है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हम उम्मीद करेंगे पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हम लोगों की बात को शांति से सुनकर कोई ऐसा समाधान निकाले कि जिससे प्रदेश में शांति कायम हो सके। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि बैठक के बाद हम मीडिया को इस बारे में जानकारी देंगे कि हमने क्या प्रस्ताव रखें और क्या वार्ता हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हम चाहते तो आसमान हैं लेकिन अभी पीएम मोदी से बात करेंगे ताकि सूबे में अमनक कायम हो सके।

गौरतलब है कि इसी हफ्ते गुपकार अलायंस की बैठक के पश्चात मुफ्ती महबूबा ने कहा था कि कश्मीर के मामले पर केन्द्र सरकार को पाक से भी वार्ता करनी चाहिए। इस दौरान महबूबा ने कहा था कि यदि सरकार अफगानिस्तान में तालिबान से बात कर सकी है तो कश्मीर के मसले पर पाक से वार्ता क्यों नहीं कर सकमी। जम्मू कश्मीर मुफ्ती महबूबा की इस बयान पर विरोध कर रहा है। इतना ही नहीं बल्कि डोगरा फ्रंट संगठन से जुडे लोग सड़कों पर उतरकर महबूबा को कारागार भेजने की मांग कर रहे हैं।

मौतों के आंकड़ों पर राजनीति करने का आरोप लगाया

हरिओम उपाध्याय           

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और काबीना मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने विपक्षी पर कोविड से हुई मौतों के आंकड़ों पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।काबीना मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में हेराफेरी कर कुछ असामाजिक तत्व सरकार को बदनाम करने की कोशिश में लग गए हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के बाद तथ्यों और आंकड़ों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया जिसके बाद से सोशल मीडिया पर यह मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने पहले वैक्सीन और अब मौत के आंकड़ों की राजनीति करना शुरु कर दिया है। बौखलाया विपक्ष उत्तर प्रदेश की जनता के बीच सिर्फ भ्रम की स्थिती पैदा कोशिश कर रहा है। विभाग की ओर से जारी आकड़े बताते हैं कि सोशल मीडिया पर आंकड़ों का हेरफेर कर यूपी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही

काबीना मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि एक तथाकथित एक्टिविस्ट ने आरटीआई में सरकार से पूछा कि जुलाई 2019-मार्च 2020 और जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक उत्तर प्रदेश में कुल कितनी मौतें हुई है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर इन आंकड़ों को कोरोना से जोड़ुने का प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2021 में कुल 103000, फरवरी 2021 में 99100, मार्च 2021 में 70797 मौतें हुई हैं। वहीं अप्रैल 2021 में 61986 मौतें हुई है। गौर करने वाली बात है कि जिन आंकड़ों को कोविड के साथ जोड़ा जा रहा है वो गलत है क्योंकि कोरोना की पहली लहर मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक ही थी, वहीं दूसरी लहर की बात की जाए तो अप्रैल 2021 से कोविड के मामले बढ़ते दिखाई दे रहे है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन लोगों के आंकड़ों में हेराफेरी की है, उन्हें अप्रैल का आंकड़ा भी उजागर करना चाहिए था।

विभाग की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि जनवरी, फरवरी और मार्च 2021 में मौतें ज्यादा हुई लेकिन वो कोरोना से नहीं हुई। क्योंकि कोविड की दूसरी लहर अप्रैल 2021 में आनी शुरु हुई थी और अप्रैल की आंकड़े इस महीनों से काफी कम है। उत्तर प्रदेश सरकार पहली ऐसी सरकार है जिसने कोविड को लेकर समय रहते अस्पतालों में बेड्स की संख्या और टेस्टिंग की क्षमता को तेजी से बढ़ाया है।

आबादी में जागरूकता फैलाने के लिए सहयोग मांगा

हरिओम उपाध्याय     

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त ग्राम प्रधानो से कोरोना वैक्सीनेशन और संक्रामक बीमारियों के प्रति ग्रामीण आबादी में जागरूकता फैलाने के लिये सहयोग मांगा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी ग्राम प्रधानो को पत्र लिख कर अपील की है कि वे ' मेरा गांव-कोरोना मुक्त गांव' के ध्येय को साकार करने के लिये सक्रिय योगदान करें। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर को गांव में नियंत्रित करने के लिये निगरानी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

अब संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिये टीकाकरण अभियान की गति को तेज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान निगरानी समितियों से समन्वय स्थापित कर न सिर्फ कोरोना बल्कि जेई और एईएस समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिये गांवों में विशेष सफाई,स्वच्छता एवं फागिंग अभियान को अपने निर्देशन में आयोजित करेंं और शुद्ध पेयजल की जरूरत के संबंध में लोगों को जागरूक करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्राम प्रधान कोरोना से बचाव के लिये जरूरी टीकाकरण के संबंध में जन सामान्य को प्रेरित करें और उनकी शंकाओं का समाधान करें। 

27 जून से निगरानी समितियों के माध्यम से कोरोना के लक्षणयुक्त बच्चों की पहचान कर विशेष कोरोना मेडिसिन किट का वितरण करें। ग्राम प्रधान वृक्षारोपण के महा अभियान में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें और गांव की हर उपयुक्त एवं खाली जमीन पर वृक्षारोपण की प्रक्रिया को आगे बढायें।

सुविधाओं व यात्रा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया

सुविधाओं व यात्रा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया पंकज कपूर  देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को बदरीनाथ पहुंच कर श्रद्धालुओं की...