शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

थाने में महिला की फरियाद पर कार्रवाई नहीं हुई

अतुल त्यागी, प्रवीण कुमार
हापुड़। एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सभी थानों में मिशन शक्ति अभियान चलाकर महिला हेल्प टैक्स का आयोजन कर आ चुके हैं। ताकि महिलाओं को अपनी परेशानी बताने में कोई झिझक ना हो। लेकिन जनपद के धौलाना थाने में अपनी फरियाद लेकर पहुंची महिला कार्रवाई से निराश होकर रोती हुई इस्पेक्टर के हाथ जोड़कर नीचे जमीन पर रोते हुए बैठ गई। घंटों एप्लीकेशन देने के बाद भी महिला की कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसी दौरान सारा मामला मीडिया कर्मी ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। जब इस संबंध में थाना इंचार्ज से बात की गई तो थाना इंचार्ज ने कार्रवाई का आश्वासन देते हुए पल्ला झाड़ लिया देखना यह है। महिला को न्याय मिलेगा या कागजों में सिमट कर रह जाएंगे महिला के आंसू।

असफलता: किसान व सरकार फिर आमने-सामने

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। देश में कृषि सुधार के लिए पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों के साथ आज सरकार फिर बातचीत हो रही है। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच नौवें दौर की बातचीत जारी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेषज्ञ समिति को लेकर जारी विवाद के बीच आज ये बैठक हो रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के मुताबिक अब तक किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई है। फिलहाल लंच ब्रेक के बाद किसानों और सरकार के बीच बातचीत दोबारा चल रही है। इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है। आठ जनवरी को आठवें दौर की वार्ता में भी कोई हल नहीं निकल सका था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार खुले मन से बैठक में शामिल होगी और किसानों की शंकाओं को दूर करेगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि सरकार और किसानों के बीच तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए चल रही बैठक में लंच तक किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई है। ब्रेक के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) गारंटी अधिनियम पर चर्चा की जाएगी। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई बातचीत में लंच ब्रेक हुआ है। किसान नेता फिलहाल लंच कर रहे हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश मौजूद हैं।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जल्द ही कृषि कानूनों पर किसानों के साथ बातचीत करने के लिए विज्ञान भवन पहुंचे। यहां पहुंचने से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से बातचीत से पहले कहा कि सरकार, किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करती है। सरकार समिति (न्यायालय द्वारा नियुक्त) के समक्ष अपने विचार रखेगी। हम बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। किसान नेता नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ नौवें दौर की बातचीत करने के लिए विज्ञान भवन पहुंच गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की योजना तैयार करने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्ना मोल्ला ने कहा है कि हम बहुत उम्मीद नहीं करते हैं, सरकार के साथ अंतिम दौर की वार्ता विफल रही और अब उन्हें अदालत से सहायता प्राप्त करने का अवसर मिला है। मुझे लगता है कि सरकार चर्चाओं को आगे बढ़ाने वाली नहीं है। 3 खेती कानूनों पर और सुधार का कोई मौका नहीं है। टिकरी बॉर्डर पर आज 51वें दिन भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सरकार के साथ हमारी पहले भी 8 बार बैठक हो चुकी है, जिसमें कोई हल नहीं निकला। किसानों को उम्मीद नहीं है कि इस बार भी बैठक में कुछ निकलेगा।

पोस्टर विवाद, मैडम चीफ मिनिस्टर ने दी सफाई

कविता गर्ग  
मुम्बई। अदाकारा ऋचा चड्डा ने अपनी आने वाली फिल्म ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ के पोस्टर को लेकर हुए विवाद पर सफाई दी और इसे ”अनजाने में हुई चूक” बताया। ऋचा की आने वाली फिल्म का एक पोस्टर पांच जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें दलित समुदाय को रूढ़िवादी धारणा के तहत दिखाने की सोशल मीडिया पर कई लोगों ने काफी आलोचना की थी। ऋचा पोस्टर में हाथ में झाड़ू लिए नजर आ रही थीं। वहीं उस पर ‘अनटचेबल, अनस्टॉपेबल’ भी लिखा था।कई लोगों ने पोस्टर ‘अनटचेबल’ (अछूत) शब्द को लेकर भी आपत्ति जतायी थी। अदाकारा ने कहा कि फिल्म में काम करते समय उन्होंने काफी कुछ सीखा। ऋचा ने एक बयान में कहा, ” फिल्म के पहले पोस्टर की काफी आलोचना हुई, वह भी सही कारणों की वजह से… मेरे लिए वह केवल किरदार द्वारा इस्तेमाल किया गया, एक सामान था, जोकि कई लोगों को दलित समुदाय को लेकर बनी हुई रूढ़िवादी धारणा को प्रतिबिंबित करने वाला दिखा।”

उन्होंने कहा कि तुरंत ही गलती का एहसास कर लिया गया और अगले दिन ही एक नया पोस्टर जारी किया गया। उन्होंने कहा, ” यह खेदजनक और पूरी तरह से अनजाने में हुई एक चूक थी, किसी ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। हम माफी चाहते हैं।”

3 फुट 3 इंच की आईएएस, मुकाम हासिल किया

राणा ओबरॉय  
चंडीगढ़। आप में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा है तो किसी भी तरह की चुनौती आप को रोक नहीं सकती। मुसीबतें चाहे जितनी भी हों लेकिन वो इंसान कुछ कर गुजरता है जिसके सपने बड़े होते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है। आईएएस आरती डोगरा की जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर वो मुकाम हासिल किया। जिसे आज हर कोई सलाम करता है |कद तीन फुट तीन इंच होने के चलते आरती डोगरा ने वो सब कर दिखाया जो लोगों की मानसिकता को बदलकर रख देगा। दरअसल, उत्तराखंड के देहरादून में जन्मी आरती डोगरा का जन्म एक पढ़े-लिखे परिवार में हुआ। उनके पिता राजेंद्र डोगरा भारतीय सेना में कर्नल के पद पर कार्यरत हैं और मां कुमकुम डोगरा एक स्कूल में प्रधानाध्यापिका हैं। शादी के बाद उनके घर में पहली बेटी के रूप में आरती डोगरा ने जन्म लिया लेकिन जन्म के दौरान डॉक्टरों ने कहा था कि शारीरिक रूप से आरती कमजोर है। जिसके बाद माता पिता ने फैसला लिया कि वो दूसरे बच्चे को जन्म ना देकर आरती का ही अच्छे तरीके से पालन पौषण करेंगे। उम्र बढ़ने के साथ-साथ आरती डोगरा का कद नहीं बढ़ पा रहा था जिसके चलते आसपास से गुजरने वाले लोग उन्हें देखकर मजाक बनाते थे लेकिन आरती ने अपने सपने काफी बड़े और ऊंचे रखे थे। उन्होंने ऐसे लोगों से दूरी बनाई और जीवन में कुछ करने की ठानी। आरती ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के ही वेल्हम गर्ल्स स्कूल से की। आरती पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी रही और ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली गई जहां उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज कार्मस में दाखिला लिया और अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। 
ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी पास करने का सपना
अपने सपनों को पूरा करते हुए आरती डोगरा ने कभी अपने कद को सफलता के आड़े नहीं आने दिया और ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की दी। दिन रात मेहनत कर 2006 में पहली ही बार में आईएएस की परीक्षा पास कर ली और लोगों के मुंह बंद कर अपने माता-पिता का मान बढ़ाया। आरती डोगरा की इस उपलब्धि से परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और छोटी सोच रखने वाले के लिए एक चुनौती बनी। 
आईएएस बनने के बाद लोगों की सेवा में आरती डोगरा जुट गई और उनकी पोस्टिंग बीकानेर में हुई जहां उन्होंने लोगों की सेवा करते हुए बंका बिकाणों अभियान चलाया और लोगों से इस अभियान का हिस्सा बनने की अपील की। आरती डोगरा ने लोगों से अनुरोध किया कि वो स्वच्छता बनाने के लिए खुली जगहों में शौच ना करें और कूड़ेदान का उपयोग कर अपने इलाके को स्वच्छ बनाएं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए उन्होंने गांवों में शौचालयों का निर्माण करवाया और करीब 195 ग्राम पंचायतों में शौचालय बनवाए गए। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की तारीफ
समय बीतने के साथ ही आईएएस आरती डोगरा का बंका बिकाणों अभियान सफल होने लगा और दूसरे जिलों के लोग भी स्वच्छता के प्रति जागरूक होने लगे। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी आरती डोगरा द्वारा चलाए गए इस अभियान की तारीफ की। आईएएस आरती डोगरा आज कई लोगों के लिए मिसाल हैं। उन्होंने कर के दिखाया कि आपकी शारीरिक सरंचना आपके सपनों के बीच में नहीं आ सकती। छोटे कद से बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा किया जा सकता है। पर जरूरत है तो सच्ची लग्न और खुद पर विश्वास रखने की।

गाजियाबाद पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा

गाजियाबाद पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह 
अश्वनी उपाध्याय  
गाजियाबाद। लोनी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा की गिरफ्तारी कर पाने में असमर्थ पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह अंकित हो जाता है। जबकि पूर्व चेयरमैन क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से भ्रमण कर रहा है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट हो जाता है कि पीड़ित महिला का लंबे समय तक पुलिस के द्वारा मानसिक शोषण किया गया है। गौरतलब हो कि मनोज धामा पर नगर के विकास कार्यों से संबंधित प्रस्तावित धन राशि के गबन का भी आरोप लगा है। सामान्य दृष्टिकोण से मनोज धामा के विरुद्ध विधिक कार्रवाई से अपराधिक प्रवृत्ति की ओर संकेत होता है। हालांकि, यह न्यायालय ही बता पाएगा की वास्तविकता क्या है ? लेकिन यह अपराधिक कृत्य ही है या राजनीतिक द्वेष की प्रपंच संरचना है। इसका निर्णय भी न्यायालय के निर्णय के बाद ही हो पाएगा। बहरहाल, मनोज धामा के राजनीतिक जीवन को भारी क्षति पहुंची है। जनता के बीच प्रतिस्थापित गरिमा और प्रतिष्ठा पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह सामान्य-सी बात है यदि कोई अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति जन प्रतिनिधित्व करने की दावेदारी करता है तो जनता कहीं न कहीं अपराधिक प्रवृत्ति के दृष्टिकोण से ही आकलन करती है। जिसके कारण जनता ऐसे नेतृत्व को स्वीकार नहीं करती है। बल्कि, जनता ऐसे व्यक्ति से अपने संबंधों को भी सीमित करने की सदा पक्षकार बनी रहती है। जनता अपराधिक कृत्यों में संलग्न किसी भी राजनेता का सानिध्य नहीं चाहती है। वहीं, मनोज धामा के जीवन का सबसे ज्यादा बुरा दौर शुरू हो गया है। सामूहिक दुष्कर्म के आरोप के परिणाम से भी अलग, यह आरोप पूर्व चेयरमैन की छवि पर काले दाग के समान है।
कहीं ना कहीं यह बात भी स्पष्ट होती है कि मनोज धामा का इस अपराध से गहरा संबंध है। राजनीतिक संरक्षण के चलते ही पुलिस पूर्व चेयरमैन को गिरफ्तार करने में अपने हाथ सिकौड़ रही है। पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। जिसके चलते क्षेत्र में अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। लेकिन राजनीतिक संरक्षण अथवा अन्य कोई संबंध संवैधानिक प्रक्रिया के आगे बहुत छोटा होता है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लापरवाह पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

क्रिकेट के भगवान का बेटा अर्जुन पिच पर उतरा

मुंबई। बायें हाथ के उभरते हुए तेज गेंदबाज अर्जुन तेंदुलकर ने शुक्रवार को यहां हरियाणा के खिलाफ सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के एलीट ई लीग ग्रुप मैच में मुंबई की सीनियर टीम के लिये पदार्पण किया। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का 21 साल का बेटा अर्जुन अब इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी के लिये क्वालीफाई कर लेगा क्योंकि उसने मुंबई की टीम के लिये अपना पदार्पण कर लिया है। मुंबई ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। तेंदुलकर जूनियर को एक अन्य तेज गेंदबाज कृतिक हनागावाड़ी के साथ मुंबई की टीम में शामिल किया गया है। जिसका चयन सलिल अंकोला वाली चयन समिति ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के कुल 22 खिलाड़ियों को चुने जाने की अनुमति के बाद किया। अर्जुन मुंबई के लिये विभिन्न उम्र के ग्रुप टूर्नामेंट में खेलते रहे हैं और वह उस टीम का भी हिस्सा थे जो आमंत्रण टूर्नामेंट खेलती है। अर्जुन को भारत की राष्ट्रीय टीम के नेट में भी गेंदबाजी करते हुए देखा गया और उन्होंने 2018 में श्रीलंका का दौरा करने वाली अंडर-19 टीम में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। श्रीराम 'निर्भयपुत्र'

किसान: खेत से सड़क पर आ गए

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

पिछले 6 से 7 सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून को वापस लो। सरकार भी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर कानून वापसी की बात छोड़कर हर बात मानने तैयार है। लेकिन पेंच फंस गया इसी बात पर । आखिर में सुप्रीमकोर्ट को दखल देना पड़ा,चार सदस्यों की कमेटी को कानून की समीक्षा करने को कहा। इससे किसान भड़क गए एवं वे चार सदस्यों की निष्पक्षता पर ही सवाल उठाने लगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दिल्ली बार्डर में सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों की संख्या को देखकर ये अंदाजा न लगाया जाए कि कानून से केवल इन्हें तकलीफ है, जबकि वास्तविकता ये है कि इससे पूरे देश के किसान चिंता जाहिर कर चुके है। अब सरकार को हठ छोड़कर इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर उनके हक में फैसला देना चाहिए।

बाबा भारती की याद आ गई:- पिछले दिनों बाबा भारती और डाकू खड़कसिंह की याद ताजा हो गई। दरअसल हुआ ये कि लिफ्ट मांग कर दो युवकों ने तीसरे युवक की बाइक और मोबाइल छीन कर भाग गए। ये तो नेकी कर और जूते खा वाली बात हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि वो बात अलग थी कि बाबा भारती ने डाकू खड़कसिंह से कहा कि इस घटना की जिक्र कही भी मत करना वर्ना भरोसा उठ जाएगा। यहां बाबा भारती की जगह पुलिस है क्या एक्शन होगा जनता को मालूम है।

बघेल जी को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं:- पिछले दिनों छग के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है, और कोरोना की रामबाण दवा है चापड़ा चटनी। उन्होंने बताया कि ये कोई जनप्रतिनिधि या मैं नहीं बल्कि उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा है। लखमा ने कहा कि बस्तर में लाल चीटी का चापड़ा चटनी चाव से खाया जाता है। यही वजह है कि बस्तर में कोरोना नहीं फैला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर दौरे पर थे और लोग जानना चाहते है कि लखमा ने भूपेश बघेल को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं। लोगों ने यह सुझाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चापड़ा चटनी सेंटर भी खोल दिया जाए।

कांग्रेसी जासूसी भी करते हैं :- बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय 100 क्विंटल धान बेचे हैं, और उनके खाते में एक लाख 86 हजार रुपए आ गए हैं। ऐसी जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता ने दी है। कांग्रेसी राजनीति के साथ-साथ अब भाजपाइयों की जासूसी भी करने लग गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसियों की राजनीति नहीं चलने पर कम से कम देश के खुफिया विभाग में सेवा तो ली जा सकती है।

तंज कसना भारी पड़ गया:- पिछले दिनों भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिन्ह बना दिया जाये। अब केंद्र सरकार द्वारा गोबर के पेंट की लांचिंग पर भूपेश बघेल गदगद हैं और विधायक जी को बोल रहे हैं कि गोबर उन्हीं के मुँह पर पड़ा। जनता में खुसुर फुसुर है कि धान से एथेनॉल बनाने का प्रोजेक्ट हो या गोबर खरीदी योजना दोनों छत्तीसगढ़ का प्रोजेक्ट है। ख़ुशी की बात है कि चलिए केंद्र ने यहाँ की योजनाओं का अनुसरण कर छत्तीसगढिय़ो का मान तो बढ़ाया।

छजकां की सत्ता में आदिवासी मुख्यमंत्री:- पिछले दिनों जनता कांग्रेस के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी का बयान आया कि छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की सत्ता आएगी तो मुख्यमंत्री आदिवासी ही होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छजकां अगर सत्ता में आई तो आदिवासी मुख्यमंत्री नकली आदिवासी बनेगा या असली आदिवासी बनेगा, ये भी बताते जाएं। बहरहाल सत्ता तो दूर है कम से कम छजकां के मुख्य पदों पर ही आदिवासियों को बैठाकर शुरूआत तो कीजिए, पूछती है जनता।

लगता है जनता नासमझ है:- कांग्रेसी किसानों के लिए धरना प्रदर्शन कर भाजपा और केंद्र सरकार पर किसानों की हालात को लकेर दोष मढ़ रही है, दूसरी तरफ भाजपाई भी किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन कर रहे है। कांग्रेस वाले बोल रहे हैं केंद्र सरकार बारदाना दे ,भाजपाई बोल रहे हैं भूपेश सरकार बारदाना दे , समझ में नहीं आ रहा कि बारदाना आखिर है कहाँ। जनता में खुसुर-फुसर है कि समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है। लगता है जनता को नेता लोग ना समझ मान लिए है।

हरियाणा-दिल्ली में पहली रैली को संबोधित किया

हरियाणा-दिल्ली में पहली रैली को संबोधित किया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस पर अपना हमला तेज ...