इटौंजा पशु आश्रय केंद्र में भुखमरी का दंश झेल रहे गोवंश
नरेश गुप्ता, राम मोहन गुप्ता
इटौंजा। लखनऊ बख्शी का तालाब हुआ इटौंजा क्षेत्र के पशु आश्रय केंद्रों की दशा अत्यंत दयनीय है। पशु आश्रय केंद्रों में छाया का प्रबंध ना होना पर्याप्त चरही का अभाव पीने के पानी की समुचित व्यवस्था ना होना बिखरी हुई गंदगी आज अव्यवस्था पशु आश्रय केंद्रों की पोल खोलते हैं, जबकि अधिकारियों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। पशु आश्रय केंद्र पट्टी दिल वासी बदहाल है। यह अपनी बदहाली में आंसू बहा रहा है। पशुओं के लिए पर्याप्त खाने का चारा नहीं है पशु परिसर में पुआल के डंठल दिन आते रहते हैं। यहां पर पशुओं का कोई इलाज करने वाला नहीं है। इलाज के अभाव में पशु अपना दम तोड़ देते हैं। परिसर में बिखरा हुआ गोबर गंदगी की गवाही देता है। जहां पर लोगों का पेट भरते थे वही वह अपना पेट भरने के लिए तरस रहे हैं। पशुओं को पर्याप्त चारा ना मिलने के कारण वह बहुत कमजोर हो गए हैं।
विडंबना इस बात की यह है कि सरकार प्रत्येक माह प्रत्येक पशु को प्रति माह ₹900 मुहैया कराती है। फिर भी चारे के अभाव में पशु भूखे मरते हैं जहां बैल देवता समझे जाते थे और गाय माता समझी जाती थी अब वह भोजन के अभाव में दर-दर भटक रहे हैं। पशु आश्रय केंद्र पट्टी निवासी में 135 पशु हैं। जहां सरकार किसानों के फसलों की सुरक्षा के लिए पशु आश्रय केंद्रों की स्थापना की गई है, पर पशु केंद्रों में अव्यवस्था के कारण पशु आवारा घूमा करते हैं। इससे वह किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं किसान रात दिन अपनी फसल की सुरक्षा करते हैं।अतः पशु आश्रय केंद्र अब नकारा साबित हो रहे हैं। छुट्टा पशु किसानों के नाक मैं दम कर रखा है। किसान खेतों में पॉलीथिन तानकर अपने फसल की रक्षा कर रहे हैं, यदि किसान अपनी फसल की रक्षा ना करें तो उनके परिवार को दो जून का निवाला मिलना टेढ़ी खीर है। इसी क्रम में पशु आश्रय केंद्र पश्चिम, गांव धंतींगरा नगर ,कल्याणपुर ,नगर, पंचायत महोना, चक्कर पृथ्वीपुर,राजागढ़ा, इंदारा,रैथा कुम्भरावा,भैसामऊ, तथा अन्य केंद्रों की दशा इससे भी गई गुजरी।