इस्लामाबाद। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ बलूचिस्तान में आवाज बुलंद होने लगी है। प्रांतीय मंत्री असद बलूच ने कहा है कि इससे स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार लोगों की दिक्कतों को दूर करने के प्रति गंभीर नहीं है। उधर, बलूचिस्तान प्रांत में हुए दो-दो अलग विस्फोटों में दो लोगों की जहां मौत हो गई वहीं चार अन्य लोग घायल हो गए। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक समाज कल्याण और विशेष शिक्षा मंत्री बलूच ने कहा कि प्रांतीय असेंबली ने कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए, लेकिन संघीय सरकार ने इन्हें हल करने के लिए कुछ नहीं किया। पूर्व में इस्लामाबाद द्वारा शुरू की गई कई विकास परियोजनाओं के बावजूद बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत बना हुआ है। जहां तक सीपीईसी की बात है तो बीजिंग का मुख्य उद्देश्य मध्य और दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना है। सीपीईसी के तहत बलूचिस्तान स्थित दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह को अरब सागर में चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत से जोड़ा जाना है। सीपीईसी से बलूचिस्तान के लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है जबकि अन्य प्रांतों के लोगों को इसका फायदा मिल रहा है। सीपीईसी के प्रथम चरण में बलूचिस्तान को शामिल नहीं किए जाने से भी काफी नुकसान हुआ है।
केजीएमयू इस पूरे कोरोना काल में सर्वाधिक कार्निया ट्रांसप्लांट करने वाले शुरुआती पांच संस्थानों में शामिल है। अरुण के अनुसार देश में करीब 22 लाख और प्रदेश में करीब 2 लाख लोगों को आंख की पुतली से संबंधित बीमारी हैं। भारत सरकार के अनुसार हर साल एक लाख आई ट्रांसप्लांट होनी चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसकी बड़ी वजह समाज में नेत्रदान को लेकर फैली भ्रांतियां हैं, जिसे लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।