शुक्रवार, 5 जून 2020

अवैध दबिश पर तीन पुलिसकर्मी निलंबित


















  
 
 


सहारनपुर। इंस्पेक्टर व अन्य अधिकारियों को सूचना दिए दूसरे थाना क्षेत्र में दबिश देना तीन पुलिसकर्मियों को भारी पड़ गया है। सादी वर्दी में दबिश देने के लिए गए पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों ने बदमाश समझकर बंधक बना लिया । सीओ की रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने आरोपी तीनो सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। घटनाक्रम के तहत थाना चिलकाना क्षेत्र के 3 सिपाही कोतवाली गंगो क्षेत्र के ग्राम बढ़ी माजरा में बदमाशों को पकड़ने के लिए गए थे। सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों ने बदमाश समझकर पकड़  बंधक बना लिया इस संबंध में जानकारी मिलने पर कोतवाली गंगोह के प्रभारी निरीक्षक मौके पर पहुंचे और पूछताछ की जानकारी में पता चला कि सिपाही चिलकाना थाना क्षेत्र के और किसी आरोपी को पकड़ने के लिए कोतवाली गंगोह क्षेत्र पहुंचे थे। इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बताया कि  चिलकाना थाना क्षेत्र के तीन  सिपाही किसी  आरोपी को पकड़ने के लिए गंगोह कोतवाली क्षेत्र के बढ़ी माजरा गए थे। सिपाहियों द्वारा इस संबंध में थाना प्रभारी, सीओ सदर अथवा एसपी सिटी को कोई सूचना नही दी गई थी। एसएसपी ने कहा कि सिपाहियों ने अनुशासनहीनता का परिचय दिया है। इसके चलते उन पर कार्रवाई की गई है सीओ गंगोह की रिपोर्ट के आधार पर तीनों आरोपी सिपाही  को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।




6 जुलाई से होगा विद्यालय संचालन

शशांक तिवारी की रिपोर्ट


लखनऊ। कोरोना संकट पर सरकार नियंत्रण का तेजी से प्रयास कर रही है। लिहाजा लागू देशव्यापी लॉकडाउन के पांचवे चरण के साथ ही अनलॉक 1 की भी शुरूआत हो गई है। इसी क्रम में जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में छह जुलाई से पढ़ाई शुरू हो सकती है। सबसे पहले 10वीं व 12वीं की कक्षाएं संचालित की जा सकती हैं।


प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने गुरुवार को वीडियो कॉफ्रेंसिंग में बताया कि छह जुलाई से बोर्ड परीक्षार्थियों की कक्षाएं शुरू करने के दो सप्ताह बाद कक्षा 9वीं व 11वीं की कक्षाएं शुरू होंगी। उसके दो और सप्ताह के बाद कक्षा छह, सात और आठ की पढ़ाई शुरू होगी। अंत में और दो सप्ताह के बाद यानी अगस्त में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई स्कूल में शुरू करने की तैयारी की जा रही है। स्थिति को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बच्चों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक करते हुए स्वच्छता और सफाई से रहने को प्रेरित किया जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों में एक महिला व एक पुरुष शिक्षक को करियर काउंसलर के तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। राजकीय पुस्तकालय के साथ ही स्कूलों के पुस्तकालयों में भी प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किताबें रखी जाएं।


समय और प्रकृति 'विश्लेषण'

आसिया फारूकी


हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और पूरी दुनिया में संदेश दिया जाता है कि हमें हर हाल में पर्यावरण की रक्षा करना है। दुनिया में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1972 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी तब 119 देशों ने इसमें हिस्सा लिया था। उसके बाद से यह सिलसिला चला आ रहा है। हर वर्ष World Environment Day की थीम तय की जाती है और पूरी दुनिया में उसी आधार पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार की थीम है ‘समय और प्रकृति’।


पिछले छह महीने का समय मानव जीवन एवं प्रकृति के सह-सम्बंधों की पुनव्र्याख्या का काल कहा जा सकता है। कोरोना के विषाक्त संजाल में उलझी दुनिया अपनी करनी का फल भुगतने का विवश है। प्रकृति को जीत लेने का दावा और दम्भ पालने वाला विज्ञानमय आधुनिक मानव घुटनों पर बैठा इस संकट से मुक्ति की केवल प्रार्थना ही कर पा रहा है। प्रकृति पर नियंत्रण करने के उसके मंसूबे पर प्रकृति ने ही पानी फेर दिया है। इस कोरोना संकट ने सम्पूर्ण विश्व के सम्मुख कुछ सवाल भी प्रस्तुत किये हैं कि क्या मानव प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के पावन भाव के साथ आगे बढ़ते हुए़ आगामी पीढ़ी के हाथों में मानव जाति के जीने लायक खूबसूरत धरती सौंपना चाहता है या अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों एवं ज्ञान के अकड़ में ऐंठा विनाश की राह पर बढ़ना चाहता है। हालांकि, एक अति सूक्ष्म अदृश्य वायरस ने मानव को पराजित तो कर ही दिया है। यह सुखद है कि आज विश्व एक स्वर से सहमत होकर प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए योजनाबद्ध प्रयासरत है। प्रकृति का संरक्षण करना अल्प समय का काम नहीं हैं। यह भावना का विषय है, प्रेम के वितान पर लिखी आत्मीयता की नवल गाथा है। और यह सम्भव होता है व्यक्ति के बचपन से, जहां वह अपने परिवेश में खेलते-कूदते प्रकृति को जीने लगता है, उसमें एकाकार हो घुलमिल जाता है।
पर्यावरण हमारे आस-पास पाये जाने वाली परिस्थितियां परिवेश है जो जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। ये दो घटकों से मिलकर बना है। जैविक घटक जैसे पेड़-पौधे, जानवर और अजैविक घटक जैसे पहाड़, नदियां, सभी निर्जीव वस्तुएं। आज मनुष्य की स्वार्थी गतिवधियों के करण हमारा परिवेश प्रभावित हो रहा है। मनुष्य ने अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रकृति का अंधाधुंध शोषण किया है। जंगल काट डाले, पहाड़ों को धरती का सीना चीर कर सैकड़ों फीट नीचे तक खोद डाला। पृथ्वी के संतुलन को साधने वाले जैवमंडल को तहस नहस किया। जीव-जंतुओं की तमाम प्रजातियां नष्ट कर दी। हम भूल गये कि यह धरती केवल मानव के लिए नहीं अपितु सभी चराचर के जीवन यापन लिए है। इसे सुंदर स्वस्थ बनाये रखने में सभी की अपनी एक निश्चित भूमिका होती है जो बिना कुछ कहे, बिना अपने श्रम का मूल्य लिए धरती को सुदर बनाये रखने के अपने काम में दिनरात जुटे रहते हैं। एक चींटी, तितली, मेंढक, केंचुवा, चिड़िया, मधुमक्खी का उतना ही महत्व है जितना कि एक हाथी, सिंह, मकर, गिद्ध और सियार का। वसुंधरा के उत्तम स्वास्थ्य के लिए पेड़, नदी, ताल, घाटी, मरुथल, पहाड़, सागर आदि सबका स्वस्थ रहना आवश्यक है।
यदि हम पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को जारी रखना चाहते हैं तो प्रकृति का संतुलन सुनिश्चित करना होगा। आज हमारा संतुलन बिगड़ रहा है। हवा जो हम सांस लेते है, पानी जो हम इस्तेमाल करते हैं। पौधे जानवर और अन्य जीवित चीजें सब पर्यावरण के तहत आती हैं। आज हमारा पर्यावरण क्यों बिगड़ रहा है ? हमने अपने जीवन के साथ-साथ ही ग्रहों पर भी भविष्य में जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। आज पर्यावरण विनाश एवं विश्व्यापी समस्या बन चुकी है। मनुष्य विज्ञान और विकास के नाम पर प्रकृति का लगातार विनाश करता जा रहा है। वनों की कटाई, उधोग धंधो की भरमार, व्यापार आदि। बिना पर्यावरण शिक्षा के पर्यावरण संरक्षण की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पर्यावरण साफ सुथरा रहेगा तो लोगों का जीवन भी स्वस्थ रहेगा। हमें सुंदर एवं स्वस्थ जीवन जीने के लिये पृथ्वी को नष्ट होने से बचाना बहुत आवश्यक है। जब तक लोगों में इसके प्रति स्वभाविक लगाव पैदा नहीं होता पर्यावरण संरक्षण एक सपना ही रहेगा। और यह तभी संभव है जब स्कूली शिक्षा में ही हम बच्चों को पर्यावरण शिक्षा के प्रति गंभीरता से जोड़ें। पाठ्यक्रम बना भर देने से काम न चलेगा, उन पाठों को हमें जीवन में उतारकर बच्चों के सम्मुख उदाहरण रखना होगा।
अगर हम पर्यावरण के लिये ज्यादा कुछ करने की सोचते हैं मगर कर नहीं पाते। तो बस कुछ बातें हैं यदि वहीं करें तो बहुत होगा। जैसे अनावश्यक विद्युत उपकरण बन्द करें, कूड़े का उचित निपटान करने के लिए छंटाई के बाद ही गड्ढों में भर निस्तारण किया जाये। कारखानों से निकलने वाले दूषित जल का शोधन करके ही नदी नालों में छोड़ा जाये। फ्रिज का दरवाजा देर तक न खुला छोड़ें, आवश्यकतानुसार ही पानी का प्रयोग करें’र्, इंधन बचाने के लिये अपने वाहनों के टायरों में हवा का दबाव उचित रखे, बाजार जाने पर घर से कपड़े का बैग लेकर चलें, पूरे घर के बल्ब हटाकर सीएफएल लगायें, वर्षा का जल संरक्षित कर प्रयोग करें, कचरा ठीक नियत जगह पर फेंकें, घर-पड़ोस में गमलों में पौधे लगाये एवं खाली जगहों पर वृक्षारोपण कर धरती की हरीतिमा बढ़ाने में योगदान दें। पुरानी टूटी चीजों को कूड़े के रूप में घर से बाहर फेंकने से बेहतर उनकी मरमत करा कर पुनः प्रयोग करना मुनासिब होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात इन सभी बातों का अपने जीवन में दैनंदिन कार्य-व्यवहार में पालन करते हुए अन्य लोगों को भी जागरूक करें। अपने परितंत्र को रखें सुरक्षित, सबको ये समझना है। तभी तो कहते हैं कि ‘‘पर्यावरण साफ हो अपना स्वच्छ बने सारे पुर ग्राम। हरे-भरे परिवेश में होते, सभी सुख सुविधा आराम’’। कोराना संकट ऐसी सभी बातों के लिए एक अवसर के रूप में भी है। आईए, सब मिलकर बढ़ें और प्रकृति को सहेज-संभाल कर हरीभरी सुंदर धरती नई पीढ़ी को सौंपें ताकि वे हम पर गर्व कर प्रकृति संरक्षण की साधना-आराधना कर सकें।


बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण और संकेत

डिप्रेशन सिर्फ वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी प्रभावित करता है। बच्चे के दुखी रहने का ये मतलब नहीं है कि वो डिप्रेशन में लेकिन अगर बच्चा लगातार या बार-बार उदास रहता है या उसे लोगों से बात करने, स्कूल को काम करने या परिवार के लोगों से बात करने में हिचक महसूस हो रही है तो ये डिप्रेशन हो सकता है।
डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है लेकिन साथ ही इलाज भी उपलब्ध है। अगर आपको भी अभी तक लगता था कि बच्चों में डिप्रेशन नहीं हो सकता है जरा यहां बताई गई बातों पर गौर जरूर करें।
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण एवं संकेत
*चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना, लगातार दुखी या निराशा महसूस होना
*लोगों से बात करना बंद कर देना
*रिजेक्ट होने का डर रहना, भूख कम या ज्यादा लगना
*ज्यादा या कम नींद आना
*रोने का मन करना, ध्यान लगाने में दिक्कत होना
*थकान और एनर्जी कम महसूस होना
*पेट दर्द या सिरदर्द रहना
*कुछ भी काम करने का मन न करना
*मन में एक अपराधबोध महसूस होना
*सुसाइड करने या मरने के विचार आना
बच्चों में डिप्रेशन क्यों होता है
कई बच्चों को स्कूल में दूसरे बच्चों द्वारा बहुत ज्यादा तंग किए जाने पर डिप्रेशन हो सकता है। स्कूल में बच्चे को बुली किए जाने पर उसके आत्म-सम्मान में कमी आती है और लगातार स्ट्रेस में रहने की वजह से वो डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच जाता है। वहीं बार-बार पड़ रहे किसी दबाव के कारण भी बच्चा इस स्थिति में पहुंच सकता है। अब ये प्रेशर पढ़ाई का भी हो सकता है और किसी अन्य चीज का भी।
परिवार में डिप्रेशन की हिस्ट्री
जिन बच्चों के परिवार में किसी सदस्य को डिप्रेशन हुआ हो, उनमें बाकी बच्चों की तुलना में डिप्रेशन में जाने का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन बच्चों की अवसाद की फैमिली हिस्ट्री न हो, उन्हें कभी डिप्रेशन हो ही नहीं सकता है। अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे में अवसाद का खतरा है तो जरा करीब से उसके काम, भावनाओं और व्यवहार पर ध्यान दें।
जीवनशैली में बदलाव
वयस्कों की तरह बच्चे इतनी जल्दी बदलावों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। नए घर या स्कूल में जाना, पैरेंट्स का तलाक देखना या भाई-बहन या दादा-दादी का बिछडऩा, ये सभी चीजें बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर डालती हैं। अगर आपको लग रहा है कि इन चीजों की वजह से आपका बच्चा प्रभावित हो रहा है तो जितना जल्दी हो सके, उससे इस बारे में बात करें। यदि किसी हादसे के बाद बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिख रहा है तो आपको तुरंत डिप्रेशन की पहचान कर उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए।
केमिकल असंतुलन
कुछ बच्चों में शरीर के अंदर रसायनों के असंतुलन के कारण अवसाद हो जाता है। हार्मोनल बदलाव और विकास होने के कारण ये असंतुलन हो सकता है लेकिन ऐसा अपर्याप्त पोषण या शारीरक गतिविधियां कम करने की वजह से भी हो सकता है। बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए नियमित चेकअप करवाते रहें।


अब एक्शन आइकन बनेगी 'जैकलिन'

मुंबई। बॉलीवुड में जैकलीन फर्नांडीज को 11 साल हो गए हैं। अभिनेत्री ने 2009 में अलादीन के साथ बॉलीवुड में कदम रखा था। वो कहती हैं कि अब तक निभाई हर भूमिका से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और उन्हें उम्मीद है कि एक दिन वो एक्शन आइकन बनेंगी। इन वर्षों में जैकलीन ने किक, मर्डर 2, ढिशुम, जुड़वा 2 और रेस 3 जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। वह खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्हें फिल्म उद्योग में कुछ बेहतरीन काम करने का मौका मिला।


जैकलीन ने बताया, मेरे अब तक के करियर में मुझे इंडस्ट्री के जाने-माने लोगों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है – चाहे वह निर्देशक हों या अभिनेता। इसके अलावा मुझे कुछ अलग, रोमांचक और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं करने का अवसर भी मिल चुका है। मैंने अब तक की हर भूमिका और फिल्म के साथ बहुत कुछ सीखा है, जिसने मुझे एक कलाकार और एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद की है।


उन्होंने आगे कहा, मुझे अच्छा काम करने की उम्मीद है और हर प्रोजेक्ट के साथ मैं अलग-अलग चीजें सीखना और अनुभव लेना चाहती हूं। पिछले कुछ सालों में जैकलीन ने थ्रिलर, एक्शन, ड्रामा और कॉमेडी जैसी अलग-अलग शैलियों की फिल्मों में अभिनय किया है, लेकिन वह एक एक्शन स्टार बनने की ख्वाहिश रखती हैं।
जैकलीन ने कहा, मुझे खुशी है कि मैंने कई शैलियों के साथ प्रयोग किया और उतने ही उत्साह से आगे भी कई और शैलियों की फिल्मों में अपने हाथ आजमाने के लिए तैयार हूं। निश्चित रूप से मैं एक्शन का भरपूर आनंद लेती हूं और एक दिन एक्शन आइकन बनने की उम्मीद करती हूं।
जैकलिन ने हाल ही में वेब श्रृंखला मिसेज सीरियल किलर में अपना डिजिटल डेब्यू किया और डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर एक ऑनलाइन नृत्य प्रतियोगिता – होम डांसर का शुभारंभ किया है।


हथिनी ने 14 दिन से नहीं खाया था अन्न

हथिनी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा, 14 दिन से नहीं खाया था अन्न का एक भी दाना

केरल। मानवीय क्रूरता का शिकार हुई एक गर्भवती हथिनी के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। पटाखे से भरा अनानास खाने के बाद हथिनी के निचले जबड़े में विस्फोट हो गया जिसके बाद उसकी तड़प तड़प कर मौत हो गई। 15 वर्ष की हथिनी की अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। 

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार हथिनी ने 14 दिनों भोजन और पानी नहीं लिया था। खाने की तलाश में ही उसने गांव के कई चक्कर लगाए थे। हथिनी कुछ खा पाने में असमर्थ थी क्योंकि उसने अनानास में भरे पटाखे चबा लिए थे और पटाखे उसके मुंह में ही फट गया था। डूबने के कारण उसके शरीर के अंदर काफी पानी चला गया था, जिसके कारण फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था।  वह अपना मुंह पानी में डाले खड़ी थी। उसके अंदर यह भावना आ गई थी कि वह अब मरने वाली है और वह खड़े होकर जलसमाधि में चली गई थी।

मास्क लगाने से निकलते हैं मुंहासे

कोरोनावायरस से बचने के लिए फेस मास्क लगाना हर किसी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। आज आप जहां भी नजर घुमाएंगे लोग मास्क और ग्लव्स पहने हुए ही नजर आएंगे। दिनभर मास्क लगाए रखने के कारण कई लोगों को एक्ने, मुंहासे और रैशेज की समस्या पैदा होने लग गई है। मास्क टाइट होने की वजह से कई लोगों को सांस लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
हम सभी जानते हैं कि मास्क हमारी सेफ्टी के लिए बनाए गए हैं। मगर त्वचा अगर ढंग से सांस न ले पाए तो आपको उसके लिए आपको कुछ जरूरी कदम भी उठाने होंगे। मास्क पहनने के दौरान जाने-अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो हमारी स्किन के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो रही हैं। यहां जानें अगर मास्क के कारण आपका चेहरा पिंपल्स और एक्ने से भर गया है तो क्या करें…
मास्क लगाने से क्यों निकलते हैं एक्ने
मास्क आपकी त्वचा में नमी, पसीना, तेल और गंदगी को फंसा देता है। जिसके परिणामस्वरूप चेहरे पर लाल रंग के धब्बे, एक्ने, मुंहासे, सूजन, रैशेज आदि के साथ ही रक्त वाहिकाओं पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। इन परेशानियों से बचने के लिए, आपको अपनी त्वचा की देखभाल करनी होगी। साथ ही आप किस तरह का मास्क पहन रही हैं, उस पर ध्यान देना होगा।
मुंहासों से बचने के लिए करें ये काम
बहुत सी महिलाएं मेकअप की आदी होती हैं, लेकिन मास्क के अदंर मेकअप लगाने का कोई तुक नहीं बनता। मेकअप लगाने से चेहरे में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन रुक जाता है। हमारी स्किन ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाती है, जिससे मुंहासों के साथ इंफेक्शन होने का भी डर रहता है।
लगाएं लाइटवेट सनस्क्रीन और क्रीम
सूरज की तेज धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है। लेकिन कोशिश करें आपकी सनस्क्रीन वॉटर बेस्ड हो, जो पसीने और ऑयल को कंट्रोल कर सके।
लगाएं हल्का मॉइस्चराइजर
अपनी स्किन पर क्रीम आदि लगाने से बचें, क्योंकि गर्मी के कारण आपकी स्किन ऑयली हो सकती है। क्रीम की जगह पर स्किन पर एक लाइट वेट मॉइस्चराइजर लगाएं। त्वचा विशेषज्ञ के अनुसार, चेहरे पर एंटी-इंफ्लेमेटरी युक्त मॉइस्चराइजर लगाया जाना चाहिए जिसमें नियासिनमाइड जैसे तत्व शामिल हों। यह चेहरे पर तेल नहीं आने देते और स्किन की नमी को सील करते हैं।
मास्क हटाने के बाद लगाएं ये चीज
मास्क उतारने के बाद अपने चेहरे को अच्छी तरह से फेस वॉश से धोएं। वहीं, अगर मास्क पहनने से आपकी स्किन पर मुंहासे या रैशेज हो गए हैं, तो मास्क को उतारने के बाद स्किन पर पेट्रोलियम जेली लगाएं।
मास्क को धोना न भूलें
खुद को वायरस और अपनी स्किन को मुंहासों से बचाने के लिए अपना पहना हुआ मास्क दिन में एक बार जरूर धोएं। इससे उसमें जमा हुआ पसीना और गंदगी निकल जाएगी। अगर आप एक ही मास्क रोज पहनेंगी तो आपकी स्किन पर मुंहासे और एक्ने की समस्या बढ़ सकती है। आप इसे घर पर ही एक सौम्य डिटर्जेंट के उपयोग से धो सकती ।


दिल्ली मेट्रो के 20 कर्मचारी संक्रमित

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। देशव्यापी अनलॉक के पहले चरण का आज पांचवां दिन है। जहां लगभग साठ से ज्यादा दिनों के लॉकडाउन के बाद कोरोना के संक्रमण की गति धीमी होनी चाहिए थी, वहीं अब दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। सिर्फ दिल्ली में ही संक्रमितों की संख्या 25 हजार के पार चली गई है। वहीं गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद का भी हाल कुछ ठीक नहीं है। इसी बीच अब दिल्ली-एनसीआर और पूरे देश में पूजा स्थलों को खोलने की तैयारी हो रही है। दिल्ली बॉर्डर आज भी सील हैं जिसके चलते लोगों को दिल्ली-एनसीआर के बीच यात्रा करने में परेशानी हो रही है।


दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के 20 कर्मचारी संक्रमित


दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के 20 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव  पाए गए हैं। इनमें से किसी में भी कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं है। बताया जा रहा है कि इन सभी का इलाज चल रहा है और ये ठीक हो रहे हैं। एम्स में भर्ती एक मरीज ने की खुदकुशी एम्स में देर रात 25 वर्षीय एक युवक ने खुदकुशी कर ली। युवक हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट में एडमिट था और बिहार के गोपालगंज का रहने वाला था। युवक को ऑटो इम्यून बीमारी थी, कोरोना था या नहीं ये अभी पता नहीं चल सका है।


फरीदाबादः रेलवे स्टेशन पर टिकट बुक कराने के लिए एक-दूसरे से चिपक कर खड़े लोग
ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र पर यात्री एक-दूसरे से चिपक कर टिकट बुकिंग करवाने के लिए खड़े हैं। इस दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इस दौरान यहां कोई सुरक्षाकर्मी भी मौजूद नहीं है।


दिल्ली की सीमाओं पर आज भी लगा चेकिंग के चलते जाम
दिल्ली से सटी नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद की सीमाओं पर आज भी चेकिंग के चलते जाम लगा है। सीमा पर लोगों के पास या पहचान पत्र देखकर ही आवागमन की अनुमति दी जा रही है, अन्यथा उन्हें लौटा दिया जा रहा है।


कालकाजी मंदिर में शुरू हुई साफ-सफाई, 8 जून से खुलेंगे धार्मिक स्थल
पूरे देश में आठ जून से धार्मिकस्थलों को खोल दिया जाएगा, जिसकी तैयारी हर जगह शुरू हो गई है। ऐसा ही कुछ दिल्ली के कालकाजी मंदिर में भी हो रहा है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि हम सरकार की सभी गाइडलाइन का पालन करेंगे, हम प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजेशन टनल भी लगा रहे हैं। भक्तों को मास्क लगाना जरूरी होगा और कोई प्रसाद नहीं चढ़ा सकता।


एक परिवार के 5 लोगों की 'आत्महत्या'

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में दिल-दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक ही परिवार के 5 लोगों के सुसाइड से हड़कंप मच गया है। पता चला है कि सुसाइड करने वालों में मां-बाप और उनके तीन बच्चे शामिल हैं। बच्चों में दो बेटियां और एक बेटा है। शुरुआती पूछताछ में परिवार के आर्थिक तंगी के चलते सुसाइड करने की बात सामने आ रही है। कोतवाली क्षेत्र के सफेदाबाद की ये घटना है। मौके पर पुलिस-प्रशासन जांच-पड़ताल में जुटा है।


नगर कोतवाली क्षेत्र के सफेदाबाद में ये घर है। यहां रहने वाले विवेक शुक्ला, उनकी पत्नी अनामिका, दो बेटियां पोयम शुक्ला (10 वर्ष), ऋतु शुक्ला (7 वर्ष) और बेटा बबल शुक्ला 5 वर्ष मृत पाए गए। आस-पड़ोस वालों के अनुसार परिवारवालों को दो दिन से किसी ने नहीं देखा था। शुरुआती जांच में पुलिस को ऐसा लग रहा है कि बच्चों की हत्या करने के बाद पिता ने आत्महत्या की है। वहीं मामले में एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें विवेक शुक्ला ने लिखा है कि आर्थिक तंगी के चलते वह यह कदम उठा रहा है। वह अपने परिवार को कोई सुख नही दे पाया।


उधारी की बात आई सामने


पता चला है कि शादी के बाद से ही विवेक अपने माता-पिता से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। पहले वह मोबाइल का काम करता था, इसके बाद उसने कुछ और काम किए लेकिन सफल नहीं हो सका। इस दौरान उस पर उधारी काफी हो गई थी. दो दिन से परिवार घर से बाहर निकला था, वहीं एसी लगातार चल रहा था। आज सुबह जब विवेक की मां ने छत से कमरे के जंगले में झांककर देखा तो विवेक की फंदे से लटकी लाश दिखी। इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे को जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची। भाई विनोद ने बताया कि उनका विवेक से बातचीत नहीं थी। विवेक की शादी के बाद से ही उनका उससे कोई लेना-देना नहीं था। विनोद ने बताया कि सुनने में आया है कि विवेक किसी कर्ज आदि को लेकर परेशान था। पुख्ता तौर पर वह कुछ नहीं कह सकते।


पीएम मोदी ने योगी को दी 'शुभकामनाएं'

लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 49वां जन्मदिन है. वह उन्होंने 48 वर्ष पूरे कर लिए हैं। जन्मदिन के मौके पर सीएम योगी ने गोरक्षनाथ बाबा को याद करते हुए ट्वीट किया है। वहीं सीएम योगी को जन्मदिन की बधाईयां देने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई दी है।


पीएम मोदी ने ट्वीट किया है कि यूपी के मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके नेतृत्व में राज्य हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है। राज्य के लोगों के जीवन में बड़ा सुधार आया है। भगवान उन्हें लंबी और स्वस्थ जीवन दे।


उधर सीएम योगी ने ट्वीट कर गोरक्षनाथ बाबा को याद किया है।


उन्होंने लिखा है…


गगन मंडल मैं ऊंधा कूबा तहां अमृत का बासा।


सगुरा होइ सु भरि भरि पीवै निगुरा जाइ पियासा।


गोरखबानी


शिवावतारी गुरु श्री गोरक्षनाथ जी के चरणों में सादर प्रणाम.


नहीं मनाते जन्मदिन


बता दें सीएम योगी आदित्यनाथ कभी अपना जन्मदिन मनाते नहीं है। वह इस दिन भी अपनी दिनचर्या निभाते हैं। योगी होने के नाते भी वे इन सबसे दूर रहते हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश के सीएम होने के साथ ही योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं। आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं और इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है।


उत्तराखंड में जन्म हुआ


योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ। उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे। हाल ही में उनके पिता का देहांत हुआ है. उनकी माता का नाम श्रीमती सावित्री देवी है। अपनी माता-पिता की 7 संतानों में 3 बड़ी बहनों और एक बड़े भाई के बाद आदित्यनाथ पांचवें थे।


भीषण सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत

भोजपुर। उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ में शुक्रवार की सुबह हुए भीषण सड़क हादसे में हरियाणा से बिहार के भोजपुर लौट रहे नौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े पांच बजे की है जब नवाबगंज थाना क्षेत्र के वाजिदपुर में ट्रक और स्कॉर्पियो की सीधी भिड़ंत में स्कॉर्पियो के परखच्चे उड़ गए और उसमें सवार नौ लोगों की मौत हो गई।


सड़क हादसे में शामिल पांच पुरुष, तीन महिलाएं और एक बच्चे की मौत हो गई तो वहीं स्कॉर्पियो चालक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्कॉर्पियो को गैस कटर से काटकर गाड़ी में फंसे मृतकों के शवों को बाहर निकाला गया है। जानकारी के मुताबिक ये सभी स्कॉर्पियो से हरियाणा से बिहार जा रहे थे। 


जानकारी के मुताबिक ये सभी स्कॉर्पियो से हरियाणा के भिवाड़ी शहर से बिहार के भोजपुर जिला जा रहे थे। मृतकों में अभी तक दो शवों की पहचान हो पाई है। इसमें बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के गोसाईगंज के रहने वाले नंदलाल (45) व उनकी पत्नी मीना देवी (38) थे। यह दोनों अपनी बेटी की सगाई के लिए गांव जा रहे थे। इस घटना में दो घायलों को गंभीर स्थिति में लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। इनके गांव के बहुत से लोग भिवाड़ी शहर में काम करते हैं। पुलिस द्वारा सूचना मिलते ही भोजपुर जिले से घरवाले घटना स्थल के लिए रवाना हो गए हैं।


कहा जा रहा है कि प्रतापगढ़ के नबाबगंज के वाजिदपुर गांव के पास हाईवे पर भीषण बारिश के चलते कंटेनर ट्रक और स्कार्पियो कार में आमने-सामने टक्कर हो गई, जिससे ये हादसा हुआ है। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि स्‍कार्पियो पूरी तरह से ट्रक के अंदर घुसी और जाकर उसमें फंस गई और उसमें सवार नौ लोगों की स्कॉर्पियो में ही मौत हो गई।


एम्स अस्पताल करोना की जद में आया

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।अगर इस समय देश में कोरोना वायरस के मामलों की बात करें तो मामले दो लाख 26 हजार के पार हो गए हैं और 6 हजार 338 की एक एक बड़ी संख्या में संक्रमितों की मौत हो चुकी है।आपको बतादेंकि, देश का जो कोरोना ग्राफ बढ़ा है और बढ़ रहा है इसमे सबसे ज्यादा योगदान राजधानी दिल्ली और महाराष्ट्र का है क्योंकि यहीं से कोरोना के सबसे ज्यादा केसों का उत्पादन हो रहा है।बात करें अगर दिल्ली के कोरोना केसों की तो यहां अबतक 25 हजार के पार केस पहुँच गए हैं।


वहीं, सबसे खतरनाक खबर तो यह है कि देश का सबसे बड़ा हॉस्पिटल दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) कोरोना की जद में आ गया है।ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) कोरोना हॉटस्पॉट बन गया है।एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां 480 के करीब लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।जिनमें कर्मचारी और उनके संबंधी शामिल हैं।AIIMS में दो फैकल्टी मेंबर, 17 रेजीडेंट डॉक्टर, 38 नर्सिंग स्टाफ, 74 सिक्योरिटी स्टाफ, 75 हॉस्पिटल अटेंडेंट, 54 स्वच्छता स्टाफ, 14 लैब टेक्निशियन/ओटी स्टाफ, 13 डीईओ और 193 अन्य लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।मसलन, कोविड का संक्रमण एम्स स्टाफ के आयुर्विज्ञान नगर के रेजिडेंशल कैंपस तक पहुंच गया है।


एम्स में अब जांच के लिए लंबी लंबी लाइन लगनी शुरू हो गई है। औसतन हर रोज एक सौ से ज्यादा स्टाफ और उनके परिजन जांच के लिए पहुंच रहे हैं।


अबतक तीन की मौत भी…


अबतक एम्स में स्वच्छता हेड समेत तीन कर्मियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। बतादेंकि अस्पताल में काम की हालत में सुधार की मांग को लेकर AIIMS की नर्स यूनियन द्वारा प्रदर्शन भी किया जा चुका है।


एम्स ने बढाया परिक्षण…


एम्स ने अपना परीक्षण बढ़ा दिया है।एम्स ने अब वॉर्डों में प्रवेश से पहले और ओटी से पहले अधिकांश रोगियों का परीक्षण शुरू कर दिया है। एक नया रैपिड परीक्षण, जिसे सीबीएनएएटी कहा जाता है और जो दो घंटे में परिणाम देता है, अब एम्स में उपलब्ध है। इससे अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।इसकी सहायता से वार्ड में कई रोगियों में कोरोना का फटाफट पता लगाया गया है।


एम्स का कहना है कि परीक्षण के लिए नई मशीन आपातकालीन विभाग के लिए भी उपलब्ध है, ताकि आपातकालीन रोगियों का परीक्षण किया जा सके। एम्स ने कहा उसके पास अपने कर्मचारियों के लिए सारी व्यवस्थाएं हैं व उनकी देखभाल के संसाधन हैं।


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