शनिवार, 2 नवंबर 2019

खगोलीय धूल अथवा शिशु ग्रह

शिशुग्रह (planetesimal) उन ठोस वस्तुओं को कहते हैं जो किसी तारे के इर्द-गिर्द के आदिग्रह चक्र या मलबा चक्र में बन रही होती हैं।


उत्पत्ति और ग्रह-निर्माण में भूमिका 
हालांकि खगोलशास्त्रियों ने आजतक किसी शिशुग्रह को वास्तव में देखा नहीं है लेकिन ग्रह-निर्माण की प्रक्रिया के बारे में यह विचार है कि आरम्भ में किसी तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता हुआ खगोलीय धूल का चक्र होता है। फिर इस चक्र के कण एक-दूसरे से टकारते है और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण कभी-कभी एक-दूसरे से चिपक जाते हैं। धीरे-धीरे वस्तुएँ बनने लगती हैं (और प्रहारों से टूटती भी रहती हैं)। कुछ वस्तुएँ जब बड़ा आकार कर लेती हैं तो उनका गुरुत्वाकर्षण भी बढ़ जाता है और वे और तेज़ी से कणों को अपनी ओर खींच कर आकार बढ़ाने लगती हैं। इस स्तर पर उन्हें शिशुग्रह कहा जाता है क्योंकि इसके बाद इनमें जल्द ही अन्य वस्तुओं और मलबे को खींचकर ग्रह का आकार बना लेने की गुरुत्वाकर्षक क्षमता आ जाती है।


बढ़ते-बढ़ते कुछ समय में इनका आकार हमारे चंद्रमा जितना हो जाता है और भयंकर गुरुत्वाकर्षण की सिकुड़न से इसका रूप भी गोलाकार होने लगता है। फिर यह अपने तारे की परिक्रमा करते हुए अपने कक्षा (ओरबिट) में स्थित सभी वस्तुओं को अपने में विलीन कर लेती है और अपना मार्ग साफ़ कर लेती है। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के नियमों के तहत यह परिक्रमा कक्षा में स्थित वस्तुओं और मलबे को साफ़ कर लेने की प्रक्रिया ही ग्रह का दर्जा पा लेने की परिभाषा है।


ध्यान दें कि यह आवश्यक नहीं है कि सभी शिशुग्रह बढ़कर ग्रह बन सकें। अक्सर इनमें आपकी टक्कर होने से यह टूटकर छोटे भी हो जाते हैं। हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह ४ वेस्टा के साथ कुछ ऐसा ही हुआ लगता है। वेस्टा के दक्षिणी गोलार्ध (हॅमीस्फ़ेयर) में रियासिल्विया (Rheasilvia) नामक एक ५०५ किमी का गहरा प्रहार क्रेटर है और माना जाता है के क़रीब एक अरब साल पूर्व एक बड़ी वस्तु का वेस्टा के साथ भयंकर टकराव हुआ जो वेस्टा का एक बड़ा अंश उखाड़ गया और उसे ग्रह का आकार ग्रहण करने से रोक गया।


वायु प्रदूषण से मौत का संबंध

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल २-४ लाख लोगों की मौत का कारण सीधे सीधे वायु प्रदूषण है जबकि इनमे से १-५ लाख लोग आतंरिक वायु प्रदूषण से मारे जाते हैं (indoor air pollution)! बर्मिंघम विश्वविद्यालय (University of Birmingham) का एक अध्ययन दिखाता है कि निमोनिया (pneumonia) से होने वाली मौतें और मोटर गाड़ी से होने वाले वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में पक्का सम्बन्ध है। दुनिया भर में हर साल मोटर गाड़ी (automobile) से होने वाली मौतों की तुलना में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें अधिक है. २००५ में प्रकाशित यह बताता है कि हर साल ३१०,००० यूरोपियन वायु प्रदूषण से मर जाते हैं। वायु प्रदुषण के प्रत्यक्ष कारण से जुड़ी मौतों में शामिल है अस्थमा (asthma), ब्रोन्काइटिस (bronchitis), वातस्फीति (emphysema), फेफड़ों और हृदय रोग और सांस की एलर्जी.US EPA (US EPA) का आकलन है कि डीजल इंजन की तकनीक में (एक प्रस्तावित परिवर्तन) अमेरिका में हर साल १२,००० असमय मौतों, १५,००० असमय हदय आघात, अस्थमा से पीड़ित ६,००० (heart attack) बच्चों की असमय पीडा (emergency room), ८९०० श्वास रोग से पीड़ित लोगों को (asthma) दवाखाने में भरती होने से रोक सकता है।


भारत में सबसे भयंकर नागरिक प्रदूषण आपदा १९८४ में भोपाल आपदा थी (Bhopal Disaster)! संयुक्त राज्य अमरीका की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री कारखाने से रिसने वाली औद्योगिक वाष्प से २००० से अधिक लोग मारे गए और १५०,००० से ६००,००० दूसरे लोग घायल हो गए जिनमे से ६,००० लोग बाद में मारे गए। इंग्लैंड को अपना सबसे बुरा नुकसान जब हुआ तब ४ दिसम्बर १९५२ (Great Smog of 1952) को लन्दन में भारी धूम कोहरा की घटना हुई. छह दिन में ४००० से अधिक लोग मारे गए और बाद के महीनों के भीतर ८००० और लोगों की मृत्यु हो गई। १९७९ में पूर्व सोवियत संघ में स्वर्डर्लोव्स्क (anthrax) के पास एक (biological warfare) जैविक युद्ध कारखाने से अन्थ्राक्स (USSR) के रिसाव से यह (Sverdlovsk) माना जाता है को सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गयी! अमेरिका में वायु प्रदूषण की सबसे भीषण घटना डोनोरा, पेनसिल्वेनिया (Donora, Pennsylvania) में १९४८ के अक्टूबर के अन्तिम दिनों में हुई जिसमे २० लोग मरे गए और ७,००० लोग घायल हो गए!


वायु प्रदूषण से होने वाले स्वस्थ्य प्रभाव जैविक रसायन और शारीरिक परिवर्तन से लेकर श्वास में परेशानी, घरघराहट, खांसी और विद्यमान श्वास तथा हृदय की परेशानी हो सकती है। इन प्रभावों का परिणाम दवाओं के उपयोग में वृद्धि होती है, चिकित्सक के पास या आपातकालीन कक्ष में ज्यादा जाना, ज्यादा अस्पताल में भरती होना और असामयिक मृत्यु के रूप में आता है। वायु की ख़राब गुणवत्ता के प्रभाव दूरगामी है परन्तु यह सैद्धांतिक रूप से शरीर की श्वास प्रणाली और ह्रदय व्यवस्था को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण की व्यक्तिगत प्रतिक्रिया उस प्रदूषक पर, उसकी मात्रा पर, व्यक्ति के स्वास्थय की स्थिति और अनुवांशिकी पर निर्भर करती है जिससे वह व्यक्ति संपर्क में रहता है।बच्चों पर प्रभाव संपादित करें
दुनिया भर के अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में ऐसी संभावना है कि उनमें रहने वाले बच्चों में कम जन्म दर के अतिरिक्त अस्थमा (asthma), निमोनिया (pneumonia) और दूसरी श्वास सम्बन्धी परेशानियाँ विकसित हो सकती हैं। युवाओं के स्वास्थ्य के प्रति सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली, भारत (New Delhi, India) जैसे शहरों में बसें अब संपीडित प्राकृतिक गैस का उपयोग प्रारंभ किया गया है।[विश्व स्वास्थ्य संगठन]who] द्वारा किए गए अनुसंधान बताते हैं कि कम आर्थिक संसाधन वाले देशों में जहाँ सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बहुत ज्यादा है, बहुत ज्यादा गरीबी है और जनसंख्या की उच्च दर है। इन देशों के उदाहरण में शामिल हैं मिस्र, सूडान, मंगोलिया और इंडोनेशिया.स्वच्छ वायु अधिनियम (Clean Air Act) १९७० में पारित किया गया था, लेकिन २००२ में कम से कम १४६ मिलियन अमेरिकी ऐसे क्षेत्रों में रहते थे जो १९९७ के राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों में से एक "प्रदूषक मानदंड" को भी पूरा नहीं करते थे। उन प्रदूषकों में शामिल हैं, ओज़ोन, सूक्ष्म तत्व, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सीसा क्योंकि बच्चे ज्यादातर समय बाहर गुजारते हैं इसलिए वे वायु प्रदूषण के खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील है।


एशिया का मूल निवासी ऊंट

ऊँट कैमुलस जीनस के अंतर्गत आने वाला एक खुरधारी जीव है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते हैं। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में इक्कीस इक्कीस दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है। यह 7 दिन बिना पानी पिए रह सकता है! ऊँट शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर ऊँट परिवार के छह ऊँट जैसे प्राणियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, इनमे दो वास्तविक ऊँट और चार दक्षिण अमेरिकी ऊँट जैसे जीव है जो हैं लामा, अलपाका, गुआनाको और विकुना।


एक ऊँट की औसत जीवन प्रत्याशा चालीस से पचास वर्ष होती है। एक पूरी तरह से विकसित खड़े वयस्क ऊंट की ऊँचाई कंधे तक 1.85 मी और कूबड़ तक 2.15 मी होती है। कूबड़ शरीर से लगभग तीस इंच ऊपर तक बढ़ता है। ऊँट की अधिकतम भागने की गति 65 किमी/घंटा के आसपास होती है तथा लम्बी दूरी की यात्रा के दौरान यह अपनी गति 40 किमी/घंटा तक बनाए रख सकता है।


जीवाश्म साक्ष्यों से पता चलता है कि आधुनिक ऊँट के पूर्वजों का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ था जो बाद में एशिया में फैल गये। लगभग 2000 ई.पू. में पहले पहल मनुष्य ने ऊँटों को पालतू बनाया था। अरबी ऊँट और बैकट्रियन ऊँट दोनों का उपयोग अभी भी दूध, मांस और बोझा ढोने के लिये किया जाता है।


पपीहे की सुरीली ध्वनि

पपीहा एक पक्षी है जो दक्षिण एशिया में बहुतायत में पाया जाता है। यह दिखने में शिकरा की तरह होता है। इसके उड़ने और बैठने का तरीका भी बिल्कुल शिकरा जैसा होता है। इसीलिए अंग्रेज़ी में इसको (Common Hawk-Cuckoo) कहते हैं। यह अपना घोंसला नहीं बनाता है और दूसरे चिड़ियों के घोंसलों में अपने अण्डे देता है। प्रजनन काल में नर तीन स्वर की आवाज़ दोहराता रहता है जिसमें दूसरा स्वर सबसे लंबा और ज़्यादा तीव्र होता है। यह स्वर धीरे-धीरे तेज होते जाते हैं और एकदम बन्द हो जाते हैं और काफ़ी देर तक चलता रहता है; पूरे दिन, शाम को देर तक और सवेरे पौं फटने तक। पपीहा कीड़े खानेवाला एक पक्षी है जो बसंत और वर्षा में प्रायः आम के पेड़ों पर बैठकर बड़ी सुरीली ध्वनि में बोलता है।


देशभेद से यह पक्षी कई रंग, रूप और आकार का पाया जाता है। उत्तर भारत में इसका डील प्रायः श्यामा पक्षी के बराबर और रंग हलका काला या मटमैला होता है। दक्षिण भारत का पपीहा डील में इससे कुछ बड़ा और रंग में चित्रविचित्र होता है। अन्यान्य स्थानों में और भी कई प्रकार के पपीहे मिलते हैं, जो कदाचित् उत्तर और दक्षिण के पपीहे की संकर संतानें हैं। मादा का रंगरूप प्रायः सर्वत्र एक ही सा होता है। पपीहा पेड़ से नीचे प्रायः बहुत कम उतरता है और उसपर भी इस प्रकार छिपकर बैठा रहता है कि मनुष्य की दृष्टि कदाचित् ही उसपर पड़ती है। इसकी बोली बहुत ही रसमय होती है और उसमें कई स्वरों का समावेश होता है। किसी किसी के मत से इसकी बोली में कोयल की बोली से भी अधिक मिठास है। हिंदी कवियों ने मान रखा है कि वह अपनी बोली में 'पी कहाँ....? पी कहाँ....?' अर्थात् 'प्रियतम कहाँ हैं'? बोलता है। वास्तव में ध्यान देने से इसकी रागमय बोली से इस वाक्य के उच्चारण के समान ही ध्वनि निकलती जान पड़ती है। यह भी प्रवाद है कि यह केवल वर्षा की बूँद का ही जलपीता है, प्यास से मर जाने पर भी नदी, तालाब आदि के जल में चोंच नहीं डुबोता। जब आकाश में मेघ छा रहे हों, उस समय यह माना जाता है कि यह इस आशा से कि कदाचित् कोई बूँद मेरे मुँह में पड़ जाय, बराबर चोंच खोले उनकी ओर एक लगाए रहता है। बहुतों ने तो यहाँ तक मान रखा है कि यह केवल स्वाती नक्षत्र में होनेवाली वर्षा का ही जल पीता है और गदि यह नक्षत्र न बरसे तो साल भर प्यासा रह जाता है।


इसकी बोली कामोद्दीपक मानी गई है। इसके अटल नियम, मेघ पर अन्यय प्रेम और इसकी बोली की कामोद्दीपकता को लेकर संस्कृत और भाषा के कवियों ने कितनी ही अच्छी अच्छी उक्तियाँ की है। यद्यपि इसकी बोली चैत से भादों तक बराबर सुनाई पड़ती रहती है; परंतु कवियों ने इसका वर्णन केवल वर्षा के उद्दीपनों में ही किया है। वैद्यक में इसके मांस को मधुर कषाय, लघु, शीतल कफ, पित्त और रक्त का नाशक तथा अग्नि की वृद्धि करनेवाला लिखा है।


विटामिन ए से भरपूर बथुआ

बथुआ एक वनस्पति है जो भारत में रवि के फसलों के साथ के उगता है। इसका शाक बनाकर खाने के काम आता है।


औषधीय गुणों से भरपूर बथुआ:-बथुआ एक ऐसी सब्जी है जिसके गुणों से ज्यादातर लोग अपरिचित हैं। ये छोटा-सा दिखने वाला हराभरा पौधा काफी फायदेमंद है, सर्दियों में इसका सेवन कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। बथुए में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, बथुआ न सिर्फ पाचनशक्ति बढ़ाता बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है। गुजरात में इसे चील भी कहते है। बथुआ एक ऐसी सब्जी या साग है, जो गुणों की खान होने पर भी बिना किसी विशेष परिश्रम और देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है। एक डेढ़ फुट का यह हराभरा पौधा कितने ही गुणों से भरपूर है। बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते हैं, लेकिन वे इसके औषधीय गुणों से ज्यादा परिचित नहीं है, बता रहे हैं वैद्य हरिकृष्ण पाण्डेय 'हरीश' इसकी पत्तियों में सुगंधित तैल, पोटाश तथा अलवयुमिनॉयड पाये जाते हैं। दोष कर्म की दृष्टि से यह त्रिदोष (वात, पित, कफ) को शांत करने वाला है। आयुर्वेदिक विद्वानों ने बथुआ को भूख बढ़ाने वाला पित्तशामक मलमूत्र को साफ और शुद्ध करने वाला माना है। यह आंखों के लिए उपयोगी तथा पेट के कीड़ों का नाश करने वाला है। यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, भोजन में रुचि बढ़ाने वाला पेट की कब्ज मिटाने वाला और स्वर (गले) को मधुर बनाने वाला है। गुणों में हरे से ज्यादा लाल बथुआ अधिक उपयोगी होता है। इसके सेवन से वात, पित्त, कफ के प्रकोप का नाश होता है और बल-बुद्धि बढ़ती है। लाल बथुआ के सेवन से बूंद-बूंद पेशाब आने की तकलीफ में लाभ होता है। टीबी की खांसी में इसको बादाम के तेल में पकाकर खाने से लाभ होता है। नियमित कब्ज वालों को इसके पत्ते पानी में उबाल कर शक्कर (चीनी नहीं) मिला कर पीने से बहुत लाभ होता है। यही पानी गुर्दे तथा मसाने के लिए भी लाभकारी है। इस पानी से तिल्ली की सूजन में लाभ होता है। सूजन अधिक हो तो उबले पत्तों को पीसकर तिल्ली पर लेप लगाएं। लाल बथुआ हृदय को बल देने वाला, फोड़े-फुंसी, मिटाकर खून साफ करने में भी मददगार है। बथुआ लीवर के विकारों को मिटा कर पाचन शक्ति बढ़ाकर रक्त बढ़ाता है। शरीर की शिथिलता मिटाता है। लिवर के आसपास की जगह सख्त हो, उसके कारण पीलिया हो गया हो तो छह ग्राम बथुआ के बीज सवेरे शाम पानी से देने से लाभ होता है। बीजों को सिल पर पीस कर उबटन की तरह लगाने से शरीर का मैल साफ होता है, चेहरे के दाग धब्बे दूर होते हैं। तिल्ली की बीमारी और पित्त के प्रकोप में इसका साग खाना उपयोगी है। इसका रस जरा-सा नमक मिलाकर दो-दो चम्मच दिन में दो बार पिलाने से पेट के कीड़ों से छुटकारा मिलता है। पत्तों के रस में मिश्री मिला कर पिलाने से पेशाब खुल कर आता है। इसका साग खाने से बवासीर में लाभ होता है। पखाना खुलकर आता है। दर्द में आराम मिलता है। इसके काढ़े से रंगीन तथा रेशमी कपड़े धोने से दाग धब्बे छूट जाते हैं और रंग सुरक्षित रहते हैं। अरुचि, अर्जीण, भूख की कमी, कब्ज, लिवर की बीमारी पीलिया में इसका साग खाना बहुत लाभकारी है। सामान्य दुर्बलता बुखार के बाद की अरुचि और कमजोरी में इसका साग खाना हितकारी है। धातु दुर्बलता में भी बथुए का साग खाना लाभकारी है।


चिरपोटी अथवा परपोटनी

केप गुसबेरी (वानस्पतिक नाम : Physalis peruviana ; physalis = bladder) एक छोटा सा पौधा है। इसके फलों के ऊपर एक पतला सा आवरण होता है। कहीं-कहीं इसे 'मकोय' भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में इसे 'चिरपोटी'व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटपोटनी भी कहते हैं। इसके फलों को खाया जाता है। रसभरी औषधीय गुणो से परिपूर्ण है।


केप गुसबेरी का पौधा किसानो के लिये सिरदर्द माना जाता है। जब यह खर पतवार की तरह उगता है तो फसलों के लिये मुश्किल पैदा कर देता है।


औषधीय गुण:-केप गुसबेरी का फल और पंचांग (फल, फूल, पत्ती, तना, मूल) उदर रोगों (और मुख्यतः यकृत) के लिए लाभकारी है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है साथ ही भूख भी बढ़ती है। यह लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है। सूजन के ऊपर इसका पेस्ट लगाने से सूजन दूर होती है। रसभरी की पत्तियों में कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन-ए, विटामिन-सी पाये जाते हैं। इसके अलावा कैटोरिन नामक तत्त्व भी पाया जाता है जो ऐण्टी-आक्सीडैंट का काम करता है। बाबासीर में इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से लाभ होता है। संधिवात में पत्तियों का लेप तथा पत्तियों के रस का काढ़ा पीने से लाभ होता है। खांसी, हिचकी, श्वांस रोग में इसके फल का चूर्ण लाभकारी है। बाजार में अर्क-रसभरी मिलता है जो पेट के लिए उपयोगी है। सफेद दाग में पत्तियों का लेप लाभकारी है। अनुभूूत है यह डायबेटीज मे कारगर है। लीवर की सूजन कम करने में अत्यंत उपयोगी।


असुविधा में यज्ञ कैसे करें?

गतांक से...
मेरे प्यारे ब्रह्मचारी यज्ञदत्त ने कहा हे भगवान, यह वाक्य भी मैंने स्वीकार कर लिया है! परंतु मैं यह जानना चाहता हूं कि हे प्रभु यदि अग्नि भी ना हो और समिधा भी ना हो, तो यजमान यज्ञ कैसे करेगा? उन्होंने कहा यदि अग्नि भी नहीं है, साकलय भी नहीं है निर्माणशाला भी नहीं है! तो हे ब्राह्मणे प्राहा वर्तम, तुम यज्ञ करो तो जल से परोक्षण करो मानव जल से उसे आहूत करने वाले बने! अगने स्वाहा, प्रणाम स्वाहा अपनाय स्वाहा, वयानाय स्वाहा नाना प्रकार की आहुति हूत करता हुआ! अग्नि ब्रह्मा अग्नि रूद्र भागा:, वह अग्नि में हूत करता रहे, अग्नि ब्रह्म: अग्नि न सुताम न वृत्ति हो तो जल को परोक्षण करके जल को लेकर के वह प्राण को प्रवेश करता हुआ, वह हूत करता है! क्योंकि यह जो जल है यही तो अापोमयी कहलाता है! आपोमयी ज्योति कहलाता है, कि अग्नि में परिणित होता हुआ अपनी आभा में रत हो जाता है! विचार आता रहता है बेटा देखो जल का परोक्षण करना चाहिए! क्योंकि परमपिता परमात्मा ने जब इस सृष्टि का निर्माण किया तो उस समय पृथ्वी भी जल में मगन रहती थी! अतः वह जल को ले करके आपोमयी कह कर के अपने में पूर्ति करता रहता है! वह कहता है अग्नि स्वाहा, अग्नि ब्रह्मा: में जल से परोक्षण कर रहा है! जो जल आपोमयी ज्योति बन करके रहता है! मेरे प्यारे देखो जब यजमान अपनी यज्ञशाला में विद्यमान होता है, तो अपनी दिव्या से कहता है! हे दिव्या, तुम आओ आचमन करो, सबसे प्रथम व शरीर की कामना करता है! वह सत्य की कामना करता है! मानो श्रीमरिय: श्री सृकता की कामना कर रहा है! वे यजमान हूत करने से पूर्व आचमन करता है! उसका क्या अभिप्राय है मानव परमपिता परमात्मा ने सृष्टि में पृथ्वी के अंतर्गत जल परोक्षण रूप में परिणत किया है! यह जल्द ही माता के गर्भ स्थल में आंखों में ज्योति है! जल ही उस बालक का  औढना और जल ही उसका बिछोना बन करके और पास से बनकर के उसमें वह व्रत विद्यमान रहता है! अमृत को बनाता रहता है! देखो प्रभु कितना विचित्र विज्ञानवेता है वह अपने में हूत कर रहा है! वह कह रहा है आत्म है! यह आपोमयी हमारा औढना और विचौना  है, जिसमें आपोमयी ज्योति कि हम कल्पना करते रहे और विचार दे रहे है! देखो, प्रभा वह कीर्ति को प्राप्त करता हुआ अपने में महानता का दर्शन करता रहे! तो विचारवेता कहते हैं कि अगर ध्यान हो रहा है वही अग्नि प्रचंड होकर के जल के रूप में परिणत रहती है! वही आपोमयी ज्योति है! जिस आपोमयी में अपने को हूत कर रहा है! आहुति दे रहा है और कह रहा है! अगने स्वाहा, प्राणाया स्वाहा, अपनाय स्वाहा, वयानाय स्वाहा और उत्तम स्वाहा मेरे प्यारे पवमानाय की आहुति प्रदान करता रहता है! विचार आता रहता है मेरे पुत्रों की वह भव्य हो रहा है! यागा: रुद्रा: यागा: मया परब्रह्मा: यज्ञ:, मेरे प्यारे यग हो रहा है! ऋषि ने कहा है ब्रह्मचारी तुम जल संरक्षण कर सकते हो! जल से ही हूत कर सकते हो! क्योंकि जल प्राणों का रक्षक है यह जल ही संसार का प्राण बना हुआ है! हम उसी याग में हूत हो जाए!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


नवंबर 03, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-90 (साल-01)
2. रविवार, नवंबर 03, 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- सप्तमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:28,सूर्यास्त 05:48
5. न्‍यूनतम तापमान -18 डी.सै.,अधिकतम-24+ डी.सै., हवा की गति बढ़नेे की संभावना रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

10 वर्षीय युवक भालू की हत्या या मौत ?

पाली वन परिक्षेत्र के लाफा जंगल में मिला नर भालू का अक्षत-विक्षत शव,शिकार करने जंगल में खेले गए करंट प्रवाहित तार की चपेट में आने से मौत होने की ग्रामीण जता रहे आशंका


कोरबा(पाली)! कटघोरा वनमंडल के पाली वनपरिक्षेत्र अंतर्गत लाफा के आश्रित मोहल्ला औराभाठा के जंगल में बीते दिनों एक गड्ढे पर 10 वर्षीय नर भालू का छत-विछत अवस्था में शव पाया गया। जिससे तेज बदबू आ रही थी। शव 5 से 6 दिन पुराना प्रतीत हो रहा था। ग्रामीणों द्वारा मामले की सूचना से पाली वनपरिक्षेत्र को अवगत कराया गया! जहाँ मौके पर पहुँची वन-अमला की टीम ने मृत भालू का पोस्टमार्टम कराकर वहीँ दाह संस्कार कर दिया।भालू की मौत किन परिस्थितियों में हुई, विभाग कर्मी यह बता पाने में तो असमर्थ रहे! लेकिन ग्रामीणों के द्वारा जो जानकारी दी गई, उसके अनुसार बीहड़ वनांचल क्षेत्र वाले लाफा एवं इसके आसपास इलाके के समीप जंगल में जंगली सूअर का स्वछंद विचरण है। जहां सूअर का मांस खाने वाले शिकारी ग्रामीणों द्वारा जंगल के सूअर विचरण वाले क्षेत्र में करंट प्रवाहित खुला तार का जाल बिछाकर जंगली सूअर का अक्सर शिकार किया जाता है। संभवतः शिकारियों द्वारा सूअर फ़साने खेले गए करंट प्रवाहित तार की चपेट में ही आने से भालू के मौत का कारण ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है। जिसे शिकारी गड्ढे में फेंक चले गए होंगे।


ज्ञात हो कि घने वनों से आच्छादित पाली परिक्षेत्र के जंगलों में जंगली सूअर की तादाद बहुतायत है। विभागीय अनदेखी एवं निष्क्रियता के कारण जंगली सूअर का मांस भक्षण के शौक़ीन शिकारियों द्वारा इसका शिकार आम बात हो चला है।पूर्व में अनेको बार ग्रामीणों द्वारा शिकार किये जाने के संबंध पर सूचना दिए जाने के बाद भी पाली वनअमला कुम्भकर्ण की तर्ज पर रवैया अपनाया हुआ है।गत महीनो पूर्व ही पाली रेंज के पोड़ी (लबदापारा) में एक जंगली सूअर मृत अवस्था में मिला था।जिसके गर्दन में तीर लगने से हुए गहरे जख्म का निशान पाया गया था। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पे पहुँचे वनअमला टीम में शामिल रेंजर प्रहलाद यादव ने तब जंगली सूअर को पालतू बताकर आनन फानन में दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी करते हुए अपने कर्तव्यों की ईश्रीति कर ली थी।रेंजर प्रहलाद यादव का यह कोई नया कारनामा नही है वरन विभागीय कार्यों की आड़ में जंगल में होने वाले मंगल जैसे रेंजर प्रहलाद यादव के कारनामे कटघोरा वनमंडल में भी चर्चित है। फिलहाल अभी के मृत भालू वाले मामले में भी उचित जांच के बजाय लीपापोती की तैयारी चल रही है।


यातायात नियमों के प्रति नागरिक हो जागरूक

यातायात नियमों के प्रति नागरिकों को किया जा रहा जागरूक: एसएसपी


आज से यातायात माह की शुरूआत, ट्रैफिक पुलिस ने शहर में निकाली रैली



गाजियाबाद ! प्रत्येक वर्ष के माह नवम्बर को यातायात पुलिस द्वारा यातायात माह के रूप में मनाया जाता है। गाजियाबाद यायायात पुलिस भी आज से यातायात माह मनाने जा रही है। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने पुलिस लाइन स्थित आदेश कक्ष से इसका शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि यातायात माह में जतना को यातायात नियमों की जानकारी देकर जागरूक किया जाएगा ताकि जनता यातायात नियमों के प्रति सजग हों तथा उनका पालन कर सकें।उन्होंने यातायात जवानों की रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ट्रैफिक पुलिस की रैली पूरे शहर में भ्रमण करेगी और यातायात नियमों का प्रचार-प्रसार करेगी।शुभारंभ मौके पर एसपी ट्रैफिक श्याम नारायण सिंह, एसपी सिटी मनीष कुमार मिश्र, एसपी ग्रामीण नीरज कुमार जादौन, एएसपी केशव कुमार, सीओ यातायात महीपाल सिह, प्रतिसार निरीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह चौहान, प्रतिसार निरीक्षण परिवहन शाखा रमेशचंद समेत अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।


देवेंद्र पांच को लेंगे मुख्यमंत्री की शपथ

मुंबई! महाराष्ट्र में 5 नवंबर को देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं! सूत्रों का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह मुंबई के मशहूर वानखेड़े स्टेडियम में हो सकता है! 


सूत्रों का कहना है कि अगर शिवसेना (shiv sena) बीजेपी (bjp) के साथ सरकार गठन में साथ आई थी तो ठीक नहीं उसके बिना ही बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी! 
वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार गठन के लिए 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी शिवसेना (Shiv Sena) के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं! शुक्रवार को शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि अगर शिवसेना चाहे तो वह सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल जुटा लेगी! 


संजय राउत ने कहा, 'अगर शिवसेना ने चाहे तो वह राज्य में स्थिर सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल जुटा लेगी! जनता ने राज्य में 50-50 फॉर्मूले के आधार पर सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया है. उन्हें शिवसेना से सीएम चाहिए.'
इससे पहले गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे विधायक दल की बैठक में कहा था कि हम सत्ता के भूखे नहीं है लेकिन बीजेपी से जो बात हुई उसे उस बात का पालना करना चाहिए! मुख्यमंत्री का पद हमेशा किसी एक व्यक्ति के लिये कायम नहीं रहता. हमारी संख्याबल अच्छी है! मुख्यमंत्री पद हमारा हक है और ये हमारी जिद्द है!
उन्‍होंने कहा कि लोकसभा के समय 50-50 फॉर्मूला का जो तय हुआ, बीजेपी (BJP,) को वह नहीं मान्य है तो क्या बात करूं! नए सिरे से बात नहीं होगी जो तय हुआ है उसी से बात शुरू होगी! उन्होंने अपने विधायकों को कहा कि सत्ता के लिए आप कोई गलत कदम नही उठाओगे मुझे विश्वास है!


मुख्यमंत्री पद महाराष्ट्र के लिए आवश्यक

मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने दोटूक कहा है कि मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा। सूबे की जनता की भी यही इच्छा है। शिवसेना के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है। शिवसेना प्रवक्ता ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, मतगणना को 8 दिन बीत गए हैं और भाजपा अभी तक सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाई है। अगर भाजपा के पास बहुमत है तो उसे सरकार का गठन करना चाहिए।


राऊत ने कहा कि भाजपा की ओर से अभी तक किसी भी तरह का प्रस्ताव शिवसेना को नहीं मिला है। शिवसेना को सत्ता में बराबर यानी आधी भागीदारी चाहिए। इस बाबत भाजपा की ओर से अधिकृत प्रस्ताव नहीं आया है। राऊत ने कहा कि वह व्यापारी नहीं हैं कि सत्ता के लिए सौदेबाजी करें। राऊत ने साफ शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री पद शिवसेना को चाहिए।


उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सत्ता गठन की प्रक्रिया के तहत ही शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार से मिले थे। हालांकि संजय राऊत ने पत्रकारों को बताया था कि वह किसानों की समस्या को लेकर शरद पवार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिले। मगर सब जानते हैं कि शिवसेना राज्य में गैर भाजपा सरकार बनाने का प्रयास कर रही है।


राकांपा विधायक दल के नेता अजीत पवार ने कहा है कि शरद पवार व संजय राऊत के बीच हुई बातचीत की जानकारी उन्हें नहीं है। राकांपा विपक्ष में ही रहेगी। इसी तरह की प्रतिक्रिया पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने दी है। शिंदे ने कहा कि कांग्रेस विपक्ष में बैठने की भूमिका पहले ही स्पष्ठ कर चुकी है, उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।


केंद्रीय राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि भाजपा और शिवसेना ही मिलकर सरकार का गठन करेंगी। इसे लेकर दोनों दलों में चर्चा चल रही है और बहुत जल्द निर्णय किया जाएगा। राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि भाजपा व शिवसेना के नेताओं में चर्चा का दौर जारी है। जल्द राज्य में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया जाएगा।


गुरुवार को शिवसेना विधायक दल की बैठक में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पर नाराजगी व्यक्त की थी। ठाकरे ने कहा था कि वह सभी को अपना मित्र मानते हैं, लेकिन उन्हें झूठा कहा गया है। इसके बाद सभी शिवसेना विधायकों ने सरकार गठित करने के लिए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को अधिकृत कर दिया था। इसके बाद ही शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मिले थे।


जानकारी के अनुसार शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मतगणना के दिन कहा था कि सत्ता में फिफ्टी-फिफ्टी का समझौता अमित शाह ,मुख्यमंत्री और उनके बीच हुआ है और उसी समझौते के अनुसार ही राज्य में सरकार का गठन होगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दीपावली मिलन कार्यक्रम में पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में कहा था कि इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ है। इस बात से शिवसेना अध्यक्ष नाराज बताए जा रहे हैं।


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