मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

पंजाब कांग्रेस नेता द्वारा ठगी का मामला

पंजाब कांग्रेस अल्पसंखयक प्रकोष्ठ में नेता द्वारा ठगी का मामला ?
पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ गुमराह करने वाले फ़र्ज़ी नेता होशियार रहे - नरूला


एस. ज़ेड. मलिक


लूधियाना ! पंजाब कांग्रेस के लूधियाना में पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का एक व्यक्ति द्वारा अपने आपमो पंजाब अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का प्रभारी बता कर लोगों को कांग्रेस की सदस्यता एवं उच्च पद का लालसा दे कर ठगने का मामला सामने आया है , यह बातें पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के एडवाइज़री बोर्ड के इंचार्ज एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष इंटक इम्पलाईज के श्री कुंवर ओंकार सिंह नरूला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस के ही एक कार्यकर्ता पर आरोप लगाते हुए सभी कांग्रेसियों को आगाह करते हुये कहा कि
तथाकथित कांग्रेसी नेता जो कि अल्पसंख्यक विभाग में कुछ समय के लिए पंजाब में ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया था जो अपने आप को अब पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का प्रभारी बताते हुए दुष्प्रचार कर रहा है, जबकि पंजाब कांग्रेस की प्रभारी मैडम आशा कुमारी जी है और पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ जी है और पंजाब अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन जनाब दिलबर मोहम्मद खान है पर इनकी जानकारी के बिना यह विशेष करके आजकल पंजाब और लुधियाना में अल्पसंख्यक विभाग के कार्यकर्ताओं से बिना किसी बड़ी ज़िम्मेवारी के स्थानीय छुटभैये नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस के सक्रिय कार्यकरताओं को यह कह कर गुमराह कर रहा है, कि मैं आपको पंजाब में चेयरमैनशिप और बोर्ड में मेंबर की जगह दिलवाऊंगा, इसके एवज़ में उनसे मोटी रकम वसूल कर रहा है और गरीब कार्यकर्ताओं को आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान कर रहा है ।
श्री नरूला ने स्पष्ट करते हुये कहा कि उक्त तथाकथित नेता नफीस मलिक जो कभी ऑब्ज़रबर हुआ करता था अब वह अपने आप को सीनियर कांग्रेसी नेता मानता है, जबकि वह काम खुद छूट भैया नेताओं के साथ मिलकर कर रहा है और कांग्रेस पार्टी का भारी नुकसान कर रहा है। उन्होंने सभी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं तथा पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग को आगाह किया की ऐसे छूट भैया नेताओं से अपनी दूरी बनाए रखें व कांग्रेस पार्टी के हित के लिए काम करते रहे ना कि ऐसे गलत नेताओं के लिए।
श्री नरूला पंजाब कांग्रेस के सभी कार्यकरताओं से आग्रह किया कि मिशन फतेह 2019 के लिए एक जुट होकर काम करें ताकि आने वाले समय में माननीय श्री राहुल गांधी जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने में एक अहम भूमिका अदा की जा सके।universalexpress.page


क्रिकेट मसाला

 क्रिकेट मसाला


प्लेऑफ की उम्मीदों को जिंदा' रखने उतरेगा राजस्थान 


 जन्मदिन विशेष- रोहित शर्मा के ऐसे रिकॉर्ड जिन्हें तोड़ मुश्किल ही नहीं नामुमकिन 


फॉकनर ने दी सफाई, कहा- फोटो के गलत मायने निकाले, मैं नहीं हूं 'गे' 


धोनी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप से मांगा लेन-देन का ब्यौरा 


आयरलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ वनडे-टी-20 सीरीज के लिए इंग्लैंड टीम घोषित 


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कांग्रेस सरकार के दबाव में प्रशासन ने करवाया मतदान


कांग्रेस सरकार के दबाव में प्रशासन ने करवाया मतदान



भाजपा करेगी चुनाव आयोग से शिकायत।
देवनानी, भागीरथ, सारस्वत और रावत ने केकड़ी से भी जीत का दावा किया।
सबसे कम अजमेर में मतदान हुआ।

 अजमेर! अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी, देहात जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत और चुनाव संयोजक सुरेश सिंह रावत ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया। चारों भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि 29 अप्रैल को अजमेर जिला प्रशासन ने कांग्रेस सरकार के दबाव में मतदान करवाया है। इसलिए कई मतदान केन्द्रों पर गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं। विधायक देवनानी ने अपने उत्तर और सुरेश रावत ने अपने पुष्कर विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और यह साबित किया कि प्रशासन ने कांग्रेस सरकार के दबाव में काम किया है। देवनानी ने कहा कि अब वे चुनाव आयोग को अजमेर प्रशासन की शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार तो आती जाती रहती है। ऐसे में प्रशासन को निष्पाक्षता बरतनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों ने जब मतदान के दौरान चुनाव अधिकारियों को शिकायत की तो अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की। प्रशासन की लापरवाही की वजह से अनेक मतदाता मतदान से वंचित रह गए।
केकड़ी में जीत होगी:
भाजपा नेताओं ने दावा कि अजमेर संसदीय क्षेत्र के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भी भाजपा की जीत होगी। उन्होंने कहा कि अजमेर ही नहीं बल्कि 29 अपै्रल को हुए 13 संसदीय क्षेत्रों में भी भाजपा के उम्मीदवार जीत दर्ज करवाएंगे। देवनानी का दावा रहा कि 23 मई को परिणाम वाले दिन कांग्रेस सरकार में जोरदार उथल पुथल होगी, क्योंकि जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी चुनाव हार रहे हैं।
सबसे कम मतदान अजमेर में:
देहात जिला अध्यक्ष सारस्वत ने कहा कि 29 अप्रैल को जिन 13 संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ उनमें सबसे कम मतदान अजमेर में हुआ है। सभी संसदीय क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा, लेकिन अजमेर में गिर गया। वर्ष 2014 में अजमेर में 68.69 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार 67.14 प्रतिशत की मतदान हुआ। यानि 1.55 प्रतिशत मतदान कम रहा। इससे जाहिर होता है कि जिला प्रशासन ने मतदाता जागरुकता का जो अभियान चलाया वह पूरी तरह विफल रहा है। सारस्वत का कहना रहा कि मतदान केन्द्रों पर चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक सुविधाएं भी नहीं थी, जिनकी वजह से मतदान का प्रतिशत कम रहा। मतदान कर्मियों का व्यवहार भी मतदाताओं के प्रति अच्छा नहीं देखा गया। प्रशासन को जो इंतजाम करने चाहिए थी, वो नहीं किए गए।


एस.पी.मित्तलuniversalexpress.page


मोदी पर लगाया फाइल जलवाने का आरोप

 मोदी पर लगाया फाइलें जलवाने का आरोप


नई दिल्ली ! लोकसभा चुनाव के लिए चार चरणों का मतदान हो चुका है। इसी चुनावी हलचल के बीच राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। मंगलवार को राहुल ने शास्त्री भवन में आग लगने की खबर को शेयर करते आरोप लगाया कि वह आग मोदी के कहने पर लगाई गई है।


दरअसल, मंगलवार को दिल्ली स्थित शास्त्री भवन में आग लगने की खबर आई थी। बताया गया था कि आग बुझाने के लिए दमकल की 7 गाड़ियां मौके पर पहुंच चुकी हैं। आग से कितना नुकसान हुआ है इसकी जानकारी आने से पहले राहुल ने इसपर ट्वीट कर दिया। अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, 'मोदी जी, आग लगाकर फाइलों को जलाने से आप बच नहीं सकते। आपके फैसले का दिन नजदीक आ रहा है।'


बता दें कि आग दोपहर को 3 बजे के करीब लगी थी। फिर दो घंटे बाद जानकारी आई कि आग पर काबू पा लिया गया है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि राहुल गांधी यहां किन फाइलों का जिक्र करना चाहते हैं।universalexpress.page


आसाराम के बेटे नारायण को उम्र कैद की सजा

आसाराम के बेटे नारायण को उम्रकैद की सजा


गुजरात के सूरत में स्थित सेशंस अदालत ने मंगलवार को दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम के बेटे नारायण साईं को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बता दें कि अदालत ने शुक्रवार 26 अप्रैल को सूरत की रहने वाली दो बहनों के साथ दुष्कर्म के आरोप में नारायण साईं को दोषी करार दिया था। इस मामले में अदालत ने दोषी को सजा सुनाने के लिए आज का दिन तय किया था।


ये मामला करीब ग्यारह साल पुराना है। सूरत की रहने वाली दो बहनों ने उसके और उसके पिता के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। एक बहन ने साईं पर 2002 और 2005 के बीच सूरत के आश्रम में रहने पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। पीड़िता की बड़ी बहन ने अहमदाबाद में 1997 और 2006 में आश्रम में रहने के दौरान आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।


दोनों बहनों ने साईं और आसाराम के खिलाफ कथित शोषण की अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ दुष्कर्म, यौन शोषण और अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखना और अन्य अपराध के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने साईं के चार साथियों को भी गिरफ्तार किया था।


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हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका


इंदौर! इंदौर के एमआईजी थाने में एक कोर्ट कर्मचारी पंकज वैष्णव द्वारा लगाई गई फांसी मामले में आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण के आरोपी बनाए गए टीआई एमए सैयद की जमानत का आवेदन खारिज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए।


सोमवार को टीआई सैयद द्वारा हाई कोर्ट के निर्देश खुद कोर्ट में पेश हुए
मृतक पंकज की माँ फुलकुंवर बाई की ओर से एडवोकेट धर्मेंद्र गुर्जर व गगन बजाड़ ने जमानत पर आपत्ति ली। एडवोकेट गुर्जर ने बताया कि तर्को के आधार पर कोर्ट ने आरोपी टीआई का जमानत आवेदन खारिज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए।
बाइट -धर्मेंद्र गुर्जर अधिवक्ता


कोर्ट कर्मचारी पंकज वैष्णव द्वारा एमआईजी थाने में करीब सवा तीन साल पहले 20 दिसंबर 2015 को फांसी लगाने की घटना हुई थी। इस मामले में पुलिस द्वारा एम आई थाने के तत्कालीन टीआई सैयद व तीन पुलिसकर्मियों धारा 306 (आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करना) व अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर कुछ दिन पहले चालान कोर्ट में पेश किया गया था। वही न्याय मिलने के बाद मृतक की माता ने सभी को मिठाई खिलाई हलाकि उन्होंने कहाँ की अभी पूरी तरह से न्याय नहीं मिला है हलाकि सीआईडी जाँच से संतुष्ट नहीं है मृतक की माँ हाली में गाँधीनगत ठाने में हुई एक और आदमी की मौत पर कहाँ की वह की महिला टीआई ने उनपर केस वापिस लेने का दबाव बनाया है universalexpress.page
बाइट-फूलकुमारी मृतक की माँ


मोदी की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की

मोदी की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की


नई दिल्ली ! ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिकायत की है और उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है। टीएमसी के 40 विधायकों के सम्पर्क में होने का दावा करने वाले पीएम के बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। शिकायत में पीएम मोदी के पार्टी के विधायक तोड़ने वाले बयान पर टीएमसी ने चुनाव आयोग को संज्ञान लेने को कहा है।


कल प्रधानमंत्री मोदी ने हुगली जिले के श्रीरामपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि टीएमसी के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं। इसके बाद कल ही टीएमसी ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि पीएम मोदी हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री पर खरीद-फरोख्त करने के आरोप लगाते हुए कहा था कि वो चुनाव आयोग से इसे लेकर शिकायत करेंगे।


राष्ट्रीय राजधानी में तृणमूल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि मोदी के भाषण में ''आसन्न खरीद-फरोख्त'' के संकेत हैं और पार्टी ने ऐसे ''भड़काऊ और अलोकतांत्रिक'' बयानों के लिये चुनाव आयोग से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में तृणमूल ने प्रधानमंत्री के इस ''निराधार, अनुचित और अवैध'' चुनाव प्रचार एवं भाषण के खिलाफ ''सख्त कार्रवाई'' की मांग की।universalexpress.page


 


फानी के 3 मई तक तक से टकराने की संभावना

फानी के 3 मई तक तट से टकराने की सम्भावना


भुवनेश्वर! दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती तूफान फानी का प्रभाव चक्रवाती तूफान तितली से भी अधिक हो सकता है। इसे लेकर भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय मौसम विभाग की तरफ से मंगलवार को सूचना जारी की गई है।


मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक एच.आर.विश्वास ने कहा है कि चक्रवाती तूफान फानी आज सुबह सीवीयर साइक्लोन वेरी सिवियर साइक्लोन का रूप धारण कर चुका है। वर्तमान समय में यह मछिलीपटनम से 760 किमी. की दूरी पर है। इसके प्रभाव से ओडिशा में भारी बारिश होगी। उन्होंने कहा है कि तटीय ओडिशा के सभी जिलों में 2 मई से बारिश शुरू हो जाएगी। 3 एवं 4 मई को तटीय ओडिशा के सभी जिलों में बारिश होगी। बंदरगाहों में 2 नंबर खतरे का निशान लगा दिया गया है।


चक्रवाती तूफान फानी से निपटने के संदर्भ में विशेष राहत आयुक्त विष्णुपद सेठी ने कहा है कि आगामी 3 मई तक चक्रवाती तूफान फानी ओडिशा तट से टकरा सकता है। ऐसे में तटीय जिलों के जिलाधीशों को सतर्क रहने को कहा गया है। ओड्राफ, एनडीआरएफ तथा दमकल वाहिनी कर्मचारियों को पहले से ही वहां पर भेज दिया जाएगा। प्रभावित होने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानान्तरित किया जाएगा।universalexpress.page


 


शिक्षकों के वेतन का भुगतान न होने पर धरना

 शिक्षकों के वेतन का भुगतान ना होने पर धरना


बागपत। बागपत के समस्त वित्तीय अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलो मे कार्य रत शिक्षको व क्रमचारियो को मार्च माह का वेतन भुगतान कराने हेतु। भुगतान न होने पर छ म ई को धरना प्रदर्शन के सन्दर्भ मे!
मार्च माह के वेतन का भुगतान न होने पर जो शिक्षक संघ ओर उसके नेता लेखा कार्यालय व जिलाविधालय कार्यालय जनपद बागपत पर ताला लगाने का दम भर रहे थे ये तो अप्रैल माह के भी दो दिन शेष रह गए न मार्च के वेतन का भुगतान हुआ न लेखा व जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर ताले लगे। अब मै आप सभी को भरोसा दिलाता हूं की यदी मार्च व अप्रैल माह के वेतन का भुगतान पॉच म ई तक न हुआ तो छ म ई को जिला विधालय नीरिक्षक व लेखा अधिकारी बागपत कार्यालय पर धरना दूंगा। धरने को सफल बनाने मे संख्या बल का बडा महत्व होता है। इसलिए आप सभी से आव्हान की संघो की गुट बाजी से उपर उठ कर अपने इस न्याय संगत हक की लडाई मे मेरा होसला अफजाई करने हेतू बारह बजे सोमर छ म ई को जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर बडी संख्या मे पहुंचे धन्यवाद।


जितेन्द्र तोमर जिला प्रभारी उ प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ बागपत
 गोपीचंद सैनी, बागपत!


शिक्षकों के वेतन का भुगतान न होने पर धरना

 शिक्षकों के वेतन का भुगतान ना होने पर धरना


बागपत। बागपत के समस्त वित्तीय अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलो मे कार्य रत शिक्षको व क्रमचारियो को मार्च माह का वेतन भुगतान कराने हेतु। भुगतान न होने पर छ म ई को धरना प्रदर्शन के सन्दर्भ मे!
मार्च माह के वेतन का भुगतान न होने पर जो शिक्षक संघ ओर उसके नेता लेखा कार्यालय व जिलाविधालय कार्यालय जनपद बागपत पर ताला लगाने का दम भर रहे थे ये तो अप्रैल माह के भी दो दिन शेष रह गए न मार्च के वेतन का भुगतान हुआ न लेखा व जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर ताले लगे। अब मै आप सभी को भरोसा दिलाता हूं की यदी मार्च व अप्रैल माह के वेतन का भुगतान पॉच म ई तक न हुआ तो छ म ई को जिला विधालय नीरिक्षक व लेखा अधिकारी बागपत कार्यालय पर धरना दूंगा। धरने को सफल बनाने मे संख्या बल का बडा महत्व होता है। इसलिए आप सभी से आव्हान की संघो की गुट बाजी से उपर उठ कर अपने इस न्याय संगत हक की लडाई मे मेरा होसला अफजाई करने हेतू बारह बजे सोमर छ म ई को जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर बडी संख्या मे पहुंचे धन्यवाद।


जितेन्द्र तोमर जिला प्रभारी उ प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ बागपत
 गोपीचंद सैनी, बागपत!


1140 सरकारी स्कूल हो जाएंगे बंद?

1140 सरकारी स्कूल हो जाएंगे बंद?
बिहार में 1140 सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं और सरकार कभी भी इनके अस्तित्व को खत्म करने का निर्णय ले सकती है। यह सिर्फ 1140 स्कूलों का मामला नहीं है बल्कि भविष्य का भयावह संकेत है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं।


शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि किसी भी सरकारी प्राइमरी स्कूल में कम से कम 40 बच्चे नामांकित होने चाहिये। इनमें से बहुत सारे ऐसे स्कूल हैं जिनमें नामांकन शून्य हो चुका है और बाकी स्कूलों में भी 10-20 बच्चे बच गए हैं। तो, इन्हें बंद करना सरकार की संवैधानिक विवशता होगी।


बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि इनमें से अधिकतर स्कूल सघन आवासीय इलाकों में हैं किन्तु एक-एक कर इनमें नामांकित बच्चों का पलायन प्राइवेट स्कूलों में हो गया।
नतीजा, ये अब वीरान हैं। दिन ब दिन यह वीरानी अन्य सरकारी प्राइमरी स्कूलों में भी बढ़ती जा रही है।


यह होना ही था। सरकारी स्कूल एक-एक कर खत्म होते जा रहे हैं और उनकी कब्रों पर प्राइवेट स्कूलों की इमारतें बुलंद होती जा रही हैं।
धारणाएं बनती गई कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती और जिन अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है उन्हें प्राइवेट स्कूलों की शरण में जाना चाहिये। तो...जिन अभिभावकों के पास थोड़ा भी पैसा है, वे अपना पेट काट कर, अन्य जरूरतों को नजरअंदाज कर प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस भरने को विवश हुए।


यह संविधान की उस धारा का मजाक बन जाना है जिसमें कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य की है। संविधान अपनी जगह, यहां स्थिति यह है कि अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित अभिभावक अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा उनकी फीस, यूनिफार्म, किताबें आदि पर खर्च करने को विवश हैं। जाहिर है, छोटी आमदनी वाले लोगों के लिये यह और गरीब बन जाना है।


नामांकन के अभाव में सरकारी स्कूलों को बंद करने का सिलसिला राजस्थान से शुरु हुआ, जिसकी आग मध्य प्रदेश आदि राज्यों से होते हुए बिहार तक भी पहुंच चुकी है।

एक साजिश...जो 1990 के दशक में शुरू हुई थी, तीसरे दशक तक आते-आते निर्णायक रूप से सफल होती दिख रही है।


नवउदारवादी व्यवस्थाएं राज्य कोष से निर्धनों पर होने वाले कल्याण कारी व्यय में कटौती करने की हर संभव कोशिशें करती है। अब जब...सरकारी स्कूल एक-एक कर बंद होते जा रहे हैं तो इन पर होने वाले व्यय में भी कमी आती जाएगी। यही तो चाहती हैं व्यवस्थाएं।


कारपोरेट संचालित मीडिया की भी इसमें बड़ी भूमिका है जिसने सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अयोग्य ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हजारों शिक्षकों में से कुछेक की अयोग्यता का इतना ढिंढोरा पीटा जाता है कि पूरा शिक्षक समुदाय संदेह के घेरे में आता दिखने लगता है। पब्लिक परसेप्शन का अपना महत्व और प्रभाव है जो सरकारी शिक्षकों के खिलाफ गया।


हमने अभी तक टीवी में ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी है कि कोई रिपोर्टर किसी प्राइवेट स्कूल में जाकर वहां के शिक्षकों की योग्यता की जांच कर रहा हो, वहां की स्थितियों के खोखलेपन को उजागर कर रहा हो।


सरकारी स्कूलों का बंद होते जाना और उनकी कब्र पर निजी स्कूलों का पनपते जाना सभ्यता की कैसी पतन गाथा लिख रहा है, यह समझने की जरूरत है।


शिक्षकों के पद की मर्यादा में ह्रास इसका एक बड़ा साइड इफेक्ट होगा जो अधिकांश निजी स्कूलों में शोषण के शिकार हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की अपनी गरिमा है, अपने अधिकार हैं, उनकी नौकरी में स्थायित्व है, उन्हें सम्मानजनक वेतन मिलता है। जिन्हें सम्मानजनक वेतन नहीं मिलता वे अपनी लड़ाई लड़ने के लिये स्वतंत्र हैं और कोई भी सरकार इस लड़ाई के लिये उनको दंडित नहीं कर सकती।


लेकिन...निजी स्कूलों में? क्या उनके शिक्षक अपने कम वेतन या बहुआयामी शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं? अगले ही दिन बददिमाग मालिक, जो खुद को स्कूल का 'डायरेक्टर' बता अपना कारोबार चलाता है, आवाज उठाने वाले शिक्षक को बाहर का रास्ता दिखा देगा। शिक्षक के साथ हुए इस अन्याय की कहीं कोई सुनवाई नहीं होगी, न होती है।


तो...बहुत सारे युवा, जो पढ़-लिख कर शिक्षण के पेशे में आना चाहते हैं, अब अपने भविष्य को लेकर शंकित होंगे। सरकारी शिक्षकों के पद धीरे-धीरे घटते जाएंगे और उनकी जगह निजी स्कूलों में शिक्षकों के की मांग बढ़ती जाएगी।


परंतु, कितने प्रतिशत निजी स्कूल हैं जो अपने शिक्षकों को परिवार चलाने लायक वेतन देते हैं? अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों को बहुत कम वेतन मिलता है और सरकार की कोई नियामक एजेंसी इस शोषण की खोज-खबर नहीं लेती। 80 प्रतिशत निजी स्कूल तो ऐसे हैं जिनमें शिक्षक आते-जाते रहते हैं। उनकी नौकरी का कोई स्थायित्व नहीं।


सरकारी स्कूल बंद होते जाएंगे तो सरकारी शिक्षकों के पद खत्म होते जाएंगे। ये पद उन निजी स्कूलों में शिफ्ट होते जाएंगे जो शिक्षकों को न उचित वेतन देंगे, न सम्मान, न अधिकार। इस तरह, शिक्षण एक घटिया नौकरी में शुमार होगा।


जो समाज अपने शिक्षकों को शोषित होने को अभिशप्त छोड़ देगा वह सांस्कृतिक रूप से पतित होता जाएगा। कुछ तो कारण है कि अमेरिका, यूरोप, जापान, साउथ कोरिया आदि विकसित देशों में स्कूली शिक्षा सरकार के अंतर्गत ही है और वहां के शिक्षकों का वेतन अत्यंत सम्मानजनक है।


हम एक पतनोन्मुख संस्कृति हैं जो नवउदारवाद के नकारात्मक प्रभावों से अपनी स्कूली शिक्षा और अपने शिक्षकों को नहीं बचा पा रहे। जिन बच्चों को मुफ्त में पढ़ना था, जिन्हें मुफ्त में किताबें और यूनिफार्म मिलनी थीं, उन्हें हमने संस्था के प्रति संदेह से भर दिया और वे अब इसे छोड़ कर भाग रहे हैं। उनके गरीब अभिभावक उनकी ऊंची फीस, महंगी किताबें और यूनिफार्म की व्यवस्था में हलकान हो रहे हैं।


 


हरियाणा-दिल्ली में पहली रैली को संबोधित किया

हरियाणा-दिल्ली में पहली रैली को संबोधित किया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस पर अपना हमला तेज ...