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सोमवार, 21 अगस्त 2023

उल्टी आना, तेज पसीना आना हार्ट अटैक के लक्षण

उल्टी आना, तेज पसीना आना हार्ट अटैक के लक्षण 

सरस्वती उपाध्याय 
हार्ट अटैक जुकाम-बुखार जितना कॉमन नहीं हैं, इसलिए ज्यादातर लोग इसके लक्षण नहीं समझ पाते। दिल के दौरे के कुछ लक्षण एसिडिटी या गैस जैसे भी लगते हैं, इस वजह से लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं। हार्ट अटैक के Golden Hour यानी 1 घंटे के भीतर इलाज मिल जाए तो जीवन बच सकता है। इसलिए इन लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए जैसे सीने के बीच में दर्द होना, ब्लड प्रेशर बढ़ना, उल्टी आना और तेज पसीना निकलना। जी हां बाकी लक्षणों के साथ हद से ज्यादा पसीना आना भी हार्ट अटैक का अहम संकेत है। कार्डियोलॉजिस्ट आरती लाल चंदानी ने कुछ लक्षण बताए हैं जिनसे दिल के दौरे की पहचान की जा सकती है।
डॉक्टर चंदानी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के कई लक्षणों में पसीना भी एक है। जब इतना पसीना आए कि कपड़े भीग जाएं। आमतौर पर पसीना आना आम बात है क्योंकि भारत में ह्मयूमिडिटी और गर्मी होती है। हमेशा पसीना हार्ट अटैक का लक्षण नहीं।
हार्ट अटैक के पसीने से पहले सीने में दर्द होगा, उलझन होगी और सीने के बीच में दिक्कत या दवाब महसूस होगा। समझ में नहीं आएगा कि क्या हो रहा है। काफी तकलीफ होगी। यह दर्द या दवाब छोटे एरिया नहीं बल्कि बड़े एरिया में होगी। मुट्ठीभर के एरिया से ज्यादा जगह में दर्द होगा। यह पेन फैलेगा। नीचे की तरफ कम ज्याता है और ऊपर की तरफ फैलता है। आपको गले में घुटन, हाथों में भारीपन, कंधों पर वजन जैसा, या सीने पर कसने जैसा फील हो सकता है। आपको लग सकता है कि सांस नहीं आ रही। इसके साथ अगर तेज पसीना है तो यह हार्ट अटैक का अहम लक्षण बन जाता है।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

लंबे समय तक जवान रहने के लिए अपनाएं नुस्खे

लंबे समय तक जवान रहने के लिए अपनाएं नुस्खे 

सरस्वती उपाध्याय 
20 साल की उम्र वो अवस्था है, जब आप पूरे जवान हो चुके होते हैं। आप अपना करियर बनाने में लगे होते हैं या शादी करके सेटल होने की सोच रहे होते हैं। जाहिर है, इन सभी कामों के लिए आपको ज्यादा ऊर्जा और ताकत की जरूरत होती है। इस उम्र में भाग-दौड़ ज्यादा होती है, जिसके लिए फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से हेल्दी रहना जरूरी है। आजकल बहुत से युवा इस उम्र में जाने-अनजाने में खाने-पीने या कुछ अन्य गलत आदतों की वजह से अपने शरीर का नाश कर रहे होते हैं। जंक फूड्स का अधिक सेवन, समय पर नहीं खाना, कम खाना या दिनभर फोन या लैपटॉप में लगे रहना, ऐसी कुछ आदतें हैं, जो शरीर को उम्र से पहले बुढ़ा बना देती हैं।
Detoxpri की फाउंडर एंडहोलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट प्रियांशी भटनागर के अनुसार, 20 साल के बाद हेल्दी डाइट लेना आपकी सेहत के लिए जरूरी है ताकि आपके शरीर को जीवन में आने वाले बड़े कामों के लिए ताकत और ऊर्जा मिल सके। आपके खाने में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर चीजें शामिल होनी चाहिए क्योंकि यह शरीर और दिमाग दोनों को मजबूत बनाती हैं। चलिए जानते हैं कि आपको अपनी प्लेट में किन-किन चीजों को रखना चाहिए।
20 की उम्र में आपको प्रोटीन का खास ध्यान रखना चाहिए। प्रोटीन आपके शरीर के विकास, ताकत और ऊर्जा के लिए जरूरी है। इतना है नहीं, मसल्स को बनाए रखने और अच्छे बालों, नाखूनों और त्वचा के लिए भी प्रोटीन जरूरी है। अपने खाने में अंडे, चिकन, मीट, पनीर, प्लांट बेस्ड प्रोटीन वाली चीजें शामिल करें।
अपने खाने में रंग-बिरंगे फल-सब्जियां शामिल करें क्योंकि यह आपको विभिन्न पोषण और विटामिन्स प्रदान करते हैं। फल-सब्जियों में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स पाए जाते हैं, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी हैं।
साबुत अनाज जैसे कि दलिया, ब्राउन राइस, ओट्समील, और व्हीट ब्रेड ताकत और ऊर्जा का खजाना हैं। अपने खाने की आदतों को बदलें। जंक फूड्स की बजाय घर में बना खाना खाएं। साबुत अनाज आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं और पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं।
वास्तव में यह उम्र खाने-पीने और शरीर बनाने की उम्र है। अपने खाने में दूध, दही, पनीर और छाछ जैसे डेयरी उत्पादों को भरपूर मात्रा में शामिल करें। इनसे आपको कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी जैसे पोषक तत्व मिलते हैं।
यह मानकर चलें कि अप इस उम्र में जो खा रहे हैं, वो अगले बीस साल सालों तक आपके शरीर को ताकत देंगी। कैल्शियम से भरी चीजें खाने से हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है, जो आपको अगले 60 वर्षों तक सक्रिय रखने में मदद करेंगी। इसके लिए तिल के बीज, पत्तेदार हरी सब्जियां, संतरे, ब्रोकोली, और दूध, दही आदि का खूब सेवन करें।
इनके अलावा अपने खाने में नट्स और सीड्स, हार्मोन बैलेंस रखने वाली चीजें जैसे ब्लुबेरिज, अखरोट और दलिया, लीवर को साफ करने वाले फूड्स जैसे नींबू, लहसुन, खून बढ़ाने वाले फूड्स जैसे- अंडे, मीट, मछली, बादाम और सूखे बीन्स आदि को शामिल करें।

स्वास्थ्य: औषधि से कम नहीं 'नींबू की पत्तियां'

स्वास्थ्य: औषधि से कम नहीं 'नींबू की पत्तियां'

सरस्वती उपाध्याय 
नींबू भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा होता है। इसका इस्तेमाल चेहरे और बालों को स्वस्थ रखने के लिए भी किया जाता है। नींबू के फायदे तो आपने बहुत सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी पत्तियां भी किसी औषधि से कम नहीं होती है ?
इन पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी और टैनिंग जैसे गुण पाए जाते हैं। नींबू के पत्ते का उपयोग आप कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए और इसे कंट्रोल करने के लिए कर सकते हैं। पर कई लोगों को ऐसा लगता है कि नींबू के पत्ते कड़वा होता है और किसी काम का नहीं होता। लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि इन पत्तों को खाने या इनके जूस ही इन्हें केवल सूंघ लेने से भी कई तरह के फायदे होत हैं।

नींबूू के पत्‍तों को कैसे करें सेवन
नींबू सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है लेकिन इसे चबाकर खाने से बचना चाहिए। इसका सेवन आप चाय में मिलाकर, जूस के रूप में कर सकते हैं। नींबू के पत्तों में कौन से औषधीय गुण होते हैं? इसमें एंटीवायरल, एंटी ऑक्सीडेंट, एल्कलॉइड, टैनिन, फ्लेवोनोइड और फेनोलिक तत्व शामिल होते हैं। साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलाव इसमें एंथेल्मिंटिक, एंटी-फ्लैटुलेंस, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी पाया जाता है।

आलू-पालक बनाने की आसान रेसिपी, जानिए

आलू-पालक बनाने की आसान रेसिपी, जानिए  

सरस्वती उपाध्याय 
आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता हैं, जिसे किसी भी प्रकार की सब्जी के साथ मिलाकर खाया जा सकता हैं। लेकिन कुछ सब्जियों के साथ आलू का संगम बेहद स्वादिष्ट रहता हैं। यह व्यंजन पारंपरिक व्यंजनों में से एक है। इसे एक पंजाबी डिश भी माना जा सकता है। यह जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही पौष्टिक भी। इस डिश को खाने के बाद बड़े ही नहीं बच्चे भी इसके दीवाने हो जाएंगे। इस स्वादिष्ट सब्जी को आप घर आए मेहमानों को भी खिला सकते हैं। यह आसानी से बनने वाली डिश है, जिसे आप दोपहर के खाने के लिए बना सकते हैं। हालांकि, ज्यादातर लोग घर पर पालक को अलग-अलग तरीके से पकाते और खाते हैं। लेकिन आलू-पालक का स्वाद बिल्कुल अलग होगा। आइए जानते हैं आलू-पालक बनाने की आसान विधि।

पानी
नमक स्वादानुसार
 पालक
बर्फ का ठंडा पानी

1 tbsp तेल
1 tsp जीरा
½ tsp धनिये के बीज
5-6 लहसुन
5-6 आलू
½ tsp हल्दी पाउडर
नमक स्वादअनुसार
1 tsp देगी लाल मिर्च पाउडर
पानी
¼ हरा लहसुन
½ tsp बेसन पानी
पालक का पेस्ट
1 tsp घी
पानी
तैयार किया तड़का....

2 tsp तेल
¼ tsp जीरा
2-3 लहसुन
2-3 सूखी लाल मिर्च
1 tsp कसूरी मेथी
½ टमाटर,
नमक स्वादअनुसार।

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

डार्क सर्कल्स की समस्या से छुटकारा, जानिए

डार्क सर्कल्स की समस्या से छुटकारा, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 
अक्सर लोगों को डार्क सर्कल्स की समस्या हो जाती है। इसके कई कारण होते हैं। नींद की कमी, अनहेल्दी फूड्स, तनाव, धूम्रपान, प्रदूषण आदि के कारण आंखों के आसपास की त्वचा प्रभावित होती है। वहीं शरीर में पानी की कमी के कारण भी डार्क सर्कल्स की दिक्कत हो सकती है। बता दें डिहाइड्रेशन के कारण स्किन ड्राई हो जाती है, जिससे आंखों के नीचे काले घेरे नजर आने लगते हैं। तो चलिए आज हम आपको इस समस्या से बचने के लिए कुछ फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप अपनी डाइट में कर सकते हैं। वहीं इसके अलावा आप इन चीजों को डार्क सर्कल्स पर भी लगा सकते हैं। जिससे आपको इस दिक्कत से छुटकारा मिल सकता है। 

 
खीरा
बता दें खीरा में पानी की मात्रा अधिक होती है। यह आंखों को हाइड्रेट रखता है। खीरे के दो टुकड़े काटें और उन्हें अपनी आंखों पर रखें और 15 मिनट के बाद पानी से धो लें। इससे न केवल काले घेरे कम होंगे, बल्कि आंखों के आसपास की स्किन भी टाइट होगी। वहीं इसके अलावा आप इसे अपनी डेली डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह आपके शरीर में पानी की पूर्ति करता है।

तरबूज का यूज
तरबूज स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पानी से भरपूर होता है। ये आपके शरीर को हाइड्रेट करने के साथ त्वचा को भी हाइड्रेट करता है। आप तरबूज के रस को आंखों के आसपास की त्वचा पर लगाएं, लेकिन इसे अपने आहार में भी जरूर शामिल करें। इसमें बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन, फाइबर, विटामिन बी1, बी6 और सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। तरबूज में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो काले घेरे को दूर करने में मदद करते हैं।

जामुन को डाइट में करें शामिल
आंखों की त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए आप अपनी डाइट में जामुन शामिल कर सकते हैं। इसमें ल्यूटिन और एंथोसायनिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो स्किन को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। 

टमाटर
अगर आप काले घेरों से परेशान हैं, तो अपनी स्किन केयर रूटीन में टमाटर शामिल कर सकते हैं। इसका रस नियमित रूप से आंख के आसपास लगाएं। करीब 15 मिनट बाद पानी से साफ कर लें। आप टामटर को खाने में भी शामिल करें। इसमें मौजूद बीटा कैरोटीन, विटामिन-सी ,क्वेरसेटिन डार्क सर्कल्स से राहत दिलाने में मददगार हैं।

चुकंदर
बता दें चुकंदर में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते है। इसे आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा चुकंदर डाइलेट, मैग्नीशियम और विटामिन सी से भरपूर होता है, जो काले घेरों को कम करने में मदद करता है।

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

बादाम का अधिक सेवन करने से बढ़ेगी समस्याएं

बादाम का अधिक सेवन करने से बढ़ेगी समस्याएं   

सरस्वती उपाध्याय 

बादाम को आमतौर पर सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, जब इसका सीमित मात्रा में सेवन किया जाए। बादाम हेल्दी फैट, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ई और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का एक अच्छा सोर्स हैं। ये पोषक तत्व लिवर सहित पूरे स्वास्थ्य में योगदान दे सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बादाम या किसी भी खाद्य पदार्थ का अत्यधिक सेवन संभावित रूप से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आज हम जानेंगे कि बादाम का ज्यादा सेवन करने से शरीर में क्या-क्या समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

वजन बढ़ना: बादाम में अच्छे तरह की हेल्दी फैट होते हैं, जिसके अधिक मात्रा में खाने से अत्यधिक कैलोरी का सेवन हो सकता है और वजन बढ़ सकता है।

डाइजेस्टिव प्रॉब्लम: अत्यधिक मात्रा में बादाम खाने से पाचन तंत्र में असहजता हो सकती है और पेट में दर्द, गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

कैल्शियम अवशोषण: बादाम में ऑक्सलेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में रुकावट डाल सकते हैं और किडनी स्टोन के निर्माण की संभावना होती है।

एलर्जी: कुछ लोग बादाम के प्रति एलर्जी हो सकती है, जिससे खुजली, सूजन, सांस लेने में कठिनाई या गंभीर मामूली स्थितियों की संभावना होती है।

अधिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस: बादाम में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, लेकिन अत्यधिक मात्रा में बादाम का सेवन करने से ज्यादा पॉलीअनसैचरेटेड फैट का सेवन हो सकता है, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की संभावना बढ़ सकती है।

एक दिन में कितने बादाम खाने चाहिए....

एक दिन में आमतौर पर 5 से 7 बादाम का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है। यह मात्रा आपके स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त होती है और बादाम के फायदों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। ज्यादा बादाम खाने से आपको उनके नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए सही मात्रा में खाना जरूरी है।

बादाम खाने का सही तरीका: आप बादाम को भिगोकर या कच्चा भी खा सकते हैं। बादाम को भिगोकर खाने से सेहत को ज्यादा लाभ मिलात है। आप बादाम को स्वीट डिश, ग्रेनोला या सलाद में भी शामिल कर सकते हैं।

गुनगुना पानी पीने से विशेष लाभ मिलेंगे

यह आपकी त्वचा को साफ़ करता है। गर्म पानी आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद कर सकता है। क्योंकि गर्म पानी पीने से आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे आपको पसीना आने लगता है। यह बदले में, आपको विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है और आपके पाचन अंगों के लिए अशुद्धियों को खत्म करना आसान बनाता है। आपके शरीर को अंदर से साफ़ करने से मुंहासों का अंदर से इलाज होता है और आपकी त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है।

टॉक्सिक पदार्थ आपकी त्वचा को तेजी से बूढ़ा कर सकते हैं और आपकी आंखों के नीचे काले घेरे और फूले हुए बैग का कारण बन सकते हैं। गर्म पानी पीने से हानिकारक मुक्त कणों से क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं की मरम्मत में मदद मिलती है और आपकी त्वचा चिकनी और कोमल दिखती है।

गर्म पानी आपके स्कैल्प को हाइड्रेटेड रखता है, जिसका मतलब है कि आपको रूसी होने की संभावना कम है। जब आपके सिर की त्वचा स्वस्थ और नम होती है, तो यह आपके बालों को चमकदार और मुलायम बनाए रखती है। गर्म पानी आपके बालों की जड़ों में तंत्रिका अंत को सक्रिय करता है, जो नए बालों के विकास को बढ़ावा देता है।

नियमित रूप से गर्म पानी पीने से आपके शरीर में जमा वसा को तोड़ने में मदद मिलती है, मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्त प्रवाह बढ़ता है। बढ़ा हुआ रक्त संचार त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है और उन्हें पोषित रखता है। यह आपकी कार्यशील त्वचा कोशिकाओं को ऑक्सीजन प्रदान करता है।

यह आपकी त्वचा को संक्रमण से बचाता है, वहीं एक गिलास गर्म पानी पीने से आपकी किडनी सुरक्षित रहती है और सूजन से लड़ने में मदद मिलती है। जब आपके अंग साफ होते हैं, तो आपकी त्वचा संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील होती है।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

हाई बीपी की नई दवा, रोज लेने की जरूरत नहीं

हाई बीपी की नई दवा, रोज लेने की जरूरत नहीं    

सरस्वती उपाध्याय   
डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में 1.28 अरब लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं। इनमें से 70 करोड़ लोगों को पता भी नहीं कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर है।
जब किसी अन्य परेशानियों में वे डॉक्टर के पास जाते हैं या लक्षण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तब पता चलता है कि उन्हें हाइपरटेंशन हैं। लेकिन इससे पहले हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कार्डिएक अरेस्ट जैसी हार्ट से संबंधित घातक जटिलताओं से गुजरना पड़ सकता है। हाई बीपी की दवा से इसे नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन यह रोजाना खाना होता है। पर अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा इंजेक्शन तैयार किया है जो करोड़ों लोगों की हाई बीपी की समस्या से मुक्ति दिला सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इस इंजेक्शन को साल में दो ही बार लगाने की जरूरत पड़ेगी।
लाखों लोगों के लिए वरदान
ग्लोबल डायबेट्स कम्युनिटी की वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह इंजेक्शन उन लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जिन्हें लगातार हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझना पड़ता है और उन्हें हर रोज टैबलेट खाना पड़ता है। इंजेक्शन लगा लेने के बाद रोजाना टैबलेट खाने की जरूरत नहीं होगी। इस इंजेक्शन का नाम जिलेबेसिरन  है। इसे हर छह महीने में लगाने की जरूरत होगी. शोधकर्ताओं ने हाई ब्लड प्रेशर के शिकार 100 से अधिक लोगों पर इस इंजेक्शन का ट्रायल किया जो बेहद सफल रहा है।
क्लिनकल ट्रायल में सफल
क्लिनकल ट्रायल में हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे 80 लोगों जिलेबेसिरन इंजेक्शन लगाया गया जबकि 30 लोगों को प्लेसिबो (नकली इंजेक्शन) दिया गया। जिन लोगों को असली इंजेक्शन दिया गया, उनमें 6 महीने तक बीपी एकदम नीचे आ गया। इन लोगों का 6 महीने तक बीपी नॉर्मल रहा। ट्रायल में पाया गया कि बीपी की 200 एमजी की दवा खाने के बाद जितना बीपी नीचे आता है उससे कहीं ज्यादा बीपी इस इंजेक्शन के लगाने के बाद नीचे आ गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह इंजेक्शन एंजियोटेंसिन के प्रोडक्शन को रोक देता है। एंजियोटेंसिन प्रोटीन हार्मोन है जिसके कारण ब्लड वैसल्स पतली हो जाती है और इस कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रारंभिक ट्रायल में अपेक्षित परिणाम सामने आया है। अब हमें इस बात पर अध्ययन की जरूरत है कि इस इंजेक्शन को 3 महीने में लगाया जाए या 6 महीने में।

बुधवार, 26 जुलाई 2023

'आई फ्लू' का खतरा, आंखों का रखें ख्याल: कुमार 

'आई फ्लू' का खतरा, आंखों का रखें ख्याल: कुमार 

हरिओम उपाध्याय 

फरीदाबाद। फरीदाबाद अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. हदयेश कुमार ने शिव मंदिर तिरंगा कॉलोनी बल्लाभगढं फरीदाबाद में आमजन को स्वास्थ के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि  बारिश, नमी और दूषित जल से कई तरह के बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जिनमें से कुछ आंखों के संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

केयर ऑफ आइस : बारिश के दिनों में हवा में नमी बढ़ने के कारण वायरस और बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों में कंजक्टिवाइटिस, रेडनेस, आई फ्लू आदि की समस्या होने लगती है। कंजक्टिवाइटिस वायरस और बैक्टीरिया से फैलता है, जिसके चलते यह एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।

केयर ऑफ आइस : कंजक्टिवाइटिस को पिंक आइज की समस्या भी कहा जाता है। ज्यादातर यह समस्या सामान्य इलाज से ही ठीक हो जाती है। इसके गंभीर होने का खतरा कम होता है। चूंकि आंख सबसे ज्यादा संवेदनशील अंग है, इसलिए इनका विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस  होने पर खुजली, आंखों से पानी आना और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

केयर ऑफ आइस : संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी है, जो सम्पर्क से फैलती है। अतः मरीज को अपनी आंखों को हाथ नहीं लगाने की सलाह दी जाती है। मरीज के उपयोग की चीजों को अलग रखकर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है। संक्रमित आंख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है।

केयर ऑफ आइस : आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों से पानी आने लगता है, जलन होती है, पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है।

आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है। आंखों से पानी आना और खुजली होना इसके सामान्यतः दिखाई देने वाले लक्षण हैं। अगर इन्फेक्शन गहरा हो तो आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है, जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है। मानसून सीजन में आई फ्लू का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा होता है।

केयर ऑफ आइस : आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं‌ किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. कन्जक्टिवाइटिस से पीड़ित होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं।

आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें। आंखों पर बर्फ की सिकाई जलन और दर्द से राहत दिलाती है। संक्रमण के दौरान गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

केयर ऑफ आइस : संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं. साथ ही अपना तौलिया, रूमाल, चश्मा आदि किसी के साथ साझा न करें। 

अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो जल्द ही यह समस्या दूर हो सकती है और अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट हमेशा समाज को समर्पित है और रहेगा नर सेवा ही नारायण सेवा है, नेत्र संबंधी कोई भी समस्या होने पर नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है।

केयर ऑफ आइस : अन्यथा गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है। आंखों की जांच और उपचार की सुविधा चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।

सोमवार, 24 जुलाई 2023

सुबह नंगे पांव घास पर चलने के फायदे

सुबह नंगे पांव घास पर चलने के फायदे

सरस्वती उपाध्याय 

सुबह सवेरे वॉकिंग और जॉगिंग करना ओवरऑल हेल्थ के लिए अच्छा होता है। यही वजह है कि अक्सर लोग सुबह जॉगिंग करते हुए नजर आते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि सुबह सुबह ताजी हवा में हरे घास पर नंगे पांव चलने से कितना फायदा होता है।

दरअसल ये एक तरह की ग्रीन थेरेपी है। जिसे फॉलो करने से आपकी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। आइए जानते हैं सुबह सवेरे नंगे पांव हरे घास पर चलने के फायदे

सुबह नंगे पांव घास पर चलने के फायदे

1.सुबह सवेरे अगर आप नंगे पांव घास पर चलते हैं तो इससे आपको सुकून भरी नींद आती है। घास पर नंगे पहुंच चलना एक तरह से स्लीपिंग पिल का काम करता है। अगर आप रोज सुबह आधे घंटे नंगे पांव मॉर्निंग वॉक करते हैं तो आपके स्लीपिंग पैटर्न में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है।

2.नंगे पांव घास पर चलने से आपको तनाव से भी राहत मिलती है। जब आप हरे भरे एनवायरनमेंट में रहते हैं तो आपको शांति का अहसास होता है। ये आपके मूड को अपलिफ्ट करता है। दिमाक को एक्टवि करता है।

3.डायबिटीज के रोगियों के लिए हरे घास पर नंगे पांव चलना काफी फायदेमंद माना जाता है। जब आप हरियाली के बीच रहकर सांस लेते हैं तो शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति होती है और आप अच्छा महसूस करते हैं।

4.नियमित रूप से घास पर नंगे पैर चलने से शरीर में ब्लड का सरकुलेशन सही होता है। ये आपको दिल की बीमारियों से भी दूर रखने में मदद करता है।

5.ब्लड प्रेशर की समस्या में भी नंगे पांव घास पर चलने से फायदा मिल सकता है। इससे एक्यूपंक्चर पॉइंट काफी एक्टिव हो जाता है और आपका पूरा शरीर एक्टिव हो जाता है, जिससे हेल्दी रहने में मदद मिलती है।

6.रोज सवेरे नंगे पांव घास पर चलने से आंखों की रोशनी तेज हो सकती है। दरअसल चलते वक्त आपकी बॉडी का पूरा प्रेशर पैरों के अंगूठे पर होता है, जिस कारण आंखों की रोशनी बढ़ती है। हरियाली से आंखों को सुकून मिलता है।

7.अगर आपके पैरों में दर्द रहता है तो भी आप सुबह सवेरे हरे घास पर चल सकते हैं। इससे पैरों की मांसपेशियों को आराम पहुंचता है और दर्द दूर होता है।

शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

आंखों में दिखें ये लक्षण, इग्नोर न करें  

आंखों में दिखें ये लक्षण, इग्नोर न करें   

सरस्वती उपाध्याय   

हमारी बॉडी का हर ऑर्गन एक-दूसरे से कनेक्टेड रहता है। किसी भी एक ऑर्गन में अगर परेशानी होती है, तो इसके संकेत दूसरे ऑर्गन पर भी नजर आने लगते हैं। ठीक इसी तरह से अगर हमें कोई हार्ट संबंधी समस्या होती है या हार्ट अटैक आने वाला होता है तो इसके लक्षण हमारी आंखों से भी समझ में आने लगते हैं। जी हां, कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि आंखों में होने वाली कुछ समस्याएं सीधे दिल की बीमारियों से जुड़ी होती हैं, जिन्हें हमें कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

रेटिनल आर्टरी ऑक्लूजन

रेटिनल आर्टरी ऑक्लूजन स्थिति तब होती है जब आंखों तक ब्लड सप्लाई करने वाले रेटिना ब्लॉक हो जाते हैं। ऐसे में कई बार एकदम से दिखना बंद हो जाता है। यह कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज का संकेत देती है कि हार्ट तक ब्लड सर्कुलेट करने वाली कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज हो सकती है।

रेटिनल वेन ऑक्लूजन

हमारी आंखों से जुड़ी रेटिनल वेन ऑक्लूजन प्रॉब्लम भी दिल से जुड़ी बीमारियों का संकेत देती है। दरअसल, इसमें आंखों में ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है और इसके कारण नसों में ब्लॉकेज भी हो सकती है और इस लक्षण को हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

जैंथेलाजमा

अगर आपकी आंखों की आईलिड के आसपास पीले रंग के चकत्ते पड़ने लगे तो समझ जाएं कि यह कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का संकेत है और जब खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है तो आंखों की आईलिड के आसपास पीले रंग की प्लैक चढ़ने लगती है और ये हार्ट संबंधी समस्याओं का संकेत है।

हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी

हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें रेटिना में मौजूद छोटी-छोटी ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती है, जो इस बात का संकेत देती है कि आपकी शरीर की अन्य ब्लड वेसल्स भी कमजोर हो रही है और दिल तक ठीक तरीके से खून नहीं पहुंच रहा है, जो ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से जुड़ी बीमारियों का संकेत देती है।

रविवार, 9 जुलाई 2023

शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है 'ककोड़ा'

शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है 'ककोड़ा'

सरस्वती उपाध्याय 
बारिश का मौसम आते ही अनेक प्रकार की सब्जियां भी हमारे सामने आ जाती है, जिसमें कुछ सब्जियां तो ऐसी होती है। जो हमारे लिए बहुत ही शक्तिशाली साबित होती है। जिन जिसमें एक ककोड़ा या फिर कहे तो खेखसा हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। साथ ही ककोड़ा औषधि गुणों में भी काम आता है। इसे एक आयुर्वेदिक औषधि भी अपन मान सकते हैं।बता दें कि ककोड़ा सांस प्रणाली संबंधित रोग मित्र विकास बुखार सूजन आदि में काम आता है।आज के समय में बहुत से लोग ही ऐसे हैं, जो इसे रोजाना उपयोग करते हैं। वहीं, इसका उपयोग करने के बाद उन्हें आराम भी मिलता है। वहीं राजस्थान में इस खोखसा को किकोड़ा, ककोड़ा जैसे नामों से जाना जाता है।

ककोड़ा में यह होती है ताकत

वही इसके पौधे आपको खेत के आसपास भी देखने को मिल जाएंगे और यह ज्यादातर बरसात के मौसम में उगते है। वहीं डॉक्टरों का कहना है, कि बारिश के सीजन में सब्जियों को उगाने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। लेकिन ककोड़ा आया कि कोड़ा पूरी तरह से प्रकृति के होता है, जिसमें प्रोटीन आयरन भरपूर होता है और यह मांस से भी अधिक गुनाह ताकतवर होता है और कहा जाता है कि 50 गुना ताकत और प्रोटीन ककोड़ा में होती है। वही ककोड़ा में फाइटोकेमिकल्स होते हैं। जो हमारे शरीर में अनेक प्रकार की सहायता करते हैं। यह ककोड़ा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है‌।

ककोड़ा का पौधा उग जाता है अपने आप

इस पौधे की अच्छी बात यह है कि यह हमारे खेत के आसपास मिल जाता है। साथ ही इसे उगाने की जरूरत भी नहीं होती है।बारिश का मौसम आते ही यह खुद उग जाता है और अगर आप गांव में रहते हैं तो इससे रोजाना अपने खेत पर देखते ही होंगे लेकिन अगर आप शहरी इलाके में रहते हैं तो आपने इसका पौधा जंगल या किसी खेत किनारे देखा ही होगा इसी कारण से एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट भी इसके बीज नहीं रखता है और इसकी सप्लाई जंगल या फिर गांव से होती है वही यह पकते ही इसके बीज अपने आप जमीन पर गिर जाते हैं, जिससे यह पहली बारिश में ही कुकर फल देना शुरू कर देते हैं। इसे आप खेत या फिर गांव और जंगल से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

बरसात के मौसम में हरी सब्जियों से करें परहेज   

बरसात के मौसम में हरी सब्जियों से करें परहेज   

सरस्वती उपाध्याय  

चल रहे मानसून के आगमन के साथ मे देशभर में ही बारिश का सीजन भी शुरू हो चुका है। ओर अब अगले 3 महीनों तक पूरे देश में ही लगातार बरसात होनी तय हैं। वैसे तो इस मौसम में गर्मी से भी कुछ राहत तो मिलती है‌। लेकिन, मौसम बदलने से कई सारी बीमारियां भी शुरू हो जाती हैं। ऐसे में हमें इस बदले हुए मौसम के अनुसार अपने खानपान में भी कुछ बदलाव करना जरूरी हो जाता है। देश के कुछ जाने माने आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक बारिश के इस मौसम में इन 5 हरी सब्जियों को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। वरना आपको बीमार पड़ते और अस्पताल में भर्ती होते कुछ देर नहीं लगेगी।

बरसात में बैंगन को खाने से भी करें परहेज...

इस बरसात के मौसम में काफ़ी तरह के कीड़े फल-सब्जियों पर अपना धावा बोल देते हैं। उनके इस हमले की वजह से ही पौधे पर लगा हुआ बैंगन 70 प्रतिशत तक नष्ट हो जाता है। ओर तो ओर ये कीड़े बैंगन के अंदर भी प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में अगर आप ये बरसात में बैंगन की सब्जी या उससे बना हुआ भर्ता खाते हैं तो ये कुछ कीड़े आपके शरीर में भी प्रवेश कर जाएंगे। लिहाजा बारिश के दिनों में आपकों बैंगन खाने से बचना चाहिए।

बरसात में टमाटर से भी बना लें दूरी...

अकसर बारिश के दिनों में हमारे शरीर की पाचन प्रक्रिया भी काफ़ी धीमी हो जाती है। ऐसे में कुछ ठंडी चीजें छोड़कर हल्की गर्म चीजें ही खानी चाहिए, जिससे वे हमारे शरीर में आसानी से पच जाएं। टमाटर में भी कुछ क्षारीय तत्व पाए जाते हैं। यह भी एक प्रकार का जहरीला तत्व होता है, जिन्हें पौधे खुद को कीड़ों के हमले से बचाने के लिए ही इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में बरसात में आपके टमाटर ज्यादा खाने से खुजली, रैशेज होने और फुंसी की समस्या भी हो सकती है।

ऐसे बरसात में न खाएं कभी पालक...

जान ले पालक को आयरन का एक बहुत बढ़िया स्रोत माना जाता है और डॉक्टर भी इसे खून की कमी पूरी करने के लिए पालक खाने की सलाह देते हैं। हालांकि इस बरसात के मौसम में आपको पालक से पूरी तरह से ही दूरी बना लेनी चाहिए। इसकी पूरी वजह ये है कि बरसात के दिनों में इस हरी सब्जी पर भी हद से ज्यादा बारीक कीड़े रेंगते रहते हैं, जिन्हें हम खुली आंखों से कभी देख नहीं पाते। पालक खाने पर वे कीड़े भी हमारे पेट में आसानी से जा सकते हैं, जिससे हम सभी बीमार हो सकते हैं।

बरसात में जहरीला हो जाता है मशरूम...

वैसे मशरूम खाना सेहत के लिए काफ़ी बढ़िया माना जाता है। उसे भी प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। हालांकि सभी प्रकार के मशरूम भी खाने लायक नहीं होते। उनमें से कुछ मशरूम जहरीले भी होते हैं तो कुछ ही खाए जा सकते हैं. बरसात के दिनों में अधिकतर मशरूम ही खाने लायक नहीं रह जाते। ऐसे में बेहतर तो यह रहेगा कि आप बरसात के दिनों में इससे उचित दूरी बना लें।

आपके पेट में भी पहुंच जाते हैं कुछ कीड़े...

इस मौसम में पत्तागोभी को हम चाऊमीन और सैंडविच में रखकर खूब ज्यादा खाते हैं। इसे सलाद के रूप में भी भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि इसके अंदर काफ़ी बड़ी मात्रा में बारीक कीड़े भी पाए जाते हैं। सलाद के रूप में इस समय पत्ता गोभी खाने पर वे कीड़े भी हमारे पेट से होते हुए हमारे दिमाग तक भी पहुंच जाते हैं, जिससे इंसान की जान जाने का भी काफ़ी खतरा पैदा हो जाता है।

शुक्रवार, 30 जून 2023

सेहत के लिए जरूरी तत्व है 'एंटीओक्सीडेंट'

सेहत के लिए जरूरी तत्व है 'एंटीओक्सीडेंट'

सरस्वती उपाध्याय 

स्वस्थ जीवन के लिए आपका आहार स्वस्थ होना जरूरी हैं और इसमें हर वह तत्व शामिल होना चाहिए, जो शरीर को मजबूत बनाए।

प्रोटीन और विटामिन की तरह एंटीऑक्सीडेंट भी शरीर की सेहत के लिए जरूरी तत्व होता हैं। एंटीऑक्सीडेंट अच्छे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट शक्तिशाली यौगिक होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखने और कोशिकाओं की क्षति से बचाते हैं।बीटा-कैरोटीन, विटामिन E और विटामिन C से युक्त खाद्य पदार्थ एंटीऑक्सीडेंट के बेहतरीन स्रोत होते हैं। आज हम आपको एंटीऑक्सीडेंट से शरीर को मिलने वाले फायदों और उन आहार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे शरीर में इसकी भरपाई हो सकती हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में...!

कैंसर के जोखिम को करें कम...

कैंसर के दौरान शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की स्थिति में काफी कमी आ जाती है। इसमें उच्च एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों को लेने से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।एंटीऑक्सीडेंट कैंसर के दौरान फ्री रेडिकल्स प्रक्रिया से होने वाली क्षति को रोक सकते हैं।

आंखों के लिए अच्छा...

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट बहुत जरूरी होते हैं। विटामिन C आंखों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।उम्र के साथ आंखों की रोशनी कमजोर होती जाती है। आंखों की रोशनी तेज रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लेना चाहिए।

इम्यूनिटी बढ़ाएं...

हेल्दी ऐजिंग के लिए स्वस्थ इम्यूनिटी की आवश्यकता है।इसलिए यह सुनिश्चित होना चाहिए कि आपका आहार एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। फ्री रेडिकल से रक्षा करने और सेल्स और टिशू को स्वस्थ रखता है एंटीऑक्सीडेंट। 

एंटीऑक्सीडेंट की क्षमता आपके इम्यूनिटी के स्तर को बढ़ावा देने में मदद करती है। इसलिए, इसका सेवन आपके दिल को स्वस्थ रखेगा।

मधुमेह को करे नियंत्रित...

मुक्त कणों के कारण मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है।अत्यधिक ग्लूकोज का सेवन और इंसुलिन में गिरावट शरीर की चीनी लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। ऐसे में डायबिटीज हो सकती है। एंटीऑक्सीडेंट एक बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करते हैं।

सूखे मेवे

सूखे मेवे का नियमित सेवन शरीर को कई प्रकार के लाभ दे सकते हैं। अखरोट, पेकान और बादाम जैसे सूखे मेवे ओमेगा-3 और कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं। सूखे मेवे कई प्रकार के रोगों के जोखिम को कम कर सकते हैं। सूखे मेवे में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स रोगों से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

चुकंदर

चुकंदर में हल्का मिट्टी जैसा स्वाद होता है और यह फाइबर, पोटेशियम, आयरन और फोलेट और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इससे बनने वाली सब्जी में बेतालैंस नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो चुकंदर को लाल रंग देता है। चुकंदर को सूजन को दबाने और पेट और पाचन तंत्र में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए जाना जाता है।

डार्क चॉकलेट

डार्क चॉकलेट का सेवन शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा समृद्ध स्रोत हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि डार्क चॉकलेट हृदय रोग और कई प्रकार के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। डार्क चॉकलेट का नियमित सेवन करने से कई तरह के रोगों से सुरक्षा मिल सकती है।

रविवार, 25 जून 2023

स्वास्थ्य वर्धक, गुणकारी फल 'जामुन‌'

स्वास्थ्य वर्धक, गुणकारी फल 'जामुन‌'

सरस्वती उपाध्याय   

जामुन का प्रयोग कई सारी बिमारियों के उपचार मे किया जाता है। गर्मियों के दिनों मे जामुन के सेवन करने से लू नहीं लगती है। यह कैंसर की संभावना को कम करने मे भी काफी मददगार है।

जामुन खाने से शुगर के रोगी को फायदा होता है। यह रक्त के अंदर शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करता है। डायबिटिज के रोगी को रोजाना जामुन का सेवन करना चाहिए। रोज 100 ग्राम जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने मे काम आती है।

पेट से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए जामुन फायदे मंद है। रोज सुबह खाना खाने के बाद  जामुन खाने से पेट साफ होता है। पेट के अंदर ऐंठन की समस्या दूर करने के लिए जामुन की छाल का काढा बनाकर पीने से दूर हो जाती है।

जामुन हमारे शरीर के अंदर खून की कमी को दूर करते हैं। जिस व्यक्ति के शरीर के अंदर खून की कमी हो उसे जामुन का सेवन करना चाहिए । जामुन के अंदर कैल्शियम, पो‌‌‌टैशियम और आयरन पाये जाते हैं। जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं।

जामुन के पत्ते मसूड़ों के लिए फायदेमंद हैं। यदि मसूंडों के अंदर खून आता है तो जामून की गुंठली पीस कर नमक के साथ मसूडों पर लगाने से फायदा होता है। यदि मसूड़ों के अंदर सूजन आ रही है तो जामुन के पत्तों को उबाल कर कूल्ला करना चाहिए।

यदि लिवर के अंदर किसी प्रकार की समस्या है तो सुबह शाम जामुन का रस पीना चाहिए जिससे लिवर की समस्या ठीक हो जाएगी ।

यदि किसी व्यक्ति को पत्थरी की समस्या है तो जामुन के बीज का पाउडर दही के साथ मिलाकर रोज खाने से पत्थरी की समस्या भी दूर हो जाती है।

जिस व्यक्ति को गठिया होता है। उसे जामुन की छाल को पीस कर जोड़ों पर लेप करने से फायदा होता है।

जामुन के बीजों का प्रयोग चेहरे के पिंपल्स को हटाने के लिए किया जाता है। बीजों को पीस कर दूध मिलाकर पेस्ट बनाकर सोने से पहले चेहरे पर लगाएं ऐसा कई दिनों तक करें जिससे चेहरा साफ होगा और चेहरे के दाग दब्बे दूर होंगे।

आवाज को सूरीली बनाने मे भी जामुन मददगार होता है। जामुन का चूर्ण रोज चाटने से आवाज साफ और सूरीली बनती है।

जामुन छोटे बच्चों के लिए भी अच्छे रहते हैं।

यदि बच्चों को दस्त की समस्या हो तो जामुन की ताजी छाल को पिस कर बकरी के दूध के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। यदि बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं तो जामुन का चूर्ण खिलाने से लाभ होता है।

रविवार, 18 जून 2023

पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार आलूबुखारा 

पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार आलूबुखारा 

सरस्वती उपाध्याय

अलूचा या आलू बुखारा एक पर्णपाती वृक्ष है। इसके फल को भी अलूचा या प्लम कहते हैं। फल, लीची के बराबर या कुछ बड़ा होता है और छिलका नरम तथा साधरणत: गाढ़े बैंगनी रंग का होता है। गूदा पीला और खटमिट्ठे स्वाद का होता है। भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है; परंतु अमरीका आदि देशों में यह महत्वपूर्ण फल है। आलूबुखारा (प्रूनस बुखारेंसिस) भी एक प्रकार का अलूचा है, जिसकी खेती बहुधा अफगानिस्तान में होती है। अलूचा का उत्पत्तिस्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप अथवा पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है। इसकी एक जाति प्रूनस सैल्सिना की उत्पत्ति चीन से हुई है। इसका जैम बनता है।

पीले रंग के मिराबॅल आलू बुख़ारे

आलू बुख़ारा एक गुठलीदार फल है। आलू बुख़ारे लाल, काले, पीले और कभी-कभी हरे रंग के होते हैं। आलू बुख़ारों का ज़ायका मीठा या खट्टा होता है और अक्सर इनका पतला छिलका अधिक खट्टा होता है। इनका गूदा रसदार होता है और इन्हें या तो सीधा खाया जा सकता है या इनके मुरब्बे बनाए जा सकते हैं। इनके रस पर खमीर उठने पर आलू बुख़ारे की शराब भी बनाई जाती है। सुखाए गए आलू बुख़ारों को बहुत जगहों पर खाया जाता है और उनमें ऑक्सीकरण रोधी (ऐन्टीआक्सडन्ट) पदार्थ होते हैं जो कुछ रोगों से शरीर को सुरक्षित रखने में मददगार हो सकते हैं। आलू बुख़ारों की कई क़िस्मों में कब्ज़ का इलाज करने वाले (यानि जुलाब के) पदार्थ भी होते हैं।

यह खटमिट्ठा फल भारत के पहाड़ी प्रदेशों में होता है। अलूचा के सफल उत्पादन के लिए ठंडी जलवायु आवश्यक है। देखा गया है कि उत्तरी भारत की पर्वतीय जलवायु में इसकी उपज अच्छी हो सकती है। मटियार, दोमट मिट्टी अत्यंत उपयुक्त है, परंतु इस मिट्टी का जलोत्सारण (ड्रेनेज) उच्च कोटि का होना चाहिए। इसकी सिंचाई आड़ू की भांति करनी चाहिए।

अलूचा का वर्गीकरण फल पकने के समयानुसार होता है :

(१) शीघ्र पकनेवाला, जैसे अलूचा लाल, अलूचा पीला, अलूचा काला तथा अलूचा ड्वार्फ;

(२) मध्यम समय में पकनेवाला, जैसे अलूचा लाल बड़ा, अलूचा जर्द तथा आलूबुखारा;

(३) विलंब से पकनेवाला, जैसे अलूचा ऐल्फा, अलूचा लेट, अलूचा एक्सेल्सियर तथा केल्सीज जापान।

अलूचा का प्रसारण आँख बाँधकर (बडिंग द्वारा) किया जाता है। आड़ू या अलूचा के मूल वृंत पर आंख बांधी जाती है। दिसंबर या जनवरी में १५-१५ फुट की दूरी पर इसके पौधे लगाए जाते हैं। आरंभ के कुछ वर्षों तक इसकी काट-छांट विशेष सावधानी से करनी पड़ती है। फरवरी के आरंभ में फूल लगते हैं। शीघ्र पकनेवाली किस्मों के फल मई में मिलने लगते हैं। अधिकांश फल जून-जुलाई में मिलते हैं। लगभग एक मन फल प्रति वृक्ष पैदा होता है।

गुरुवार, 15 जून 2023

विटामिन-डी की कमी के लिए अपनाएं यह उपाय 

विटामिन-डी की कमी के लिए अपनाएं यह उपाय 

सरस्वती उपाध्याय 

विटामिन-डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। जो हमारे दिमाग से लेकर इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी होने से शरीर का कामकाज बिगड़ जाता है। धूप को इसका सबसे बढ़िया सोर्स माना जाता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह रास्ता काम नहीं करता है। जिसकी वजह से इस विटामिन की कमी होने लगती है।

धूप में क्यों नहीं रहते लोग?
विटामिन-डी की कमी से होने वाले रोग? यह विटामिन हड्डी, नाखून, दांत के लिए काफी जरूरी होता है। इसके कम होने पर हड्डी में दर्द, जोड़ हटना, मसल्स में दर्द, बार-बार बीमार पड़ना, ऑस्टियोपोरोसिस कैल्शियम की कमी, डिप्रेशन के लक्षण आदि परेशान कर सकते हैं। इसलिए इसे बॉडी में कभी कम ना होने दें।

धूप को विटामिन-डी का बेस्ट सोर्स माना जाता है। लेकिन कुछ जगह धूप बहुत कम आती है या फिर कुछ लोगों की स्किन इसे ढंग से ग्रहण नहीं कर पाती है। वहीं, सेंसिटिव स्किन के लोग भी धूप से दूर रहते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए विटामिन डी लेने का अकेला रास्ता फल, सब्जियां, जूस, सप्लीमेंट खाना बच जाता है।

विटामिन-डी की कमी का इलाज: मशरूम
शाकाहारी लोगों में मशरूम से विटामिन डी की कमी खत्म की जा सकती है। एक स्टडी के अनुसार, इंसानों की तरह मशरूम भी धूप से विटामिन डी बनाता है। जिसे खाकर फायदा उठाया जा सकता है।

दूध, पनीर, दही
दूध और उससे बने पनीर, दही आदि में कैल्शियम होता है। इसके साथ आपको काफी विटामिन-डी मिलता है। ये दोनों पोषक तत्व हड्डियों, दांत और नाखून को मजबूत बनाने के काम आते हैं। आप पनीर की भुर्जी बनाकर भी खा सकते हैं।

विटामिन डी कैसे बढ़ाएं : अंडा
प्रोटीन से भरा अंडा विटामिन-डी भी देता है। इसके पीले हिस्से में फैटी एसिड, फैट और विटामिन डी होता है। आप इसे खाकर विटामिन डी की कमी पूरी कर सकते हैं।

विटामिन डी फल: फोर्टिफाइड फूड
कुछ खाद्य पदार्थों में विटामिन डी अलग से डाला जाता है। आप मार्केट से संतरे का जूस, सीरियल, ओटमील, दूध आदि खरीद सकते हैं, जिसमें आर्टिफिशियल विटामिन डी डला हुआ हो।

आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है जूस, जानिए 

आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है जूस, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

गर्मी का मौसम है, ऐसे में प्यास हम लोगों को लगातार लगती है। क्योंकि, शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में ज्यादातर लोग कई ड्रिंग्स का इस्तेमाल भी करते हैं, जिसमें कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और फलों के जूस शामिल होते हैं। ये दोनों ही गर्मी से राहत दिलाने में मदद करते हैं, लेकिन आप जानते ही हैं कि सेहत के लिए कौन सा कितना स्वस्थ है। इसलिए, हमें गर्मियों में फलों और सब्जियों के जूस की सलाह दी जाती है, ताकि गर्मी के साथ-साथ इससे हमें कई अन्य फायदे भी मिलें और कोई नुकसान न हो।

बेरीज का जूस

बेरीज के जूस में जैसे स्ट्रॉबेरी, क्रैनबेरी, ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी आदि में आंखों को स्वस्थ रखने वाले गुण पाए जाते हैं। इसमें अधिक मात्रा में विटामिन व मिनरल्स पाए जाते हैं, जो आंखों से जुड़ी कई समस्याओं दूर करने में मदद करते हैं।

एलोवेरा जूस

एलोवेरा के जूस का सेवन करना आपकी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, जैसा कि अन्य फलों के जूस के साथ होता है। इसका विशेष लाभ उन लोगों के लिए होता है जिनकी नजरें कमजोर होती हैं। जो लोग कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं।

नारियल पानी

नारियल पानी भी आपकी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह आंखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और कमजोर हो रही नजरों को पुनः मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।

टमाटर का जूस

टमाटर को गर्मियों के दिनों में सलाद रूप में खाना या उसका जूस पीना आनंददायक होता है और इससे फायदा भी मिलता है। आंखों के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है और इसके सेवन से आंखों की रोशनी में सुधार हो सकती है। टमाटर में खास तत्व जैसे कि ल्यूटिन और जेक्सैंथिन पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

मौसंबी का जूस

आंखों की नजरें जब आपकी कमजोर हैं, तो स्वीट लाइम जूस आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। मौसंबी जूस में विभिन्न प्रकार के विशेष एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो आंखों को हानि से बचाने और नजरों को मजबूत करने में मदद करते हैं।

बुधवार, 10 मई 2023

खाली पेट 'धनिया' का पानी पीने के फायदे, जानिए 

खाली पेट 'धनिया' का पानी पीने के फायदे, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

सुबह के समय खाली पेट धनिया का पानी पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इस पानी से यूरिक एसिड समेत कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं। भारतीय घरों में धनिया को अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है। कहीं धनिया के पत्तों की चटनी बनती है, कहीं इसे खुरदुरा पीसकर अचार में डाला जाता है, तो कहीं पर धनिया के दाने पीसकर मसाला बनाया जाता है, जो लगभग हर सब्जी में डलता है। धनिया के दाने और धनिया, दानों की बात करें तो ये स्वाद में ही अलग नहीं होते, बल्कि सेहत को भी इनसे अनेक फायदे मिलते हैं।

धनिया के दानों में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के और एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। इन दानों का सेवन सेहत से जुड़ी कई दिक्कतों को दूर करता है। 

यहां जानिए, धनिया के दानों का पानी बनाने का तरीका और इस पानी को पीने के फायदों के बारे में...

धनिया का पानी पीने के फायदे...

धनिया के पानी के फायदे जानने से पहले इस पानी को बनाने का तरीका जान लीजिए। धनिया का पानी बनाने के लिए एक चम्मच धनिया के दाने लें और उन्हें दो गिलास पानी में डालकर उबालें। जब पानी उबलकर आधा हो जाएं, तो उसे छानें और हल्का गर्म करके पिएं।

बढ़ती है इम्यूनिटी...

धनिया के दाने एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। इन दानों का पानी पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इस पानी से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स का भी खात्मा हो जाता है।

यूरिक एसिड...

यूरिक एसिड कम करने के लिए भी धनिया का पानी पिया जा सकता है। इस पानी को पीने पर शरीर से टॉक्सिन और यूरिक एसिड फ्लश होकर बाहर निकल जाते हैं। सब्जी या रायता बनाने में आप धनिया के पत्तों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

वजन घटाने के लिए...

रोज सुबह खाली पेट धनिया का पानी पीने पर वजन कम करने में मदद मिल सकती है। इस पानी को पीने पर पाचन में मदद मिलती है और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। साथ ही, धनिया का पानी डिटॉक्स वॉटर की तरह असर दिखाता है। इसीलिए मोटापा कम करने के लिए रोज सुबह धनिया का पानी पी सकते हैं।

गर्मियों के लिए फायदेमंद...

धनिया के पानी को गर्मियों में पीना भी फायदेमंद होता है। गर्मियों के मौसम में शरीर को ताजगी और ठंडक की जरूरत होती है, खासतौर से लू और गर्माहट से बचने के लिए। ऐसे में धनिया का पानी पीना फायदेमंद साबित होता है।

सोमवार, 27 मार्च 2023

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

सरस्वती उपाध्याय 

पानी हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी है। हमारे शरीर का लगभग 60 फीसदी हिस्सा पानी से ही भरा हुआ है। पानी पीने से हमारा शरीर हाइड्रेटेड रहता है और शरीर के सभी अपशिष्ट और टॉक्सिक पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं। इसके साथ ही शरीर के सभी अंगों को सही तरीके से काम करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी पीने से शरीर को कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ता है, जिसे ओवरहाइड्रेशन के नाम से जाना जाता है।

जब आप जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, तो इससे आपको वॉटर पॉइजनिंग, इन्टॉक्सिकेशन और दिमाग से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बहुत ज्यादा पानी पीने से दिमाग और शरीर की कोशिकाओं में सूजन आने लगती है। जब दिमाग की कोशिकाओं में सूजन आती है, तो इससे दिमाग पर प्रेशर पड़ता है, जिससे आपको कंफ्यूजन, नींद आना और सिरदर्द की समस्या से जूझना पड़ सकता है। दिमाग पर जब ये प्रेशर बढ़ता है, तो इससे हाइपरटेंशन और ब्रैडीकार्डिया (लो हार्ट रेट) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करने से हमारे शरीर में मौजूद सोडियम पर काफी बुरा असर पड़ता हैं। सोडियम हमारे शरीर में मौजूद एक इलेक्ट्रोलाइट होता है, जो कोशिकाओं के अंदर और बाहर फ्लूइड को बैलेंस करता है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से हमारे शरीर में सोडियम का लेवल घटने लगता है, जिससे शरीर में मौजूद फ्लूइड कोशिकाओं के अंदर चला जाता है, इससे कोशिकाओं में सूजन आने लगती हैं और व्यक्ति कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।

हालांकि, इसे लेकर कोई भी गाइडलाइन सेट नहीं की गई है कि किसी भी व्यक्ति को एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए। आपके शरीर को पानी की जरूरत कितनी है ? वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, आपका बॉडी वेट कितना है। साथ ही मौसम का भी इसमें काफी बड़ा रोल होता है। बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में यूरोलॉजी एंड यूरो ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. यजवेंद्र प्रताप सिंह राणा के मुताबिक, ‘नॉर्मल दिनों में 3 लीटर और गर्मियों में 3.5 लीटर तक पानी पीना सेफ माना जाता है।'

जरूरत से ज्यादा पानी पीने से ओवरहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है और ओवरहाइड्रेशन का सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। ऐसे बहुत से लोग जिन्हें लगता है कि किडनी को हेल्दी रखने के लिए ज्यादा पानी पीना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब आप बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी किडनी को अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे हार्मोन रिएक्शन होता है, जिससे आप स्ट्रेस और थके हुए महसूस करने लगते हैं। अगर बहुत सारा पानी पीने के बाद भी आपको पेशाब नहीं आता, तो ये इस ओर इशारा करता है कि आपकी किडनी क्षमता से ज्यादा काम कर रही है।

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