रविवार, 15 जनवरी 2023

'दूरदर्शी भरे निर्णयों’ ने अर्थव्यवस्था को बचाया 

'दूरदर्शी भरे निर्णयों’ ने अर्थव्यवस्था को बचाया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नोटबंदी जैसे ‘‘दूरदर्शी भरे निर्णयों’’ ने वैश्विक आर्थिक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाया और साथ ही आतंक के वित्त पोषण की रीढ़ भी तोड़ी। नकवी ने कहा कि रचनात्मक, अनुकूल और सोच-समझकर किए गए आर्थिक सुधार और फैसले देश की आर्थिक, सामाजिक और सामरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हुए हैं। दिल्ली कॉइन सोसाइटी द्वारा आयोजित ‘‘दिल्ली मुद्रा उत्सव 2023’’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि जिस भारत ने दुनिया को अंक ‘‘शून्य’’ दिया था, वह अब ‘‘वैश्विक नायक’’ बन गया है। 

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि नोटबंदी जैसे मोदी सरकार के दूरदर्शी फैसलों ने वैश्विक आर्थिक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाया और आतंकवाद के वित्तपोषण की रीढ़ भी तोड़ दी। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश में कर सुधारों की दिशा में काफी सफल साबित हुआ है। नकवी ने डिजिटल भुगतान के मामले में भारत को अग्रणी देश बताते हुए कहा कि सरकार के ‘‘डिजिटल इंडिया’’ अभियान ने आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित की है। नकवी ने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का एक-एक पैसा सीधे जरूरतमंदों के बैंक खातों में पहुंच रहा है और इससे ‘‘कटौती, कमीशन और भ्रष्टाचार की संस्कृति’’ पर लगाम लगी है। 

भाजपा नेता ने कहा कि मोदी ‘‘गरिमा के साथ विकास’’ और ‘‘बिना भेदभाव के विकास’’ की अपनी प्रतिबद्धता के साथ ‘‘सुधार, प्रदर्शन और बदलाव’’ के ‘‘वैश्विक नायक’’ के रूप में उभरे हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 100 संग्राहकों ने तीन दिवसीय ‘‘दिल्ली मुद्रा उत्सव 2023’’ में भाग लिया और सिक्कों, बैंक नोटों, डाक टिकटों आदि के अपने संग्रह को प्रदर्शित किया। 

शहीद परिवारों का ख्याल रखना हमारी 'जिम्मेदारी’

शहीद परिवारों का ख्याल रखना हमारी 'जिम्मेदारी’

नरेश राघानी 

जयपुर/भरतपुर। राजस्थान के पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा है, कि सैनिकों द्वारा अपने घर से दूर रहकर विकट परिस्थितियों में देश की सीमाओं की रक्षा की बदौलत ही हम सुरक्षित जीवन जीते है एवं चैन की नींद सोते हैं। इसलिए हमारी भी यह जिम्मेदारी है कि हम शहीद परिवारों का ख्याल रखें। उन्होंने रविवार को भरतपुर जिले में पंचायत समिति कुम्हेर की ग्राम पंचायत हथैनी में शहीद देवी चरण की मूर्ति अनावरण के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा, मेरा ऐसा मानना है कि भगवान के बाद किसी का दर्जा है, तो वह शहीद का हैं।

पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री ने शहीद देवी चरण स्मारक का फीता काटकर मूर्ति का अनावरण किया तथा शहीद की मूर्ति को माल्यार्पण कर सलामी दी। इस अवसर पर उन्होंने जनप्रतिनिधियों एवं शिक्षितजनों से आग्रह किया, कि वे राज्य सरकार की जनकल्याणकारी एवं फ्लैगशिप योजनाओं की जानकारी आम-जन तक पहुंचा कर पात्र लोगों को लाभान्वित कराएं। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व के बजट में जिले को अनेक सौगातें दी है और आने वाले बजट में भी जिले को और अधिक सौगातें मिलेंगी। गौरतलब है कि श्री देवी चरण की नियुक्ति 1986 में बीएसएससी 163 वीं बटालियन में हुई थी। इसके पश्चात उन्होंने अनेक स्थानों पर अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दी तथा 15 जनवरी 2021 में वे शहीद हो गए थे।

न्यायपालिका पर ‘कब्जा’ करने का प्रयास: सिब्बल 

न्यायपालिका पर ‘कब्जा’ करने का प्रयास: सिब्बल 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राज्यसभा सदस्य और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को आरोप लगाया कि सरकार न्यायपालिका पर ‘‘कब्जा’’ करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय में ‘दूसरे स्वरूप’ में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके। कपिल सिब्बल (74) ने मौजूदा समय में केशवानंद भारती के फैसले के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार को खुले तौर पर यह कहने की चुनौती दी कि यह त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने इस तथ्य से सामंजस्य नहीं बैठा पा रही है कि उसके पास उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों में उसकी बात अंतिम नहीं है। 

सिब्बल ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘ वे (सरकार) ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिसमें एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय में ‘दूसरे स्वरूप’ में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उस हालिया टिप्पणी के बाद सिब्बल की यह प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें धनखड़ ने उच्चतम न्यायालय द्वारा एनजेएसी को रद्द करने के फैसले की आलोचना की थी। 

धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की और वह उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से असहमत हैं कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं। उच्चतम न्यायालय ने एनजेएसी अधिनियम को 2015 में असंवैधानिक करार दिया था, जिसका उद्देश्य उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना था। 

धनखड़ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘जब एक उच्च संवैधानिक प्राधिकारी और कानून के जानकार व्यक्ति, इस तरह की टिप्पणी करते हैं, तो सबसे पहले यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या वह व्यक्तिगत राय रख रहे हैं या सरकार की ओर से बोल रहे हैं।’’ उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे नहीं पता कि वह किस हैसियत से बोल रहे हैं,…सरकार को इसकी पुष्टि करनी होगी। अगर सरकार सार्वजनिक रूप से कहती है कि वह उनके विचारों से सहमत है, तो इसका एक अलग अर्थ है।’’

अपने समर्थकों के साथ 'जदयू' में शामिल हुए रंजन

अपने समर्थकों के साथ 'जदयू' में शामिल हुए रंजन

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव रंजन रविवार को अपने समर्थकों के साथ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल हो गए। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में रविवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित मिलन समारोह में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने पूर्व विधायक राजीव रंजन एवं उनके सहयोगियों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसके बाद रंजन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर गए।

इस मौके पर ललन सिंह ने पूर्व विधायक रंजन एवं उनके सहयोगियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह इनकी घर वापसी है। उन्होंने कहा कि ये कुछ दिन के लिए भटक कर बड़का झूठा पार्टी में चले गए थे लेकिन अपना घर अपना ही घर होता है भले ही उसमें कुछ दिक्कत हो।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार सभी वर्ग एवं जाति के लिए न्याय के साथ विकास कर रहे हैं। उनकी योजनाओं को बाद में केंद्र सरकार अपनाती है। हर घर बिजली, हर घर नल का जल, साईकिल और पोशाक योजना किसने शुरू की सभी जानते हैं। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015 में हर घर नल का जल योजना शुरू की, जिसे केंद्र ने 2019 में शुरू किया। उन्होंने वर्ष 2018 में प्रदेश के हर घर तक बिजली पहुंचा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बताएं कि उन्होंने कौन सी योजना शुरू की जो पूरी कर ली गयी है। 

शिक्षा सत्र शुरू कराने के लिए 4 वर्षों से प्रयास जारी

शिक्षा सत्र शुरू कराने के लिए 4 वर्षों से प्रयास जारी


समाजसेवी राशिद अली की जनहित याचिका से प्रदेश में शिक्षा हित में क्रांतिकारी कदम 

इकबाल अंसारी 

गाजियाबाद। प्रमुख समाजसेवी राशिद अली (वारसी),सचिव आर डब्ल्यू ए प्रेमनगर, गाजियाबाद द्वारा प्रेमनगर और मुस्तफाबाद लोनी में 5 वर्ष पूर्व बने खड़े 2 इंटर कालेजों एवं प्रदेश के 85 विद्यालयों में शिक्षा सत्र शुरू कराने के लिए पिछले 4 वर्षों से प्रयास किया जा रहा है। राशिद अली द्वारा शासन प्रशासन से अनेको बार अनुरोध करने के पश्चात निराश होकर माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद में जनहित याचिका (राशिद अली बनाम उत्तर प्रदेश सरकार-2088/2022) दायर करनी पडी जिसमे मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायाधीश जेजे मुनीर, उच्च न्यायालय द्वारा सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग, सचिव अल्पसंख्यक विभाग भारत सरकार, वित्त विभाग, निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग को नोटिस भेज तलब किया गया लेकिन अधिकारीगण विदेश यात्रा पर सरकारी कार्य का प्रयोजन बताकर न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए।

न्यायाधीश ने न्यायालय के आदेश को नजर अंदाज किए जाने पर यह कहते हुए कि अफसर सरकारी धन का लुत्फ उठाने विदेश यात्रा पर चले गए हैं उनके पास अदालत में शपथ पत्र के साथ जवाब देने का पर्याप्त समय था अधिकारियों को यात्रा पर जाने से पहले शपथ पत्र के साथ संबंधित जवाब दाखिल कराना चाहिए था पर ऐसा नहीं किया गया। अफसरों की यह प्रवृत्ति कतई उचित नहीं है। कोर्ट ने बहुत सख्त आदेश किए कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग शपथ पत्र स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करें और बताए कि उत्तर प्रदेश में कितने विद्यालय हैं तथा निर्मित होने के पश्चात भी इनमें वर्षो से शिक्षा सत्र शुरू क्यों नही किया गया।

उसी क्रम में उत्तर प्रदेश की ओर से प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश 85 स्कूलो में शिक्षा सत्र 2023-24 में 01अप्रैल 2023 से शुरू करने के लिए संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक को दिनांक 21-12-2022 पर आदेश जारी कर शपथ पत्र के साथ माननीय उच्च न्यायालय में पेश किया गया। हाईकोर्ट ने प्रदेश में बने सरकारी स्कूलों की संख्या मांगते हुए बंद पड़े हुए व  संचालित हो रहे दोनों की जानकारी मांगी थी। जनहित याचिका पर अधिवक्ता शहाबुद्दीन व सैयद मोहम्मद नवाज ने बहस करते हुए तर्क रखा था कि प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार से सहायता प्राप्त काफी संख्या में सरकारी स्कूल हैं जो पर्याप्त शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति न होने के कारण संचालित नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश में तमाम सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी ही नहीं है। इससे स्कूल संचालित ही नहीं हो पा रहे हैं।

अब लोनी ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश की जनता प्रदेश में बने खड़े 85 विद्यालयों में शिक्षा सत्र शुरू होने से लाभान्वित होगी। जनहित में समाजसेवी राशिद अली की सरकार के विरुद्ध जनता के हित के लिए शिक्षा क्षेत्र में यह बहुत बड़ी जीत है।

क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बात, जरूरत नहीं 

क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बात, जरूरत नहीं 

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/कोझिकोड। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि ‘बापू’ ने खुद उनकी भूमिका को स्वीकार किया था। अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहिंसक आंदोलन के केवल एक प्रकार के आख्यान को ही शिक्षा, इतिहास और दंतकथाओं के माध्यम से लोगों पर थोपा गया है, जबकि भारत की स्वतंत्रता सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान सहित सामूहिक प्रयासों का परिणाम थी। 

तुषार गांधी ने शुक्रवार को केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के छठे संस्करण में अपने संबोधन में कहा, हमें ये बातें कहने के लिए किसी अमित शाह की जरूरत नहीं है। अमित शाह को ये बातें इसलिए कहने की ज़रूरत है, क्योंकि उनके पास अपने बारे में या अपनी विचारधारा के बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं है। बापू ने स्वयं स्वीकार किया था कि केवल उनके प्रयत्नों से ही स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी।  उन्होंने कहा,  महात्मा गांधी ने सभी को श्रेय दिया था, यहां तक कि क्रांतिकारियों के पहले के प्रयासों को भी। 

उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को भी स्वीकार किया था।  महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘द लॉस्ट डायरी ऑफ कस्तूर, माई बा’ के बारे में कहा कि बापू किसी और व्यक्ति की तरह एक साधारण इंसान थे और इसीलिए उन्होंने राष्ट्रपिता को किताब में ‘महात्मा’ नहीं कहा। एशिया के सबसे बड़े साहित्य सम्मेलनों में से एक के रूप में विख्यात केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) साहित्य और संस्कृति के प्रतीक के एक उदार मिश्रण की मेजबानी कर रहा है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता, बुकर पुरस्कार विजेता, वरिष्ठ राजनेता से लेकर इतिहासकार, फिल्मी हस्तियां, राजनयिक और कलाकार शामिल हो रहे हैं।

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