शासन-प्रशासन स्तर पर कौन लेगा जिम्मेदारी ?
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। जनपद की तहसील, विधानसभा क्षेत्र, नगर पालिका परिषद एवं विकास खंड क्षेत्र लोनी की वर्तमान आबादी 15 लाख से अधिक है। ऐसे सघन आबादी वाले क्षेत्र में सुविधाओं का कितना अभाव है ? जन समस्याएं मुंह उठाकर जैसे शासन-प्रशासन को चेतावनी दे रही है। किंतु कोई चेतावनी को स्वीकार नहीं करना चाहता है। जनता को समस्या से जूझने के लिए उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
गौरतलब हो, दिल्ली-सहारनपुर राज्यमार्ग 709 बी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन कहे जाने में किसी प्रकार की कोई अतिशयोक्ति नहीं है। 709 बी यातायात और व्यापार का एक प्रमुख संसाधन है। लाखों लोगों का आवागमन प्रतिदिन इस राजमार्ग से होता है। दिल्ली से सहारनपुर तक इतना जाम कहीं पर नहीं लगता है, जितना जाम मेन लोनी तिराहे पर लगता है। इसका प्रमुख कारण है, शासन-प्रशासन की उदारता।
शासनिक और प्रशासनिक स्तर पर जनता की मूल समस्याओं पर किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं की जाती है। बल्कि अगर यूं कहें मूल समस्याओं पर कोई ध्यान ही नहीं है तो भी कोई बुराई नहीं है।
स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर, निकाय चेयरमैन रंजीता धामा, जिला अधिकारी और उप जिला अधिकारी किस प्रकार से जन जनता की सेवा कर रहे हैं। इतनी बड़ी जन समस्या बिना चश्मे के भी दिखाई दे सकती है। हालांकि, सभी लोग काले-पीले चश्मे लगा कर रहते हैं। एक तरफ जनता उत्पीड़ित है, समस्या से रूबरू होती है। दूसरी तरफ सभी लोग जनता की सेवा में दिन-रात जी-जान से लगे हुए हैं।
क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अभी तक इस बात का आभास नहीं हुआ है कि लोनी तिराहे पर एक 'फुट ओवर ब्रिज' की अत्यधिक आवश्यकता है। बूढ़े बच्चे इस समस्या से अत्यधिक ग्रसित है। जवान व्यक्ति सड़क को पार करने में सक्षम है। कई बार वह भी हादसे का शिकार हो जाता है। लेकिन बात यदि बच्चे-स्त्री और वृद्ध जनों की जाए तो यह एक बड़ी समस्या है।