बुधवार, 1 जून 2022

मंकीपॉक्स के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता हैं

मंकीपॉक्स के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता हैं

सुनील श्रीवास्तव  
जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को अभी इस बात का विश्वास नहीं है कि मंकीपॉक्स के प्रसार को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। यह बातें, यूरोप के लिए डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक हैंस क्लूज ने कही है। उन्होंने कहा, "अभी तक हम नहीं जानते हैं कि क्या हम इसके प्रसार को पूरी तरह से नियंत्रित कर पाएंगे ? इसके लिए हमें स्पष्ट संचार, सामुदायिक कार्रवाई, संक्रामक के दौरान को आइसोलेट करना, प्रभावशाली तरीके से नए मामलों का पता लगाना और उनकी निगरानी करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अब तक मंकीपॉक्स के लिए उन्हीं उपायों को करने की आवश्यकता नहीं है, जो कोरोना वायरस महामारी के दौरान लागू किए गए थे।
क्योंकि, यह वायरस उसी तरह से नहीं फैलता है। उन्होंने कहा, "आने वाले महीनों में कई त्योहार और बड़ी पार्टियां आयोजित होने वाली हैं। ऐसे में इसका अधिक प्रसार हो सकता है।"

टिकैत पर स्याही फेंकने का मामला, बयान जारी किया

टिकैत पर स्याही फेंकने का मामला, बयान जारी किया

भानु प्रताप उपाध्याय
शामली। शामली में गठवाला खाप के चौधरी और भाकियू अराजनैतिक के संरक्षक राजेंद्र सिंह मलिक ने बेंगलुरु में राकेश टिकैत पर स्याही फेंकने के मामलें पर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना निंदनीय है‌। लेकिन सिसौली में पिछले साल तत्कालीन बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक के साथ जो हुआ था, उसका समर्थन उचित नहीं था। राजेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि तब भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने मंच से केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान को चेतावनी दी थी कि या तो वह इस मामले को निपटा लें, वरना अगर मुंह से जुबान भी निकालने की कोशिश की तो शहर में पैर भी नहीं रखने देंगे। यह किसी लिहाज से ठीक नहीं था।

इस घटना में भाकियू का अपराधियों को संरक्षण देना भी ठीक नहीं था। राकेश टिकैत के साथ हुई घटना के बाद सिसौली में पंचायत की गई और नरेश टिकैत ने कहा कि यह घटना उत्तर प्रदेश में होती तो अब तक सैकड़ों लोग मारे जाते।
काकड़ा महापंचायत में कहा गया कि बिजली के खंभे उखाड़ देंगे, शहर में बिजली नहीं जाने देंगे। यह लोगों को बांटने वाले बयान हैं। गांव-शहर के बीच कोई मतभेद नहीं है। शहीदी जत्था तैयार हो जाओ कहना भी गलत था। उन्होंने आरोप लगाया कि नरेश टिकैत कुछ दिन से भड़काने वाले बयान देकर समाज को हिंसा की तरफ धकेलने का काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी ने बड़ी लड़ाई अहिंसा के दम पर जीती थी। ऐसे शब्द समाज को अलगाववाद की ओर ले जाते हैं और खाप चौधरियों का काम तो समाज को सही दिशा देना है।

मामूली बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत हुईं

मामूली बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत हुईं 

कविता गर्ग 
मुंबई। शेयर बाजार में बुधवार को मामूली बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 21.86 अंक बढ़कर 55,588.27 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 9.85 अंकों की बढ़त के साथ 16,594.40 अंक पर खुला। हरे निशान के साथ खुले शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बढ़त देखी गई।
बीएसई का मिडकैप 31.55 अंक बढ़कर 23,175.37 अंक पर और स्मॉलकैप 132.48 अंकों की तेजी के साथ 26,503.29 अंकों पर खुला। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स बीते दिन 359.33 अंक टूटकर 55566.41 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 76.85 अंक फिसलकर 16584.55 अंक पर रहा था।

छात्रों के अंकों को बराबर का महत्व दिया जाएगा

छात्रों के अंकों को बराबर का महत्व दिया जाएगा 

कविता गर्ग  
पुणे। महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने कहा है कि राज्य में अगले शैक्षणिक वर्ष से स्नातक पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए मेधा सूची घोषित करते समय 12वीं कक्षा और सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) में छात्रों के अंकों को बराबर का महत्व दिया जाएगा। मंत्री ने पुणे में मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि नई प्रणाली इस साल से नहीं, बल्कि अगले शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से लागू की जाएगी। वर्तमान में, इंजीनियरिंग, कानून और अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले सीईटी के अंकों के आधार पर होते हैं। 
सामंत ने पुणे में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारियों के साथ बैठक की।
उन्होंने कहा कि नई प्रणाली के तहत पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए केवल सीईटी अंकों पर विचार नहीं किया जाएगा। सामंत ने कहा, मौजूदा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए छात्र केवल सीईटी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ विचार-विमर्श करने के बाद 12वीं कक्षा और सीईटी में मिले अंकों को बराबर का महत्व देने का फैसला किया गया है। इससे छात्रों को 12वीं कक्षा की पढ़ाई के साथ एक अच्छा आधार बनाने में मदद मिलेगी।

बेहतर सुविधाओं के लिए आंतरिक अध्ययन करेगी, कंपनी

बेहतर सुविधाओं के लिए आंतरिक अध्ययन करेगी, कंपनी

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। विमानन कंपनी ‘इंडिगो’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोनोजॉय दत्ता ने कहा है कि कंपनी दिव्यांग यात्रियों, खासकर परेशानी महसूस कर रहे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए एक आंतरिक अध्ययन करेगी। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने रांची हवाईअड्डे पर गत सात मई को एक दिव्यांग बच्चे को विमान में सवार होने से रोकने के मामले में इंडिगो पर गत सप्ताह पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
इंडिगो ने नौ मई को कहा था कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए, एक दिव्यांग बच्चे को सात मई को रांची-हैदराबाद उड़ान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वह घबराया हुआ नजर आ रहा था। दत्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को मंगलवार को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि विमानन कंपनी डीजीसीए के जुर्माना लगाने के फैसले को चुनौती नहीं देगी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग मुझसे यह सवाल कर रहे हैं– क्या आप चुनौती देंगे? बिल्कुल नहीं।
अधिकारी ने कहा कि विमानन कंपनी डीजीसीए के सुझावों पर गौर करेगी और उन्हें लागू करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने कुछ चीजें कहीं हैं। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की स्थिति में हवाई अड्डे पर मौजूद चिकित्सक को बुलाया जाए और हां, हमने इसे हमारी एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) में शामिल किया है कि जब इस प्रकार की स्थिति पैदा हो, हवाई अड्डे पर मौजूद चिकित्सक से हमेशा परामर्श लिया जाए।
’’ डीजीसीए ने कहा है कि इंडिगो को संवेदनशीलता के मामले में अपने कर्मियों को प्रशिक्षित करना चाहिए। दत्ता ने कहा, ‘‘दिव्यांग यात्रियों के प्रबंधन के लिए हम पहले से ही अच्छा प्रशिक्षण देते हैं। हम इसका और व्यापक अध्ययन करेंगे तथा अपने सभी प्रशिक्षकों से बात करेंगे और देखेंगे कि हम क्या सीख सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि डीजीसीए ने जो कहा है, उसका अर्थ है कि आपको यात्री को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए।
दत्ता ने कहा कि विमानन कंपनी को इस तरह की स्थितियों में खुद से पूछने की जरूरत है कि वह परेशान यात्री को शांत करने के लिए क्या कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम अपना स्वयं का आंतरिक अध्ययन कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि विमानन कंपनी के पास लगभग 100 प्रशिक्षक हैं जो चालक दल के सदस्यों और अन्य कर्मियों को इस तरह का विशेष प्रशिक्षण देते हैं। दत्ता ने कहा, ‘‘हम उन्हें एक साथ लाएंगे और अपना स्वयं का अध्ययन करेंगे।
यह परिणाम है। हम क्या अलग कर सकते हैं? हम ग्राहकों को शांत करने के तरीकों को लेकर कैसे और संवेदनशील हो सकते हैं। हम इन सब पर विचार करेंगे।’’ डीजीसीए ने पिछले शनिवार एक बयान में कहा था, ‘‘सात मई को रांची हवाईअड्डे पर दिव्यांग बच्चे के साथ इंडिगो के कर्मचारियों का व्यवहार गलत था और इससे स्थिति बिगड़ गई थी।’’ इसमें कहा गया था कि बच्चे के साथ करुणा का व्यवहार किया जाना चाहिए था और बच्चे की घबराहट दूर कर उसे शांत किया जाना चाहिए था।
चूंकि बच्चे को विमान में सवार होने से रोक दिया गया, इसलिए उसके साथ मौजूद माता-पिता ने भी विमान में सवार नहीं होने का फैसला किया था। डीजीसीए ने कहा था कि विशेष परिस्थितियों में असाधारण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, लेकिन विमानन कंपनी के कर्मचारी ऐसा करने में विफल रहे। उसने कहा था कि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए वह अपने स्वयं के नियमों पर फिर से विचार करेगा, जिसमें यात्री को विमान में सवार होने से रोके जाने का निर्णय लेने से पहले यात्री के स्वास्थ्य पर हवाई अड्डे के चिकित्सक की लिखित राय लेना विमानन कंपनी के लिए अनिवार्य किया जाएगा।

193.57 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाएं गए

193.57 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाएं गए

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देशभर में राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण अभियान के अंतर्गत 193.57 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाएं गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को यहां बताया कि आज सुबह सात बजे तक 193 करोड़ 57 लाख 20 हजार 807 कोविड टीके दिये जा चुके हैं। मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 2745 नये मरीज सामने आये हैं। इनके साथ ही देश में कोरोना रोगियों की संख्या (विभिन्न अस्पतालों में उपचार करवा रहे रोगियों) 18 हजार 386 हो गयी है।
यह संक्रमित मामलों का 0.04 प्रतिशत है। दैनिक संक्रमण दर 0.60 प्रतिशत हो गयी है। मंत्रालय ने बताया कि इसी अवधि में 2236 लोग कोविड से मुक्त हुए हैं। अभी तक कुल चार करोड़ 26 लाख 17 हजार 810 कोविड से उबर चुके हैं। स्वस्थ होने की दर 98.74 प्रतिशत है। देश में पिछले 24 घंटे में 4 लाख 55 हजार 314 कोविड परीक्षण किए गये हैं। देश में कुल 85 करोड़ 8 लाख 96 हजार 606 कोविड परीक्षण किए हैं।

कलप्पा का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा

कलप्पा का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा

इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। कांग्रेस के जाने-माने चेहरे और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता बृजेश कलप्पा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वह 25 वर्ष से कांग्रेस से जुड़े थे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा, हाल के दिनों में वह अपने ‘‘उत्साह में कमी’’ महसूस रहे हैं, उनका प्रदर्शन ‘‘उदासीन और निरुत्साह’’ वाला रहा है। सोनिया गांधी को 30 मई को लिखे एक पत्र में कलप्पा ने राज्य में पार्टी के शासन के दौरान मंत्री पद के समकक्ष कर्नाटक सरकार के कानूनी सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति समेत उन्हें दिए गए अवसरों के लिए धन्यवाद दिया।
कलप्पा ने सोनिया को उन्हें ‘‘संरक्षण’’ देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वह 2013 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासन के समय से लगभग एक दशक तक हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड़ समाचार चैनलों पर पार्टी का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और उन्होंने 6,497 बहसों में हिस्सा लिया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पार्टी नियमित रूप से उन्हें राजनीतिक काम सौंपती रही है, जिसमें उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का भरसक प्रयास किया है।
कलप्पा ने कहा, ‘‘2014 और 2019 की पराजय के बाद पार्टी के लिए सबसे बुरे समय में भी मैंने कभी उत्साह और ऊर्जा में कमी महसूस नहीं की। लेकिन, हाल के दिनों में मैं खुद के जुनून में कमी महसूस कर रहा हूं क्योंकि मेरा अपना प्रदर्शन उदासीन और निरुत्साह वाला रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में मेरे पास भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने और 1997 में शुरू हुए अपने जुड़ाव को समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’ पार्टी के कुछ सूत्रों के अनुसार, वह राज्य में हालिया विधान परिषद और आगामी राज्यसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से भी नाराज हो सकते हैं।

मोदी के तीसरे कार्यकाल को लेकर ऐलान किया

मोदी के तीसरे कार्यकाल को लेकर ऐलान किया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्‍ली। देश में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। अंतिम चरण के लिए मतदान 1 ज...