रविवार, 27 मार्च 2022
बिहार: सीएम नीतीश पर बनाईं जाएगी फिल्म
जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा, तब तक शांति नहीं
जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा, तब तक शांति नहीं
इकबाल अंसारी
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भाजपा सरकार से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत का अपना आह्वान दोहराते हुए कहा कि जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, तब तक शांति नहीं आएगी। महबूबा ने लोगों से अगले विधानसभा चुनावों में गुपकर घोषणापत्र गठबंधन के घटकों को मतदान करने का आह्वान किया। जिससे भाजपा के सत्ता हासिल करने के प्रयास को विफल किया जा सके। पीएजीडी नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित कई पार्टियों का एक गठबंधन है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर पिछले 70 सालों से समाधान का इंतजार कर रहा है। जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक इस क्षेत्र में शांति नहीं होगी और इसके लिए पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत जरूरी है। उन्होंने जम्मू के अपने सप्ताह भर के दौरे के आखिरी दिन रामबन में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, दोनों पाकिस्तान गए, लेकिन जब हम इसके बारे में बात करते हैं तो वे क्षुब्ध क्यों हो जाते हैं।
महबूबा ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार केंद्र शासित प्रदेश के अंदर और बाहर युवाओं को जेल भेजकर सिर्फ दमन की भाषा बोल रही है। भाजपा को उसके इस दावे को लेकर आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पार्टी ने सब कुछ ठीक कर दिया है, उन्होंने कहा कि अगर उनका दावा सही है, तो कश्मीर में 10 लाख सैनिकों को तैनात करने की क्या आवश्यकता है? भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए लोगों से पीएजीडी को वोट देने का आह्वान करते हुए भले ही पार्टियां गठबंधन करें या अकेले चुनाव मैदान में उतरें- उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता हथियाना चाहती है और 5 अगस्त 2019 के अपने असंवैधानिक और अवैध निर्णय पर मुहर लगावाना चाहती है। हमें परिपक्वता का प्रदर्शन करना होगा और अपने वोटों का उपयोग उनके गलत मंसूबों को परास्त करने के लिए करना होगा। महबूबा ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाशरी सुरंग का नाम दिवंगत नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने के लिए भाजपा पर कटाक्ष किया और कहा कि एक स्थानीय राजनेता या किसी संत का नाम बेहतर होता। उन्होंने लोगों से सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने का आह्वान करते हुए कहा कि हम महात्मा गांधी के भारत में शामिल हुए और वे इसे उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के भारत में तब्दील करना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर पहले ही उनके हाथों से फिसल चुका है और अगर सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो यह और खिसक जाएगा।
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा लोगों का ध्रुवीकरण करने के इरादे से इसे बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय, पिछले आठ वर्षों में पंडितों के पुनर्वास के लिए भाजपा का प्रयास बेहतर होता। परिसीमन आयोग को भाजपा का आयोग बताते हुए महबूबा ने कहा कि उनकी पार्टी पहले ही इसे खारिज कर चुकी है। आयोग ने अपने मसौदा प्रस्ताव के माध्यम से सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया है। हमें इसमें कोई विश्वास नहीं है।
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शनिवार, 26 मार्च 2022
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प्रापर्टी डीलिग छोड़, अपना असली काम करें लेखपाल
प्रापर्टी डीलिग छोड़, अपना असली काम करें लेखपाल
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। गाजियाबाद सदर, लोनी व मोदीनगर सहित तीनों तहसील में तैनात लेखपाल प्रापर्टी डीलिग छोड़कर अपना असली काम करें। अगर लेखपाल अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से करें तो व्यवस्था में जमीनी स्तर पर सुधार होगा। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने शनिवार को यह बातें कहीं। दरअसल, मोदीनगर तहसील में तैनात एक महिला लेखपाल ने ड्यूटी पर आपत्ति दर्ज करते हुए दूसरे विभाग की ड्यूटी करने से मना कर दिया था। इस पर शनिवार को नियमित जन सुनवाई के दौरान ही डीएम राकेश कुमार सिंह ने शासन स्तर से जारी भू-लेख नियमावली की पुस्तिका मंगवाई और नियमावली के एक-एक बिदु को पढ़ते हुए लेखपाल के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। इसमें उन्होंने अवैध शराब, जमीनों पर कब्जे, सहकारी आवास के घोटाले, क्षेत्र में बीमारी फैलने की रोकथाम व घर-घर जाकर वोटर लिस्ट बनाने व पुनरीक्षित करने, पुलिस के कार्य में मदद, पशुओं के टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा व स्वास्थ्य संबंधी कार्यों समेत समस्त दायित्वों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि एसडीएम व तहसीलदार कोई भी भू-लेख नियमावली का गहनता से अध्ययन नहीं करता है। इसीलिए लेखपाल मनमानी करते हैं। लेखपाल अपनी कार्यशैली में तुरंत सुधार कर लें, अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें। जल्द तीनों तहसील में औचक निरीक्षण किया जाएगा। लेखपालों की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी। डीएम ने भू-लेख नियमावली की पुस्तिका उक्त महिला लेखपाल को देते हुए कहा कि यह नियमावली अपने बाकी सभी साथियों को भी पढ़वाएं, ताकि वह अपने मूल कार्यों के प्रति जागरूक होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन गंभीरता से कर सकें।
लोगों का आरोप है कि गाजियाबाद सदर समेत जिले की तीनों तहसील में एसडीएम व तहसीलदार के चहेते लेखपाल व राजस्व निरीक्षक अपना असली काम छोड़कर हमेशा विशेष ड्यूटी पर रहते हैं। अपने असली कार्य को यह लेखपाल बेगार मानते हैं। एसडीएम व तहसीलदार का सिर पर हाथ होने के कारण इनका दिमाग हमेशा सातवें आसमान पर रहता है। यही कारण है कि विशेष ड्यूटी पर होने के कारण यह लेखपाल सेंटिग कर कुछ भी काला या सफेद कर देते हैं। इसके बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है, बल्कि बड़ी-बड़ी गड़बड़ी पर भी पर्दा डाल दिया जाता है।
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