रविवार, 13 फ़रवरी 2022
डाक विभाग के समावेशन संबंधी लक्ष्यों को मजबूती
'राष्ट्रपति' ने रामानुजाचार्य प्रतिमा का अनावरण किया
'राष्ट्रपति' ने रामानुजाचार्य प्रतिमा का अनावरण किया
तेलांगना। रविवार को राष्ट्रपति कोविंद हैदराबाद का दौरा किया। यहां वह ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ परिसर के पास समाज सुधारक और 11वीं सदी के संत रामानुजाचार्य की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण किया। आयोजकों ने जानकारी दी कि कोविंद रविवार को अपराह्न साढ़े तीन बजे ‘जीवा’ आश्रम पहुंचे। इससे पहले यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच फरवरी को रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था। जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ कहा जाता है।
राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी हैदराबाद गए। राष्ट्रपति के दौरे को मद्देनजर राज्य सरकार ने अधिकारियों को सभी आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने गुरुवार को बीआरकेआर भवन में विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ बैठक की है। उन्होंने अधिकारियों से सड़कों की मरम्मत, उस मार्ग की बैरिकेडिंग करने के लिए कहा, जिससे राष्ट्रपति का काफिला गुजरेगा और यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि सभी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए। मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने कहा, राष्ट्रपति की हैदराबाद यात्रा को तेलंगाना सरकार की प्रतिष्ठा और दुनियाभर में हैदराबाद की पहचान को और बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। किसी भी तरह की कमी ना हो इसके लिए अधिकारियों को समन्वय से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रपति मंदिर का दौरा करने के बाद रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। फिर वह ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ के दर्शन किया।
राष्ट्रपति ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ भी देखने गए। इसे दुनिया की सबसे ऊंची धातु की बैठी हुई मूर्तियों में से एक कहा जाता है। यह प्रतिमा हैदराबाद के बाहरी इलाके में 45 एकड़ के परिसर में स्थित है। इसकी आधारशिला 2014 में रखी गई थी। इस प्रोजेक्ट की लागत 1,000 करोड़ रुपये रही है और यह पैसा दुनियाभर के श्रद्धालुओं से दान के तौर पर आया है। प्रतिमा का निर्माण एक आधार ‘भद्र वेदी’ पर किया गया है, जो 54 फीट लंबा है। स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी का दौरा करने वालों में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं।
वित्त वर्ष में 8,000 करोड़ रुपयें की वसूली की उम्मीद
वित्त वर्ष में 8,000 करोड़ रुपयें की वसूली की उम्मीद
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक को 31 मार्च 2022 को खत्म होने वाले चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण द्वारा समाधान वाले खातों सहित रिटन ऑफ अकाउंट्स से लगभग 8,000 करोड़ रुपये की वसूली की उम्मीद है। एसबीआई ने दिसंबर 2021 को खत्म हुई तीसरी तिमाही के दौरान रिटन-ऑफ अकाउंट्स से 1,500 करोड़ रुपये की वसूली की और वित्त वर्ष 2021-22 के पहले नौ महीनों अप्रैल-दिसंबर के दौरान कुल वसूली राशि 5,600 करोड़ रुपये रही। बैंक ने निवेशकों के साथ एक बातचीत में यह बात कही है। बैंक ने कहा कि कुल मिलाकर उसे चालू वित्त वर्ष में लगभग 8,000 करोड़ रुपये की वसूली की उम्मीद है। इसमें न्यायाधिकरण द्वारा हल किए गए मामलों से वसूल की गई राशि भी शामिल है। इसके चलते बैंक के फंसे हुए कर्ज में भी सुधार हुआ है और 31 दिसंबर 2021 के आखिर में उसका सकल एनपीए घटकर 4.5 फीसदी रह गया, जो सितंबर, 2021 के आखिर में 4.9 प्रतिशत था। शुद्ध एनपीए भी तिमाही आधार पर 1.52 फीसदी से गिरकर 1.34 फीसदी पर आ गया है।
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंक के प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है। आपको बता दें कि दिसंबर तिमाही में एसबीआई के प्रॉफिट में सालाना आधार पर 62 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है। इस तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट 8432 करोड़ रुपए रहा। दिसंबर 2020 तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट 5196 करोड़ रुपए रहा था। बैंका प्रदर्शन ज्यादातर सर्वे के मुकाबले बेहतर रहा है। इस तिमाही में बैंक की इंट्रेस्ट इनकम में 4.41 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा 69 हजार 678 करोड़ रुपए का रहा। दिसंबर 2020 में यह आंकड़ा 66 हजार 734 करोड़ रुपए था।
बैंक का नेट इंट्रेस्ट इनकम 6.48 फीसदी के उछाल के साथ 30 हजार 687 करोड़ रुपए रहा। एक साल पूर्व समान तिमाही में बैंक की नेट इंट्रेस्ट इनकम 28820 करोड़ रुपए थी। दिसंबर तिमाही के लिए बैंक का स्लीपेज 2334 करोड़ रुपए रहा। कोरोना के कारण पहले और दूसरे चरण के रिजॉल्यूशन प्लान के कारण बैंक का टोटल री-स्ट्रक्चरिंग 32 हजार 895 करोड़ रुपए रहा। डिपॉजिट की बात करें तो इसमें सालाना आधार पर 8.83 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 38 लाख 47 हजार 794 करोड़ रुपए रहा। एडवांस में सालाना आधार पर 8.47 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 26 लाख 64 हजार 602 करोड़ रुपए रहा।
तमिलनाडु के 12 मछुआरों को अरेस्ट किया: श्रीलंका
तमिलनाडु के 12 मछुआरों को अरेस्ट किया: श्रीलंका
सुनील श्रीवास्तव
कोलंबो। तमिलनाडु के 12 मछुआरों को उनकी दो नौकाओं से श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार कर लिया है। रामेश्वरम मछुआरा संघ के अध्यक्ष एन देवदास ने बताया कि ये सभी मछुआरे शनिवार की रात कच्छदिवु और धनुषकोडी के बीच मछली पकड़ने गए थे। इसी दौरान श्रीलंकाई नौसेना के गश्ती दल ने पकड़ लिया है। इससे पहले भी 8 फरवरी को श्रीलंका की नौसेना ने तमिलनाडु के 16 मछुआरों को पकड़ लिया था। क्यू ब्रांच पुलिस के मुताबिक, सोमवार-मंगलवार को मध्यरात्रि दो बजे रामेश्वरम के दो मछुआरों और तीन नावों को श्रीलंकाई नौसेना ने पकड़ लिया।
आपको बता दें कि कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है। श्रीलंका की तरफ से इस तरह की कार्रवाई लगातार की जा रही है। तमिलनाडु सरकार ने भी एक बार केंद्र से मछुआरों को छुड़ाने के लिए श्रीलंका से बात करने का आग्रह किया था। श्रीलंका के पास कई भारतीय मछुआरे कैद हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नई दिल्ली में श्रीलंका के विदेश मंत्री जी एल पीरिस से मुलाकात की थी और द्वीप राष्ट्र को मजबूत करने के लिए आर्थिक निवेश पहल की संभावनाओं के साथ-साथ मछुआरों के मुद्दे पर चर्चा की थी। जयशंकर ने कहा था कि उन्होंने अपने श्रीलंकाई समकक्ष के साथ बातचीत की, जिसमें श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कदमों पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों मंत्रियों ने आर्थिक सुधार के लिए अधिक पर्यटन के महत्व को लेकर भी बात की।
दोनों नेताओं के बीच कोलंबो की ऊर्जा सुरक्षा, द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश मजबूत करने और लगातार जारी मछुआरों के मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत हुई। इस बीच मछुआरों के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, दोनों देशों के बीच रिश्ते में यह मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है। तीन दिनों की यात्रा के लिए पेइरिस पिछले रविवार को नई दिल्ली आए थे। मछुआरों के मुद्दे का उल्लेख करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि इस बात पर सहमति बनी कि द्विपक्षीय तंत्र की जल्द से जल्द बैठक होनी चाहिए। वहीं श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी के विरोध में विभिन्न मछुआरा संघों के नेता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने मछुआरों की शीघ्र रिहाई की मांग की है।
इस्लाम धर्म में मानसिकता अभी भी कायम हैं: आरिफ
इस्लाम धर्म में मानसिकता अभी भी कायम हैं: आरिफ
इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। हिजाब विवाद पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कहा कि अरब समाजों में ऐसे लोग थे। जो जन्म के तुरंत बाद अपनी बच्चियों को दफना देते थे। इस्लाम धर्म ने इसे समाप्त कर दिया। लेकिन वह मानसिकता अभी भी कायम है। पहले उन्होंने तीन तलाक का आविष्कार किया, फिर हिजाब और फिर मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित रखने के लिए अन्य प्रकार की चीजों का आविष्कार किया। राज्यपाल ने आगे कहा कि भारत को यह मानने के लिए कहा जा रहा है कि हिजाब आंतरिक है। अगर हम उस तर्क को स्वीकार करते हैं, तो मुस्लिम लड़कियों को फिर से उनके घरों में धकेल दिया जाएगा क्योंकि अगर वे शिक्षा नहीं ले सकती हैं, तो उनकी शिक्षा में रुचि कम हो जाएगी। इससे पहले शनिवार को आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब विवाद को एक ‘साजिश’ करार दिया था और कहा था कि यह पसंद का मामला नहीं है, बल्कि सवाल है कि क्या कोई व्यक्ति किसी संस्थान के नियमों, ड्रेस कोड का पालन करेगा या नहीं। कर्नाटक में इस मुद्दे पर छिड़े विवाद के संबंध में कहा कि ‘कृपया इसे विवाद के रूप में न ले।
यह एक साजिश है। खान ने कहा, ‘मुस्लिम लड़कियां हर जगह ‘‘बहुत अच्छा’’ कर रही हैं और इसलिए उन्हें प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्हें नीचे धकेलने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह (हिजाब पहनना) पसंद का सवाल नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि अगर आप किसी संस्थान में शामिल हो रहे हैं तो क्या आप नियमों, अनुशासन और ड्रेस कोड का पालन करेंगे या नहीं। इससे एक दिन पहले केरल के राज्यपाल ने कहा था कि अगर इस्लाम के इतिहास पर गौर किया जाए तो महिलाओं के पर्दा करने से इनकार करने के उदाहरण रहे हैं। हालांकि, उन्होंने खुलकर अपनी राय जाहिर नहीं की लेकिन अपनी बात रखने के लिए एक युवा महिला की कहानी सुनाई, जो पैंगबर की रिश्तेदार बताई जाती है। खान ने पत्रकारों से कहा था, ‘मैं आपको एक बात बताऊंगा। एक युवा लड़की, जो पैगंबर के घर में पली-बढ़ी थी। वह पैगंबर की पत्नी की रिश्तेदार थीं। वह काफी सुंदर थी। इतिहास यही कहता है। इसे पढ़िए। कहानी के हवाले से उन्होंने कहा कि मध्यकाल में जब उस महिला का पति कूफा का गवर्नर था तो उसे हिजाब न पहनने के लिए फटकार लगायी गई थी। उसने तब कहा था कि अल्लाह ने उसे खूबसूरत बनाया और अल्लाह ने उस पर खूबसूरती की मुहर लगा दी थी।
खान ने कहा, ‘उसने कहा कि मैं चाहती हूं कि लोग मेरी सुंदरता देखे और मेरी सुदंरता में अल्लाह का रहम देख। और अल्लाह का शुक्रगुजार रहे। इस्लाम की पहली पीढ़ी की महिलाओं की यह सोच थी। मैं यही कहना चाहता हूं। बता दें कि पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी में सरकारी महाविद्यालय में हिजाब पहनकर आई छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश नहीं देने से विवाद शुरू हुआ था। मुस्लिम छात्राओं ने इसका विरोध किया। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता करार दिया। इसके बाद हिजाब के विरोध में कुछ बच्चों ने भगवा गमछे या शॉल पहनने शुरू कर दिया। इससे विवाद और बढ़ गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में सियासत भी लगातार जारी है।
कोरोना की रफ्तार को लेकर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर बनेंगे: सीएम
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में हमने सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि यहां से गुजरकर दूसरे राज्यों को जाने वाले मजदूरों की भी मदद की है। हमने अपने राज्य के मजदूरों के खाने-पीने, ठहरने, गांवों में क्वारंटाइन होने, जांच और उपचार की व्यवस्था के अलावा उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के उपाय किए थे। हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। उसी समय हमने घोषणा की थी कि प्रवासी श्रमिकों के लिए नीति बनाएंगे। इस तरह हमने छत्तीसगढ़ प्रवासी श्रमिक नीति 2020 को तैयार कर अधिसूचित किया है। इस नीति के तहत वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों का ऑनलाइन पंजीयन किया गया। पलायन पंजी के ऑनलाइन संधारण की व्यवस्था की गई है। हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण की योजनाएं संचालित कर रहे हैं। श्रमिकों के परंपरागत कौशल को नवीन ज्ञान से संवारने हेतु उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। हम छत्तीसगढ़ में ऐसे अवसर पैदा कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश के श्रमिकों को अन्य प्रदेशों में जाना ही नहीं पड़े। उनका कौशल और मेहनत राज्य के विकास के काम आए।
भारत सरकार की ओर से असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा। विगत तीन वर्षों में एक ओर जहां नक्सलवाद और उसकी हिंसक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगा है वहीं दूसरी ओर उद्योग, व्यापार और कारोबार में लगे लोगों को यह विश्वास हुआ है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए उत्साहजनक वातावरण निर्मित हुआ है, जिससे हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने अधोसंरचना विकास के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। प्रदेश में 21 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा हमने अनेक व्यावहारिक उपाय करते हुए मरम्मत व अन्य तरीकों से वास्तविक सिंचाई क्षमता को दोगुना कर दिया है। हमने विगत तीन वर्षों में डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है। विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए हमने ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था की है, जिसमें विकासखण्ड स्तर पर 5 हजार युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें 200 करोड़ रूपए से अधिक लागत के काम सीमित प्रतियोगिता के आधार पर दिए गए हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए सुराजी गांव योजना संचालित की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं। कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया। दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी गई जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो। कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
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'रेडिएशन' स्टॉर्म के बारे में चेतावनी जारी की अखिलेश पांडेय नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। वैज्ञानिक अभी भी पिछले सप्ताह आए सोलर स्टॉर्म...
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वर्षा: पानी में डूबी दिल्ली, बाढ़ के हालात बनें इकबाल अंसारी नई दिल्ली। इन दिनों उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश ने कहर बर...