ब्राजील संक्रमितों के मामले में अब तीसरे स्थान पर है। देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और अभी तक इससे 1.48 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं जबकि 4,11,588 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील कोरोना से मौतों के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है। संक्रमण के मामले में फ्रांस चौथे स्थान पर है जहां कोरोना वायरस से अब तक करीब 57.41 लाख लोग प्रभावित हुए हैं जबकि 1,05,548 मरीजों की मौत हो चुकी है।
बुधवार, 5 मई 2021
15.43 करोड़ संक्रमित, 32.27 लाख की मौत हुईं
पूर्व क्रिकेटर के अपहरण केस में 4 लोग गिरफ्तार
सिडनी। आस्ट्रेलिया के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर स्टुअर्ट मैकगिल का पिछले महीने सिडनी में उनके घर से अपहरण किया गया था लेकिन एक घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया। न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। देश की मीडिया ने पुलिस के हवाले से कहा कि छापे के बाद इस कथित अपहरण के मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया है।
यह घटना 14 अप्रैल को हुई जब सिडनी के उत्तरी हिस्से में सड़क पर एक व्यक्ति ने मैकगिल को रोका और फिर इसके बाद दो और व्यक्ति आए और उन्होंने जबरन इस पूर्व क्रिकेटर को कार में डाल दिया। मैकगिल को कथित तौर पर सिडनी के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में ले जाया गया और कथित तौर पर मारपीट के बाद उन्हें दूसरी जगह ले जाया गया और फिर बाद में छोड़ दिया गया।
इस दौरान उन्हें हथियार दिखाकर डराया भी गया।न्यू साउथ वेल्स पुलिस के अधीक्षक एंथोनी होल्टन के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा कि मुझे पता है कि उन्हें सिर्फ एक घंटे के लिए बंधक बनाया गया लेकिन यह बेहद डरावना एक घंटा रहा होगा। न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने विज्ञप्ति में कहा कि उन्हें 20 अप्रैल को एक घटना की जानकारी दी गई थी।
पुलिस ने बयान में कहा कि लूट और गंभीर अपराध विभाग ने इसके बाद जांच की और चार व्यक्तियों को बुधवार सुबह स्थानीय समयानुसार छह बजे गिरफ्तार किया गया जिनकी उम्र 27, 29, 42 और 46 बरस है। पुलिस ने कहा कि अपहरण फिरौती के लिए किया गया था।
उन्होंने कहा कि उसे ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा गया जिससे वे पैसा हासिल कर सकते थे लेकिन उन्हें छोड़े जाने से पहले पैसे का भुगतान नहीं किया गया। पूर्व लेग स्पिनर मैकगिल ने आस्ट्रेलिया की ओर से 1998 से 2008 के बीच 44 टेस्ट खेले और इस दौरान 208 विकेट चटकाए।
अमेरिका: भारत से यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा
वाशिंगटन। कोरोना वायरस के बेतहाशा बढ़ते मामलों के मद्देनजर अमेरिका ने भारत से यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे कई परिवार अपने सदस्यों से बिछड़ गए हैं और भारत में फंस गए हैं। वे अपने प्रियजनों के अंतिम समय में उनसे मिलने तथा उनके अंतिम संस्कार में शिरकत करने के लिए भारत गए थे। कुछ मामलों में देखा गया है कि परिवार का कमाने वाला सदस्य ही भारत में फंस गया है और उनके अमेरिका में अपने परिवार से जल्द मिलने की संभावना नहीं लगती है, क्योंकि भारत में दूतावास और महावाणिज्य दूतावास बंद हैं। बाइडन प्रशासन का यह प्रतिबंध चार मई से अमल में आ गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, इस प्रतिबंध से छात्रों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और कुछ व्यक्तियों को छूट दी गई है। भारत में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप को देखते हुए यह प्रतिबंध बेमियादी अवधि के लिए लगाया गया है।अमेरिका में ‘स्कील्ड इम्मिग्रैंट्स’ की सह संस्थापक नेहा महाजन ने कहा, “मेरे पति के पास 2008 से एच-1बी वीज़ा है और उन्हें अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए 17 अप्रैल को भारत जाना पड़ा। तब से, भारत में अमेरिकी दूतावास बंद है। उनके पास स्वीकृत एच-1बी वीजा है लेकिन उन्हें अपने पासपोर्ट पर मुहर लगवाने और दिल्ली में अमेरिकी मिशन में व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार के लिए जाना होगा।”
उन्होंने कहा, “ मैं यहां अपनी दो बेटियों के साथ हूं जो इस मुश्किल वक्त में अपने पिता को याद करती हैं। ” नाश्विल में रहने वाली पायल राज ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम की वह कब और कैसे भारत से वापस आकर अपने नौ वर्षीय बच्चे से मिलेंगी। उन्होंने कहा, “प्रतिबंध में, खासकर गैर आप्रवासियों और उनके परिवारों को निशाना बनाया गया है। अन्य देशों पर प्रतिबंध का इतिहास देंखें तो पता चलता है कि यह महीनों या एक साल तक रह सकता है।”
उन्होंने कहा “हज़ारों लोग अपने माता-पिता के अंतिम वक्त में उनके साथ रहने के लिए भारत आए हैं लेकिन वह इस प्रतिबंध की वजह से यहीं फंस गए हैं और अपने बच्चों तथा पति या पत्नी से नहीं मिल पा रहे हैं। ” मुंबई में अभिनव अमरेश फंस गए हैं, क्योंकि मुंबई में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास बंद कर दिया गया है जिस वजह से वह अपने एच-1बी वीजा पर मुहर नहीं लगवा सके हैं। जबतक उनके वीजा पर मुहर नहीं लगेगी वह अमेरिका नहीं लौट सकते हैं। ऐसे कई अन्य हैं जो वीजा पर मुहर नहीं लगने की वजह से भारत में फंस गए हैं। भारत में पिछले एक हफ्ते से रोजाना कोरोना वायरस के तीन लाख से अधिक मामले आ रहे हैं।
यूपी की भाजपा सरकार को सही आईना दिखाया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो रही मौतों के मामले पर प्रयागराज हाई कोर्ट द्वारा लोगों की मौत को नरसंहार की तरह करार दिए जाने के बाद बुधवार को कहा है कि उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को सही आईना दिखाया है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो रही मौतों पर अब सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। बुधवार को अपनी फेसबुक पोस्ट में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि प्रयागराज हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ऑक्सीजन की कमी से मौतों के मामले पर फटकार लगाते हुए सही आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ऑक्सीजन की कमी की बात को लगातार झुठलाती रही है। जबकि सच्चाई यही है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से लगातार लोगों की मौतें हुई हैं। अब इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने राज्य में ऑक्सीजन की कमी होने का हवाला देते हुए दावा किया है कि सरकार कहती है कि राज्य में ऑक्सीजन का कोई अभाव नहीं है। लेकिन जमीनी हकीकत में लोग सरकार के इस बयान की सच्चाई बता रहे हैं। चारों तरफ ऑक्सीजन व अन्य दवाओं का अभाव है। कृत्रिम अभाव के चलते ब्लैक बाजी करने वाले लोग आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में सरकार का दूर तक भी कोई अता पता नहीं है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी से हुई कोविड-19 मरीजों की मौत से जुड़ी खबरों पर संज्ञान लेते हुए लखनऊ और मेरठ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह कोरोना संक्रमित लोगों की मौत की 48 घंटों के भीतर तथ्यात्मक जांच करें। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने राज्य में संक्रमण के प्रसार और पृथक-वास केन्द्र की स्थिति संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से कोविड-19 मरीजों की जान जा रही है। यह एक आपराधिक कृत्य है और यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं है। जिन्हें तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की सतत खरीद एवं आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
एससी ने मराठा आरक्षण पर चलाईं कैंची, खारिज
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य में दिए गए मराठा आरक्षण पर कैंची चलाते हुए उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को समाप्त करते हुए कहा कि यह पहले से ही निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय की पीठ ने वर्ष 1992 के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर अपनी कैंची चलाते हुए कहा है कि यह 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है। इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2018 के राज्य सरकार के कानून को भी खारिज कर दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर जाते हुए आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया था। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में लिए गए इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई थी। जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अपना यह फैसला सुनाया है। निर्णय सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि वह इंदिरा साहनी केस पर दोबारा विचार करने का कोई कारण नहीं समझते हैं। न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकारों की ओर से आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मराठा आरक्षण देने वाला कानून 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ता है और यह समानता के खिलाफ है। इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि कैसे मराठा समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर बिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही इंदिरा साहनी केस में वर्ष 1992 के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा से भी न्यायालय ने इंकार कर दिया है।
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