शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

मीडिया, दिग्गजों पर 'शिकंजा' कसेगी

रूस में अमेरिकी सोशल मीडिया दिग्गजों पर लग सकती है रोक


मास्को। रूसी सांसदों ने फेसबुक, ट्विटर और एल्फाबेट इंक के यूट्यूब जैसे दिग्गज अमेरिकी सोशल मीडिया मंचों पर रोक लगाने के लिए संसद में एक मसौदा कानून पेश किया है। इस कानून को रूसी संसद में मंजूरी मिली तो रूस में इन सोशल मीडिया मंच पर रोक लग सकती है। सांसदों ने इन सोशल मीडिया मंचों पर रूसी मीडिया के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। रूसी मीडिया के खिलाफ पोस्ट को बढ़ाने पर रूसी सांसदों में अधिकतर सत्तारूढ़ पार्टी के हैं। इन्होंने रशिया टुडे, आरआईए नोवोस्टी और क्रीमिया 24 की शिकायत पर यह मसौदा पेश किया है। उन्हें शिकायत मिली थी। कि ट्विटर ने कुछ रूसी मीडिया कंपनियों के अकाउंट्स पर सरकार समर्थित मीडिया का लेबल लगाया है। इससे पहले भी ट्विटर ने सरकार के अधिकारियों और वरिष्ठ कर्मचारियों के अकाउंट पर भी ऐसे लेबल लगाए थे। और रूस ने तब भी इसका विरोध किया था।                                 


ऑस्ट्रेलियाः गैरकानूनी रूप से 39 की मौत

ऑस्ट्रेलिया सेना ने अफगानिस्तान में गैरकानूनी रूप से 39 लोग मारे


सिडनी। युद्ध अपराध को लेकर चार साल से ज्यादा चली जांच के बाद ऑस्ट्रेलिया के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने स्वीकार किया है। कि उनकी सेना अफगानिस्तान में आपराधिक गतिविधियों में शामिल थी। ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने माना इस बात के पुख्ता सबूत हैं। कि अफगानिस्तान में तैनात उनके सैनिकों ने कम से कम 39 अफगान नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से हत्या की।
कैंपबेल के मुताबिकमैं ईमानदारी से अफगान लोगों के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बलों द्वारा किए गए किसी भी गलत काम के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं। ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल के महानिरीक्षक 2005 से 2016 के बीच अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलिया सेना द्वारा युद्ध अपराध के आरोपों की जांच कर रहे थे।
उन्होंने कहा अगला कदम युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना होगा। जांच में पाया गया कि ऑस्ट्रेलियाई सेना में विशेष बल के 25 सैनिक कैदियों, किसानों और अन्य निहत्थे नागरिकों की हत्याओं में शामिल थे। इसी के साथ नागरिकों की 23 अवैध हत्याओं के भी पुख्ता सबूत भी हैं। जिनमें कम से कम 39 अफगान नागरिक मारे गए थे। युद्ध अपराध का सिलसिला 2009 में शुरू हुआ लेकिन ज्यादातर लोग 2012 से 2013 के बीच मारे गए।
मिशन पर संदेह की उंगलियां उठीं
ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने जांच रिपोर्ट आने के बाद कहा इस तरह के कथित व्यवहार ने अफगान लोगों द्वारा हमारे ऊपर जताए गए भरोसे का अनादर किया। अफगानों ने अपने देश से हमें मदद करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि कथित अपराध के चलते न सिर्फ मिशन पर संदेह की उंगलियां उठीं बल्कि अफगान परिवारों और समुदायों को दर्द और दुख झेलना पड़ा।
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल का कहना है। कि पिछले चार सालों में इस तरह के कई आरोपों की आंतरिक समिति ने जांच की है। सेना ने अपने एक बयान में कहा कि उसने 55 मामलों की जांच की है। जिसमें 336 गवाहों ने बयान दिए हैं। सितंबर 2001 में अमेरिका में आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान में 2002 को ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की तैनाती की गई थी। अफगानिस्तान में कुल 39,000 ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने अपनी सेवा दी, जिनमें से 41 मारे गए। ऑस्ट्रेलिया ने 2013 में अफगानिस्तान से अपने अधिकांश सैनिकों को वापस बुला लिया था। 
लोगों का हम पर से भरोसा उठा
ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने जांच रिपोर्ट के बाद कहा इस तरह के व्यवहार से अफगानिस्तान की जनता का हमारे ऊपर से भरोसा उठा है। जिनकी रक्षा के लिए हम लोग यहां पर तैनात हैं। उन्होंने कहा कथित अपराध मिशन को संदेह में डालने के साथ-साथ अफगान परिवारों समुदायों को दर्द और दुख देता है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है। कि हत्या में शामिल 19 लोगों की जांच की जाए। कैंपबेल ने कहा मैंने महानिरीक्षक की जांच रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और 143 सिफारिशों को लागू करने के लिए एक व्यापक योजना पर काम चल रहा है।                                                       


शिवसेना ने बीजेपी नेता को दिया जवाब

शिवेसना ने मुखपत्र सामना में बीजेपी नेता आशीष शेलार को दिया जवाब


मुंबई। शिवसेना ने आगे कहा- बीजेपी भगवा झंडा छूने की हिम्मत करती है, तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
शिवेसना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में बीजेपी के नेता आशीष शेलार की झंडे को पवित्र करने वाली टिप्पणी पर जवाब दिया है। सामना के संपादकीय में यह कहा गया अगर आप बीएमसी की बिल्डिंग से भगवा झंडा हटाने की सोच रहे हैं। तो मुंबई के लोग यह सुनिश्चित करेंगे कि उस विचार का अंतिम संस्कार किया जाए और उस पर भी भगवा झंडा फहराया जाए। वही शिवसेना ने आगे कहा है। मुंबई भगवा रंग की आग है और अगर बीजेपी भगवा झंडा को छूने की हिम्मत करती है, तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
आशीष शेलार ने कहा था। कि शिवसेना के झंडे को पवित्र करने की इसलिए जरूरत है। क्योंकि इसने हिन्दुत्व का एजेंडा छोड़ दिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के साथ जाकर हाथ मिला लिया।                                       


गलत नक्शे का नोट सऊदी ने वापिस लिया

सऊदी अरब ने जम्मू-कश्मीर के गलत नक्शे वाला 20 रियाल का नोट लिया वापस


नई दिल्ली/ रियाद। सऊदी अरब ने भारत के गलत नक्शे वाले विवाद को सुलझा लिया है। दरअसल उसने अपने 20 रियाल के उस नोट को वापस ले लिया है। जिस पर भारत का गलत नक्शा प्रकाशित हो गया था। साथ ही, इस बैंकनोट की छपाई भी रुकवा दी है। दरअसल,  इस नोट में अविभाजित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाया गया था। जिस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई थी। इसके बाद सऊदी अरब ने यह नोट वापस लेने का फैसला किया। बता दें कि सऊदी अरब ने यह बैंकनोट जी-20 समिट के लिए जारी किया गया था। जिसे समिट से पहले ही वापस ले लिया गया। गौरतलब है। कि इस बार जी-20 समिट की अध्यक्षता सऊदी अरब कर रहा है।
यह था पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक सऊदी अरब ने 20 रियाल का नया नोट जारी किया था। इसमें एक तरफ किंग सलमान और जी-20 सऊदी समिट का लोगो था। वहीं, दूसरी तरफ जी-20 देशों का वैश्विक नक्शा था। इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरे जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग दिखाया गया था। इसके बाद सऊदी अरब में भारतीय राजदूत औसाफ सईद ने 28 अक्टूबर को यह मुद्दा रियाद के सामने उठाया था। 
भारत ने दी यह जानकारी
सऊदी अरब के इस फैसले के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस मसले को लेकर सऊदी अरब के अधिकारियों से बातचीत की गई थी। रियाद के साथ-साथ नई दिल्ली में भी सऊदी के अधिकारियों से इस पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया है। कि गलत नक्शे वाले बैंकनोट को वापस ले लिया गया है।
चलन में नहीं आना था। यह नोट इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब के अधिकारियों का दावा है। कि 20 रियाल के इस बैंक नोट को जी-20 समिट की स्मारिका के तौर पर निकाला गया था। यह मुद्रा चलन के लिए नहीं थी। ऐसे में उसे वापस ले लिया गया है। 
21 नवंबर से शुरू होगी जी-20 समिट
गौरतलब है। कि 15वें जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत 21 नवंबर को होगी। यह कार्यक्रम 22 नवंबर तक चलेगा। 15वें जी-20 समिट की अध्यक्षता सऊदी अरब के किंग करेंगे। इस शिखर सम्मेलन की थीम सभी के लिए 21वीं सदी के अवसरों का एहसास रखी गई है। बता दें कि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार जी-20 सम्मेलन वर्चुअल तरीके से आयोजित किया जा रहा है।                                    


'पीएम' की एजेंसियों के साथ हाईलेबल बैठक

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हाईलेवल मीटिंग हुई है। इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजित दोभाल, विदेश सचिव के साथ सभी खुफिया एजेंसियों के अफसर मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि आतंकी 26/11 की बरसी पर किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे।                       


इटावाः 15 वर्षीय छात्रा को बनाया अधिकारी

इटावा। यूनेस्को द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत इटावा में एक 15 वर्षीय लड़की को थाना बकेवर थानाध्यक्ष बनाकर थाना पुलिस की कार्यशैली से परिचित कराया गया। एसएसपी आकाश तोमर ने बताया कि थाना क्षेत्र बकेवर के अंतर्गत लखना की रहने वाली और दीवान पब्लिक स्कूल मेरठ में कक्षा 11 की 15 वर्षीय छात्रा आकृति त्रिपाठी को एक दिन के लिए बकेवर थानाध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा नारी शक्ति सम्मान, चाइल्ड केयर संबंधित जानकारी देकर जनता की समस्याओं के संबंध में भी अवगत कराया गया। इस दौरान थानाध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाली छात्रा आकृति अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही थी।


एमपीः कब होगा शिप्रा नदी का शुद्धीकरण

आखिर कब होगा शिप्रा नदी का शुद्धिकरण


उज्जैन। सरकार कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की शिप्रा नदी को शुद्ध कराने के लिए कई जतन किए लेकिन हर प्रयास असफल साबित हुए हैं। शिप्रा नदी को साफ करने के लिए सामाजिक संगठन भी मैदान में उतरे परंतु उसके बाद भी शिप्रा का जल शुद्ध नहीं हो पाया। यह एक चिंता का विषय है। आखिरकार कब तक क्षिप्रा के नाम पर जनप्रतिनिधि राजनीति करते रहेंगे। उज्जैन शहर की पहचान और पूरे भारत में पहचान अगर है। उज्जैन शहर की तो बाबा महाकाल की वजह से और शिप्रा नदी की वजह से। क्योंकि शिप्रा नदी के घाट पर कई प्राचीन मंदिर हैं। सिद्धवट घाट ,मंगलनाथ मंदिर और अन्य मंदिर। सिद्धवट घाट पर पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए अलग-अलग शहर और अलग-अलग राज्यों से लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं।बड़ी संख्या में अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंड दान और आत्म शांति की पूजा के लिए साथ ही मंगलनाथ मंदिर पर भी पहुचते हैं। बड़ी संख्या में भक्त ग्रह कलेश बाधाएं खत्म हो भगवान शिव मंगलनाथ की भात पूजा और दर्शन कर इसीलिए यह दोनों मंदिर बेहद ही खास और बेहद ही पौराणिक हैं पर शिप्रा नदी में मिलने वाले मल मूत्र के पानी से शिप्रा नदी का जल तो  दूषित और खराब हो ही रहा है। साथ ही  जो भक्त शिप्रा नदी में मिल रहे गंदे को देखते हैं तो स्नान भी नहीं करते हैं और बिना स्नान किए ही चले जाते हैं। साथ ही यह भी कहते हुए नजर आते हैं, कि कैसे होगा यहां आकर तीर्थ पूजा सफल और भक्त कोसते हैं।                              


25 मई को खुलेंगे 'हेमकुंड साहिब' के कपाट

25 मई को खुलेंगे 'हेमकुंड साहिब' के कपाट पंकज कपूर  देहरादून। हेमकुंड साहिब के कपाट आगामी 25 मई को खोले जाएंगे। इसके चलते राज्य सरका...